बदलती भारतीय डाइट पर नई स्टडी का खुलासा, आधुनिक खानें की आदतें बढ़ा रही है बीमारियों का खतरा
आज के समय में हमारी खाने की आदतों में तेजी से बदलाव देखा जा रहा है। ताजा,घर का बना पारंपरिक भोजन अब धीरे-धीरे प्रोसेस्ड और फास्ड फूड की ओर खिसक रहा है।

4पीएम न्यूज नेटवर्कः आज के समय में हमारी खाने की आदतों में तेजी से बदलाव देखा जा रहा है। ताजा,घर का बना पारंपरिक भोजन अब धीरे-धीरे प्रोसेस्ड और फास्ड फूड की ओर खिसक रहा है।
हाल ही में एक स्टडी में यह खुलासा हुआ है कि बदलती भारतीय डाइट किस तरह से हमारी सेहत पर नकारात्मक असर डाल रही है और बीमारियों का खतरा बढ़ा रही है। ये चीज़ें स्वादिष्ट तो होती हैं, लेकिन इनमें जरूरी पोषक तत्वों की कमी होती है और नमक, चीनी व अनहेल्दी फैट की मात्रा अधिक होती है. इसकी वजह से मोटापा, डायबिटीज, ब्लड प्रेशर और हार्ट डिजीज जैसी लाइफस्टाइल से जुड़ी बीमारियों का खतरा बढ़ रहा है.
भारत में पारंपरिक डाइट में दाल, चावल, रोटियां और मौसमी सब्ज़ियां शामिल थीं, लेकिन शहरीकरण, व्यस्त लाइफस्टाइल और पश्चिमी खाने की आदतों के कारण लोग अब जंक फूड, प्रोसेस्ड स्नैक्स और मीठी पीने की चीज़ों की ओर अधिक आकर्षित हो रहे हैं. इसकी वजह से खानपान में कार्बोहाइड्रेट्स की मात्रा बढ़ी है, जबकि प्रोटीन, फाइबर और विटामिन की कमी हो गई है. समय की कमी और सुविधा की तलाश में लोग ताजे और संतुलित भोजन की जगह रेडी-टू-ईट फूड का सेवन कर रहे हैं. इस बदलाव का असर विशेष रूप से शहरी क्षेत्रों में देखा जा रहा है. पारंपरिक और ताजे भोजन की बजाय प्रोसेस्ड और पैकेज्ड फूड अधिक खाया जा रहा है, जिससे शरीर में पोषक तत्वों की कमी होती है और स्वास्थ्य जोखिम बढ़ते हैं.
बदलती डाइट से बढ़ता बीमारियों का खतरा
हाल ही में ICMR-INDIAB स्टडी, जो Nature Medicine में प्रकाशित हुई थी, में पाया गया कि भारतीय आहार में अधिकतर कैलोरी कार्बोहाइड्रेट्स से प्राप्त होती है, जैसे सफेद चावल और रिफाइंड गेहूं. जबकि, प्रोटीन की मात्रा
बहुत कम होती है. स्टडी यह भी बताती है कि देश के 21 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में चीनी का सेवन राष्ट्रीय
स्वास्थ्य दिशानिर्देशों से अधिक है. यह असंतुलित डाइट डायबिटीज और मोटापे के मामलों में बढ़ोतरी की बड़ी वजह बन रही है.
पारंपरिक और संतुलित आहार की जगह आजकल लोग जंक फूड, अधिक तेल, नमक और चीनी वाले प्रोसेस्ड फूड का सेवन ज्यादा करने लगे हैं. इन फूड्स में जरूरी पोषक तत्वों की कमी होती है, जिससे शरीर की मेटाबॉलिक प्रक्रियाएं कमजोर पड़ती हैं. इसकी वजह से ब्लड शुगर और कोलेस्ट्रॉल का स्तर असंतुलित हो जाता है, जो डायबिटीज, मोटापा, हाई बीपी, थायरॉयड और हार्ट डिजीज जैसी बीमारियों के खतरे को बढ़ाता है.
साथ ही, प्रोटीन और फाइबर की कमी शरीर को ब्लड शुगर और वजन को कंट्रोल करने में अक्षम बना देती है. ऐसे में अगर कार्बोहाइड्रेट की जगह प्रोटीन और पोषक तत्वों से भरपूर आहार लिया जाए और लाइफस्टाइल में सुधार किया जाए, तो इन बीमारियों के खतरे को काफी हद तक कम किया जा सकता है.
बचाव के उपाय
प्रोटीन, फाइबर और आवश्यक पोषक तत्वों से भरपूर डाइट लें. चीनी, नमक और जंक फूड का सेवन सीमित करें. रोजाना कम से कम 30 मिनट व्यायाम या वॉक करें. पर्याप्त पानी पिएं और हाइड्रेटेड रहें. हेल्दी स्नैक्स जैसे फल, नट्स और दही लें. घर के बने ताजे भोजन को प्राथमिकता दें. रात में 7 से 8 घंटे की नींद लें. पैकेज्ड फूड खरीदते समय लेबल पढ़ें और स्वस्थ विकल्प चुनें.


