बिहार में हुई लोकतंत्र की हत्या! विपक्ष ने ले लिया बड़ा फैसला?
क्या ज्ञानेश कुमार का सारा खेल सामने आ गया है? क्या कम वोट मिलने के बाद भी ज्ञानेश ने भाजपा को जिताया? क्या राजद ने रिजल्ट मानने से कर इंकार दिया है? क्या तेजस्वी के सभी विधायक इस्तीफा देने जा रहे हैं?

4पीएम न्यूज नेटवर्क: क्या ज्ञानेश कुमार का सारा खेल सामने आ गया है? क्या कम वोट मिलने के बाद भी ज्ञानेश ने भाजपा को जिताया? क्या राजद ने रिजल्ट मानने से कर इंकार दिया है? क्या तेजस्वी के सभी विधायक इस्तीफा देने जा रहे हैं?
क्या इंडिया गठबंधन अब चुनाव आयोग के खिलाफ एक महा आंदोलन की तैयारी करने जा रहा है? बिहार चुनाव का रिजल्ट आते ही चुनाव आयोग पर हमला तेज हो गया है। माना जा रहा है कि एनडीए की जीत के असली हीरो न मोदी हैं और न नीतीश कुमार, बल्कि वो मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार हैं जिन्होंने एनडीए को जिताने में अहम भूमिका निभाई है। क्योंकि जो नतीजें आए हैं उसकी उम्मीद खुद भाजपा को नहीं थी, तो फिर कैसे एक तरफा जीत एनडीए के पक्ष में चली गई है। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि क्या ज्ञानेश कुमार ने इस बार कुछ ज्यादा ही गड़बड़ी कर दी है या फिर बिहार में एनडीए की ऐसी लहर चल रही थी जो किसी को दिखाई ही नहीं दी।
इसी को लेकर सभी विशलेषक खोज में लगे हैं कि आखिर ये हुआ तो हुआ कैसे। जिसके बाद कुछ ऐसे तथ्य सामने आए हैं जिसने चुनाव आयोग पर गंभीर सवाल खडे़ कर दिये हैं। उधर महागठबंधन के नेताओं ने बिहार का रिजल्ट मानने से इंकार कर दिया है और अब चुनाव आयोग के खिलाफ एक ऐसा कदम उठाने का फैसला कर लिया है जो आज से पहले कभी नहीं हुआ है। इसको लेकर राहुल गांधी ने भी एक पोस्ट किया है जो भयंकर तरीके से वायरल हो रहा है। तो राहुल गांधी ने चुनाव आयोग पर हमला बोलते हुए क्या कुछ कहा है और महागठबंधन क्या करने जा रहा है, सब बताएंगे आपको इस वीडियो में। साथ ही आपको बताएंगे कि ऐसे कौन से तथ्य सामने आए हैं जिसको लेकर अब ज्ञानेश कुमार सवालों के घेरे में आ गए हैं।
जब से बिहार चुनाव के रिजल्ट आए हैं उसने हर किसी को हैरानी में डाल दिया है। खुद भाजपा के कार्यकर्ताओं और समर्थकों ने ऐसी बंपर जीत ती उम्मीद नहीं की थी। सोचिये खुद अमित शाह जब बड़े-बड़े दावे कर रहे थे कि तब भी उन्होंने ने कहा था कि एनडीए की 160 सीटें जीतेगी। मतलब 200 सीटों की उम्मीद तो खुद चाणक्य को नहीं थी। महा से महा चाटुकार एग्जिट पोल भी एनडीए को 170 सीटों से ज्यादा नहीं दे रहे थे। तो फिर कैसे एनडीए की 200 सीटेंआ गई? ऐसे में सारा शक ज्ञानेश कुमार पर आकर टिक गया है। सोशल मीडिया पर बातें चल रही हैं कि क्या चुनाव आयोग ने इस बार निष्पक्ष तरीके से चुनाव कराया है या फिर एक बड़ी गड़बड़ी की गई है।
इसको लेकर बहस चल ही रही थी कि इस बीच एक बड़ी खबर सामने आ गई कि बिहार चुनाव में RJD को बीजेपी से 15 लाख ज्यादा वोट मिले हैं। इस खबर के बाहर आतो ही लोगों का शक यकीन में बदलने लगा है। क्योंकि इस खबर के मुताबिक RJD को 23% वोट हासिल हुआ है, जब्कि बीजेपी को 20.08% वोट हासिल हुआ है। सोचिये लगभग 3% का गैप है। ये गैप कम नहीं है। बस्कि इतने मार्जिन से सरकार बन भी सकती है और गिर भी सकती है। उधर जेडीयू जो अब तक 85 सीटें जीतकर दूसरी नंबर की पार्टी बनी है उसको 19.25% वोट हासिल हुआ है।
जबकि कांग्रेस को 8.71% वोट मिला है। अब आप समझिये कि 23% वोट हासिल करने वाली आरजेडी अब तक बस 25 सीटें ही निकाल पाई है जबकि उससे कम 20.08% वोट पाने वाली भाजपा 89 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी बन गई है। लेकिन ये आखिर हुआ कैसे? अब ये ज्ञानेश ही समझाएंगे कि जिनको वोट सबसे ज्यादा मिल रहे उस पार्टी को कम सीट और कम वोट मिलने वाली पार्टी को सबसे ज्यादा सीटें कैसे मिल रही है। अब देखिए कुछ विशलेषकों का कहना है कि आरजेडी भाजपा से 43 सीटों पर ज्यादा चुनाव लड़ी थी इसलिए इतना ज्यादा गैप है। लेकिन अब ये तथ्य किस हद तक सही है इसकी गहन जांच होनी चाहिए।
अब देखिए एक तरफ तो चुनाव विशलेषकों के बीच बहस चल रही है तो उधर विपक्ष अब पूरी तरह से एक्शन मोड पर आ गई है। और कुछ ऐसा करने जा रही है जो आज तक भारतीय राजनीति में आज से पहले कभी नहीं हुआ होगा। दरअसल, सूत्रो के हवाले से खबर सामने आई है कि राजद ने परिणाम मानने से इंकार कर दियी है और सभी जीते हुए विधायक इस्तीफा दे सकते हैं। जी हां सोचिए, चुनाव आयोग द्वारा दिए गए नतीजों को खारिज करते हुए पूरा विपक्ष ही विधानसभा से इस्तीफा दे सकता है।
अब देखिए इस खबर में कितनी सच्चाई है यह अभी नहीं कह सकते हैं क्योंकि पार्टी की तरफ से अभी तक इसपर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन सूत्रों की ये खबर सोशल मीडिया पर आग की तरह फैल रही है। उधर राहुल गांधी की एक पोस्ट ने भी ये साफ कर दिया है कि विपक्ष अब कोई बड़ा कदम उठा सकता है। दरअसल, राहुल गांधी ने बिहार चुनाव का रिजल्ट आने के बाद एक बयान जारी किया है जिसमें उन्होंने चुनाव आयोग पर बड़ा हमला किया है।
एक्स पर पोस्ट करते हुए राहुल गांधी ने लिखा है- मैं बिहार के उन करोड़ों मतदाताओं का हार्दिक आभार व्यक्त करता हूं, जिन्होंने महागठबंधन पर अपना विश्वास जताया। उन्होंने आगे लिखा है कि बिहार का यह परिणाम वाकई चौंकाने वाला है। हम एक ऐसे चुनाव में जीत हासिल नहीं कर सके, जो शुरू से ही निष्पक्ष नहीं था। वो आगे कहते हैं कि यह लड़ाई संविधान और लोकतंत्र की रक्षा की है। कांग्रेस पार्टी और INDIA गठबंधन इस परिणाम की गहराई से समीक्षा करेंगे और लोकतंत्र को बचाने के अपने प्रयासों को और अधिक प्रभावी बनाएंगे।
दोस्तों यह पूरा चुनाव नतीजा मानो एक ऐसे तूफ़ान की तरह सामने आया है जिसने बिहार की राजनीति को हिला कर रख दिया है। विपक्ष की नज़र में यह सिर्फ़ एक हार नहीं, बल्कि लोकतंत्र पर किया गया एक गहरा प्रहार है। और यही कारण है कि माहौल अब सामान्य नहीं रहा, बल्कि एक उबलते हुए गुस्से और सवालों से भरा हुआ है। कोई भी यह नहीं मान पा रहा कि इतने बड़े पैमाने पर वोटिंग पैटर्न बदल कैसे गया, और अगर बदल गया तो किसके हाथों, किसके इशारे पर और क्यों?
जब जनता ने बड़े पैमाने पर भाग लिया, जब जमीन पर तेजस्वी यादव की सभाओं में भीड़ उमड़ती दिखी, जब एग्जिट पोल भी एकतरफा नहीं थे, जब खुद एनडीए के बड़े नेता भी 160 सीटों से ऊपर जाने की बात नहीं कर रहे थे, तो फिर अचानक 200 सीटों की चौंकाने वाली छलांग कहां से आ गई? यही वह बिंदु है जहां से शक की शुरुआत होती है और सवालों की आग तेज़ होने लगती है। और यह आग अब सिर्फ़ सोशल मीडिया तक सीमित नहीं है, यह विपक्ष के गलियारों में, नेताओं की बैठकों में और जनता की चर्चा में खुलकर धधक रही है। आरजेडी को मिले 23% वोट और बीजेपी के 20% वोट का अंतर जब सामने आया, तब पहली बार लगा कि मामला सिर्फ़ हार-जीत का नहीं, बल्कि कुछ और गहरा है।
कोई भी सामान्य चुनावी माहौल में यह समझ नहीं सकता कि ज्यादा वोट पाने वाली पार्टी कम सीटों पर सिमट जाए और कम वोट पाने वाली पार्टी विधानसभा पर कब्जा कर ले। यह गणित नहीं, यह किसी अदृश्य दखल का संकेत लगता है। यही वह जगह है जहां लोगों की उंगलियां ज्ञानेश कुमार की ओर उठनी शुरू हुई हैं। क्या उन्होंने चुनाव प्रक्रिया को अपनी इच्छा अनुसार मोड़ा? क्या कुछ ऐसा हुआ जो कागज़ों पर नहीं दिखता पर नतीजों में साफ झलकता है? क्या चुनाव से पहले होने वाले एसआई आर का कमाल है? या फिर स्टॉंग रूम के जब कैमरे बार-बार बंद हो रहे थे तब कोई जादू हुआ है? ये सवाल अब सिर्फ़ विपक्ष नहीं पूछ रहा, बल्कि आम लोग भी जानना चाहते हैं कि यह खेल आखिर क्या है।
उधर, विपक्ष के तेवर साफ बता रहे हैं कि बात अब आगे बढ़ेगी। अगर सचमुच सभी जीते हुए विधायक इस्तीफा देते हैं, तो यह भारतीय राजनीति के इतिहास में पहली बार होगा जब विपक्ष पूरे तंत्र को चुनौती देने के लिए सड़कों पर उतरने की तैयारी करेगा। राहुल गांधी का बयान भी यह साफ कर चुका है कि यह लड़ाई अब सिर्फ़ सीटों और नतीजों तक सीमित नहीं रहेगी, बल्कि लोकतंत्र की बुनियाद पर हो रहे हमले के खिलाफ एक बड़े आंदोलन का रूप ले सकती है। अब बिहार सिर्फ़ एक चुनाव हारने की कहानी नहीं है, बल्कि भारत के राजनीतिक भविष्य का एक खतरनाक संकेत बन चुका है। ऐसा लगने लगा है कि अगर इस बार सवाल न उठे, अगर इस बार जवाब न मांगे गए, तो आने वाले समय में चुनाव सिर्फ़ औपचारिकता बनकर रह जाएंगे।
जनता वोट डालेगी, पर तय कोई और करेगा। और यही सबसे बड़ा खतरा है। इसलिए यह निष्कर्ष सामने आता है कि बिहार चुनाव 2025 का यह विवाद आने वाले महीनों में राजनीति को पूरी तरह बदल सकता है। यह सिर्फ़ एक राज्य का मसला नहीं रह गया, यह पूरे लोकतंत्र की परीक्षा बन चुका है। और अब जो लड़ाई शुरू होगी, वह नतीजे पलटने की नहीं, बल्कि व्यवस्था को उसकी जिम्मेदारी याद दिलाने की होगी।



