Akhilesh Yadav का तंज, ‘धीरेंद्र शास्त्री अंडर टेबल लेते हैं पैसा, कोई सवाल नहीं कर सकता’

अखिलेश यादव ने धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री का जिक्र करते हुए... उन पर अंडर टेबल पैसे लेने का आरोप लगाया... और कहा कि उनसे कथा कराने...

4पीएम न्यूज नेटवर्कः उत्तर प्रदेश की राजनीति हमेशा से ही जातिगत समीकरणों और सामाजिक चलन का केंद्र रही है……. हाल ही में समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने बागेश्वर धाम के कथावाचक धीरेंद्र शास्त्री पर गंभीर आरोप लगाकर एक नया विवाद खड़ा कर दिया है…… आपको बता दें कि अखिलेश ने दावा किया कि धीरेंद्र शास्त्री एक कथा के लिए 50 लाख रुपये लेते हैं…… और इसके अलावा “अंडर टेबल” काला धन भी स्वीकार करते हैं….. और उन्होंने यह भी कहा कि धीरेंद्र शास्त्री इतने महंगे हैं….. कि कोई गरीब व्यक्ति उनसे कथा नहीं करा सकता…… और उनकी फीस इतनी अधिक है कि कोई उनसे सवाल करने की हिम्मत नहीं करता…….

आपको बता दें कि अखिलेश यादव का यह बयान न केवल उत्तर प्रदेश की सियासत में एक नया तूफान लाया है……. बल्कि यादव और ब्राह्मण समुदायों के बीच एक नई बहस को भी जन्म दिया है……. बता दें कि ये पूरा विवाद तब शुरू हुआ जब इटावा में एक कथावाचक के अपमान का मामला सामने आया……. धीरेंद्र शास्त्री ने अखिलेश यादव पर आरोप लगाया कि वह इस मामले को लेकर राजनीति कर रहे हैं…… जिसके जवाब में अखिलेश ने लखनऊ में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान धीरेंद्र शास्त्री पर तीखा हमला बोला…… और उन्होंने कहा कि कई कथावाचक हैं जो 50 लाख रुपये लेते हैं……. किसी की हैसियत है कि धीरेंद्र शास्त्री को बुला ले अपने घर……. कथा के लिए अंडर टेबल लेते हैं….. पता लगवा लीजिए धीरेंद्र शास्त्री की फीस कितनी होगी……..

वहीं अखिलेश के इस बयान ने न केवल धीरेंद्र शास्त्री के समर्थकों को नाराज किया…….. बल्कि यह भी सवाल उठाया कि क्या यह बयान केवल एक कथावाचक पर हमला है…… या इसके पीछे यादव और ब्राह्मण समुदायों के बीच की पुरानी सियासी खींचतान है……. धीरेंद्र शास्त्री को बागेश्वर धाम वाले बाबा के नाम से भी जाना जाता है…….. मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में स्थित बागेश्वर धाम के प्रमुख कथावाचक हैं…….. वह हनुमान चालीसा और अन्य धार्मिक कथाओं के माध्यम से लाखों लोगों को आकर्षित करते हैं……. उनकी लोकप्रियता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि उनके कार्यक्रमों में हजारों लोग शामिल होते हैं…….. और सोशल मीडिया पर उनके लाखों अनुयायी हैं…….

आपको बता दें कि शास्त्री का दावा है कि वह अपनी कथाओं के जरिए लोगों को धार्मिक और नैतिक मूल्यों की ओर प्रेरित करते हैं…… हालांकि उनके कुछ दावों जैसे चमत्कार और दिव्य शक्तियों को लेकर विवाद भी रहा है…….. कुछ लोग उन्हें एक सच्चा संत मानते हैं……. जबकि अन्य उनके तरीकों पर सवाल उठाते हैं…… वहीं अखिलेश यादव का बयान उस समय आया जब धीरेंद्र शास्त्री ने उन पर राजनीति करने का आरोप लगाया……. इटावा में एक घटना के बाद…… जहां कथित तौर पर एक कथावाचक का अपमान हुआ…… शास्त्री ने अखिलेश पर इस मुद्दे को तूल देने का आरोप लगाया……. जवाब में अखिलेश ने शास्त्री की फीस और उनके कथित अंडर टेबल लेन-देन पर सवाल उठाए……..

अखिलेश का यह बयान कई मायनों में महत्वपूर्ण है…… पहला यह धार्मिक और सामाजिक नेताओं पर सवाल उठाने की उनकी रणनीति का हिस्सा हो सकता है…… दूसरा यह उत्तर प्रदेश में यादव और ब्राह्मण समुदायों के बीच की सियासी प्रतिद्वंद्विता को और गहरा कर सकता है……. आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश की राजनीति में जातिगत समीकरण हमेशा से एक बड़ा मुद्दा रहा है…….. यादव और ब्राह्मण, दोनों ही समुदाय, राज्य की राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं……. समाजवादी पार्टी को पारंपरिक रूप से यादव और मुस्लिम समुदायों का समर्थन प्राप्त रहा है……. दूसरी ओर ब्राह्मण समुदाय का झुकाव अक्सर भारतीय जनता पार्टी की ओर रहा है…….. हालांकि यह समीकरण समय-समय पर बदलता रहता है…….

धीरेंद्र शास्त्री एक ब्राह्मण हैं….. उनके खिलाफ अखिलेश का बयान इस सियासी समीकरण को और गंभीर बनाता है……. कुछ लोग इसे यादव समुदाय की ओर से ब्राह्मण समुदाय पर हमले के रूप में देख रहे हैं……. दूसरी ओर कुछ लोग अखिलेश के बयान का समर्थन करते हैं…… वहीं यहां यह समझना जरूरी है कि धार्मिक कथावाचकों की फीस को लेकर पहले भी विवाद हुए हैं…….. कई कथावाचक अपनी सेवाओं के लिए भारी-भरकम राशि लेते हैं……. जो अक्सर गरीब लोगों की पहुंच से बाहर होती है…….. हालांकि, बिना ठोस सबूतों के ऐसे आरोप लगाना विवाद को और बढ़ा सकता है……..

वहीं अखिलेश यादव के बयान का असर न केवल राजनीतिक….. बल्कि सामाजिक और धार्मिक स्तर पर भी देखा जा सकता है……. धीरेंद्र शास्त्री के लाखों अनुयायी हैं……. और उनके खिलाफ इस तरह के आरोप उनके समर्थकों को नाराज कर सकते हैं…….. यह विवाद धार्मिक भावनाओं को आहत करने का कारण बन सकता है……. खासकर उन लोगों के बीच जो शास्त्री को एक संत के रूप में देखते हैं…… दूसरी ओर अखिलेश का यह बयान उन लोगों को पसंद आ सकता है…… जो धार्मिक कथावाचकों के व्यवसायीकरण पर सवाल उठाते हैं……. यह बयान समाजवादी पार्टी के उस वोट बैंक को मजबूत करने की कोशिश हो सकता है…….. जो धर्म के नाम पर होने वाले व्यापार के खिलाफ है……..

क्या अखिलेश यादव का यह बयान एक सोची-समझी राजनीतिक रणनीति का हिस्सा है…….. कई विश्लेषकों का मानना है कि अखिलेश इस बयान के जरिए अपनी पार्टी की छवि को और मजबूत करना चाहते हैं…….. समाजवादी पार्टी हमेशा से सामाजिक न्याय और गरीबों के हितों की बात करती रही है……. धीरेंद्र शास्त्री पर 50 लाख रुपये और काला धन लेने का आरोप लगाकर, अखिलेश ने यह संदेश देने की कोशिश की है कि वह उन लोगों के खिलाफ हैं…….. जो धर्म के नाम पर गरीबों का शोषण करते हैं……

आपको बता दें कि इटावा में कथावाचकों के साथ हुए दुर्व्यवहार का मामला शांत होने का नाम नहीं ले रहा है…….. सपा मुखिया ने दोनों कथावाचकों को पार्टी दफ़्तर बुलाकर उनका सम्मान किया था…… और उन्हें 51 हजार रुपये का ईनाम भी दिया था…… जिसके बाद से उन पर जाति की राजनीति करने का भी आरोप लगाया जा रहा है……. हालांकि सपा मुखिया ने इसे जातिवादी नहीं बल्कि पीडीए वादी होने का नाम दिया है……. समाजवादी पार्टी इस मामले पर खुलकर कथावाचकों के समर्थन में खड़ी दिखाई दे रही है…… जिसके बाद प्रदेश की सियासत ब्राह्मण बनाम यादव के बीच हो गई है……

बता दें कि इटावा का दांदरपुर गांव में 21 जून को कथा के दौरान कथावाचक मुकुटमणि यादव….. और संत कुमार यादव के साथ मारपीट और बदसलूकी की गई थी…… इस दौरान ग्रामीणों ने उन पर जाति छिपाने का आरोप लगाते हुए उनकी चोटी काट दी…… और सिर मुंडवाकर उनका अपमान किया था……. इस घटना का वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हो गया…….. जिसके बाद इस मामले में पुलिस ने चार आरोपियों को गिरफ़्तार कर लिया हैं……. वहीं दोनों कथावाचकों पर भी धोखाधड़ी……. और फर्जी आधार कार्ड रखने के आरोप में मुकदमा दर्ज किया गया है…….

आपको बता दें कि राजनीतिक के जानकोरों का मानना है कि यह विवाद उत्तर प्रदेश की सियासत में एक नया मोड़ ला सकता है…….. कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि अखिलेश का यह बयान उनकी पार्टी को गरीब और मध्यम वर्ग के बीच लोकप्रिय बनाने की कोशिश है…… दूसरी ओर कुछ लोग मानते हैं कि यह बयान उल्टा पड़ सकता है……. क्योंकि धीरेंद्र शास्त्री के लाखों अनुयायी हैं……. और उनके खिलाफ बोलना सपा को नुकसान पहुंचा सकता है………

वहीं यह विवाद अभी शुरुआती दौर में है……. लेकिन इसके दूरगामी परिणाम हो सकते हैं……. अगर धीरेंद्र शास्त्री या उनके समर्थक इस मामले में कानूनी कार्रवाई करते हैं……. तो यह और बड़ा मुद्दा बन सकता है……. इसके अलावा यह विवाद 2027 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों में भी एक मुद्दा बन सकता है……. क्योंकि जातिगत समीकरण और धार्मिक भावनाएं हमेशा से ही यूपी की सियासत में महत्वपूर्ण रही हैं…….

 

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