मनीष गुप्ता हत्याकांड में सीबीआई ने अपनी चार्जशीट दाखिल किया

CBI files its charge sheet in Manish Gupta murder case

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क

गोरखपुर। कानपुर के बिजनेसमैन मनीष गुप्ता की गोरखपुर में मौत मामले में सीबीआई ने अपनी चार्जशीट दाखिल कर दी है। ज्यूडिशल मजिस्ट्रेट कोर्ट में दाखिल की गई इस चार्जशीट में गोरखपुर पुलिसकर्मियों को दोषी बताया गया है। सीबीआई ने तत्कालीन थानाध्यक्ष, सब इंस्पेक्टर, हवलदार और कांस्टेबल के खिलाफ चार्जशीट फाइल की है।

आपको बता दें कि सीबीआई ने यूपी सरकार के अनुरोध के बाद 2 नवंबर 2021 को यह केस दर्ज किया था। इसके पहले यह मामला गोरखपुर के रामगढ़ ताल पुलिस स्टेशन में 28 सितंबर 2021 को मनीष गुप्ता की पत्नी द्वारा दी गई तहरीर के आधार पर आईपीसी धारा 302 के तहत दर्ज कराया गया था।

पुलिस कर्मियों के खिलाफ दर्ज मुकदमा

मनीष हत्याकांड में रामगढ़ताल थाना के तत्कालीन इंस्पेक्टर जगत नारायण सिंह (जेएन सिंह), चौकी प्रभारी दरोगा अक्षय मिश्रा, दरोगा विजय यादव, दरोगा राहुल दुबे, हेड कांस्टेबल कमलेश सिंह यादव व कांस्टेबल प्रशांत कुमार के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ था।

यह हो सकती है सजा

302 : हत्या (सजा-मृत्यु दंड या आजीवन कारावास और साथ ही जुर्माना)
325 : स्वेच्छापूर्वक किसी को गंभीर चोट पहुंचाना (सजा- सात वर्ष कारावास, आर्थिक दंड)
323 : जानबूझ कर स्वेच्छा से किसी को चोट पहुंचाना ( सजा- 1 वर्ष कारावास या एक हजार रुपये जुर्माना या दोनों)
506 : धमकी देना सजा- अपराध साबित होने पर दो-दो साल की सजा और अर्थदंड।
218 : लोक सेवक द्वारा गलत रिकॉर्ड तैयार करने या सजा से व्यक्ति को बचाने के इरादे से लेखन, या जब्ती से संपत्ति। सजा- 3 साल या जुर्माना या दोनों
201: अपराध के साक्ष्य का विलोपन या अपराधी को प्रतिच्छादित करने के लिए झूठी जानकारी देना। सजा- सात वर्ष कारावास और आर्थिक दंड।
34 : जब एक आपराधिक कृत्य सभी व्यक्तियों ने सामान्य इरादे से किया हो, तो प्रत्येक व्यक्ति ऐसे कार्य के लिए जिम्मेदार होता है, जैसे कि अपराध उसके अकेले के द्वारा ही किया गया हो।
120 बी : आपराधिक साजिश (जिसकी अवधि छह मास से अधिक की नहीं होगी या जुर्माना या दोनों से दंडित किया जाएगा)
149 : यदि किसी गैरकानूनी सभा के किसी सदस्य द्वारा अपराध किया जाता है, तो ऐसी सभा का हर दूसरा सदस्य अपराध का दोषी होगा।

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