Rahul Gandhi के संपर्क में Chirag ? NDA में सीट बंटवारे पर तकरार! Modi से टूटेगा रिश्ता?

NDA में सीट बंटवारे को लेकर मचा घमासान! राहुल गांधी के संपर्क में बताए जा रहे चिराग पासवान… क्या इस खींचतान के बीच ‘हनुमान’ मोदी से रिश्ता तोड़ देंगे?  

4पीएम न्यूज नेटवर्कः दोस्तों बिहार विधानसभा चुनाव का औपचारिक ऐलान भले ही अभी नहीं हुआ हो.. लेकिन सियासी गलियारों में हलचल तेज हो गई है.. एक ओर जहां इंडिया गठबंधन जनता को साधने में जुटा है.. वहीं एनडीए भी अपनी रणनीति को धार देने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहा है.. आपको बता दें कि राहुल गांधी हाल ही में वोटर अधिकार यात्रा पूरी चुके हैं.. तो वहीं तेजस्वी बिहार अधिकार यात्रा पर है.. इधर बीजेपी के टॉप नेता मोदी, अमित शाह, जेपी नड्डा समेत तमाम नेता बिहार का दौरा कर रहे हैं.. लेकिन शीट शेयरिंग को लेकर पेंच फंसता जा रहा है.. सूत्रों के मुताबिक बीजेपी एक सौ दस से एक सौ पंद्रह सीटों पर चुनाव लड़ने की योजना बना रही है.. लेकिन जेडीयू इतनी सीटे देने के मूड में नहीं है.. उधर चिराग पासवान ने मोदी की धडकन को बढ़ा दिया है.. और उन्होंने सौ फीसदी स्ट्राइक रेट की बात कर रहे हैं..

बता दें कि बिहार की राजनीति हमेशा से ही रोमांचक रही है.. यहां गठबंधनों का खेल ऐसा चलता है कि कभी दोस्त दुश्मन बन जाते हैं.. और कभी दुश्मन दोस्त.. अब 2025 के विधानसभा चुनावों का समय आ गया है.. चुनाव आयोग ने अभी तारीखें घोषित नहीं की हैं.. लेकिन विशेषज्ञों का अनुमान है कि मतदान अक्टूबर या नवंबर में होगा.. कुल 243 सीटों पर सियासत गर्म हो चुकी है.. राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन जो बिहार में सत्तारूढ़ है.. उसके अंदर सीटों के बंटवारे को लेकर खींचतान बढ़ गई है.. खासकर लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के नेता चिराग पासवान की मांगें ने भाजपा और जनता दल (यूनाइटेड) की नींद उड़ा दी है..

वहीं अब सवाल उठ रहे हैं कि क्या चिराग पासवान कांग्रेस नेता राहुल गांधी के संपर्क में हैं? क्या नीतीश कुमार, जिन्हें अक्सर मोदी जी के ‘हनुमान’ कहा जाता है.. एनडीए से नाता तोड़ देंगे? ये सवाल सोशल मीडिया से लेकर राजनीतिक गलियारों तक गूंज रहे हैं.. लेकिन बीजेपी नेताओं का कहना है कि एनडीए की एकजुटता बरकरार है.. लेकिन सीट बंटवारे की बातों ने सहयोगी दलों के बीच तनाव पैदा कर दिया है.. बता दें कि बिहार में दो हजार बीस के विधानसभा चुनावों में एनडीए ने एक सौ पच्चीस सीटें जीतीं थीं.. भाजपा को चौहत्तर, जेडीयू को तैंतालीस और चिराग पासवान की तत्कालीन लोजपा को एक भी नहीं मिली.. लेकिन दो हजार चौबीस के लोकसभा चुनावों ने समीकरण बदल दिए.. एनडीए ने बिहार की चालीस में से तीस सीटें जीतीं.. जेडीयू को बारह, भाजपा को बारह, चिराग की लोजपा (रामविलास) को पांच और हम (जितन राम मांझी) को एक मिली.. चिराग की पार्टी ने जहां लड़ी, वहां सौ फीसदी सफलता हासिल की.. इससे उनकी ताकत बढ़ गई..

वहीं अब विधानसभा चुनावों में वोटों का खेल जाति-आधारित है.. बिहार में यादव-मुस्लिम समीकरण महागठबंधन का आधार है.. जबकि एनडीए को अत्यंत पिछड़ा वर्ग, दलित और ऊपरी जातियों का समर्थन है.. चिराग पासवान पशुपालन समुदाय से आते हैं.. जो ईबीसी का बड़ा हिस्सा है.. उनकी लोकप्रियता से एनडीए को फायदा हो सकता है.. लेकिन सीट बंटवारे में उनकी मांगें जेडीयू के लिए सिरदर्द हैं.. हाल ही में चिराग ने कहा कि उनकी पार्टी मजबूत सीटों पर लड़ेगी.. ताकि लोकसभा जैसी जीत दोहराई जा सके.. आपको बता दें कि चुनावों की तारीखें घोषित होते ही सियासत तेज हो जाएगी.. लेकिन अभी से एनडीए के अंदर चर्चाएं चल रही हैं.. अमित शाह ने पटना में नीतीश कुमार से मुलाकात की.. जहां सीट बंटवारे पर बात हुई.. रिपोर्ट्स के मुताबिक, भाजपा और जेडीयू बराबर सीटों पर चुनाव लड़ेंगी.. जिसको लेकर कयास लगाए जा रहे हैं कि लगभग सौ से एक सौ दो सीटों पर प्रत्येक दल चुनाव लड़ेंगे.. बाकी चालीस से बयालीस सीटें छोटे सहयोगियों को मिलेंगी.. लेकिन चिराग चालीस सीटें चाहते हैं.. जो जेडीयू को मंजूर नहीं..

बता दें कि चिराग पासवान बिहार की राजनीति के उभरते सितारे हैं.. उनके पिता रामविलास पासवान लंबे समय तक केंद्रीय मंत्री रहे और दलित-ईबीसी नेता थे.. दो हजार इक्कीस में रामविलास की मौत के बाद चिराग ने पार्टी का विभाजन कर लोजपा (रामविलास) बना ली.. दो हजार बीस के चुनावों में उन्होंने नीतीश के खिलाफ ‘मिशन दो हजार बीस’ चलाया.. जिससे जेडीयू को तीस से ज्यादा सीटें गंवानी पड़ीं.. लेकिन दो हजार चौबीस में उन्होंने एनडीए का साथ दिया.. और पांच में से पांच लोकसभा सीटें जीतीं..

वहीं अब चिराग विधानसभा चुनावों में मुख्यमंत्री पद की महत्वाकांक्षा जता रहे हैं.. एक हालिया इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि मुझे सीटों की संख्या से फर्क नहीं पड़ता, लेकिन जहां मजबूत हैं, वहां लड़ेंगे.. उनके करीबी नेता अरुण भारती ने जेडीयू पर निशाना साधा.. उन्होंने कहा कि मीडिया की धारणा गलत है कि विधानसभा में कोई विधायक न होने से लोजपा को कम सीटें मिलेंगी.. दो हजार उन्नीस में दो सांसदों वाली पार्टी को सत्रह विधानसभा सीटें मिलीं और सभी जीतीं.. दो हजार चौबीस में एक सांसद वाली पार्टी को पांच लोकसभा सीटें मिलीं और सभी जीतीं.. भारती का यह बयान जेडीयू को बहुत चुभा..

आपको बता दें कि चिराग पासवान के समर्थक सक्रिय हैं.. और चिराग पासवान चालीस सीटें चाहते हैं.. जबकि प्रस्तावित फॉर्मूला में उन्हें बीस मिल सकती हैं.. जिसको लेकर चिराग ने खुद कहा कि एनडीए दो सौ पच्चीस से ज्यादा सीटें जीतेगा.. लेकिन जुलाई में उन्होंने नीतीश सरकार को “बेकार” कहा था.. लेकिन अब टोन बदल गया है.. वे कहते हैं कि नीतीश कमजोर कड़ी नहीं हैं.. यह यू-टर्न राजनीतिक रणनीति लगता है.. चिराग की ताकत उनके वोट बैंक में है.. दो हजार चौबीस लोकसभा चुनाव में लोजपा को छह दशमलव पांच फीसदी वोट मिले.. अगर वे अकेले लड़ें, तो एनडीए को नुकसान हो सकता है.. इसलिए भाजपा उन्हें मनाने की कोशिश कर रही है.. एक रिपोर्ट के अनुसार चिराग ने कहा कि सीट बंटवारे की चर्चा उपराष्ट्रपति चुनाव के बाद शुरू होगी.. वहीं अब उपराष्ट्रपति का चुनाव भी हो चुका है.. जिसके चलते अब सीट बंटवारे को लेकर चर्चा गर्म हो गई है..

आपको बता दें कि चिराग ने हाल ही में दावा किया था कि अगर सीट बंटवारे पर बात नहीं बनी को हम पूरे दो सौ तैंतालीस सीटों पर चुनाव लड़ेंगे.. सभी सीटों पर हमारी तैयारी पूरी है.. वहीं कहीं अगर ऐसा होता है.. तो बीजेपी और नीतीश दोनों के लिए यह एक बड़ा खतरा साबित होगा.. बिहार की सियासत में अफवाहें आम हैं.. सूत्रों के मुताबिक दावा किया गया कि चिराग राहुल गांधी से संपर्क में हैं.. लेकिन तथ्य कुछ और कहते हैं.. चिराग ने बार-बार विपक्ष पर हमला बोला है.. जुलाई दो हजार पच्चीस में संसद सत्र के दौरान उन्होंने राहुल और तेजस्वी यादव पर निशाना साधा.. कहा कि विपक्ष संसद को बाधित कर रहा है.. लेकिन एनडीए दो सौ पच्चीस सीटें जीतेगा…

बता दें कि राजनीति में कोई किसी का सगा नहीं होता है.. सब मौके की तलाश में रहते हैं.. और जिसको अच्छा मौका और पद मिलता है वह उस पार्टी के साथ चल देता है.. ऐसा बिहार की सियासत में कई बार हो चुका है.. जिसका नीतीश कुमार एक बड़ा उदाहरण है.. वहीं इन कयासों के बीच एक पुरानी घटना का जिक्र आता है.. बता दें कि दो हजार चौदह से पहले चिराग ने राहुल से मिलने की कोशिश की थी.. लेकिन कांग्रेस ने ठंडा रवैया अपनाया… इसके बाद चिराग ने पिता को एनडीए में लाने के लिए राजी किया.. अब वे कहते हैं कि एनडीए से बाहर जाने का कोई कारण नहीं..

जिसके बाद तेजस्वी यादव ने चिराग को बड़े भाई कहकर तंज कसा.. कहा कि चिराग को शादी कर लेनी चाहिए.. राहुल ने मजाक में कहा कि यह मुझ पर भी लागू होता है.. लेकिन यह हल्की-फुल्की बातचीत थी.. कोई गठबंधन का संकेत नहीं.. एनडीए के सहयोगी दल अपनी-अपनी दावेदारी ठोंक रहे हैं.. भाजपा और जेडीयू मुख्य पार्टनर हैं.. दो हजार बीस में जेडीयू ने एक सौ पंद्रह सीटें लड़ीं.. और तैंतालीस जीतीं.. भाजपा ने एक सौ दस पर चौहत्तर सीटें जीतीं.. वहीं अब जेडीयू सौ से नीचे जाने को तैयार नहीं.. रिपोर्ट्स कहती हैं कि दोनों बराबर एक सौ एक से एक सौ दो सीटों पर चुनाव लड़ेंगी..

आपको बता दें कि लोजपा (रामविलास) बीस से चालीस सीटें मांग रही है.. जिसको लेकर चिराग कहते हैं कि संख्या मायने नहीं.. लेकिन मजबूत जगह चाहिए.. और जीतन राम माझी की पार्टी हम (एस) दस सीटों की मांग कर रही है.. और राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी 10 सीटें चाह रही है.. जीतन राम मांझी ने सीट बंटवारे पर बयान दिया.. जिसे चिराग ने “पोजिशनिंग” कहा.. कुल दो सौ तैंतालीस में से दो सौ एक सीटें भाजपा-जेडीयू को… बाकी सहयोगियों को.. लेकिन चिराग की चालीस सीटों की मांग से पेंच फंस गया.. एक रिपोर्ट में कहा गया कि चिराग ने भाजपा को चेतावनी दी.. यह सब्जी पर नमक डालने जैसी मतलब अतिरिक्त बोझ है..

रिपोर्ट के मुताबिक सीट शेयरिंग का संभावित फार्मूला दिया गया.. जिसमें जेडीयू एक सौ दो, भाजपा एक सौ एक, चिराग बीस, हम दस, आरएलएम दस.. लेकिन चिराग इससे असंतुष्ट हैं.. नीतीश ने कहा कि मैं कहीं नहीं जाऊंगा.. अमित शाह की मुलाकात से उम्मीद बंधी है.. नीतीश कुमार को अक्सर पलटू राम कहा जाता है.. लेकिन हाल में वे एनडीए के प्रति वफादार दिख रहे हैं.. सितंबर दो हजार पच्चीस में पूर्णिया रैली में उन्होंने पीएम मोदी की तारीफ की.. कहा कि आरजेडी-कांग्रेस से गठबंधन गलती थी.. अब एनडीए में रहूंगा.. जनवरी दो हजाप पच्चीस में उन्होंने कहा कि एनडीए छोड़ने का कोई सवाल नहीं..

लेकिन चुनौतियां हैं.. प्रशांत किशोर ने कहा कि नीतीश ईमानदार हैं, लेकिन उनके मंत्री लूट रहे हैं.. जेडीयू के अंदर असंतोष है.. यूनियन कैबिनेट से इस्तीफे की धमकी.. और दावा किया गया कि भाजपा नीतीश को कमजोर करने की कोशिश कर रही है.. लेकिन चिराग ने नीतीश को समर्थन दिया वे कमजोर कड़ी नहीं.. मोदी-नीतीश का रिश्ता मजबूत है.. बजट में बिहार को विशेष पैकेज मिला.. लेकिन तेजस्वी कहते हैं कि लोग एनडीए के भ्रम से मुक्त होना चाहते हैं.. आपको बता दें कि एनडीए के लिए सीट बंटवारा, कानून-व्यवस्था पर सवाल सबसे बड़ी चुनौती है.. विपक्ष जाति जनगणना पर जोर दे रहा है.. चिराग अगर बगावत करें.. तो बीस से तीस सीटें जा सकती हैं..

 

Related Articles

Back to top button