दिल्ली की अदालतों में ठप पड़ा कामकाज, वकीलों का उपराज्यपाल की अधिसूचना के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में पिछले पांच दिनों से अदालतों में कामकाज ठप पड़ा हुआ है। जिसकी वजह वकीलों का विरोध प्रदर्शन है।

4पीएम न्यूज नेटवर्क: राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में पिछले पांच दिनों से अदालतों में कामकाज ठप पड़ा हुआ है। जिसकी वजह वकीलों का विरोध प्रदर्शन है। दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना द्वारा जारी की गई अधिसूचना के खिलाफ किया जा रहा है। वकीलों का कहना है कि यह अधिसूचना उनकी कार्यप्रणाली और अधिकारों के खिलाफ हैं।
दिल्ली में पिछले 5 दिनों से अदालती काम पूरी तहर से ठप पड़ा है. ऐसा इसलिए क्योंकि वकील विरोध प्रदर्शन में लगे हुए हैं. इस प्रदर्शन के पीछे की वजह उपराज्यपाल की तरफ से जारी की गई एक अधिसूचना है. वकील इसी को लेकर विरोध और नारेबाजी कर रहे हैं. कड़कड़डूमा कोर्ट में वकीलों के प्रदर्शन के दौरान रविकांत शर्मा नाम के वकील की हार्ट अटैक से मौत हो गई.
दिल्ली की लगभग हर अदालत में वकील उपराज्यपाल की अधिसूचना के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. वकीलों के विरोध प्रदर्शन के पीछे की वजह थानों से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से बयान दर्ज करने का आदेश है. दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना की तरफ से 13 अगस्त को ये आदेश जारी किया गया था. आदेश जारी होने के बाद ही वकीलों का विरोध जारी है.
वकीलों की तरफ से पिछले दिनों इस आदेश को लेकर उपराज्यपाल का आदेश के खिलाफ उपराज्यपाल का पुतला भी दहन किया गया था. हड़ताल के बीच दिल्ली हाईकोर्ट में एलजी की अधिसूचना के खिलाफ जनहित याचिका दाखिल की गई है.
#WATCH | Delhi: Lawyers continue to hold protest against the notification issued by the Delhi LG VK Saxena, declaring video conferencing rooms in police stations as designated places for recording of evidence.
(Outside visuals from Rouse Avenue Court) pic.twitter.com/P8apF5C2kA
— ANI (@ANI) August 28, 2025
वकीलों की तरफ से कहा कि यदि थानों से गवाही की व्यवस्था लागू हो जाती है तो इससे न्यायिक प्रक्रिया प्रभावित होगी. इससे न तो वकीलों को न्याय मिलेगा और न ही पक्षकारों को न्याय मिलेगा, हर जगह मनमानी शुरू हो जाएगी.
काले कानून के खिलाफ प्रदर्शन
वकीलों ने इस विरोध प्रदर्शन को लेकर कहा कि यह सामूहिक हड़ताल किसी व्यक्तिगत लाभ के लिए नहीं है. ये न्याय व्यवस्था की निष्पक्षता बचाने के लिए है. उन्होंने अधिसूचना को काला कानून बताया है. साथ ही वकीलों की तरफ से कहा गया कि जब तक इसे पूरी तरह से वापस नहीं लिया जाता, अधिवक्ताओं की हड़ताल जारी रहेगी.



