CJI गवई पर हमला करने वाले वकील जाएंगे जेल? बेंगलुरु पुलिस करेगी अरेस्ट!
चीफ जस्टिस बी. आर. गवई पर जूता फेंकने की कोशिश करने वाले वकील राकेश किशोर की अब मुश्किलें बढ़ गई हैं...

4पीएम न्यूज नेटवर्कः सीजेआई बीआर गवई ने सुप्रीम कोर्ट में हुई जूते फेंकने की सनसनीखेज घटना के सामने आने के बाद पहली बार अपनी प्रतिक्रिया दी है.. और उन्होंने कहा है कि इस घटना से वह हैरान तो थे.. लेकिन अब यह उनके लिए एक ‘भूला हुआ अध्याय’ बन चुकी है.. भारत के मुख्य न्यायाधीश की यह टिप्पणी गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में एक अन्य मामले में सुनवाई के दौरान आई.. सीजेआई बीआर गवई और जस्टिस उज्जल भुइयां व विनोद चंद्रन की पीठ वनशक्ति बनाम भारत संघ मामले में न्यायालय के 16 मई.. 2025 के फैसले की समीक्षा और संशोधन की मांग वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी.. इसी दौरान सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को जूता कांड वाली घटना का ज़िक्र आया..
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान सीजेआई गवई ने इस घटना पर पहली बार खुलकर बात की.. सीजेआई ने कहा कि मेरे सम्मानित भाई (जस्टिस चंद्रन) और मैं सोमवार को हुई घटना से बेहद हैरान थे… हमारे लिए यह अब एक भूला हुआ अध्याय है.. उन्होंने आगे जोड़ा कि घटना के समय उन्होंने वकील को निर्देश दिया था.. ‘आप इसे नजरअंदाज कर दें.. मैं इससे विचलित नहीं हूं.. आप भी विचलित न हों और मामले को आगे बढ़ाएं..
हालांकि जस्टिस उज्ज्वल भुइयां सीजेआई की बातों से सहमत नहीं हुए.. और जूता फेंकने की घटना की निंदा करते हुए इसे न्यायिक संस्था का अपमान बताया.. और उन्होंने कहा कि इसे कभी नहीं भुलाया जाना चाहिए.. बार एंड बेंच की रिपोर्ट के अनुसार जस्टिस उज्ज्वल भुइयां ने कहा कि इस पर मेरे अपने विचार हैं.. इसे कभी नहीं भूलना चाहिए… यह सीजेआई का मामला है.. यह मज़ाक की बात नहीं है.. उन्होंने (हमले का प्रयास करने वाले वकील ने) इसके बाद कोई माफ़ी नहीं मांगी.. यह संस्था का अपमान है.. भारत के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने जस्टिस भुइयां से सहमति जताई.. एसजी ने कहा कि यह अक्षम्य है.. यह आपकी महानता और उदारता थी.. लेकिन जो हुआ वह पूरी तरह से अक्षम्य था..
वहीं यह घटना 6 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट में मुख्य न्यायाधीश वाली बेंच के सामने घटी थी.. जब सीजेआई गवई जस्टिस विनोद चंद्रन के साथ ‘मेंशनिंग आवर्स’ के दौरान बैठे हुए थे.. मेंशनिंग आवर्स वह समय होता है.. जब वकील तत्काल सुनवाई के लिए मामलों का ज़िक्र करते हैं.. इस दौरान 71 वर्षीय राकेश किशोर नामक एक व्यक्ति ने अचानक अपना जूता फेंक दिया.. आरोपी ने खुद को पकड़े जाने पर कहा कि मैंने गवई साहब की तरफ फेंका था’.. हालांकि जूता न तो सीजेआई को लगा और न ही उनकी मेज तक पहुंचा.. यह जूता कहीं और गिर गया.. जिससे कोई शारीरिक चोट नहीं पहुंची..
घटना के तुरंत बाद सुरक्षा कर्मियों ने राकेश किशोर को हिरासत में ले लिया.. लेकिन सीजेआई गवई के व्यक्तिगत हस्तक्षेप पर उसी दिन शाम तक उन्हें रिहा कर दिया गया.. सीजेआई ने कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को निर्देश दिया कि कोई आपराधिक शिकायत दर्ज न की जाए.. सीजेआई ने घटना के बाद द इंडियन एक्सप्रेस से बताया कि मुझे कुछ भी न लगा और न ही मेरी मेज पर.. मैंने केवल आवाज सुनी.. शायद यह टेबल पर या कहीं.. और गिरा हो.. मैंने केवल यह सुना कि वह कह रहा था.. ‘मैंने गवई साहब की तरफ फेंका था’.. शायद जो फेंका वह कहीं और गिर गया था और वह सफाई दे रहा था.. कानूनी जानकारों का मानना है कि यह बयान एक संदेश है कि सुप्रीम कोर्ट की दीवारें मजबूत हैं.. और ऐसी घटनाएं न्यायिक गरिमा को कमजोर नहीं कर सकतीं..



