बिहार में मतदाता सूची से हटे 65 लाख वोटर्स, सपा सांसद की मांग- उन वोटों से जीते सांसदों का हो इस्तीफा

बिहार में वोटर लिस्ट रीविजन को लेकर विपक्ष चुनाव आयोग और बीजेपी को घेरने का काम कर रहा है. चुनाव आयोग ने 65 लाख लोगों के नाम वोटर लिस्ट से काट दिए हैं. इसी बीच समाजवादी पार्टी के सांसद धर्मेंद्र यादव ने कहा, चुनाव आयोग को बिहार के उन सांसदों से इस्तीफा मांगना चाहिए, जो 65 लाख गलत वोटरों के आधार पर चुने गए हैं.
साथ ही उन्होंने संसद में पेश हुआ पीएम-सीएम को गंभीर अपराध करने के पर हटाने वाले बिल को लेकर कहा, प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और मंत्रियों को 30 दिनों तक हिरासत में रहने पर पद से हटाने का प्रस्ताव रखने वाला यह बिल बीजेपी की आखिरी चाल है. उन्होंने आरोप लगाया कि बीजेपी सरकार हर दिन धोखाधड़ी करने के लिए नए कानून लाने की कोशिश कर रही है. साथ ही उन्होंने कहा, एनडीए (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) के सहयोगी भी इसका समर्थन नहीं करेंगे.
65 लाख लोगों के नाम हटाए गए
बिहार में वोटर लिस्ट रीविजन को लेकर तूफान मचा हुआ है. इसी बीच 9 अगस्त को ड्राफ्ट वोटर्स लिस्ट सामने आई. इसमें लगभग 22.34 लाख लोगों के नाम यह कहकर हटा दिए गए कि वो मर चुके हैं, जबकि 36.28 लाख नाम यह कहते हुए काट दिए गए कि वे स्थायी रूप से पलायन कर गए हैं. इसके अलावा, 7.01 लाख लोगों के नाम यह कहकर हटाए गए कि वो अपने पंजीकृत पते पर नहीं मिले.
सुप्रीम कोर्ट में इस विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision SIR) को चुनौती देते हुए कई याचिकाएं दायर की गई हैं, जो सिर्फ बिहार में किया जा रहा है, जहां कुछ महीनों में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. याचिकाकर्ताओं की दलीलों में से एक यह थी कि नाम गैर-पारदर्शी तरीके से हटाए गए.
सांसद ने इस्तीफे की मांग की
आजमगढ़ से सांसद ने कहा, मैं चुनाव आयोग से पूछना चाहता हूं कि अगर वोटर लिस्ट में 65 लाख लोगों के नाम गलत हैं, तो जिन सांसदों के नाम इन्हीं वोटों से बने हैं, वे सही कैसे हो सकते हैं? इन सांसदों से इस्तीफा लीजिए. नए सांसदों का चुनाव कराइए. अगर वोटर लिस्ट गलत थी, तो सांसदों का चुनाव भी स्वाभाविक रूप से गलत हुआ.
पीएम-सीएम को हटाए जाने के बिल को लेकर क्या कहा?
18 अगस्त को चुनाव आयोग ने कहा था कि उसने बिहार में SIR के तहत प्रकाशित ड्राफ्ट मतदाता सूची से हटाए गए लगभग 65 लाख नाम सार्वजनिक कर दिए हैं. पीएम-सीएम को हटाने वाले बिल को लेकर उन्होंने कहा, यह कोई संवैधानिक संशोधन नहीं है, बल्कि असंवैधानिक है. यह बीजेपी का आखिरी हथकंडा है. धोखाधड़ी करने के लिए हर दिन नए कानून लाने की कोशिश की जा रही है. समाजवादी पार्टी ने इसका विरोध किया है. विपक्ष ने सामूहिक रूप से इसका विरोध किया है.
उन्होंने आगे कहा, विपक्ष को छोड़ दीजिए, उनके अपने गठबंधन सहयोगी भी इसका समर्थन नहीं करेंगे. केंद्र की सरकार के साथ जो भी नहीं चलेगा, वह उनका शिकार होगा, चाहे वह बीजेपी का ही क्यों न हो.
समाजवादी पार्टी से निकाली गई विधायक पूजा पाल के इस बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कि पार्टी से उन्हें जान का खतरा है, यादव ने कहा, यह एक राजनीतिक स्टंट है. साथ ही उन्होंने उपराष्ट्रपति चुनाव में इंडिया गठबंधन के उम्मीदवार बी. सुधर्शन रेड्डी की जीत को लेकर विश्वास जताया.

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