महिलाओं की सुरक्षा पर सवाल! रिपोर्ट ने खोल दी ‘विश्वगुरू’ दावों की पोल
महिला सुरक्षा को लेकर मोदी सरकार के दावों की सच्चाई सामने आ गई है... रिपोर्ट के मुताबिक गुजरात में महिलाओं की हालत चिंताजनक है...

4पीएम न्यूज नेटवर्कः भारत को विश्वगुरु बनाने के बड़े-बड़े दावे करने वाली मोदी सरकार महिला सुरक्षा के मोर्चे पर कटघरे में खड़ी हो गई है.. राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो की ताजा रिपोर्ट्स से साफ होता है कि.. गुजरात में महिलाओं के खिलाफ अपराधों की स्थिति चिंताजनक बनी हुई है.. खासकर 18-30 साल की युवा महिलाओं पर हमलों के मामले सबसे ज्यादा हैं.. जो राज्य की ‘सुरक्षित’ छवि को झुठला देते हैं.. एनसीआरबी की 2023 रिपोर्ट के अनुसार गुजरात में महिलाओं के खिलाफ अपराधों की संख्या 7,805 रही.. जो पिछले साल के 7,731 से थोड़ी ज्यादा है.. लेकिन बलात्कार जैसे गंभीर अपराधों में बढ़ोतरी चिंता का विषय है.. इस रिपोर्ट ने न सिर्फ राज्य सरकार की पोल खोल दी है.. बल्कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘विश्वगुरु’ बनने के दावों पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं.. आखिर जब घर में ही महिलाएं असुरक्षित हों.. तो दुनिया को सिखाने का दावा कैसे सार्थक हो सकता है…
एनसीआरबी भारत में अपराधों का आधिकारिक डेटा संकलित करने वाली केंद्रीय एजेंसी है.. इसकी वार्षिक रिपोर्ट ‘क्राइम इन इंडिया’ महिलाओं के खिलाफ अपराधों पर विस्तृत जानकारी देती है.. 2023 की रिपोर्ट के मुताबिक गुजरात में कुल 7,805 मामले महिलाओं के खिलाफ अपराधों के दर्ज किए गए.. इनमें घरेलू हिंसा, बलात्कार, अपहरण, एसिड अटैक और साइबर क्राइम जैसे मामले शामिल हैं.. विशेष रूप से 18-30 वर्ष की महिलाएं हमलों का सबसे ज्यादा शिकार हो रही हैं.. रिपोर्ट बताती है कि 634 बलात्कार के मामलों में अधिकांश पीड़ित इसी आयु वर्ग की युवा महिलाएं थीं..
पिछले वर्षों की तुलना करें तो 2019 में 8,799 मामले थे.. जो 2020 में घटकर 8,028 और 2021 में 7,348 हो गए.. 2022 में यह संख्या 7,731 पर पहुंची.. कुल मिलाकर 2019 से 2022 तक 13% की कमी आई.. लेकिन 2023 में फिर स्थिर हो गई.. हालांकि, बलात्कार के मामलों में वृद्धि हुई है.. 2020 में 486 मामले थे.. जो 2022 तक 610 हो गए.. इनमें 40% मामले शादी के बहाने या अलग हुए पति द्वारा किए गए बलात्कार के थे.. 2023 में औसतन हर महीने 50 बलात्कार के मामले दर्ज हुए.. जिसमें 234 महिलाओं को एक से ज्यादा बार बलात्कार का शिकार बनाया गया..
आपको बता दें कि गंभीर अपराधों में गैंग रेप के 14 मामले और एसिड अटैक के 2 मामले पिछले दो वर्षों में दर्ज हुए.. सबसे ज्यादा 2,179 मामले पतियों और ससुराल वालों द्वारा शारीरिक मारपीट के थे.. साइबर क्राइम भी बढ़ा.. जिसमें 9 ब्लैकमेलिंग और 96 अश्लील सामग्री से उत्पीड़न के मामले शामिल हैं.. साथ ही 180 मामले महिलाओं को सार्वजनिक स्थानों पर वेश्यावृत्ति के लिए मजबूर करने के थे.. ये आंकड़े बताते हैं कि गुजरात में महिलाओं की असुरक्षा लगातार युवा महिलाओं में बढ़ रही है..
देश स्तर पर भी स्थिति खराब है.. 2023 में पूरे भारत में 4.48 लाख मामले महिलाओं के खिलाफ अपराधों के दर्ज हुए.. जो प्रति लाख महिला पर 66.2 की दर है.. उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा मामले (66,381) दर्ज हुए.. लेकिन गुजरात का क्राइम रेट राष्ट्रीय औसत से कम होने के बावजूद, गंभीर अपराधों की संख्या चिंताजनक है..
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अक्सर महिला सशक्तिकरण और सुरक्षा की बात करते हैं.. और उन्होंने कहा है कि उनकी सरकार ने महिलाओं की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दी है.. और बलात्कार जैसे अपराधों के लिए फांसी की सजा जैसी सख्त कानून बनाए हैं.. भारतीय न्याय संहिता में महिलाओं की सुरक्षा के प्रावधान मजबूत किए गए हैं.. जो शिकायत दर्ज करने और न्याय दिलाने को तेज बनाते हैं.. इसके अलावा, 800 फास्ट-ट्रैक कोर्ट्स स्वीकृत किए गए हैं.. गुजरात में लखपति दीदी योजना के तहत महिलाओं को आर्थिक सहायता दी जा रही है..
लेकिन ये दावे हकीकत से मेल नहीं खाते.. आलोचकों का कहना है कि मोदी सरकार के 10 सालों में महिलाओं पर यौन हिंसा बढ़ी है.. गुजरात में 2002 के दंगों में महिलाओं पर अत्याचार हुए.. और हाल ही में बिलकिस बानो के बलात्कारियों को अच्छे व्यवहार के नाम पर रिहा किया गया.. जो केंद्र सरकार की मंजूरी से हुआ.. मणिपुर हिंसा में महिलाओं पर अत्याचार पर मोदी की चुप्पी ने सवाल खड़े किए.. विपक्षी दलों ने गुजरात को असुरक्षित बताया है.. जहां पिछले तीन सालों में 6,500 से ज्यादा बलात्कार के मामले दर्ज हुए..
ट्रिपल तलाक बिल को भले ही सशक्तिकरण बताया जाए.. लेकिन मुस्लिम महिलाओं के हितों के खिलाफ कदम उठाए गए.. रिपोर्ट्स बताती हैं कि कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न के मामले 2018 से 2022 तक बढ़े.. जो 402 से 422 मामले हो गए.. गुजरात में सार्वजनिक परिवहन में महिलाओं की सुरक्षा चिंता का विषय है.. और हाल ही में अहमदाबाद में घर पर रहो.. बलात्कार से बचो.. जैसे विवादास्पद पोस्टर लगे, जो सरकार की विफलता दर्शाते हैं..
मोदी ‘विश्वगुरु’ की अवधारणा को भारत की प्राचीन सभ्यता से जोड़ते हैं.. जहां भारत दुनिया को ज्ञान और नैतिकता सिखाएगा.. लेकिन जब गुजरात जैसे राज्य में महिलाएं असुरक्षित हों.. तो ये दावा खोखला लगता है.. विश्वगुरु का मतलब दुनिया को सिखाना है.. लेकिन घरेलू समस्याओं का समाधान न होने पर ये सिर्फ प्रचार लगता है.. आलोचक कहते हैं कि मोदी का यह विजन हिंदुत्व पर आधारित है.. जो महिलाओं की समानता को नजरअंदाज करता है..
गुजरात में 14 सालों में यौन अपराध 82% बढ़े.. और 2013 में अपराधों में 30% वृद्धि हुई.. एनजीओ और एक्टिविस्ट बताते हैं कि महिलाओं पर हिंसा सामाजिक पूर्वाग्रहों से उपजी है.. जिसे कानूनों से ही नहीं, जागरूकता से रोका जा सकता है.. गुजरात को महिलाओं के लिए सुरक्षित राज्य माना जाता है.. लेकिन हकीकत अलग है.. 2002 के दंगों ने महिलाओं के विकास को प्रभावित किया.. घरेलू हिंसा के मामले सबसे ज्यादा हैं.. जहां ससुराल वाले पीड़ित बनते हैं.. साइबर क्राइम बढ़ने से युवा महिलाएं ब्लैकमेल का शिकार हो रही हैं..
बता दें कि आर्थिक रूप से लखपति दीदी जैसी योजनाएं हैं.. लेकिन बेरोजगारी और महंगाई महिलाओं को प्रभावित कर रही है.. रिपोर्ट्स कहती हैं कि महिला श्रम भागीदारी कम है.. शिक्षा और स्वास्थ्य में भी कमी है.. एनसीआरबी डेटा दिखाता है कि गुजरात में कोर्ट में लंबित मामले बढ़ रहे हैं.. 2021 में महिलाओं के खिलाफ अपराधों के 97% मामले लंबित थे.. सूरत में 100% पेंडेंसी रेट है.. पुलिस डिस्पोजल रेट अच्छा है.. लेकिन न्याय में देरी पीड़ितों को निराश करती है..



