प्रियांक खरगे का RSS पर हमला, कहा- अगर RSS सिर्फ लोगों का समूह है,तो उसे छूट कर क्यों?
आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के बयान पर कर्नाटक के मंत्री प्रियांक खरगे ने कहा कि मोहन भागवत ने स्वयंसेवकों के साथ अपने इको चैंबर में जवाब दिया.

4पीएम न्यूज नेटवर्क: कर्नाटक के मंत्री प्रियांक खरगे ने आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के बयान पर टिप्पणी की है. खरगे ने सवाल उठाया कि अगर आरएसएस सिर्फ ‘लोगों का समूह’ है, तो कर छूट का आधार क्या? मैं भी ऐसा समूह बनाकर ‘गुरु दक्षिणा’ लूं, तो क्या आयकर विभाग मान्यता देगा? खरगे ने भागवत को खुले मंच पर बहस की चुनौती दी है.
आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के बयान पर कर्नाटक के मंत्री प्रियांक खरगे ने कहा कि मोहन भागवत ने स्वयंसेवकों के साथ अपने इको चैंबर में जवाब दिया. प्रियांक खरके ने कहा कि अगर संगठन लोगों का एक समूह है, तो इससे उन्हें कर से छूट नहीं मिले बल्कि उन पर कर लगाया जाना चाहिए. उन्हें किस आधार पर छूट दी जा रही है? उन्होंने सवाल पूछते हुए कहा कि कल अगर मैं आरएसएस की तरह ही लोगो का एक समूह बनाऊं और गुरु दक्षिणा लूं, तो क्या आयकर और सरकार इससे सहमत होंगे? उन्होंने कहा कि मैं इसे भी गुरु दक्षिणा कहूंगा.
#WATCH | Bengaluru | On RSS Chief Mohan Bhagwat's statement, Karnataka Minister Priyank Kharge says, "Mr Bhagwat replied in his echo chamber with Sawyamsevaks… If it is a body of individuals, that doesn't exempt them from taxes. They need to be taxed… On what basis are they… pic.twitter.com/ZeZhEmgzXV
— ANI (@ANI) November 10, 2025
मोहन भागवत का स्वयंसेवकों को संबोधित करने का क्या मतलब है? उनका पहले से ही ब्रेनवॉश किया जा चुका है. अगर उन्हें इतना भरोसा है कि वे कानूनी रूप से सही हैं, तो पूरे आरएसएस को हमारे कानूनी और संवैधानिक विशेषज्ञों के साथ बहस करने दें. अगर वे बहस करना चाहते हैं, तो आइए इसके लिए स्वर और मानदंड तय करें. आइए हम केवल उन चीजों पर बहस करें जो उन्होंने ‘ऑर्गनाइज़र’ पत्रिका में छापी हैं. संविधान, राष्ट्रीय ध्वज, स्वतंत्रता संग्राम, जो कुछ भी उन्होंने अपने मुखपत्र ‘ऑर्गनाइज़र’ में प्रकाशित किया है.
संविधान से ज्यादा शक्तिशाली नहीं हैं
प्रियांक खरगे ने कहा कि इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि वे कितने शक्तिशाली और ताकतवर हैं. वे संविधान से ज्यादा शक्तिशाली नहीं हो सकते हैं. भारत में जब भगवान को दान किए गए प्रत्येक रुपये का हिसाब होता है, तो क्या ये लोग भगवान या भारत के संविधान से ऊपर हैं?



