बिहार के हर घर में खुशहाली लाएगा महागठबंधन

पूरी तरह चुनावी रंग में आया प्रदेश, प्रमुख गारंटियों का कांग्रेस ने किया खुलासा, महिलाओं को 2500 रुपये महीना, भूमिहीन परिवारों को जमीन

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
पटना। छठ पर्व के समापन के साथ ही बिहार पूरी तरह चुनावी रंग में आ गया है। सभी प्रमुख राजनीतिक दलों के नेता राज्य भर में रैलियाँ और जनसभाएँ शुरू करने की तैयारी में हैं। महागठबंधन और राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) दोनों ही चुनाव से पहले मतदाताओं को जोडऩे के लिए जी-जान से जुटे हैं। महागठबंधन ने अपना लोक लुभावन घोषणापत्र जारी कर दिया है। पटना में घोषणापत्र जारी करने से पहले, कांग्रेस नेता कृष्णा अल्लावरु ने बिहार के लिए महागठबंधन की प्रमुख प्रतिबद्धताओं की जानकारी दी।
महिलाओं के लिए 2,500 रुपये की मासिक वित्तीय सहायता,25 लाख रुपये तक का मुफ्त चिकित्सा उपचार कवरेज, भूमिहीन परिवारों के लिए 3 से 5 डिसमिल भूमि आवंटन का वादा किया है।

आरजेडी ने 27 बागी नेताओं को निष्कासित किया

इस बीच, राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) ने पार्टी विरोधी गतिविधियों के आरोप में 27 नेताओं को छह साल के लिए पार्टी से निष्कासित कर दिया। पार्टी के राज्य मुख्यालय से जारी एक आधिकारिक बयान के अनुसार, यह कार्रवाई कई नेताओं द्वारा विभिन्न निर्वाचन क्षेत्रों में निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लडऩे या आधिकारिक आरजेडी उम्मीदवारों का विरोध करने की खबरें मिलने के बाद की गई। पार्टी ने कहा कि बिहार विधान सभा आम चुनाव 2025 में राष्ट्रीय जनता दल के आधिकारिक उम्मीदवारों के खिलाफ या निर्दलीय के रूप में चुनाव लडऩे वाले कुछ सहयोगियों द्वारा पार्टी विरोधी आचरण, गतिविधियों और जवाबी कार्रवाई के संबंध में राज्य मुख्यालय द्वारा प्राप्त आधिकारिक सूचना के आधार पर, निम्नलिखित पार्टी नेताओं/कार्यकर्ताओं को राजद की प्राथमिक सदस्यता से छह साल के लिए निष्कासित किया जाता है।

अब प्रशांत किशोर के दो वोटर आईडी कार्ड मामले पर बवाल

जन सुराज पार्टी के मुखिया प्रशांत किशोर मुश्किल में फंसते नजर आ रहे हैं। बिहार विधानसभा चुनाव से ठीक पहले उनको मतदाता पहचान पत्र को लेकर बवाल हो गया है. कहा जा रहा है कि प्रशांत का नाम दो राज्यों पश्चिम बंगाल और बिहार की वोटर लिस्ट में दर्ज है। अब इस मामले पर चुनाव आयोग ने अहम कदम उठाया है। पीके के वोटर आईडी कार्ड को लेकर पश्चिम बंगाल के मुख्य निर्वाचन अधिकारी से जानकारी मांगी गई है। केंद्रीय चुनाव आयोग ने बंगाल के मुख्य निर्वाचन अधिकारी से संपर्क किया है। उनसे प्रशांत किशोर के मामले को लेकर जानकारी मांगी गई है. हालांकि अभी तक बंगाल की तरफ से जवाब नहीं आया है।

पीके ने नए वोटर आईडी कार्ड के लिए किया था आवेदन

चुनाव आयोग के सूत्रों के मुताबिक प्रशांत किशोर ने बिहार में आने के बाद फॉर्म 6 भरकर नया वोटर आईडी कार्ड बनवाया था, जबकि फॉर्म 6 साफ तौर पर कहता है कि वही लोग भरेंगे जो पहली बार मतदाता बनेंगे। इसके साथ ही उसमें शपथ भी दी जाती है कि मेरा कोई और वोटर कार्ड नहीं है और अगर यह जानकारी गलत पाई जाती है तो 2 साल की सजा का भी प्रावधान है।

एसआईआर से पहले बंगाल में प्रशासनिक फेरबदल

ममता सरकार ने सैकड़ों अधिकारियों का किया तबादला
भाजपा ने चुनाव आयुक्त से की शिकायत

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। बंगाल सरकार ने राज्य में निर्वाचन सूची के विशेष गहन संशोधन (एसआईआर) के कार्यान्वयन के दौरान 500 से अधिक अधिकारियों के तबादले की घोषणा की। यह एक ही दिन में किया गया सबसे बड़ा प्रशासनिक फेरबदल है। इसमें 67 आइएएस और 460 राज्य सिविल सेवा (कार्यकारी) अधिकारियों का तबादला किया गया। कार्मिक और प्रशासनिक सुधार विभाग के अनुसार, तबादले का नोटिफिकेशन 24 अक्टूबर को जारी कर दिया गया था। इन्हें सोमवार को एसआइआर की घोषणा के पहले और बाद में विभाग की वेबसाइट पर अपलोड किया गया।
दोपहर से पहले 61 आइएएस और 145 राज्य सिविल सेवा (कार्यकारी) अधिकारियों के तबादले के नोटिफिकेशन अपलोड किए गए।चुनाव आयोग की प्रेस वार्ता के तुरंत बाद दूसरा सेट उपलब्ध कराया गया। इसमें छह आइएएस और 315 राज्य सिविल सेवा (कार्यकारी) अधिकारियों की पोस्टिंग की जानकारी थी। इस फेरबदल में 14 जिला मजिस्ट्रेट, कई विशेष सचिव, ओएसडी और आइएएस तथा राज्य सिविल सेवाओं के कई एडीएम व एसडीओ शामिल हैं। विपक्षी भाजपा ने मुख्य चुनाव आयुक्त से इसकी शिकायत की। भाजपा ने मुख्य चुनाव आयुक्त की मंजूरी के बिना किए गए असामान्य तबादलों को तुरंत रद करने की मांग की। भाजपा ने आरोप लगाया कि ये तबादले ममता बनर्जी सरकार द्वारा आगामी एसआइआर को बाधित करने का प्रयास हैं, जबकि सत्तारूढ़ टीएमसी ने इसे केवल एक रूटीन प्रक्रिया बताया।

चक्रवात का असर: लखनऊ में देर रात से बारिश, पारा गिरा

कंापे लोग, भारी बरसात की चेतावनी

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में अक्तूबर का आखिरी हफ्ता मौसमी उतार-चढ़ाव और चक्रवात मोंथा के असर में गुजरने वाला है। मौसम विभाग का कहना है कि अरब सागर से आ रही नमी और बंगाल की खाड़ी में बन रहे वेदर सिस्टम के चलते बादलों की सक्रियता बढ़ी है। इसके असर से अगले दो दिनों मेंअधिकतम तापमान में 4 से 5 डिग्री सेल्सियस तक की गिरावट देखने को मिलेगी। इधर लखनऊ सहित कई जिलों में देर रात से बारिश हो रही है।
प्रदेश के ज्यादातर हिस्सों में बादलों की आवाजाही, पारे में गिरावट और बुंदेलखंड के झांसी, ललितपुर आदि में बूंदाबांदी देखने को मिली। सोमवार शाम तक बांदा में सर्वाधिक 14.6 मिमी और ललितपुर में 10 मिमी बारिश दर्ज की गई। मौसम को देखते हुए किसानों ने धान फसल की कटाई जोर-शोर से शुरू कर दी है। किसानों को डर है कि खेत में तैयार खड़ी धान की फसल पर पानी पड़ा तो नुकसान होगा।

29 से 31 तक दिखेगा चक्रवात मोंथा का असर

आंचलिक मौसम विज्ञान केंद्र लखनऊ के वरिष्ठ वैज्ञानिक अतुल कुमार सिंह ने बताया कि बंगाल की खाड़ी में बना गहन अवदाब तेजी से प्रबल होकर गंभीर चक्रवाती तूफान मोंथा में बदल रहा है। उत्तर- पश्चिम दिशा में बढ़ते हुए यह आंध्र प्रदेश तट के काकीनाडा के आसपास 28 अक्टूबर की शाम या रात के समय प्रचंड चक्रवाती तूफान के रूप में पहुंच सकता है। मोंथा चक्रवात का सबसे ज्यादा असर यूपी और बिहार में दिखेगा। 29 से 31 अक्तूबर के बीच बिहार से सटे पूर्वांचल के कई जिलों और बुंदेलखंड आदि में गरज-चमक के साथ बारिश के आसार हैं। 30 अक्तूबर को वाराणसी आदि में भारी बारिश का पूर्वानुमान है।

जयपुर में हाईटेंशन लाइन की चपेट में आई मजदूरों से भरी बस, दो की मौत

फिर एक बस हादसे का शिकार : 10 से ज्यादा झुलसे
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
जयपुर। राजस्थान के जयपुर में बड़ा हादसा सामने आया है। जहां मजदूरों को लेकर जा रही एक बस हाईटेंशन लाइन के तार की चपेट में आ गई। इसमें 10 से ज्यादा मजदूर झुलस गए और दो की मौत हो गई। जयपुर ग्रामीण के मनोहरपुर इलाके की यह घटना है, जहां मजदूरों से भरी बस में करंट दौड़ गया। हाईटेंशन लाइन को छूने से बस में आग लग गई. हादसे में बस में सवार 10 मजदूर चपेट में आ गए।
घायल श्रमिकों को गंभीर हालत में शाहपुरा उपजिला अस्पताल में भर्ती कराया गया है। गंभीर हालत में 5 यात्रियों को जयपुर रेफर किया गया है। टोडी स्थित ईंट भट्टे पर मजदूरों को लेकर ये बस आ रही थी। सूचना के बाद मौके पर मनोहरपुर थाना पुलिस पहुंची और बचाव कार्य शुरू कराया। जानकारी के मुताबिक, मजदूरों से भरी बस यूपी से मनोहरपुर के टोडी स्थित ईंट भट्टे पर आई थी. रास्ते में बस ऊपरी इलाके से गुजर रही थी और तभी 11 हजार वोल्ट की लाइन के संपर्क में आ गई. इससे बस में करंट फैल गया और स्पार्किंग से आग लग गई। घटना के बाद मौके पर चीख-पुकार मच गई और अफरा तफरी का माहौल हो गया। इससे पहले जैसलमेर में बड़ा बस हादसा हुआ था, जहां जोधपुर जा रही प्राइवेट बस में आग लग गई थी और 21 लोगों की मौत हो गई थी। उस बस को मोडिफाइड कराया गया था. उसके लिए इस्तेमाल फाइबर बेहद ज्वलनशील था। इस कारण उसने तेजी से आग पकड़ ली. उस बस का मेन डोर भी लॉक हो गया था।

सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला पुलिस सीधे दर्ज कर सकती है

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि भारतीय दंड संहिता की धारा 195 ए के तहत गवाह को धमकाने का अपराध संज्ञेय है, जिसके तहत पुलिस बिना अदालत की औपचारिक शिकायत की प्रतीक्षा किए सीधे एफआईआर दर्ज कर सकती है और जांच शुरू कर सकती है।
जस्टिस संजय कुमार की अगुवाई वाली बेंच ने केरल उच्च न्यायालय के उस फैसले को रद्द कर दिया, जिसमें कहा गया था कि धारा 195 ए के तहत गवाह को धमकाने के अपराध के लिए पुलिस एफआईआर दर्ज नहीं कर सकती और ऐसे अपराधों की सुनवाई केवल संबंधित अदालत द्वारा दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 195 और 340 के तहत लिखित शिकायत के माध्यम से ही की जा सकती है। सुप्रीम कोर्ट ने 28 अक्टूबर को दिए फैसले में हाई कोर्ट के इस नजरिये से असहमति जताते हुए कहा कि धारा 195 ए आईपीसी को जानबूझकर एक अलग और विशिष्ट अपराध के रूप में तैयार किया गया है, जिसका प्रक्रिया और रास्ताअलग है। यह अपराध संज्ञेय श्रेणी में आता है, और इसलिए पुलिस को सीधे गवाह के बयान के आधार पर एफआईआर दर्ज करने का अधिकार है।

संघ की गतिविधियों पर कर्नाटक सरकार केआदेश पर हाईकोर्ट ने लगाई रोक

कर्नाटक उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को झटका देते हुए उसके एक आदेश पर रोक लगा दी है। दरअसल इस आदेश के तहत कर्नाटक सरकार ने निजी संगठनों को सरकारी परिसरों और सार्वजनिक जगहों, सडक़ों आदि पर कोई भी कार्यक्रम आयोजित करने से प्रशासन की मंजूरी लेना अनिवार्य कर दिया था। कर्नाटक सरकार के इस आदेश को संघ की गतिविधियों को राज्य में बाधित करने के तौर पर देखा जा रहा था। हालांकि अब कर्नाटक उच्च न्यायालय की धारवाड़ पीठ ने इस आदेश पर रोक लगा दी है। राज्य सरकार के आदेश के खिलाफ पुनशचैतन्य सेवा समस्थे नामक संगठन ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी। याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस नागप्रसन्ना की एकल पीठ ने राज्य सरकार के आदेश पर अंतरिम रोक लगाते हुए मामले की सुनवाई 17 नवंबर तक टाल दी है। याचिका दायर करने वाले संगठन की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ वकील अशोक हरनहल्ली ने सुनवाई के दौरान कहा कि राज्य सरकार का आदेश संविधान में दिए गए मौलिक अधिकारों पर प्रतिबंध जैसा है। वकील ने कहा कि सरकार का आदेश है कि 10 से ज्यादा लोगों को भी इक_ा होने के लिए सरकार की मंजरी लेनी होगी।

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