वक्फ कानून पर SC के फैसले का कांग्रेस ने किया स्वागत, कहा- विकृत मंशा को किया निष्फल
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने वक्फ (संशोधन) कानून पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है. उन्होंने कहा कि यह न्याय, समानता और बंधुत्व जैसे संवैधानिक मूल्यों की जीत है'.

4पीएम न्यूज नेटवर्क: कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने वक्फ (संशोधन) कानून पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है. उन्होंने कहा कि यह न्याय, समानता और बंधुत्व जैसे संवैधानिक मूल्यों की जीत है’. नेता ने कहा कि यह आदेश इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह मूल कानून के पीछे छिपी विकृत मंशा को काफी हद तक निष्फल करता है.
वक्फ (संशोधन) कानून पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आ गया है. कोर्ट ने इस मामले में मुस्लिम पक्ष की कुछ दलीलें तो मान ली है, लेकिन पूरे कानून पर रोक लगाने से इनकार कर दिया. जिस पर कई मुस्लिम नेताओं ने खुशी जाहिर की है. इस बीच कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश का बयान सामने आया है. उन्होंने कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि यह उन सभी सदस्यों की जीत है, जिन्होंने संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) में विस्तृत असहमति नोट दर्ज कराए थे.
कांग्रेस नेता ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट शेयर किया है, जिसमें उन्होंने कहा ‘वक्फ़ (संशोधन) अधिनियम 2025 पर सुप्रीम कोर्ट का आज का आदेश यह केवल उन दलों की जीत नहीं है ,जिन्होंने संसद में इस मनमाने क़ानून का विरोध किया था, बल्कि उन सभी संयुक्त संसदीय समिति (JPC) के सदस्यों की भी जीत है जिन्होंने विस्तृत असहमति (dissent) नोट्स प्रस्तुत किए थे. उन नोट्स को तब नजरअंदाज कर दिया गया था, लेकिन अब वे सही साबित हुए हैं’.
वक्फ़ (संशोधन) अधिनियम 2025 पर सुप्रीम कोर्ट का आज का आदेश यह केवल उन दलों की जीत नहीं है ,जिन्होंने संसद में इस मनमाने क़ानून का विरोध किया था, बल्कि उन सभी संयुक्त संसदीय समिति (JPC) के सदस्यों की भी जीत है जिन्होंने विस्तृत असहमति (dissent) नोट्स प्रस्तुत किए थे। उन नोट्स को…
— Jairam Ramesh (@Jairam_Ramesh) September 15, 2025
इसके आगे जयराम रमेश ने कहा कि यह आदेश इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह मूल कानून के पीछे छिपी विकृत मंशा को काफी हद तक निष्फल करता है. उन्होंने कहा ‘विपक्षी दलों की ओर से पेश वकीलों ने दलील दी थी कि यह कानून ऐसी व्यवस्था बनाएगा, जिसमें कोई भी व्यक्ति कलेक्टर के समक्ष संपत्ति की स्थिति को चुनौती दे सकेगा और मुकदमेबाज़ी के दौरान संपत्ति की स्थिति अनिश्चित बनी रहेगी. इसके अतिरिक्त, केवल वही व्यक्ति वक्फ़ में दान कर सकेगा जो पांच सालों से ‘मुसलमान’ होने का सबूत दे सकेगा’.
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि इन धाराओं के पीछे की मंशा हमेशा स्पष्ट थी; मतदाता आधार को भड़काए रखना और ऐसा प्रशासनिक ढांचा बनाना जो धार्मिक विवादों को हवा देने वालों को संतुष्ट कर सके.
नेता ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने इस आदेश के जरिए कलेक्टर की शक्तियों पर रोक लगाई है,. मौजूदा वक्फ़ संपत्तियों को संदिग्ध चुनौतियों से बचाया है और पांच सालों तक मुसलमान होने का सबूत मांगने वाली धारा पर तब तक रोक लगाई है जब तक इसके नियम नहीं बन जाते. उन्होंने कहा ‘हम इस आदेश का स्वागत करते हैं क्योंकि यह न्याय, समानता और बंधुत्व जैसे संवैधानिक मूल्यों की जीत है’.
दरअसल सोमवार (15 सितंबर) को सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 के कुछ प्रावधानों पर रोक लगाई है. सीजेआई बी.आर. गवई और जस्टिस एजी मसीह की बेंच ने वक्फ बनाने के लिए 5 साल तक इस्लाम का अभ्यास करने की अनिवार्यता वाले प्रावधान पर तब तक रोक लगा दी, जब तक कि संबंधित नियम नहीं बन जाते. इसके अलावा, अब कलेक्टर को प्रॉपर्टी विवाद पर निर्णय लेने का अधिकार नहीं होगा.
अपने अंतरिम आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राज्य वक्फ बोर्डों में तीन से अधिक गैर-मुस्लिम सदस्य नहीं होने चाहिए, जबकि केंद्रीय वक्फ बोर्ड में चार से ज्यादा गैर-मुस्लिम सदस्य नहीं होंगे.
वक्फ (संशोधन) कानून को लेकर काफी बवाल मचा था. मुस्लिम संगठनों के साथ ही तमाम राजनीतिक दलों ने भी इसका विरोध किया था. ये मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया था और कानून पर पूरी तरीके से रोक लगाने की मांग की गई थी. सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई के बाद आज फैसला सुनाया है. इसके साथ ही साफ तौर पर इंकार कर दिया है कि वे इस कानून पर पूरी तरह से रोक नहीं लगाएंगे.



