अचानक भाजपा के 16 मंत्रियों ने दिया इस्तीफा, मोदी-शाह के गढ़ में गिरी सरकार?
गुजरात की राजनीति से बड़ी खबर सामने आ रही है... मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल को छोड़कर राज्य में भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली...

4पीएम न्यूज नेटवर्कः दोस्तों गुजरात की राजनीति में बड़ा हलचल मचा हुआ है.. राज्य की पूरी कैबिनेट ने इस्तीफा दे दिया है.. लेकिन मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने अपना पद नहीं छोड़ा है.. यह खबर ऐसे समय आई है जब राज्य में स्थानीय निकाय चुनावों की तैयारी चल रही है.. लोग पूछ रहे हैं कि क्या यह सरकार गिरने का संकेत है.. या फिर यह सिर्फ एक रणनीतिक बदलाव है.. बता दें कि गुजरात को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी.. और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का गढ़ माना जाता है.. दोनों नेता गुजरात से ही राजनीति में उभरे हैं.. और यहां की राजनीति पर उनका गहरा प्रभाव है.. लेकिन इस बार की घटना सरकार गिरने की नहीं.. बल्कि कैबिनेट के विस्तार और फेरबदल की है.. 17 अक्टूबर को नई कैबिनेट की शपथ ली जाएगी.. जिसमें नए चेहरे शामिल हो सकते हैं.. यह बदलाव स्थानीय चुनावों से पहले पार्टी को मजबूत करने का प्रयास लगता है..
आपको बता दें कि गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल के कार्यालय से एक बड़ी खबर आई.. कि राज्य के सभी 16 मंत्रियों ने अपना इस्तीफा सौंप दिया.. इनमें कैबिनेट मंत्री और राज्य मंत्री शामिल हैं.. लेकिन मुख्यमंत्री पटेल ने इस्तीफा नहीं दिया.. सूत्रों के अनुसार इस्तीफे मुख्यमंत्री द्वारा स्वीकार कर लिए गए हैं.. यह पूरी प्रक्रिया गांधीनगर में हुई.. जहां मंत्रियों ने एक-एक करके अपने इस्तीफे जमा किए..
बता दें कि गुजरात सरकार में वर्तमान में 17 मंत्री थे.. जिसमें मुख्यमंत्री शामिल हैं.. इनमें से स्वास्थ्य मंत्री रुशिकेश पटेल, शिक्षा मंत्री कुबेर डिंडोर, और वित्त मंत्री कनुभाई देसाई कुछ प्रमुख नाम हैं.. इन सभी ने इस्तीफा दिया है.. खबर है कि कल 17 अक्टूबर को सुबह 11 बजे राजभवन में नई कैबिनेट की शपथ होगी.. इसमें करीब 10 नए मंत्री शामिल हो सकते हैं.. बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और अमित शाह भी इस समारोह में हिस्सा ले सकते हैं..
वहीं यह घटना अचानक लग सकती है.. लेकिन राजनीतिक जानकारों का कहना है कि यह पहले से प्लान किया गया था.. गुजरात में पिछले तीन साल से भूपेंद्र पटेल मुख्यमंत्री हैं.. और अब स्थानीय चुनावों से पहले पार्टी नए चेहरों को मौका देना चाहती है.. चुनावों में नगर निगम, जिला पंचायत और तालुका पंचायत शामिल हैं.. जो दिसंबर 2025 में होने वाले हैं..
आपको बता दें कि इस बड़े फेरबदल के पीछे कई कारण हैं.. स्थानीय चुनाव सबसे बड़ा कारण है.. गुजरात में बीजेपी की सरकार है.. लेकिन हाल के कुछ उपचुनावों में पार्टी को चुनौती मिली है.. कांग्रेस और अन्य विपक्षी दल मजबूत हो रहे हैं.. ऐसे में पुराने मंत्रियों को हटाकर नए लोगों को लाना पार्टी की रणनीति है.. इससे युवा और ऊर्जावान नेता आगे आएंगे.. जो चुनावों में बेहतर प्रदर्शन कर सकेंगे..
वहीं कुछ मंत्रियों पर आरोप हैं कि वे अपने विभागों में अच्छा काम नहीं कर पाए.. जिसके चलते स्वास्थ्य विभाग में कोरोना के बाद की तमाम चुनौतियां सामने आई.. और शिक्षा में सुधार की कमी देखने को मिली.. जिससे पार्टी हाईकमान की बड़ी फजीहत हुई.. विपक्ष ने मोदी और शाह पर जमकर हमला बोला.. वहीं विपक्ष की मजबूती को देखते हुए.. बीजेपी आलाकमान ने फैसला लिया कि बदलाव जरूरी है… गुजरात लॉबी का यहां मतलब उन नेताओं से है जो गुजरात से हैं.. और केंद्र में प्रभावशाली हैं.. वे राज्य की राजनीति पर नजर रखते हैं और बड़े फैसले लेते हैं..
मंत्रियों का अचानक इस्तीफा लेना बीजेपी की पुरानी परंपरा है.. 2021 में भी विजय रूपाणी ने इस्तीफा दिया था.. और भूपेंद्र पटेल नए मुख्यमंत्री बने थे.. तब भी कैबिनेट में बदलाव हुआ था.. अब फिर वही हो रहा है.. यह दिखाता है कि पार्टी में कोई स्थायी नहीं है.. सबको मौका मिलता है.. नरेंद्र मोदी 2001 से 2014 तक गुजरात के मुख्यमंत्री रहे.. उन्होंने राज्य को विकास का मॉडल बनाया.. अमित शाह भी गुजरात से हैं और मोदी के करीबी हैं.. 2014 में मोदी प्रधानमंत्री बने.. आज भी गुजरात बीजेपी का मजबूत आधार है.. यहां से पार्टी ने 2022 के विधानसभा चुनाव में 156 सीटें जीतीं, जो रिकॉर्ड है..
आपको बता दें कि इस्तीफा सिर्फ मंत्रियों का हुआ है.. सरकार बीजेपी की ही रहेगी.. गुजरात लॉबी ने यहां फैसला लिया है कि चुनाव से पहले बदलाव जरूरी है.. मोदी और शाह गुजरात को अपने घर जैसा मानते हैं.. इसलिए यहां की राजनीति पर उनका नियंत्रण है.. हाल में शाह ने गुजरात में कई कार्यक्रम किए.. जहां उन्होंने मोदी की नीतियों की तारीफ की..
वहीं इस घटना में गुजरात लॉबी का प्रभाव साफ है.. फैसला दिल्ली से आया लगता है.. लेकिन यह ले डूबने की नहीं बल्कि बचाने की कोशिश है.. चुनावों में अगर बीजेपी हारी, तो मोदी-शाह की छवि पर असर पड़ेगा.. और मोदी की कुर्सी भी जा सकती है.. जिसको देखते हुए मोदी लॉबी किसी भी तरह की कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहती है.. और पार्टी को मजबूत बनाने के लिए तमाम कदम उठा रही है.. धर्म की राजनीति करने वाली बीजेपी अब अपना खिसकता वोट बैंक को देखते हुए.. जातियों को साधने की कोशिश कर रही है.. जिसको लेकर अब हर जाति के नेताओं को तरजीह दे रही है…



