नाबालिक से दुष्कर्म के दोषी की सजा दिल्ली हाईकोर्ट ने बरकरार रखी, कहा- बच्चे की विश्वसनीय गवाही ही पर्याप्त
कोर्ट ने ये भी कहा कि पीड़िता की गवाही विश्वसनीय है और इसके आधार पर सजा भी हो सकती है.

4पीएम न्यूज नेटवर्क: दिल्ली हाई कोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसले में नाबालिग बच्ची से बार-बार बलात्कार के दोषी शख्स की सजा को बरकरार रखा है. कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि एक बच्चे की विश्वसनीय गवाही, निर्णायक फोरेंसिक सबूतों के अभाव में भी दोषसिद्धि के लिए पर्याप्त है.
दिल्ली हाई कोर्ट ने 2017 में 10 साल की एक मासूम बच्ची के साथ बलात्कार के मामले में एक शख्स को 12 साल की जेल की सजा को बरकरार रखा. इसके साथ ही कोर्ट ने ये भी कहा कि पीड़िता की गवाही विश्वसनीय है और इसके आधार पर सजा भी हो सकती है. जस्टिस मनोज कुमार ओहरी ने इस मामले में दोषी करार दिए गए टोनी नाम के शख्स की 3 सितंबर को खारिज करते हुए यह आदेश दिया.
सुनवाई के दौरान जस्टिस मनोज कुमार ने कहा , कानून की स्थापित स्थिति यह है कि भले ही पीड़िता घटना की एकमात्र गवाह हो, अगर उसकी गवाही विश्वसनीय और भरोसेमंद पाई जाती है, तो दोषसिद्धि बरकरार रखी जा सकती है। अगर पीड़ित बच्ची की गवाही विश्वसनीय है, तो दोषसिद्धि उसी के आधार पर हो सकती है’.
प्राथमिकी के मुताबिक दोषी शख्स टोनी फर्नीचर की एक दुकान में काम करता था. ये दुकान बच्ची के स्कूल के पास थी. इस दौरान टोनी की नजर बच्ची पर पड़ी. उसने बच्ची को चाउमीन और कचौड़ी जैसी खाने की चीजों का लालच दिया और उसे बहला फुसलाकर उसके साथ कई बार दुष्कर्म किया था.
इसके साथ ही आरोपी टोनी ने बच्ची को डराने के लिए धमकी भी दी थी कि अगर उसने इस बारे में किसी को भी कुछ बताया तो वो उसकी जान ले लेगा. आरोपी ने कहा कि वो उसे नाले में डुबो देगा या लकड़ी की तरह उसके टुकड़े-टुकड़े कर देगा. इन धमकियों की वजह से बच्ची चुप रही. यह मामला तब सामने आया जब बच्ची की स्कूल की टीचर ने उससे पूछताछ की और बच्ची ने उन्हें सारी बात बताई. इसकेबाद टीचर ने बच्ची की मां को पूरी बात बताई जिसके कारण पुलिस में शिकायत दर्ज की गई.
सुनवाई के दौरान जस्टिस मनोज कुमार ने कहा कि बच्ची का बयान एक समान और विश्वसनीय रहा. साथ ही आरोपी शख्स जिरह के दौरान पीड़िता की गवाही को झुठला नहीं सका. कोर्ट ने माना कि बच्ची के बायन में सच्चाई है, जिसके आधार पर कोर्ट ने आरोपी टोनी की 2 साल की जेल की सजा को बरकरार रखा.
दिल्ली हाईकोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसले में नाबालिग बच्ची से बार-बार बलात्कार के दोषी शख्स की सजा को बरकरार रखा है. कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि एक बच्चे की विश्वसनीय गवाही, निर्णायक फोरेंसिक सबूतों के अभाव में भी दोषसिद्धि के लिए पर्याप्त है.



