मोदी के गुजरात में रेपिस्ट की पूजा! सीनियर डॉक्टर-स्टाफ शामिल, क्यों मिली गार्ड को सजा

सूरत के सरकारी हॉस्पिटल से चौंकाने वाली तस्वीरें सामने आईं... यहां रेप केस में उम्रकैद काट रहे आसाराम की पूजा-आरती की गई...

4पीएम न्यूज नेटवर्कः दोस्तों गुजरात के सूरत शहर में एक सरकारी अस्पताल के मुख्य द्वार पर रेप के दोषी.. आसाराम बापू की फोटो रखकर आरती और पूजा का आयोजन.. यह दृश्य किसी निजी मंदिर का नहीं.. बल्कि न्यू सिविल अस्पताल का है.. जहां मरीजों का इलाज होता है.. वीडियो वायरल होते ही पूरे देश में हंगामा मच गया.. लेकिन सवाल यह है कि आखिर ऐसे अपराधी को भगवान का दर्जा देने की हिम्मत किसकी है.. और यह सब गुजरात में क्यों हो रहा है.. जहां बीजेपी 25 साल से सत्ता में है.. और नरेंद्र मोदी के ‘विकास मॉडल’ का दावा किया जाता है.. यह घटना सिर्फ एक वीडियो का मुद्दा नहीं.. बल्कि बीजेपी की हिंदुत्व राजनीति की पोल खोलने वाली है.. जहां धार्मिक भावनाओं का इस्तेमाल अपराधियों को बचाने के लिए किया जाता है..

आपको बता दें कि सोमवार शाम को सूरत के न्यू सिविल अस्पताल के स्टेम सेल बिल्डिंग के मुख्य द्वार पर कुछ अजीब हुआ.. आसाराम बापू के समर्थकों का एक समूह आया.. उनके हाथों में फूल, अगरबत्ती और आसाराम की एक बड़ी फोटो थी.. उन्होंने फोटो को मेज पर रखा, दीप जलाए और आरती शुरू कर दी.. मंत्रोच्चार, भजन गाए गए.. लेकिन चौंकाने वाली बात यह थी कि इसमें अस्पताल के ही स्टाफ ने हिस्सा लिया.. शिशु रोग विभाग की वरिष्ठ डॉक्टर जिगिशा पटेल, नर्सें और सुरक्षाकर्मी.. सब आरती में झुके, माथा टेकते दिखे.. वीडियो में साफ दिख रहा है कि कैसे लोग ‘जय बापू’ के नारे लगाते हैं..

वहीं यह वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गया.. लोग गुस्से से भरे थे.. एक यूजर ने लिखा कि सरकारी जगह पर रेपिस्ट की पूजा.. यह गुजरात की बीजेपी सरकार का असली चेहरा है.. दूसरी तरफ, समर्थक इसे ‘भक्ति’ बता रहे थे.. लेकिन सच्चाई यही है कि आसाराम कोई साधारण संत नहीं.. बल्कि 2013 के एक नाबालिग लड़की बलात्कार मामले में उम्रकैद की सजा काट रहे दोषी हैं.. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें दो मामलों में लाइफ इम्प्रिजनमेंट दिया है.. फिर भी, गुजरात के एक सरकारी अस्पताल में उनकी फोटो को भगवान बना दिया गया..

अस्पताल प्रशासन की प्रतिक्रिया भी शर्मनाक रही.. अधीक्षक डॉ. धारित्री परमार ने कहा कि मैं शहर से बाहर हूं, मुझे कुछ पता नहीं.. लेकिन वीडियो में साफ दिख रहा है कि सब कुछ उनके ही अस्पताल में हुआ.. आरएमओ डॉ. केतन नायक ने बताया कि दोपहर में समर्थकों ने फल वितरण की अनुमति मांगी थी.. और उन्होंने मौखिक मंजूरी दे दी.. लेकिन शाम को आरती की जानकारी मिली तो सहयोगी डॉ. भरत पटेल को भेजा.. गतिविधि बंद कराई गई.. अब सुरक्षा गार्ड को हटा दिया गया है.. लेकिन सवाल यह है कि मौखिक अनुमति क्यों.. लिखित परमिशन क्यों नहीं ली गई? डॉ. नायक ने कहा कि अब सख्त निर्देश दिए गए हैं.. कि कोई भी वितरण के लिए लिखित अनुमति लें.. लेकिन यह तो बाद की बात है.. घटना हो चुकी, वीडियो वायरल हो चुका..

मानवाधिकार कार्यकर्ता और महिलाओं के संगठन भड़क उठे.. ऑल इंडिया डेमोक्रेटिक वुमेंस एसोसिएशन की गुजरात इकाई ने कहा कि यह महिलाओं के खिलाफ अपराध को बढ़ावा देना है.. बीजेपी सरकार धार्मिक कट्टरता को संरक्षण दे रही है.. वीडियो में डॉक्टर जिगिशा पटेल का नाम आया, जो शिशु रोग विशेषज्ञ हैं.. बच्चे इलाज कराने वाली मांएं सोच रही होंगी.. क्या यह डॉक्टर नैतिकता भूल गईं…

आसाराम बापू का असली नाम असुमल सिरुमलानी हरपालानी है.. 1941 में गुजरात के मोती कांडा गांव में जन्मे.. 1970 के दशक में उन्होंने आश्रम शुरू किए.. लाखों अनुयायी बने.. लेकिन 2013 में सब उजागर हो गया.. एक नाबालिग लड़की ने उन पर बलात्कार का आरोप लगाया.. जोधपुर कोर्ट ने 25 अप्रैल 2018 को उन्हें दोषी ठहराया… एक और मामला था.. जहां उन्होंने एक परिवार को मारपीट का आदेश दिया था.. वहां भी लाइफ सेंटेंस.. सुप्रीम कोर्ट ने अपील खारिज कर दी..

2025 में भी उनकी बेल की जंग चली.. 10 जुलाई 2025 को सुप्रीम कोर्ट ने मेडिकल ग्राउंड्स पर अंतरिम बेल दी.. लेकिन शर्तें सख्त गुजरात हाईकोर्ट में अपील करें.. हाईकोर्ट ने 3 सितंबर तक बढ़ाई, फिर खारिज कर दी.. 30 अगस्त 2025 को आसाराम ने जोधपुर सेंट्रल जेल में सरेंडर कर दिया.. फिर भी उनके समर्थक उन्हें ‘निर्दोष’ बताते हैं.. गुजरात में उनका आश्रम अभी भी चल रहा है, जहां हजारों लोग जाते हैं..

आपको बता दें कि आसाराम का साम्राज्य करोड़ों का था.. आश्रम, स्कूल, अस्पताल समेत तमाम चीजें थी.. लेकिन पीछे राजनीतिक संरक्षण था… खासकर गुजरात में ज्यादा था.. जहां बीजेपी ने हिंदुत्व के नाम पर ऐसे ‘संतों’ को बढ़ावा दिया.. बीजेपी और मोदी का इस घटना से क्या लेना-देना है.. बता दें कि गुजरात बीजेपी शासित राज्य है.. 1995 से लगातार सत्ता में है.. नरेंद्र मोदी 2001 से 2014 तक गुजरात के मुख्यमंत्री रहे.. उनके दौर में आसाराम का आश्रम फला-फूला.. 2000 में जब मोदी बीजेपी के गुजरात महासचिव थे.. वे आसाराम के मोटेरा आश्रम गए.. फोटोज मौजूद हैं, जहां मोदी झुके हुए दिखते हैं..

2013 में रेप केस फूटा.. तब मोदी ने बीजेपी नेताओं को कहा कि आसाराम का बचाव मत करो.. लेकिन बीजेपी के कई बड़े नेता आसाराम के ‘कुल गुरु’ थे.. अमित शाह, लालकृष्ण आडवाणी सब आश्रम जाते थे.. 2018 में जब सजा हुई, कांग्रेस ने मोदी आसाराम के साथ पुरानी फोटोज शेयर की..  जेडीयू ने भी वीडियो जारी किया.. जहां मोदी आशीर्वाद लेते दिखे… बीजेपी का यह नेक्सस नया नहीं है.. राम रहीम, स्वामी चिन्मयानंद, प्रमोद महाजन केस – सबमें हिंदुत्व के नाम पर संरक्षण मिल रहा है.. पीपुल्स डेमोक्रेसी मैगजीन ने लिखा कि बीजेपी ने गुजरात में आसाराम को बढ़ावा दिया.. उनके आश्रम से वोटबैंक बनाया.. मोदी सरकार में भी, 2014 के बाद ऐसे संतों को बेल मिलना आसान हो गया.. आसाराम को 2025 में बेल मिली..

सूरत अस्पताल की घटना इसी का हिस्सा है.. गुजरात में बीजेपी की सरकार है.. स्वास्थ्य मंत्री रुषिकेश पटेल हैं.. वे कहां हैं? चुप्पी साधे हुए है. अस्पताल सरकारी है, स्टाफ सरकारी.. फिर ऐसी अनुमति कैसे.. यह सिस्टम की नाकामी है.. जो हिंदुत्व की आड़ में चलता है.. मोदी ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ का नारा देते हैं.. लेकिन गुजरात में रेपिस्ट की पूजा हो रही है.. क्या यही उनका ‘नया भारत’ है.. बीजेपी की राजनीति हिंदुत्व पर टिकी है.. मोदी RSS से निकले.. और RSS ऐसे संतों को महत्व देता है.. आसाराम का आश्रम हिंदू राष्ट्रवाद का प्रतीक था.. उनके भजन, प्रवचन सब वोटबैंक के लिए थे.. 2014 चुनाव में आसाराम के समर्थकों ने बीजेपी को वोट दिए.. उसके बदले में उन्हें संरक्षण मिला.. 2013 में मोदी ने जांच के आदेश दिए, लेकिन पहले सालों तक चुप रहे.. न्यूज18 ने लिखा कि मोदी के गुजरात में ही आसाराम का साम्राज्य गिरा, लेकिन देर से..

गुजरात में महिलाओं के खिलाफ अपराध बढ़े हैं… NCRB डेटा 2024 में गुजरात में 4,000 से ज्यादा रेप केस… लेकिन सजा दर कम.. ऐसे में अस्पताल में आसाराम पूजा… यह संदेश देता है अपराधी अगर ‘संत’ हैं, तो बचे रहेंगे.. काउंटरकरंट्स ने 2023 में लिखा कि मोदी आसाराम के वोट के लिए शिष्य रहे..

मोदी सरकार ‘महिला सशक्तिकरण’ का दावा करती है.. लेकिन जमीनी हकीकत अलग है.. गुजरात में जिगिशा पटेल जैसी महिला डॉक्टर खुद रेपिस्ट की पूजा कर रही हैं.. क्या वे नहीं जानतीं कि आसाराम ने नाबालिग को शिकार बनाया.. एनडीटीवी ने 2018 में रिपोर्ट किया, “आसाराम केस में पीड़िता को धमकियां मिलीं.. जो राजनीतिक दबाव था.. बीजेपी पर आरोप लगे कि वे गॉडमेन को बचाते हैं.. चिन्मयानंद को बेल मिली, राम रहीम को भी बेल मिल गई.. मोदी जी क्यों है.. क्योंकि हिंदुत्व वोट देता है. साबरंग इंडिया ने लिखा कि बीजेपी टॉप ब्रास आसाराम के आगे झुके..

गुजरात हाईकोर्ट ने आसाराम की बेल रिजेक्ट की.. लेकिन अस्पताल में पूजा यह साबित करता है कि सत्ता का निचला स्तर अभी भी पुरानी सोच में जीता है.. यह घटना सिर्फ सूरत की नहीं.. बल्कि पूरे भारत को झकझोरती है.. अस्पताल इलाज की जगह हैं, पूजा की नहीं.. खासकर अपराधी की.. बच्चे, महिलाएं सुरक्षित महसूस नहीं करेंगी.. AIDWA ने डिमांड की – जांच हो, दोषियों को सजा मिले लेकिन बीजेपी सरकार टालमटोल कर रही है..

 

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