नवरात्रि का व्रत पहली बार रख रहे हैं? तो जानिए विस्तार से
शारदीय नवरात्र का पर्व मां दुर्गा की भक्ति, साधना और शक्ति की अराधना का पावन समय होता है। नौ दिनों तक चलने वाले इस महापर्व में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है।

4पीएम न्यूज नेटवर्क: शारदीय नवरात्र का पर्व मां दुर्गा की भक्ति, साधना और शक्ति की अराधना का पावन समय होता है।
नौ दिनों तक चलने वाले इस महापर्व में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है। बहुत से श्रद्धालु हर साल विधिवत व्रत रखते हैं,वहीं कई लोग पहली बार नवरात्रि का व्रत करने का संकल्प लेते हैं। ऐसे में पहली बार व्रत रखने वाले लोगों के लिए कुछ विशेष नियमों और सावधानियों का पालन करना जरूरी होता है, ताकि व्रत सफल हो और मां दुर्गा की कृपा प्राप्त हो सके।
शारदीय नवरात्रि का पर्व मां दुर्गा और उनके नौ स्वरूपों की आराधना का पावन समय होता है. बहुत से लोग हर साल पूरे विधि-विधान से व्रत रखते हैं, लेकिन कई लोग पहली बार नवरात्रि का व्रत करने का संकल्प लेते हैं. पहली बार व्रत रखने वालों को विशेष सावधानियां और नियमों का ध्यान रखना चाहिए, ताकि मां दुर्गा की कृपा प्राप्त हो सके.
शारदीय नवरात्रि साल 2025 में 22 सितंबर से शुरू हो रहे हैं. इस बार नवरात्रि के व्रत 9 की जगह 10 दिन के होंगे, नवरात्रि का व्रत बहुत फलदायी होता है. इन व्रत को करने से मां दुर्गा की कृपा बनी रहती है और आशीर्वाद मिलता है.
पहली बार नवरात्रि व्रत के नियम
संकल्प लेकर करें शुरुआत
व्रत की शुरुआत घटस्थापना (कलश स्थापना) के साथ करें. मां दुर्गा के सामने व्रत का संकल्प लें और नियमों का पालन करने का प्रण करें. सात्विक भोजन करें व्रत में केवल सात्विक आहार ग्रहण करें. प्याज, लहसुन, मांसाहार और मदिरा का सेवन वर्जित है. फलाहार और व्रत का भोजन जैसे कुट्टू का आटा, सिंघाड़े का आटा, साबूदाना आदि ही लें.
व्रत के दौरान स्वच्छता
शारीरिक और मानसिक पवित्रता बनाए रखें. रोज सुबह स्नान कर मां दुर्गा के समक्ष दीप प्रज्वलित करें.
मां दुर्गा के मंत्रों का जाप करें रोजाना दुर्गा सप्तशती, दुर्गा चालीसा या “ॐ दुं दुर्गायै नमः” मंत्र का जाप करें. पहले दिन मां शैलपुत्री और आगे क्रमशः नवदुर्गा की पूजा करें.
पूजन में यह चीजें अवश्य रखें
नारियल, कलश, अखंड ज्योति, लाल चुनरी, लौंग, सुपारी और फूल मां को अर्पित करें. अखंड ज्योति (घी का दीपक) जलाना शुभ माना जाता है.
व्रत तोड़ने का नियम
अष्टमी या नवमी के दिन कन्या पूजन करके व्रत का समापन करें. कन्याओं को भोजन कराकर उन्हें उपहार दें और आशीर्वाद लें.
नियमितता बनाए रखें
एक बार व्रत शुरू करने के बाद बीच में न छोड़ें. पूरी श्रद्धा और अनुशासन के साथ व्रत पूरा करें.


