भाषा विवाद के चलते महाराष्ट्र में गुजरात की NO Entry, अब क्या करेंगे मोदी?
महाराष्ट्र में भाषा विवाद को लेकर भारी तनाव जारी है... इसी बीच महाराष्ट्र में मनसे कार्यकर्ताओं ने गुजराती में लगे होर्डिंग्स को तोड़ डाला...

4पीएम न्यूज नेटवर्कः महाराष्ट्र में भाषा विवाद ने एक बार फिर सियासी और सामाजिक माहौल को गर्म कर दिया है……. महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के कार्यकर्ताओं द्वारा मुंबई-अहमदाबाद राष्ट्रीय राजमार्ग पर लगे गुजराती भाषा के होर्डिंग्स को तोड़ने की घटनाओं ने पूरे राज्य में हलचल मचा दी है……. यह विवाद मराठी और गैर-मराठी भाषाओं विशेष रूप से हिंदी और गुजराती को लेकर चल रही तनातनी का हिस्सा है…….. इस बीच कुछ लोग इस सवाल को उठा रहे हैं कि क्या अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी…… जो गुजरात से ताल्लुक रखते हैं……. मराठी में बात करेंगे……
महाराष्ट्र में मराठी भाषा और संस्कृति को लेकर संवेदनशीलता कोई नई बात नहीं है……. मराठी भाषा को महाराष्ट्र की अस्मिता और गौरव का प्रतीक माना जाता है……. मुंबई देश की आर्थिक राजधानी है…… विभिन्न संस्कृतियों और भाषाओं का संगम है…….. यहां मराठी के साथ-साथ हिंदी, गुजराती, तमिल, तेलुगु, बंगाली…… और कोंकणी जैसी भाषाएं भी बोली जाती हैं…….. मराठी महाराष्ट्र की आधिकारिक भाषा है…… और इसे बोलने वालों की संख्या सबसे अधिक है……. लेकिन हाल के वर्षों में हिंदी और अन्य भाषाओं के बढ़ते प्रभाव ने कुछ स्थानीय संगठनों को आक्रामक रुख अपनाने के लिए ढकेल दिया है……
महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना का नेतृत्व राज ठाकरे करते हैं…….. वो लंबे समय से मराठी अस्मिता की रक्षा के लिए आंदोलन करती रही है……. इस संगठन का मानना है कि गैर-मराठी भाषी लोग, खासकर हिंदी…… और गुजराती बोलने वाले, मराठी भाषा और संस्कृति का सम्मान नहीं करते…… वहीं इस सोच ने बार-बार हिंसक घटनाओं को जन्म दिया है……. जिसमें गैर-मराठी भाषी लोगों पर हमले……. और उनकी संपत्तियों को नुकसान पहुंचाने की घटनाएं शामिल हैं…….
हाल ही में 24 जुलाई को एमएनएस कार्यकर्ताओं ने मुंबई-अहमदाबाद राष्ट्रीय राजमार्ग पर ठाणे…….. और पालघर जिलों में स्थित कई होटलों…… और प्रतिष्ठानों पर लगे गुजराती भाषा के साइनबोर्ड्स को तोड़ दिया……… कुछ जगहों पर इन बोर्ड्स को काले कपड़े से ढक दिया गया……. यह कार्रवाई एमएनएस के पालघर जिला अध्यक्ष प्रशांत के निर्देश पर की गई थी……. कार्यकर्ताओं ने मांग की कि सभी साइनबोर्ड्स मराठी भाषा में हों…….. क्योंकि यह महाराष्ट्र का कथित तौर पर “नियम” है……
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार एमएनएस कार्यकर्ता हलोली गांव और चारोटी इलाके में होटलों के परिसर में घुस गए…….. और गुजराती में लिखे साइनबोर्ड्स को जबरदस्ती क्षतिग्रस्त कर दिया……. कई होटल मालिकों ने डर के मारे अपने गुजराती बोर्ड्स को तुरंत काली प्लास्टिक शीट से ढक लिया……. वहीं इस घटना ने स्थानीय व्यापारियों……. और समुदायों में तनाव पैदा कर दिया…….. और सोशल मीडिया पर इसका वीडियो वायरल हो गया……. जिसने पूरे देश में बहस छेड़ दी……
इससे पहले 17 जुलाई को नवी मुंबई के सीवुड्स क्षेत्र में गुजरात के रापर से बीजेपी विधायक वीरेंद्रसिंह बहादुरसिंह जडेजा के जनसंपर्क कार्यालय के बाहर लगे गुजराती साइनबोर्ड को लेकर भी विवाद हुआ था……. एमएनएस के नवी मुंबई शहर सचिव सचिन कदम…… और अन्य कार्यकर्ताओं ने 24 घंटे का अल्टीमेटम देकर इस बोर्ड को मराठी में बदलने की मांग की थी……. इसके कुछ ही घंटों बाद बोर्ड को मराठी में बदल दिया गया……
आपको बता दें कि यह भाषा विवाद केवल सामाजिक या सांस्कृतिक मुद्दा नहीं है…….. बल्कि इसमें गहरे राजनीतिक परिणाम भी हैं…… एमएनएस प्रमुख राज ठाकरे ने हाल के महीनों में मराठी अस्मिता को लेकर अपने बयानों को और तेज कर दिया है…… और उन्होंने केंद्र और राज्य सरकार पर हिंदी…… और अन्य गैर-मराठी भाषाओं को “थोपने” का आरोप लगाया है…… खास तौर पर महाराष्ट्र सरकार द्वारा अप्रैल 2025 में प्राथमिक स्कूलों में हिंदी को तीसरी अनिवार्य भाषा बनाने के फैसले ने इस विवाद को और हवा दी…….
वहीं राज ठाकरे ने इस नीति को मराठी अस्मिता पर हमला करार देते हुए कहा कि हिंदी कोई राष्ट्रीय भाषा नहीं, बल्कि एक क्षेत्रीय भाषा है……. और उन्होंने तमिलनाडु की तरह इसका विरोध करने की धमकी दी….. और हिंदी साइनबोर्ड्स हटाने और स्कूलों में हिंदी पढ़ाने के खिलाफ आंदोलन की चेतावनी दी…….. इस मुद्दे पर शिवसेना (उद्धव गुट) और कांग्रेस जैसे विपक्षी दलों ने भी सरकार की आलोचना की……. जिसके बाद सरकार ने इस नीति को वापस ले लिया…… और एक समिति का गठन किया……. जो तीसरी भाषा नीति को लागू करने के तरीकों पर विचार कर रही है…….
हालांकि, एमएनएस की कार्रवाइयों को लेकर विपक्षी दलों ने भी मिलीजुली प्रतिक्रियाएं दी हैं……. पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने कहा कि वह किसी भी भाषा के खिलाफ नहीं हैं…….. लेकिन हिंदी को जबरन थोपने का विरोध करेंगे…….. वहीं कांग्रेस नेता और राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भाषाई मतभेदों पर झगड़े को अनावश्यक बताते हुए सभी भाषाओं का सम्मान करने की अपील की……
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इस विवाद पर कड़ा रुख अपनाया है……. और उन्होंने स्पष्ट कहा कि मराठी भाषा पर गर्व करना गलत नहीं है……. लेकिन इसके नाम पर गुंडागर्दी…… और हिंसा बर्दाश्त नहीं की जाएगी……. फडणवीस ने चेतावनी दी कि मराठी न बोलने के लिए किसी को पीटने या संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वालों के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाएगी……
बता दें कि हाल में हुई कई घटनाओं में पुलिस ने कार्रवाई भी की है……. मीरा-भायंदर में 29 जून को जोधपुर स्वीट्स और फरसाण के मालिक बाबूलाल चौधरी के साथ मारपीट की घटना के बाद पुलिस ने एमएनएस कार्यकर्ताओं के खिलाफ एफआईआर दर्ज की…….. इस घटना का वीडियो वायरल होने के बाद व्यापारियों ने विरोध मार्च निकाला और कड़ी कार्रवाई की मांग की……..
इसी तरह नांदेड में एक शौचालय संचालक के साथ मराठी न बोलने पर मारपीट…….. और जबरन माफी मंगवाने की घटना सामने आई……. जिसके बाद पुलिस ने जांच शुरू की…….. इसके अलावा राज ठाकरे के खिलाफ हिंदी भाषी लोगों के खिलाफ हिंसा भड़काने……. और नफरत फैलाने के आरोप में सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका भी दायर की गई है…….
आपको बता दें कि भाषा विवाद का असर महाराष्ट्र के व्यापार और उद्योग जगत पर भी पड़ रहा है……. ठाणे में कारखाना चलाने वाले विजय पारिख जैसे उद्यमियों का कहना है कि इस तरह का तनाव मजदूरों के पलायन का कारण बन सकता है…….. मजदूरों और कर्मचारियों की कमी पहले से ही उद्योगों के लिए चुनौती है…….. और भाषा विवाद इसे और गंभीर बना सकता है……
वहीं होटल व्यवसायियों ने कहा कि मुंबई और महाराष्ट्र में उत्तर भारतीयों का होटल, उद्योग, सेवा क्षेत्र, और खुदरा व्यापार में महत्वपूर्ण योगदान है…….. सभी लोग मराठी का सम्मान करते हैं……. लेकिन किसी को सिर्फ इसलिए अपमानित करना कि वह मराठी नहीं बोल पाता, गलत है….. उन्होंने सरकार से इस विवाद पर जल्द से जल्द नियंत्रण की मांग की……
गुजरात में भी इस विवाद को लेकर प्रतिक्रियाएं सामने आई हैं…….. एक वायरल वीडियो में गुजरात के स्थानीय लोग एक गैर-गुजराती व्यक्ति से हिंदी में बात करने के लिए सहमत होते दिखे……. जिसे सोशल मीडिया पर सराहा गया……. यह वीडियो इस बात का प्रतीक बना कि भाषा को लेकर सहिष्णुता….. और समझदारी से विवादों को हल किया जा सकता है……
आपको बता दें कि महाराष्ट्र और गुजरात के बीच भाषा और पहचान का विवाद नया नहीं है……. आजादी के बाद जब राज्यों का पुनर्गठन भाषा के आधार पर किया गया…….. तब बॉम्बे राज्य में मराठी और गुजराती दोनों भाषाएं बोली जाती थीं……. 1960 में बॉम्बे राज्य को विभाजित कर महाराष्ट्र और गुजरात बनाए गए…….. और मुंबई को महाराष्ट्र की राजधानी बनाया गया…….
हालांकि, मुंबई में गुजराती समुदाय की मजबूत उपस्थिति के कारण भाषा……. और पहचान को लेकर तनाव समय-समय पर सामने आता रहा है…..
वहीं सोशल मीडिया पर कुछ लोग यह सवाल उठा रहे हैं कि क्या अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, जो गुजरात से हैं……. मराठी में बात करेंगे…….. यह सवाल भले ही व्यंग्यात्मक हो…….. लेकिन यह इस विवाद की गंभीरता को दर्शाता है…….. कुछ यूजर्स ने इसे बीजेपी और केंद्र सरकार के खिलाफ सियासी हमले के रूप में भी देखा…….. जो महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ गठबंधन का हिस्सा है…….
हालांकि, यह कहना गलत होगा कि यह विवाद केवल गुजरात या बीजेपी तक सीमित है…….. यह एक व्यापक सामाजिक और राजनीतिक मुद्दा है…….. जो मराठी अस्मिता, क्षेत्रीय गौरव, और राष्ट्रीय एकता के बीच संतुलन की जरूरत को उजागर करता है……
महाराष्ट्र में भाषा विवाद ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि भाषा और पहचान जैसे संवेदनशील मुद्दे आसानी से सियासी और सामाजिक तनाव का रूप ले सकते हैं…….. एमएनएस की कार्रवाइयों ने जहां मराठी भाषा के समर्थकों को एकजुट किया है……. वहीं गैर-मराठी भाषी समुदायों में डर और असुरक्षा की भावना पैदा की है…….. मुख्यमंत्री फडणवीस और सरकार का सख्त रुख इस बात का संकेत है कि कानून-व्यवस्था को बनाए रखने की कोशिश की जा रही है…….. लेकिन इस विवाद का स्थायी समाधान तभी संभव है…… जब सभी पक्ष सहनशीलता और आपसी सम्मान के साथ आगे बढ़ें……



