गडकरी की वाहवाही का असली राज, 2014 के बाद मालामाल कौन?
देश में हाई-वे चमक रहे हैं... लेकिन खाली पड़े हैं… क्यों? क्या सच में गडकरी की तारीफ़ों के पीछे कोई बड़ा खेल छिपा है? इसी बीच स्विस बैंकों...

4पीएम न्यूज नेटवर्कः दोस्तों भारत की राजनीति में नितिन गडकरी का नाम हाईवे निर्माण से जुड़ गया है.. केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री के रूप में वे अक्सर सुर्खियां बटोरते हैं.. 2014 में नरेंद्र मोदी सरकार आने के बाद हाईवे बनाने की रफ्तार तेज हुई.. लेकिन सवाल उठता है.. कि ये हाईवे इतने खाली क्यों दिखते हैं.. क्या ये सिर्फ आंकड़ों की बाजीगरी हैं.. या वाकई देश की जरूरतें पूरी हो रही हैं.. एक तरफ तारीफ, दूसरी तरफ भ्रष्टाचार के आरोप लग रहे हैं..
साथ ही, स्विस बैंकों में भारतीयों का पैसा बढ़ता जा रहा है.. 2014 में मोदी ने वादा किया था कि काला धन वापस लाएंगे.. हर खाते में 15 लाख रुपये आएंगे.. लेकिन 2024 तक ये रकम तिगुनी हो गई.. फिर गुजरात और महाराष्ट्र जैसे राज्य क्यों सबसे ज्यादा फायदा उठा रहे हैं.. बाकी देश के लोग किनारे पर क्यों हैं.. और सबसे बड़ा दावा किया जा रहा है कि मोदी सरकार इतिहास की सबसे ईमानदार सरकार है.. लेकिन इलेक्टोरल बॉन्ड्स जैसे मुद्दे इस दावे को चुनौती देते हैं…
आपको बता दें कि नितिन गडकरी को हाईवे मैन कहा जाता है… 2014 से पहले भारत में राष्ट्रीय राजमार्गों का निर्माण औसतन 12 किलोमीटर प्रतिदिन होता था.. गडकरी के आने के बाद ये आंकड़ा 28-33 किलोमीटर प्रतिदिन पहुंच गया… 2023-24 में 12,349 किलोमीटर हाईवे बने.. जो 25% की बढ़ोतरी है.. कुल 1,02,710 किलोमीटर सड़कों के काम दिए गए.. गडकरी कहते हैं कि भारत की सड़कें अमेरिका से बेहतर हो जाएंगी.. पर्यावरण के लिए वेस्ट प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल… प्लास्टिक रोड, भी उनकी पहल है..
लेकिन तारीफ के पीछे काला सच क्या है,,, हाईवे खाली क्यों? क्योंकि ज्यादातर नए हाईवे ग्रामीण इलाकों से गुजरते हैं.. जहां ट्रैफिक कम है.. शहरी क्षेत्रों में जाम तो वही है.. 2024 में संसद में गडकरी ने खुद माना कि 44% से ज्यादा राष्ट्रीय राजमार्ग प्रोजेक्ट्स देरी से चल रहे हैं.. जिसका कारण भूमि अधिग्रहण की समस्या, फंड की कमी और ठेकेदारों की लापरवाही.. पंजाब में 1,500 किलोमीटर हाईवे पर 52,000 करोड़ का खर्च.. लेकिन 3 प्रोजेक्ट्स रद्द हो चुके है…
वहीं अब गुणवत्ता पर सवाल उठ रहे है.. बरसात में पुल टूटना, सड़कें धंसना आम हो गया है.. ग्वालियर में ‘स्मार्ट सिटी’ की सड़कें डबल इंजन सरकार में ही लीकेज से भरीं है.. जिसको लेकर सोशल मीडिया पर व्यंग्य किया जा रहा है कि गडकरी की तारीफ PR है.. असल में सड़कें कम बनीं, भ्रष्टाचार ज्यादा हुआ.. रेडिट पर यूजर्स कहते हैं कि आंकड़े फुल हैं.. लेकिन हाईवे खाली है क्योंकि कनेक्टिविटी अधूरी है…
सड़क निर्माण में गुजराती कंपनियों को और ठेकेदारों को ज्यादा फायदा हो रहा है.. NHAI प्रोजेक्ट्स में 3,303 करोड़ के काम रद्द कर दिए.. लेकिन पैसे कौन वसूल रहा है.. गडकरी ने 3,75,000 करोड़ के NPA बचाए… लेकिन ये बैंक को फायदा पहुंचाने का तरीका लगता है… कुल मिलाकर, उपलब्धियां हैं लेकिन काला सच गुणवत्ता और पारदर्शिता की कमी है…
2014 के चुनाव में मोदी का सबसे बड़ा वादा था कि स्विस बैंकों से काला धन वापस लाया जाएगा.. और कहा गया कि 15 लाख रुपये हर खाते में आएंगे.. लेकिन हकीकत उलट है… स्विस नेशनल बैंक की रिपोर्ट के मुताबिक.. 2024 में भारतीयों का पैसा 3.5 बिलियन स्विस फ्रैंक हो गया.. जो पिछले साल से तिगुना है.. 2019 में ये 6,625 करोड़ था.. 2020 में 20,700 करोड़, 2021 में 30,500 करोड़ था.. कुल 10 साल में गिरावट 18% बताई जाती है.. लेकिन 2024 की छलांग चौंकाने वाली है…
बता दें कि विदेशी बैंक में ज्यादातर बैंकिंग फंड्स से बढ़ा है.. न कि व्यक्तिगत डिपॉजिट से बढ़ा है.. आपको बता दें कि व्यक्तिगत डिपॉजिट सिर्फ 11% बढ़े है.. लेकिन अनुमान है कि कुल ब्लैक मनी 300 लाख करोड़ है… मोदी सरकार ने डबल टैक्सेशन अवॉइडेंस एग्रीमेंट साइन किया.. लेकिन काला धन वापस लाने में नाकाम रही.. 2018 में नामों की लिस्ट आने की बात हुई.. लेकिन कुछ नहीं हुआ… स्विस बैंक से काला धन लाने वाले मोदी अब चुप है.. क्योंकि अपना ही पैसा है…



