वसावा के कार्यक्रम में सैलाब, आदिवासी समाज एकजुट, PM के अहंकार को करारा जवाब
गुजरात में आयोजित भगवान बिरसा मुंडा जयंती उत्सव में आदिवासी समाज की भारी भीड़ उमड़ी... जिसे भाई चैतर वसावा के बढ़ते प्रभाव...

4पीएम न्यूज नेटवर्कः दोस्तों 15 नवंबर 2025 को देशभर में भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जन्म जयंती मनाई गई… यह दिन ‘जनजातीय गौरव दिवस’ के रूप में जाना जाता है.. बिरसा मुंडा एक महान आदिवासी स्वतंत्रता सेनानी थे.. जिन्होंने ब्रिटिश राज के खिलाफ उलगुलान नामक विद्रोह का नेतृत्व किया.. वे झारखंड के छोटानागपुर क्षेत्र के मुंडा समुदाय से थे.. और आदिवासियों के भूमि अधिकार, संस्कृति.. और स्वाभिमान की रक्षा के लिए लड़े.. 1900 में मात्र 25 वर्ष की आयु में शहीद हो गए.. लेकिन उनकी विरासत आज भी आदिवासी समाज को प्रेरित करती है.. इस वर्ष विशेष महत्व इसलिए था क्योंकि यह उनकी 150वीं वर्षगांठ थी.. केंद्र सरकार ने 1 से 15 नवंबर तक ‘जनजातीय गौरव वर्ष पखवाड़ा’ घोषित किया.. जिसमें देशभर में कार्यक्रम आयोजित हुए..
गुजरात में यह जयंती दोहरी तस्वीर पेश करती है.. एक ओर राज्य सरकार और केंद्र के नेतृत्व में भव्य सरकारी आयोजन हुए, जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने डेडियापाड़ा में एक बड़ी सभा को संबोधित किया.. दूसरी ओर स्थानीय आदिवासी नेता भाई चैतर वसावा के नेतृत्व में नेतरंग में एक जन-आंदोलन जैसा उत्सव हुआ.. जहां हजारों आदिवासी इकट्ठा हुए.. यह आयोजन आदिवासी समाज की एकजुटता का प्रतीक बना.. सोशल मीडिया पर एक पोस्ट ने इसे सटीक शब्दों में बयान किया.. कि यह गुजरात के आदिवासी नेता भाई चैतर वसावा के नेतृत्व में आयोजित भगवान बिरसा मुंडा जयंती उत्सव में उमड़ आदिवासी समाज की एक झलक है.. एक तरफ प्रधानमंत्री का अहंकार और खुद को भगवान बनाने की कोशिश.. दूसरी ओर आदिवासी समाज ने अपना लोकनायक ढूंढ लिया है…
आपको बता दें कि भगवान बिरसा मुंडा का जन्म 15 नवंबर 1875 को झारखंड के उलीहातू गांव में हुआ था.. वे एक साधारण किसान परिवार से थे.. लेकिन ब्रिटिशों की जुल्मों ने उन्हें क्रांतिकारी बना दिया.. 1890 के दशक में ब्रिटिश सरकार ने आदिवासियों की जमीनों पर कब्जा कर लिया.. और जंगलों को नष्ट करने लगी.. बिरसा ने ‘अबुआ राज’ (हमारा राज) का नारा दिया.. और उलगुलान विद्रोह छेड़ दिया.. इसमें आदिवासी हथियारबंद होकर लड़े.. बिरसा को धरती आबा (भूमि का पिता) कहा जाता है.. उनकी गिरफ्तारी के बाद रांची जेल में कैद के दौरान उनकी मृत्यु हो गई.. आजादी के बाद 2021 में केंद्र सरकार ने उनकी जयंती को जनजातीय गौरव दिवस घोषित किया.. 2025 में 150वीं वर्षगांठ पर कार्यक्रमों में विकास योजनाओं पर जोर दिया गया.. 2014 में 15 स्कूल थे.. अब 740 हो गए हैं..
गुजरात के आदिवासी बहुल क्षेत्रों में बिरसा मुंडा की कहानी खासा प्रासंगिक है.. यहां भीमा, कोल, भील जैसे समुदाय ब्रिटिश काल में विद्रोह कर चुके हैं.. आज भूमि अधिग्रहण, वन अधिकार और शिक्षा जैसे मुद्दे बिरसा की याद दिलाते हैं.. गुजरात सरकार ने 7 नवंबर से ‘जनजातीय गौरव यात्रा’ शुरू की.. जो 13 नवंबर तक चली.. मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने अंबाजी से यात्रा का उद्घाटन किया.. जिसके दो रूट थे.. उमरगाम से एकता नगर और अंबाजी से एकता नगर.. यात्रा में बिरसा मुंडा की जीवन गाथा.. आदिवासी कल्याण योजनाओं की जानकारी दी गई.. नाटक, सभाएं, वक्तृत्व स्पर्धाएं हुईं.. 15 नवंबर को एकता नगर में विशेष प्रदर्शनी लगी.. जहां बिरसा मुंडा के जीवन पर पवेलियन था..
उसी दिन डेडियापाड़ा (नर्मदा जिला) में प्रधानमंत्री मोदी पहुंचे.. और उन्होंने देवमोगरा माता मंदिर में पूजा की और एक सभा में 9,700 करोड़ रुपये की योजनाओं का लोकार्पण किया.. इनमें सड़कें, स्कूल और पानी की आपूर्ति शामिल हैं.. मोदी ने कहा कि बिरसा मुंडा की स्वावलंबन की भावना आज भी प्रासंगिक है.. उपराष्ट्रपति ने कहा कि आदिवासी समाज उत्साहित है.. और मोदी के नेतृत्व में जनजातीय गौरव दिवस मनाया जा रहा है.. आनंद जिले में भी जिला स्तरीय उत्सव हुआ..
मुख्यमंत्री पटेल ने मोदी को बिरसा मुंडा की मूर्ति भेंट की.. ये आयोजन आदिवासी विकास पर केंद्रित थे.. दूसरी तस्वीर नेतरंग की है.. जहां चैतर वसावा ने आयोजन किया.. चैतर दमजीभाई वसावा का जन्म गुजरात के नर्मदा जिले में एक आदिवासी परिवार में हुआ.. वे भील समुदाय से हैं और राजनीति में आने से पहले सामाजिक कार्यकर्ता थे.. 2022 के विधानसभा चुनाव में वे आम आदमी पार्टी से डेडियापाड़ा सीट से जीते.. वे गुजरात विधानसभा के सबसे युवा सदस्य हैं.. 2023 में AAP ने उन्हें विधानसभा में पार्टी नेता बनाया..
चैतर आदिवासी अस्मिता यात्रा के प्रणेता हैं.. 2022 में उन्होंने दक्षिण गुजरात के आदिवासी क्षेत्रों में यह यात्रा निकाली, जिसमें भूमि अधिकार, वन संरक्षण.. और अलग भील प्रदेश की मांग उठाई.. वे कहते हैं कि आदिवासी समाज को अपनी पहचान और अधिकार चाहिए.. उनकी पत्नियां शकुंतला और वर्षा भी राजनीतिक रूप से सक्रिय हैं.. वे चुनाव प्रचार में साथ देती हैं.. 2024 लोकसभा चुनाव में AAP ने उन्हें भरूच से उम्मीदवार बनाया.. लेकिन वे जेल भी जा चुके हैं.. 2023 में वन अधिकारियों को धमकी देने के आरोप में गिरफ्तार हुए..
बता दें कि 15 नवंबर को नेतरंग में चैतर ने सुबह 11 बजे आयोजन किया.. अलमावाड़ी विभाग, जंगल कामदार मंडली ग्राउंड के पास हजारों आदिवासी इकट्ठा हुए.. सभी ने पारंपरिक वेशभूषा पहनी, बाजिंद्र बजाए… चैतर ने कहा कि बिरसा मुंडा की जयंती पर हम एकता का संदेश दे रहे हैं.. और उन्होंने सोशल मीडिया पर आमंत्रण दिया था.. आदिवासी पेशवेश में बाजिंद्र के साथ नेतरंग आओ.. वीडियो में दिखा कि युवा, महिलाएं और बच्चे उमड़ पड़े.. यह आयोजन सरकारी कार्यक्रम से अलग था जो स्थानीय था.. चैतर ने बाद में धन्यवाद दिया.. हजारों युवाओं, माताओं और बहनों का आभार…
वहीं यह भीड़ आदिवासी समाज की जागृति दिखाती है… चैतर को लोकनायक कहा जा रहा है.. क्योंकि वे स्थानीय मुद्दों पर बोलते हैं.. उदाहरण के लिए, हाल ही में लिमखेड़ा में BJP की यात्रा पर उन्होंने टिप्पणी की.. आदिवासी नहीं आए, तो स्कूल के बच्चों को बुलाया.. क्या यह विश्व गुरु बनने का मॉडल है.. वे किसानों की आत्महत्या पर भी मुखर हैं.. 11 नवंबर को उन्होंने कहा कि कमोशी वर्षा से चार किसानों ने सुसाइड किया.. सरकार को एक करोड़ मुआवजा देना चाहिए..



