थायराइड के मरीज के लिए वरदान हैं ये 5 योगासन

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
थायराइड एक ग्रंथि है जो गर्दन में स्थित होती है और यह शरीर के मेटाबॉलिज्म को नियंत्रित करती है। आजकल थायराइड की समस्या पुरुषों की तुलना में महिलाओं में अधिक देखने को मिल रही है। वजन बढऩा, थकान, तनाव, गले में सूजन और हार्मोनल असंतुलन इसके आम लक्षण हैं। लेकिन खुशखबरी ये है कि कुछ योगासन नियमित रूप से करने से थायराइड को कंट्रोल में रखा जा सकता है। योग एक प्राकृतिक उपाय है, जो न केवल थायराइड ग्रंथि को सक्रिय करते हैं, बल्कि मानसिक तनाव को भी कम करते हैं, जिससे हार्मोन बैलेंस बना रहता है। ऐसे ही कुछ प्रभावशाली पांच आसान जो थायराइड मरीजों के लिए विशेष रूप से फायदेमंद माने जाते हैं।

सर्वांगासन

सर्वांगासन थायरॉयड के मरीज के लिए काफी फायदेमंद होता है। यहग्रंथि को सक्रिय करता है और हार्मोन संतुलन में मदद करता है। यह आसन मेटाबॉलिज्म सुधारता है। हाई ब्लड प्रेशर या गर्दन की समस्या हो तो डॉक्टर की सलाह से अभ्यास करें। पीठ के बल लेटकर दोनों पैरों को ऊपर उठाएं और हाथों से कमर को सपोर्ट दें। पूरा शरीर कंधों पर टिकाएं।

उष्ट्रासन

ये आसन गले को पीछे की ओर स्ट्रेच करता है, थायराइड को एक्टिव करता है। इस योगासन को करने के लिए घुटनों के बल बैठ जाएं। दोनों घुटनों के बीच कम से कम 6 इंच की दूरी रखें। अब दोनों हाथों को पीछे एड़ी की ओर ले जाएं। फिर दाएं हाथ के टखने को बाएं हाथ के टखने से छुएं। अपनी टांगों को सीधा रखते हुए पेट आगे की ओर निकालें। इस अवस्था में कुछ देर रहने के बाद सामान्य स्थिति में आ जाएं।

भ्रामरी प्राणायाम

भ्रामरी प्राणायाम दिमाग की नसों को आराम पहुंचाता है। इस क्रिया में सांसों के द्वारा नर्वस सिस्टम को सक्रिय करने में मदद मिलती है और तनाव धीरे-धीरे कम होने लगता है। जिससे हार्मोन असंतुलन में सुधार होता है। इसके अभ्यास के लिए आंखें बंद करके गहरी सांस लें, दोनों कानों को अंगूठों से बंद करें और मधुमक्खी जैसी ध्वनि निकालें। भ्रामरी प्राणायाम में जब आप एक लय में गुंजन करते हैं तो आप वर्तमान समय में अपना ध्यान केंद्रित कर पाते हैं। जिससे एवेयरनेस बढ़ती है और एकाग्रता भी बढऩे लगती है। तनाव होने पर व्यक्ति के भावनात्मक स्तर पर भी प्रभाव पड़ता है। तनाव की वजह से व्यक्ति खुद को इमोशनली वीक महसूस करने लगता है। ऐसे में जब आप अभ्यास करते हैं तो इससे आपकी नसों को आराम मिलने से आपके भावनात्मक उतार-चढ़ाव में भी कमी आती है।

भुजंगासन

इस आसन का अभ्यास गले और छाती को खोलता है, साथ ही ब्लड सर्कुलेशन बेहतर करता है। इस आसन के अभ्यास के लिए पेट के बल लेट जाएं और हथेलियों को कंधों के पास रखें। सांस लेते हुए शरीर के ऊपरी हिस्से को उठाएं और सिर ऊपर रखें। 20-30 सेकंड तक रुकें। इस आसन का अभ्यास रीढ़ की हड्डी को सीधा करता है। गर्दन और पीठ के तनाव को कम करता है। साथ ही कंधों को रिलैक्स करता है।

मत्स्यासन

मत्स्यासन का अभ्यास गले की मांसपेशियों को स्ट्रेच करता है और थायराइड ग्रंथि को उत्तेजना देता है। इस आसन से सिर तक ऑक्सीजन सही मात्रा में पहुंचता है। मत्स्यासन के अभ्यास के लिए पद्मासन में बैठकर धीरे धीरे पीछे झुकें और पीठ के बल लेट जाएं। अपने दाएं हाथ से बाएं पैर और बाएं हाथ से दाएं पैर को पकड़ें। कोहनियों को जमीन पर टिकाएं और घुटनों को जमीन से सटाएं। सांस लेते समय सिर को पीछे की ओर उठाएं। इस अवस्था में धीरे-धीरे सांस लें और छोड़ें। फिर शुरूआती अवस्था में आ जाएं।

Related Articles

Back to top button