भागवत-मोदी के एक होते ही BJP अध्यक्ष का नाम फाइनल? चार दिग्गज मंत्रियों में होगी टक्कर!

RSS प्रमुख मोहन भागवत और पीएम मोदी की डील के बाद बीजेपी अध्यक्ष की दौड़ पर से उठा पर्दा! चार बड़े मंत्रियों के नाम रेस में...

4पीएम न्यूज नेटवर्कः दोस्तों भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव पिछले कई महीनों से लंबित है.. यह चुनाव पार्टी की आंतरिक प्रक्रिया का महत्वपूर्ण हिस्सा है… लेकिन इसे बार-बार टाला जा रहा है.. राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इसका मुख्य कारण राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भाजपा के शीर्ष नेतृत्व के बीच कुछ समय पहले उभरे तनाव हैं… हालांकि, हाल के महीनों में दोनों संगठनों के बीच संबंधों को सामान्य करने की कोशिशें दिखाई दे रही हैं… प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह… और आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के हालिया बयानों से यह संकेत मिल रहे हैं कि जल्द ही भाजपा नए राष्ट्रीय अध्यक्ष का ऐलान कर सकती है… इस खबर में हम भाजपा-आरएसएस संबंधों की पृष्ठभूमि, हाल की घटनाओं, चुनाव में देरी के कारणों और संभावित उम्मीदवारों के बारे में बात करेंगे…

भाजपा और आरएसएस का रिश्ता बहुत पुराना है… आरएसएस को भाजपा का वैचारिक मार्गदर्शक माना जाता है.. आरएसएस के कार्यकर्ता अक्सर भाजपा के चुनाव अभियानों में मदद करते हैं.. लेकिन 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले एक बयान ने दोनों के बीच दरार पैदा कर दी.. भाजपा के वर्तमान राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा था कि भाजपा अब इतनी मजबूत हो गई है.. कि उसे आरएसएस की जरूरत नहीं रह गई है.. यह बयान मई 2024 में एक इंटरव्यू में दिया गया था.. नड्डा ने कहा कि पहले हमें आरएसएस की मदद की जरूरत थी… लेकिन अब हम सक्षम हैं और पार्टी खुद चल सकती है.. इस बयान से आरएसएस नाराज हो गया.. सूत्रों के अनुसार, आरएसएस कार्यकर्ताओं ने 2024 के चुनाव में भाजपा को पूरे मन से समर्थन नहीं दिया.. नतीजा यह हुआ कि भाजपा 240 सीटों पर सिमट गई.. जबकि पार्टी ने ‘अबकी बार 400 पार’ का नारा दिया था…

2024 के चुनाव परिणामों ने भाजपा को झटका दिया.. पार्टी को बहुमत नहीं मिला और उसे सहयोगी दलों पर निर्भर रहना पड़ा.. राजनीतिक पंडितों का कहना है कि आरएसएस की कम सक्रियता चुनाव हार के कारणों में से एक थी.. आरएसएस के कार्यकर्ता ग्रामीण इलाकों में मतदाताओं को जुटाने में अहम भूमिका निभाते हैं.. लेकिन इस बार वे अनमने दिखे.. यह तनाव 2025 तक जारी रहा.. जब भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष चुनाव को टाला जाने लगा.. जेपी नड्डा का कार्यकाल जनवरी 2024 में खत्म हो चुका था.. लेकिन इसे विस्तार दिया गया… अब सितंबर 2025 तक चुनाव नहीं होने से पार्टी में असमंजस है..

आपको बता दें कि 2025 में दोनों संगठनों ने संबंध सुधारने की दिशा में कदम उठाए.. 15 अगस्त 2025 को स्वतंत्रता दिवस के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले से भाषण दिया.. इसमें उन्होंने आरएसएस की तारीफ की और इसे दुनिया का सबसे बड़ा एनजीओ बताया.. मोदी ने कहा कि आरएसएस 100 सालों से राष्ट्र निर्माण में लगा है.. यह दुनिया का सबसे बड़ा गैर-सरकारी संगठन है.. यह पहली बार था जब मोदी ने स्वतंत्रता दिवस के भाषण में आरएसएस का जिक्र किया.. आरएसएस की स्थापना के 100 साल पूरे होने पर मोदी ने इसके योगदान की सराहना की.. यह बयान तनाव कम करने का संकेत था..

वहीं आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने भी अगस्त 2025 में एक कार्यक्रम में कहा कि राजनीति या समाज सेवा में रिटायरमेंट की कोई उम्र नहीं होती.. इससे पहले भागवत ने कहा था कि 75 साल की उम्र में लोगों को रिटायर हो जाना चाहिए.. चूंकि प्रधानमंत्री मोदी 16 सितंबर 2025 में 75 साल के हो जाएंगे.. इसलिए भागवत का पुराना बयान मोदी पर टिप्पणी माना गया था.. लेकिन नए बयान में भागवत ने स्पष्ट किया कि मैंने कभी नहीं कहा कि 75 साल पर कोई रिटायर हो.. संघ में काम तब तक चलता है जब तक जरूरत है.. यह बयान मोदी के लिए राहत की तरह था..

गृह मंत्री अमित शाह ने भी कई मौकों पर आरएसएस की सराहना की.. और उन्होंने कहा कि  मुझे आरएसएस स्वयंसेवक होने पर गर्व है.. यह कभी नकारात्मक नहीं हो सकता.. शाह ने आरएसएस की स्थापना दिवस पर भी इसके योगदान की तारीफ की.. इन बयानों से लगता है कि भाजपा के शीर्ष नेता आरएसएस से संबंध सुधारने में लगे हैं.. आरएसएस के वरिष्ठ नेता राम माधव ने कहा कि आरएसएस दबाव समूह नहीं, बल्कि सहायक है.. जुलाई 2025 में भाजपा ने कई राज्य इकाइयों में नए अध्यक्ष नियुक्त किए.. जो ज्यादातर आरएसएस पृष्ठभूमि के थे.. यह आरएसएस की भूमिका बढ़ाने का संकेत था…

भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष चुनाव में देरी का मुख्य कारण आरएसएस और भाजपा नेतृत्व के बीच मतभेद हैं.. आरएसएस चाहता है कि नया अध्यक्ष वैचारिक रूप से मजबूत हो और संघ के मूल्यों को आगे बढ़ाए.. मोदी-शाह जोड़ी पर आरएसएस का आरोप है कि वे पार्टी को व्यक्तिगत रूप से चला रहे हैं.. अगस्त 2025 में आरएसएस प्रमुख भागवत ने भाजपा को नसीहत दी कि चुनाव में इतना समय नहीं लगना चाहिए.. पार्टी ने 100 से ज्यादा नेताओं से सलाह ली, लेकिन फैसला नहीं हुआ..

जून 2025 में चुनाव प्रक्रिया शुरू हुई, लेकिन इसे टाला गया.. अब सितंबर 2025 तक कोई फैसला नहीं हुआ.. खबरों के मुताबिक आरएसएस अब भाजपा को नियंत्रित कर रहा है.. हालांकि, आरएसएस ने कहा कि वह भाजपा के कामों में हस्तक्षेप नहीं करता.. फिर भी संघ की भूमिका बढ़ी है..  आरएसएस और भाजपा के बीच सुधरते संबंधों से अब चुनाव की संभावना बढ़ी है.. संभावित उम्मीदवारों में शिवराज सिंह चौहान, नितिन गडकरी, मनोहर लाल खट्टर और धर्मेंद्र प्रधान के नाम चर्चा में हैं…

शिवराज सिंह चौहान मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री है.. वे केंद्रीय मंत्री हैं और किसानों के बीच लोकप्रिय हैं.. आरएसएस पृष्ठभूमि के होने से उनका नाम मजबूत है.. चौहान ने मध्य प्रदेश में कई चुनाव जीते हैं.. नितिन गडकरी केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री है.. वे आरएसएस से जुड़े हैं और विकास कार्यों के लिए जाने जाते हैं.. गडकरी को मोदी का विकल्प भी माना जाता है.. और आरएसएस उन्हें पसंद करता है… मनोहर लाल खट्टर हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री है.. वे केंद्रीय मंत्री हैं और आरएसएस के करीबी हैं.. खट्टर का नाम उम्र के कारण कम मजबूत है.. लेकिन उनकी ईमानदारी चर्चा में है.. धर्मेंद्र प्रधान केंद्रीय शिक्षा मंत्री है… और वे ओडिशा से हैं और युवा नेतृत्व का चेहरा हैं.. प्रधान ने पार्टी को पूर्वी भारत में मजबूत किया है..

आपको बता दें कि भाजपा अक्सर चौंकाने वाले फैसले लेती है, इसलिए कोई सरप्राइज नाम भी आ सकता है… भाजपा के दोनों दिग्गज नेताओं और आरएसएस चीफ के बयान से भाजपा और संघ के बीच रिश्ते सामान्य होने के संकेत मिल रहे हैं… अब इस बात की प्रबल संभावना है कि दोनों ही संगठन मिलकर जल्द ही भाजपा के अगले राष्ट्रीय अध्यक्ष के नाम पर अंतिम मुहर लगा सकते हैं.. हालांकि संघ न कई मौकों पर कहा है कि सरकार या भाजपा के कार्यों में आरएसएस का हस्तक्षेप नहीं होता है…

आरएसएस और भाजपा के बीच सामान्य हुए रिश्तों में कई दावेदारों के नाम की चर्चा होने लगी है… उनमें सबसे पहला नाम शिवराज सिंह चौहान का आता है… जो कि वर्तमान केंद्र सरकार में मंत्री हैं… वहीं, नितिन गडकरी के नाम पर भी अंदर खाने चर्चा होने लगी है… इसके अलावा, केंद्रीय मंत्री और हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर और घर्मेंद्र प्रधान का नाम भी रेस में शामिल होने की चर्चा है.. भाजपा अक्सर अपने फैसलों से सियासी पंडितों को चौंकाती रही है…

 

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