चुनाव आयोग की भूमिका पर ‘सुप्रीम’ सवाल

- बिहार वोटर लिस्ट पुनरीक्षण की याचिका पर सुनवाई
- शीर्ष अदालत ने कहा- यह प्रक्रिया जल्द शुरू करनी चाहिए थी
- जस्टिस बोले- चुनाव आयोग जो कर रहा है वो उसका संवैधानिक दायित्व
- प्रमुख विपक्षी दलों ने डाली हैं याचिकाएं
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट बिहार में चुनाव आयोग द्वारा मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण को चुनौती देने वाली कई याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है। न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ ने मामलों की सुनवाई की। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के साथ ही चुनाव आयोग ने अपनी-अपनी दलीलें पेश कीं।
वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने भी चुनाव आयोग की तरफ से मतदाता सूची के पुनरीक्षण को लेकर सवाल किए। शीर्ष अदालत ने चुनाव आयोग से कहा कि आपको यह प्रक्रिया जल्द शुरू करनी चाहिए थी। इस दौरान निर्वाचन आयोग ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि उसे बिहार में मतदाता सूचियों के विशेष गहन पुनरीक्षण को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर कुछ आपत्तियां हैं। जस्टिस धुलिया ने कहा कि इसे इतना मत बढ़ाओ। इस सब में एक व्यावहारिक पहलू भी है। वे ऐसा इसलिए कर रहे हैं ताकि इन लोगों का पहले से ही सत्यापन हो जाए। यहाँ अनुच्छेद 14 कहाँ से आता है? इसके साथ ही शीर्ष अदालत ने कहा कि चुनाव आयोग जो कर रहा है वह उसका संवैधानिक दायित्व है। इसे कराने का तरीका चुनाव आयोग तय करेगा। कानून में स्पेशल रिवीजन का प्रावधान है।
मताधिकार से वंचित करना लोकतंत्र व बुनियादी ढांचे पर सीधा प्रहार : सिंघवी
वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश होते हुए कहा कि एक भी योग्य मतदाता को मताधिकार से वंचित करना समान अवसर को प्रभावित करता है, यह लोकतंत्र और बुनियादी ढांचे पर सीधा प्रहार करता है। जिस पर पीठ ने कहा कि हम इस मामले में आपके साथ हैं। यह मानते हुए कि चुनाव आयोग नागरिकता की जाँच कर सकता है, यह एक बिल्कुल अलग प्रक्रिया है। किसी को आकर दिखाना होगा। पूरा देश आधार के पीछे पागल हो रहा है और फिर चुनाव आयोग कहता है कि आधार नहीं लिया जाएगा। यह बिल्कुल नागरिकता जाँच की प्रक्रिया है। वरिष्ठï वकील ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि अब जबकि चुनाव कुछ ही महीनों दूर हैं, चुनाव आयोग कह रहा है कि वह 30 दिनों में पूरी मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) करेगा।
कांग्रेस, टीएमसी राजद, सपा समेत कई दलों ने की थी आपत्ति
प्रमुख विपक्षी दलों के नेता सांसद महुआ मोइत्रा (तृणमूल कांग्रेस), मनोज कुमार झा (राष्ट्रीय जनता दल), केसी वेणुगोपाल (भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस), सुप्रिया सुले (राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी शरद पवार), डी राजा (भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी), हरिंदर मलिक (समाजवादी पार्टी), अरविंद सावंत (शिवसेना यूबीटी), सरफराज अहमद (झारखंड मुक्ति मोर्चा), दीपांकर भट्टाचार्य (भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माक्र्सवादी-लेनिनवादी) लिबरेशन), द्रविड़ मुनेत्र कडग़म आदि द्वारा याचिकाएँ दायर की गई हैं।
भूकंप से कांपा दिल्ली-एनसीआर, 4.4 रही तीव्रता
- हरियाणा के झज्जर में था भूकंप का केन्द्र
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। दिल्ली-एनसीआर में भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए हैं। गुरुवार सुबह 9 बजकर 4 मिनट पर अचानक धरती कांपने लगी। रिक्टर स्केल पर भूकंप की तीव्रता 4.4 मापी गई। दिल्ली, नोएडा, गाजियाबाद में करीब 10 सेकेंड तक धरती हिलती रही।
गुरुवार सुबह से हो रही बारिश के बीच दिल्ली-एनसीआर में सुबह 9 बजकर 4 मिनट के करीब धरती जब कांपी तो लोग खौफ में आ गए. भूकंप के झटके इतने तेज थे कि दफ्तरों में काम कर रहे लोगों और घरों में बैठे लोगों ने भी इसे महसूस किया। भूकंप का केंद्र दिल्ली से 51 किमी। दूर हरियाणा के झज्जर में जमीन की 10 किमी. गहराई में था। भारत में जनवरी से लेकर अभी तक कई जगहों पर अलग-अलग समय में भूकंप के झटके महसूस किए जा चुके हैं। दिल्ली और आसपास के इलाकों में इस साल अभी तक कई बार भूकंप महसूस किया जा चुका है। एक बार भूकंप का केंद्र हरियाणा में बताया गया। दिल्ली के अलावा हरियाणा में भी भूकंप के झटके महसूस किए जा चुके हैं।
दिल्ली भूकंपीय क्षेत्र-4 में
दिल्ली की भौगोलिक स्थिति की वजह से ऐसे भूकंप आना कोई असामान्य बात नहीं है। शहर में पहले भी कई बार ऐसे झटके महसूस किए गए हैं। साल 2020 में, राष्टï्रीय राजधानी में 3.0 तीव्रता से ज़्यादा के कम से कम तीन भूकंप आए। जिसके बाद एक दर्जन से ज्यादा झटके आए।
राजधानी में भूकंप का खतरा ज्यादा
दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के मुताबिक, दिल्ली भूकंपीय क्षेत्र 4 में स्थित है, जहां भूकंप का खतरा ज्यादा रहता है। इस क्षेत्र में भूकंपीयता काफी ज्यादा है, जहां आमतौर पर 5-6 तीव्रता के भूकंप आते हैं, और कभी-कभी 7-8 तीव्रता के भी, हालांकि, ज़ोनिंग एक सतत प्रक्रिया है जो बदलती रहती है।




