अगस्त 2025 से शुरू होंगे जोरावर लाइट टैंक के ट्रायल्स, 2027 तक सेना में होगी तैनाती
भारतीय सेना के लिए एक बड़ी उपलब्धि की दिशा में कदम बढ़ चुका है। भारत में विकसित किया जा रहा स्वदेशी जोरावर लाइट टैंक अब टेस्टिंग के अंतिम चरण में पहुंच चुका है।

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क: भारतीय सेना के लिए एक बड़ी उपलब्धि की दिशा में कदम बढ़ चुका है। भारत में विकसित किया जा रहा स्वदेशी जोरावर लाइट टैंक अब टेस्टिंग के अंतिम चरण में पहुंच चुका है।
रक्षा सूत्रों के अनुसार, अगस्त 2025 से इस टैंक के पहले प्रोटोटाइप के यूजर ट्रायल्स शुरू होने जा रहे हैं। इन ट्रायल्स के दौरान टैंक को लद्दाख की कड़कड़ाती ठंड और राजस्थान की चिलचिलाती गर्मी जैसी विषम परिस्थितियों में परखा जाएगा। यह प्रक्रिया लगभग 12 से 18 महीनों तक चलेगी। ट्रायल्स सफल रहने की स्थिति में जोरावर टैंक को 2027 तक भारतीय सेना में शामिल कर लिया जाएगा।
जोरावर टैंक को विशेष रूप से ऊंचाई वाले और दुर्गम इलाकों के लिए तैयार किया गया है, ताकि यह चीन के टाइप-15 लाइट टैंक को कड़ी टक्कर दे सके। यह टैंक उच्च गतिशीलता, हल्के वजन और शक्तिशाली मारक क्षमता के साथ आने वाला एक अत्याधुनिक लड़ाकू वाहन होगा। रक्षा अधिकारियों के मुताबिक, दूसरा प्रोटोटाइप सितंबर 2025 तक तैयार हो जाएगा, जिससे आगे की टेस्टिंग प्रक्रिया और तेजी से आगे बढ़ सकेगी। स्वदेशी तकनीक और रणनीतिक सोच का यह प्रतीक टैंक भारत की रक्षा तैयारियों को एक नई मजबूती देगा, खासकर वास्तविक नियंक्षण रेखा (LAC) पर भारत की स्थिति को और सुदृढ़ करेगा।
जोरावर टैंक को रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) और लार्सन एंड टुब्रो (L&T) मिलकर बना रहे हैं. दिसंबर 2024 में इसका पहला प्रोटोटाइप टेस्ट हो चुका है. अब सेना इसे असली युद्ध के मैदान में आजमाएगी. इस दौरान टैंक की 105mm तोप, मशीन गन और एंटी-टैंक मिसाइल (ATGM) की फायरिंग क्षमता की भी जांच होगी. L&T को अभी 59 टैंकों का ऑर्डर मिला है, जबकि कुल 354 टैंक खरीदे जाएंगे. बता दें कि बाकी टैंकों के लिए अन्य कंपनियों के बीच प्रतिस्पर्धा होगी.
जोरावर टैंक की क्या हैं खासियतें?
जोरावर टैंक को खास तौर पर लद्दाख जैसे ऊंचे और दुर्गम इलाकों के लिए डिजाइन किया गया है. इसमें 105mm की शक्तिशाली तोप, मशीन गन और एंटी-टैंक मिसाइलें लगी हैं. यह ड्रोन से भी जुड़ सकता है, जिससे दुश्मन की हर गतिविधि पर नजर रखी जा सकेगी. टैंक में 760 हॉर्सपावर का Cummins इंजन लगा है, क्योंकि पहले प्रस्तावित रोल्स-रॉयस इंजन में देरी हो रही थी. भविष्य में इसे 1,000 हॉर्सपावर के Cummins Advanced Combat Engine से बदला जाएगा. DRDO भी एक स्वदेशी इंजन पर काम कर रहा है, ताकि विदेशी निर्भरता कम हो सके.
नए प्रोटोटाइप में किया गया सुधार
दूसरे प्रोटोटाइप में कई सुधार किए गए हैं. इसका सस्पेंशन सिस्टम बेहतर किया गया है, ताकि ये ऊबड़-खाबड़ रास्तों और ऊंचे पहाड़ों पर आसानी से चलाया जा सके. इंजन को भी ऊंचाई पर कम ऑक्सीजन की स्थिति में बेहतर प्रदर्शन के लिए तैयार किया गया है. साथ ही नए सेंसर जोड़े गए हैं, जो सैनिकों को ज्यादा जानकारी देंगे. जिससे वे युद्ध में दुश्मन से एक कदम आगे रहेंगे.
दुश्मन की नींद को उड़ाएगा
लद्दाख में चीन के साथ तनाव के दौरान भारत के भारी टैंक T-72 और T-90 को ले जाने में दिक्कतें आई थीं. जोरावर टैंक इस कमी को पूरा करेगा. यह हल्का होने के बावजूद ताकतवर है और चीन के टाइप-15 टैंक को टक्कर दे सकता है. दिसंबर 2024 में भारतीय वायुसेना ने दिखाया कि जोरावर को विमान से दूर-दराज के इलाकों में जल्दी पहुंचाया जा सकता है. यह टैंक ऊंचाई, नदियों और झीलों जैसे मुश्किल इलाकों में भी काम कर सकता है. अगर जोरावर टैंक अपने ट्रायल्स में पास हो जाता है, तो 2027 तक यह भारतीय सेना का हिस्सा बन जाएगा. यह टैंक न केवल सीमा की सुरक्षा को मजबूत करेगा, बल्कि भारत की स्वदेशी रक्षा तकनीक को भी नई ऊंचाइयों पर ले जाएगा.



