ट्रंप बने मोदी के काल, देश-विदेश में फजीहत, हिली कुर्सी?

मोदी के लिए ट्रंप साबित हुए काल! लगातार बढ़ती फजीहत से उठे सवाल... क्या अब कुर्सी जाएगी हाथ से?

4पीएम न्यूज नेटवर्कः दोस्तों अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का एक फैसला भारत में तूफान ला चुका है.. H1B वीजा पर 1 लाख डॉलर सालाना फीस लगाने का ऐलान होते ही देश-विदेश में हंगामा मच गया.. यह नीति खासतौर पर भारतीय आईटी प्रोफेशनल्स को निशाना बना रही है.. जो अमेरिका में नौकरियों के लिए इस वीजा पर निर्भर हैं.. लाखों युवा अमेरिकी सपनों को पूरा करने की राह पर थे.. अब बेरोजगारी की कगार पर खड़े हैं.. भारत सरकार ने इसे ‘मानवीय संकट’ बताया है.. लेकिन विपक्ष इसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की विदेश नीति की नाकामी बता रहा है.. सवाल उठ रहा है कि क्या यह फजीहत मोदी की कुर्सी के लिए खतरा बन जाएगी..

आपको बता दें कि H1B अमेरिका का एक स्पेशल वर्क वीजा है.. जो हाई-स्किल्ड वर्कर्स को अमेरिकी कंपनियों में नौकरी करने की इजाजत देता है.. ज्यादातर आईटी, इंजीनियरिंग और टेक फील्ड में काम करने वाले प्रोफेशनल्स इसका फायदा उठाते हैं.. हर साल अमेरिका सिर्फ 85 हजार ऐसे वीजा जारी करता है.. लेकिन भारत इसका सबसे बड़ा फायदा उठाने वाला देश है.. 2024 के आंकड़ों के मुताबिक, H1B वीजा के 70% से ज्यादा भारतीयों को मिलते हैं.. भारतीय आईटी कंपनियां जैसे टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज, इंफोसिस और विप्रो, अमेरिकी क्लाइंट्स के प्रोजेक्ट्स पर काम करने के लिए हजारों इंजीनियर्स को वहां भेजती हैं.. यह आउटसोर्सिंग मॉडल भारत की आईटी इंडस्ट्री का रीढ़ है.. जो 2024 में 2.5 लाख करोड़ रुपये का कारोबार कर रही थी..

वहीं ट्रंप का यह नया फैसला 21 सितंबर 2025 से लागू होगा.. इसमें H1B वीजा के लिए कंपनियों को प्रति वीजा होल्डर 1 लाख डॉलर सालाना फीस देनी होगी.. पहले यह फीस सिर्फ 995 डॉलर थी.. ट्रंप ने इसे ‘अमेरिका फर्स्ट’ पॉलिसी का हिस्सा बताया है.. उनका कहना है कि भारतीय आईटी फर्म्स H1B सिस्टम का ‘दुरुपयोग’ कर रही हैं.. और अमेरिकी वर्कर्स को नुकसान पहुंचा रही हैं.. ट्रंप के मुताबिक आईटी आउटसोर्सिंग कंपनियां कम सैलरी पर भारतीय वर्कर्स को लाकर अमेरिकी जॉब्स छीन रही हैं.. यह पहली बार नहीं है जब ट्रंप ने H1B पर सख्ती की.. 2017-2021 के उनके पहले टर्म में भी वीजा रिजेक्शन रेट 20% से बढ़कर 40% हो गया था.. लेकिन 2025 का यह कदम सबसे कड़ा है.. विशेषज्ञों का कहना है कि यह भारतीय ब्रेन ड्रेन को रोकने का तरीका है.. लेकिन भारत के लिए यह आर्थिक झटका है..

भारत में हर साल 15 लाख इंजीनियरिंग ग्रेजुएट्स निकलते हैं.. लेकिन नौकरियां सिर्फ 3-4 लाख हैं.. बाकी युवा H1B वीजा के सहारे अमेरिका जाते हैं.. 2024 में 4 लाख से ज्यादा भारतीय H1B पर अमेरिका पहुंचे.. लेकिन अब यह फीस लगने से कंपनियां नई हायरिंग रोक देंगी.. नासकॉम ने चेतावनी दी है कि इससे 3 लाख से ज्यादा आईटी जॉब्स खतरे में हैं.. भारतीय कंपनियां अमेरिका को 150 बिलियन डॉलर का एक्सपोर्ट करती हैं.. फीस से मार्जिन 10-15% गिर सकता है.. स्टॉक मार्केट में TCS और इंफोसिस के शेयर 5% लुढ़क चुके हैं.. छोटी कंसल्टेंसी फर्म्स बंद हो सकती हैं, जो 50% H1B इस्तेमाल करती हैं..

आपको बता दें कि विपक्ष मोदी को जबरदस्त तरीके से घेर रहा है.. लेकिन मोदी की तरफ से कोई भी बयान अभी नहीं आया है.. वहीं यह पहली बार नहीं है कि मोदी ट्रंप के आगे झुके हो.. इससे पहले मोदी टैरिफ के मामले पर भी मौन धारण किए हुए है.. टैरिफ के बाद वीजा पर अटैक ने भारतीय कामगारों पर गहरा असर डाल दिया है.. और उनकी नौकरी जाने की कगार पर है.. जिसको लेकर कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने एच-1बी वीज़ा शुल्क वृद्धि पर कहा कि हमारी विफलता का इससे बड़ा उदाहरण और कोई नहीं हो सकता.. जो दुनिया में कहीं और देखने को नहीं मिलता.. 5 जुलाई 2017 को राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री मोदी को चेतावनी दी थी कि वह इस मुद्दे पर कुछ नहीं कर रहे हैं.. वह ट्रंप के पहला कार्यकाल था, तब भी एच-1बी वीजा का मामला उठा था..

वहीं इस मामले पर अखिलेश यादव ने बड़ा बयान देते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार के इंजन से पूछना चाहिए कि जो H1 वीजा नहीं मिल रहा उसका क्या करेंगे.. उनका पहले से ही कहना था कि कोई भी विदेश न जाए..

अखिलेश यादव ने किस तरीके से सरकार को झाड़ा है.. बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ट्रंप की दोस्ती जगजाहिर है.. 2019 में ‘हाउडी मोदी’ इवेंट हो चुका है.. लेकिन अब ट्रंप का यह फैसला मोदी के लिए मुश्किल पैदा कर रहा है.. विदेश मंत्रालय ने पहली प्रतिक्रिया में कहा कि यह फीस परिवारों को तोड़ सकती है.. कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने ट्रंप के फैसले पर तीखा प्रहार किया.. और उन्होंने पुरानी पोस्ट शेयर कर कहा कि मैं दोहराता हूं मोदी कमजोर पीएम हैं.. H1B पर 1 लाख डॉलर फीस लगाकर ट्रंप ने भारत को निशाना बनाया.. मोदी की विदेश नीति फेल हो गई.. कांग्रेस ने कहा कि यह MAGA का असर है.. जिसे मोदी ने 2024 चुनाव में ‘MIGA’ से जोड़ा था.. अब यह ‘महा सिरदर्द’ बन गया..

विपक्ष का दावा है कि यह फजीहत 2029 चुनावों में BJP के लिए खतरा बनेगी.. बेरोजगारी पहले से मुद्दा है.. 2025 में युवा वोटरों में असंतोष बढ़ा है.. अगर 3 लाख आईटी जॉब्स जाएं, तो गुजरात-महाराष्ट्र जैसे राज्यों में BJP को नुकसान हो सकता है.. राजनीतिक विश्लेषक प्रणय रॉय कहते हैं कि मोदी की इमेज स्ट्रॉन्ग लीडर की है.. लेकिन विदेश नीति पर लगातार झटके कुर्सी हिला सकते हैं..

आपको बता दें कि मोदी की लोकप्रियता 2024 चुनावों में 50% थी.. लेकिन बेरोजगारी और महंगाई से गिरकर 40% हो गई.. यह H1B विवाद इसे और नीचे धकेल सकता है.. अगर 2026 के राज्य चुनावों में BJP हारी, तो 2029 में खतरा बढ़ेगा.. विपक्ष इसे ‘मोदी की विदेश नीति फेलियर’ बता रहा..

 

Related Articles

Back to top button