बिहारी सियासत में चिराग भड़काएंगे आग!

  • पल-पल बदल रहे हैं बिहार के राजनीतिक समीकरण
  • अब चिराग पासवान ने सभी सीटों पर चुनाव लडऩे का किया एलान
  • एनडीए में बिखराव, तेजस्वी को मिली चिराग की आग से ठंडी राहत
  • पशुपति पारस ने भी बनाई अपनी नई राजनीतिक पार्टी
  • पीके पहले से ही मेहनत कर बिहार की राजनीति में कुछ नया करना चाहते हैं

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
पटना। बिहार की सियासत में पक रही बिरयानी का स्वाद पल—पल बदल रहा है। एनडीए घटक के स्वादिष्ठ सियासी मसालों में से एक चिराग पासवान के बागवती तेवर बिरयानी को कसैला बना रहे हैं। चिराग पासवान ने एक चुनावी रैली में बिहार की सभी 243 सीटों पर चुनाव लडऩे का एलान कर दिया है। उन्होंने कहा है कि वह प्रत्येक सीट पर चिराग पासवान बन कर चुनाव लड़ेंगें।
उन्होंने सनसनी फैलाते हुए कहा कि कुछ लोग नहीं चाहते कि वह बिहार आये लेकिन अब ऐसा नहीं होगा और वह बिहार की राजनीतिक करेंगे। उनके चाचा पशपति पारस भी नये तेवरों के साथ मैदान में हैं। पशुपति भी एनडीए का हिस्सा थे लेकिन चिराग के आने से एनडीए ने उनसे किनारा कर लिया था। याद कीजिए वर्ष 2020 का विधानसभा चुनाव जब चिराग पासवान ने एनडीए के भीतर रहकर ही नीतीश कुमार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था। परिणामस्वरूप जदयू की सीटें आधी हो गईं। इस बार फिर चिराग ने एक नया मोर्चा खोला है। एनडीए आलांयस होन के बाद भी उन्होंने बिहार विधानसभा की सभी सीटों पर चुनाव लडऩे का एलान कर दिया है। उनके इस एलान को एनडीए में बिखराव के तौर पर देखा जा रहा है वहीं राजद नेता तेजस्वी को मनोवैज्ञानिक बढ़त मिल रही है।

‘मैं बिहार में सक्रिय राजनीति में आ रहा हूं’

लोक जनशक्ति पार्टी रामविलास के नेता और सांसद चिराग पासवान ने छपरा के राजेंद्र स्टेडियम में एक जनसभा को संबोधित करते हुए बड़ा एलान कर दिया है। उन्होंने कहा है कि वह बिहार की सभी 243 सीटों पर चुनाव लड़ेंगें। चिराग ने कहा है कि उन्हें बार-बार बिहार आने से रोका जाता है। उन्होंने कहा कि मैं आपसे कहता हूं मैं बिहार में विधानसभा का सभी 243 सीटों पर चुनाव लड़ूंगा। हर सीट पर चिराग पासवान बनकर लड़ूंगा। चिराग पासवान ने कहा कि कुछ लोग यह चाहते हैं कि वह बिहार ना आए और केंद्र की ही राजनीति करें लेकिन मैं बिहार में सक्रिय राजनीति में आ रहा हूं।

चिराग के चुनाव लडऩे से बीजेपी को फायदा या नुकसान?

चिराग के इस एलान से बीजेपी गठबंधन को फायदा हो गया फिर राजनीतिक नुकसान। राजनीतिक विषलेशक ए एन तिवारी कहते हैं कि पासवान वोट बैंक अभी भी बिहार में 4-5 फीसदी तक ठोस प्रभाव रखता है। दलितों में चिराग का असर शहरी क्षेत्रों से लेकर ग्रामीण सीटों तक फैला है। तेजस्वी को काउंटर करने के लिए भाजपा को एक युवा चेहरा चाहिए और चिराग वैसा चेहरा हैं। लेकिन चिराग अगर बगावती अंदाज में सभी सीटों पर उम्मीदवार उतारते हैं तो ये एनडीए को झारखंड में 2019 जैसी हालत में पहुँचा सकता है जहाँ आंतरिक बगावत के कारण गठबंधन हार गया था।

अलग पक रही है प्रशांत किशोर की खिचड़ी

दूसरे राजनीतिक दलों के लिए पिच तैयार करने वाले राजनीतिक चाणक्य प्रशांत किशोर की अपनी अलग खिचड़ी पक रही है। बिहार विधानसभा चुनाव में इस बार वे खुद के लिए खेल रहे हैं किसी अन्य पार्टी के लिए नहीं। उन्होंने जन सुराज यात्रा के ज़रिए गाँव-गाँव जाकर ज़मीन तैयार की है। पीके कांग्रेस,भाजपा और आरजेडी के बरअक्स एक नई प्रकार की राजनीति कर रहे हैं।

चिराग ने उठाया बिहार में अपराध का मुद्दा

कभी खुद को पीएम मोदी का हुनमान बताने वाले चिराग के सुर विधानसभा चुनाव में बदल गये हैं। उन्होंने खुद सीएम नीतिश की सरकार पर अपराध को लेकर हमला बोला और कहा कि बिहार में अपराध बड़ रहे हैं। चिराग ने कहा कि वह सुशासन की सरकार के साथ हैं। उन्होंने कहा? अगर सुशासन की सरकार में हत्याएं होंगी तो हम इसका खुलकर विरोध करेंगे।

चुनाव आयोग को ‘सुप्रीम’ नोटिस जारी

  • बिहार में वोटर लिस्ट पुनरीक्षण अभियान मामला शीर्ष अदालत पहुंचा
  • सुप्रीम कोर्ट 10 जुलाई को करेगा सुनवाई

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। बिहार में मतदाता सूची की जांच और सुधार के मसले पर सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट तैयार हो गया है। कोर्ट ने चुनाव आयोग को नोटिस जारी किया है। गुरुवार (10 जुलाई, 2025) को मामले पर सुनवाई होगी। कोर्ट में दाखिल याचिकाओं में कहा गया है कि चुनाव आयोग के स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (विशेष सघन पुनरीक्षण) अभियान के चलते लाखों लोगों का नाम वोटर लिस्ट से हट जाने की आशंका है। इस मामले में अब तक 5 याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हो चुकी हैं।
ये याचिकाएं एनजीओ एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर), सामाजिक कार्यकर्ता योगेंद्र यादव, टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा, आरजेडी सांसद मनोज झा और बिहार के पूर्व विधायक मुजाहिद आलम ने दाखिल की हैं। याचिकाकर्ताओं ने चुनाव आयोग के आदेश को मनमाना और निष्पक्ष चुनाव को प्रभावित करने वाला बताया है।

सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल क र रहे हैं पैरवी

सोमवार (7 जुलाई, 2025) को सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल समेत कुछ अन्य वकील याचिकाकर्ताओं की तरफ से जस्टिस सुधांशु धुलिया और जस्टिस जोयमाल्या बागची की अवकाशकालीन बेंच के सामने पेश हुए। उन्होंने कहा कि बिहार के 8 करोड़ मतदाताओं की जांच इतने कम समय मे संभव नहीं है. जो भी लोग फॉर्म नहीं भर पाएंगे, उनका नाम मतदाता सूची से बाहर हो जाएगा. इस प्रक्रिया पर तुरंत रोक जरूरी है. इस पर कोर्ट ने गुरुवार को सुनवाई के लिए सहमति दे दी।

याचिकाकर्ताओं को कुछ दस्तावेजों के मांगने पर आपत्ति

याचिकाकर्ताओं ने कहा है कि मतदाता की पुष्टि के लिए जिस तरह के दस्तावेज मांगे जा रहे हैं, वह अव्यवहारिक है. करोड़ों मतदाताओं की पुष्टि से जड़ी जांच-सुधार की प्रक्रिया को पूरा करने के लिए बहुत कम समय रखा गया है. ऐसे में यह साफ है कि बहुत से मतदाताओं का नाम वोटर लिस्ट से बाहर हो जाएगा. ये लोग बिहार विधानसभा चुनाव में मतदान से वंचित रह जाएंगे इसलिए, 24 जून 2025 को जारी चुनाव आयोग के आदेश को तत्काल निरस्त करने की जरूरत है।

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