ब्रेन ट्यूमर का खतरा कम करते हैं ये योगासन

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
मस्तिष्क में या उसके आसपास के ट्यूमर को ब्रेन ट्यूमर कहा जाता है। ब्रेन ट्यूमर मस्तिष्क के टिशूज़ में बनता है। आस-पास की संरचनाओं में पिट्यूटरी ग्लैंड, पीनियल ग्लैंड, और मेम्ब्रेन शामिल हैं जो मस्तिष्क की सतह को कवर करती हैं। प्राथमिक ब्रेन ट्यूमर कई रूप ले सकता है। मस्तिष्क में कुछ ट्यूमर पूरी तरह से हानिरहित होते हैं। इसलिए हर साल विश्व ब्रेन ट्यूमर दिवस 8 जून को मनाया जाता है। मस्तिष्क या उसके आसपास की कोशिकाओं में अनियंत्रित वृद्धि ब्रेन ट्यूमर का कारण बनती है। एक रिपोर्ट के अनुसार दुनियाभर में 10 लाख से अधिक लोग ब्रेन ट्यूमर के साथ जी रहे हैं। ब्रेन ट्यूमर के बढ़ते वैश्विक जोखिमों के बारे में लोगों को जागरूक करने और बचाव को लेकर शिक्षित करने के उद्देश्य से हर साल ब्रेन ट्यूमर डे को वैश्विक स्तर पर मनाया जाता है। समय रहते सावधानी और स्वास्थ्य की देखभाल से इस बीमारी के खतरे को कम किया जा सकता है। योग, खासकर कुछ विशेष आसन मस्तिष्क को शांत करने, तंत्रिका तंत्र को मजबूत करने और शरीर में रक्त संचार को बेहतर करने में मदद करते हैं, जिससे ब्रेन ट्यूमर जैसी बीमारियों के खतरे को कुछ हद तक कम किया जा सकता है। कुछअसरदार योगासन हंै जो ब्रेन ट्यूमर के खतरे को कम करने के साथ ही मस्तिष्क को सेहतमंद रखने में मदद करते हैं।
प्राणायाम
प्राणायाम को आम तौर पर सांस नियंत्रण की प्रक्रिया समझा जाता है। प्राणायाम में किए जाने वाले अभ्यास को देख कर यह ठीक ही लगता है, परंतु इसके पीछे सच बात कुछ और ही है। प्राणायाम दो शब्दों के मेल से बना है- प्राण और आयम। प्राण का मतलब महत्वपूर्ण ऊर्जा या जीवन शक्ति है। वह शक्ति जो सभी चीजों में मौजूद है, चाहे वो जीवित हो या निर्जीव। प्राणायाम श्वास के माध्यम से यह ऊर्जा शरीर की सभी नाडिय़ों में पहुंचाती है। यम शब्द का अर्थ है नियंत्रण और योग में इसे विभिन्न नियमों या आचार को निरूपित करने के लिए प्रयोग किया जाता है। मगर प्राणायाम शब्द में प्राण के साथ यम नहीं आयम की संधि की गयी है। आयम का मतलब है एक्सटेंशन या विस्तार करना। तो इसलिए प्राणायाम का सही मतलब है प्राण का विस्तार करना। प्राणायाम दिमाग को स्वस्थ रखता है। इसमें विशेषकर अनुलोम-विलोम, भ्रामरी प्राणायाम और कपालभाति प्राणायाम अभ्यास मस्तिष्क की कोशिकाओं को शुद्ध ऑक्सीजन पहुंचाने में सहायक हैं। यह तनाव को कम कर मानसिक शांति देते हैं। तंत्रिका तंत्र को संतुलित करते हैं, जिससे ब्रेन की फंक्शनिंग बेहतर होती है। भ्रमण प्राणायाम का अभ्यास भी कर सकते हैं, जिससे नकारात्मक भावनाएं जैसे क्रोध, झुंझलाहट, निराशा और चिंता से मुक्ति मिल सकती है। वहीं एकाग्रता, स्मृति और आत्म विश्वास में बढ़ावा होता है।
ताड़ासन
इस आसन के नियमित अभ्यास से शरीर की मांसपेशियां लचीली होती हैं। आसन के अभ्यास के दौरान गहरी सांस लेने की वजह से फेफड़ों में फैलाव आता है, जिससे इसकी सफाई होती है। इस आसान को करने से एकाग्रता बनी रहती है और श्वास संतुलित रहती है। इसे करने से ब्रेन ट्यूमर में राहत मिलती है। इसे करने के लिएदोनो पंजों को मिलाकर खड़े हो जायें, और बाज़ुओं को बगल में रखें। शरीर को स्थिर करें और शरीर का वजन दोनों पैरों पर समान रूप से वितरित करें। भुजाओं को सिर के उपर उठाएं। सिर के स्तर से थोड़ा ऊपर दीवार पर एक बिंदु पर आंखें टीका करें रखें। पुर अभ्यास के दौरान आंखें इस बिंदु पर टिका कर रखें। बाज़ुओं, कंधों और छाती को ऊपर की तरफ खींचें और फैलाएं। पैर की उंगलियों पर आ जायें ताकि दोनों एड़ी उपर उठ जायें। बिना संतुलन और बिना पैरों को हिलायें, पूरे शरीर को ऊपर से नीचे तक ताने। श्वास लेते रहें और कुछ सेकंड के लिए इस मुद्रा में ही रहें। शुरुआत में संतुलन बनाए रखना मुश्किल हो सकता है लेकिन अभ्यास के साथ यह आसान हो जाएगा।
शीर्षासन
यह योगासन मस्तिष्क तक रक्त प्रवाह को बढ़ाता है, जिससे दिमाग को ज्यादा ऑक्सीजन मिलती है। शीर्षासन ध्यान और एकाग्रता को बेहतर करता है। और सोचने की क्षमता को बेहतर बनाता है। साथ ही तनाव और चिंता को कम करने में सहायक है। यह मानसिक संतुलन को मजबूत करता है। ध्यान रखें कि यह आसन प्रशिक्षक की देखरेख में ही करें, खासकर यदि आपको ब्लड प्रेशर या सर्वाइकल की समस्या है। शीर्षासन में जब सिर की ओर हम उल्टा खड़े होते हैं, तो हृदय से मस्तिष्क तक रक्त का प्रवाह बढ़ जाता है, जिससे ब्लड प्रेशर संतुलित रहता है। इसका असर त्वचा और बालों पर भी दिखाई देता है, त्वचा में चमक आती है, बालों का झडऩा कम होता है और कई तरह की त्वचा संबंधित समस्याएं भी धीरे-धीरे दूर होने लगती हैं। इसके अलावाइस आसन से पाचन तंत्र को काफी फायदा मिलता है। यह आसन पेट से जुड़ी समस्याओं जैसे कब्ज, गैस और अपच को दूर करने में मदद करता है।


