बिहार में सरकार के गठन से पहले ही रार
पदों को लेकर भाजपा-जदयू में खींचतान, दिल्ली में राजग की बैठक नीतीश व शाह की नजर

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
पटना। बिहार में नई सरकार बनाने की कवायद आरंभ हो गई है। पर उससे पहले पदों को लेकर राजग में कुछ अनबन की खबरें आ रहीं हैं। सबसे ज्यादा मामला विस अध्यक्ष अर्थात स्पीकर को लेकर फंस रहा है। नीतीश कुमार 20 नवंबर को 10वीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ले सकते हैं। गांधी मैदान में होने वाले शपथ ग्रहण समारोह को भव्य बनाने की तैयारियाँ अंतिम चरण में हैं।
जदयू, लोजपा (रालोद), हम और रालोद ने अपने-अपने मंत्रियों के नाम तय कर लिए हैं। इस बीच, भाजपा के मंत्रियों को लेकर दिल्ली में विचार-विमर्श चल रहा है। सूत्रों के अनुसार, भाजपा अपने आधे से ज़्यादा मंत्रियों को हटा सकती है या बदल सकती है। हालाँकि, नीतीश कुमार अपने पुराने चेहरों पर ही भरोसा बनाए रख सकते हैं। सूत्रों के अनुसार, बिहार में नई एनडीए सरकार के गठन को अंतिम रूप देने के लिए गहन विचार-विमर्श के साथ-साथ, भाजपा और जदयू दोनों ही विधानसभा अध्यक्ष पद पर अपनी दावेदारी पेश कर रहे हैं। नीतीश कुमार की जनता दल (यूनाइटेड) और भाजपा के बीच मंगलवार को नई दिल्ली में एक महत्वपूर्ण बैठक होने वाली है, जिसमें अध्यक्ष पद के साथ-साथ प्रमुख मंत्रिस्तरीय विभागों का आवंटन भी एजेंडे में सबसे ऊपर होगा। सूत्रों के अनुसार, भाजपा और जदयू दोनों ही विधानसभा अध्यक्ष पद पर अपनी दावेदारी पेश कर रहे हैं, खासकर भाजपा कथित तौर पर हर कीमत पर इस पद को बरकरार रखने के लिए प्रतिबद्ध है। निवर्तमान विधानसभा में, भाजपा नेता नंद किशोर यादव अध्यक्ष पद पर थे, जबकि जदयू के नरेंद्र नारायण यादव उपाध्यक्ष पद पर थे।
कई प्रमुख सरकारी विभागों को लेकर रार
अध्यक्ष पद के अलावा, कई प्रमुख सरकारी विभागों को लेकर भी तीखी सौदेबाजी चल रही है। राज्य भाजपा नेताओं ने रणनीति पर विचार-विमर्श के लिए पटना में देर रात तक चर्चा की, और जदयू नेता संजय कुमार झा और ललन सिंह सहित कुछ नेताओं के मंगलवार को उच्च स्तरीय वार्ता में शामिल होने के लिए दिल्ली आने की उम्मीद है।
स्पीकर पद पर बीजेपी का मजबूत दावा
इस बीच, केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान गठबंधन के छोटे सहयोगियों – चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास), जीतन राम मांझी की हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (सेक्युलर) और उपेंद्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक समता पार्टी – के साथ समानांतर चर्चा कर रहे हैं। सूत्रों से संकेत मिलता है कि नई सरकार में अपनी भूमिका को लेकर तीनों प्रमुख सहयोगियों के साथ सहमति बन गई है। एनडीए दलों ने कथित तौर पर एक ऐसे फॉर्मूले पर सैद्धांतिक रूप से सहमति व्यक्त की है जिसके तहत प्रत्येक छह विधायकों पर एक मंत्री पद आवंटित किया जाएगा।
भाजपा और जदयू की विधायक दल की बैठकें
भाजपा और जदयू दोनों के लिए अलग-अलग विधायक दल की बैठकें 19 नवंबर को बुलाई गई हैं। इन अलग-अलग बैठकों के बाद, उसी दिन बाद में पूरे एनडीए विधायक दल की एक संयुक्त बैठक भी होगी। इन प्रयासों का समापन 20 नवंबर को होगा, जब पटना के गांधी मैदान में नई एनडीए सरकार का शपथ ग्रहण समारोह होगा। बिहार में नई एनडीए सरकार के गठन की प्रक्रिया सोमवार को शुरू हो गई, जब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान से मुलाकात की और बुधवार से निवर्तमान विधानसभा को भंग करने की सिफारिश की। जेडीयू प्रमुख बुधवार को फिर से राज्यपाल से मिलकर अपना इस्तीफा सौंपेंगे, साथ ही एनडीए के सभी घटक दलों का समर्थन पत्र भी सौंपेंगे। नीतीश कुमार के मुख्यमंत्री बनने के साथ ही, बिहार में नई सरकार बनाने के लिए अन्य कैबिनेट मंत्रियों के भी शपथ लेने की उम्मीद है।
बिहार सुधार कर रहूंगा, पीछे हटने वाला नहीं: प्रशांत किशोर
जनसुराज अध्यक्ष ने चुनावी हार के बाद ने तोड़ी चुप्पी
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
पटना। बिहार विधानसभा चुनावों में भारी हार के बाद पहली प्रतिक्रिया में, जन सुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर ने हार का सारा दोष अपने ऊपर लेते हुए राज्य की जनता से माफ़ी मांगी। अपनी पार्टी की बिहार चुनाव में भारी हार के लिए सारी जिम्मेदारी लेते हुए, जन सुराज पार्टी प्रमुख ने कहा कि वह सरकार बदलने में नाकाम रहे। उन्होंने एक दिन का मौन व्रत भी लिया।
उन्होंने कहा कि हमने अपनी तरफ से बहुत सकारात्मक प्रयास किया। हम इस सरकार को बदलने में नाकाम रहे। हमने अपनी तरफ से बहुत कोशिश की, लेकिन लगता है हम कहीं न कहीं चूक गए। मैं सारा दोष अपने ऊपर लेता हूँ क्योंकि मैं लोगों को समझा नहीं पाया। हम आत्ममंथन करेंगे। किशोर ने कहा कि गहरा झटका मिला लेकिन हम गल्तियों को सुधारेंगे, मजबूत हो कर लौटेंगे, पीछे जाने का सवाल ही नहीं उठता। उन्होंने कहा कि जनता ने राजग को जनादेश दिया है, चुनाव में किए गए वादों को पूरा करने के लिए काम करना मोदी, नीतीश की जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि मैं बिहार की जनता को यह समझाने में नाकाम रहा कि उन्हें किस आधार पर वोट देना चाहिए और नई व्यवस्था क्यों बनानी चाहिए। इसलिए, प्रायश्चित स्वरूप, मैं 20 नवंबर को गांधी भितिहरवा आश्रम में एक दिन का मौन व्रत रखूँगा। उन्होंने कहा कि हमसे गलतियाँ हो सकती हैं, लेकिन हमने कोई अपराध नहीं किया है। हमने समाज में जाति-पाँत का ज़हर फैलाने का अपराध नहीं किया है। हमने बिहार में हिंदू-मुस्लिम की राजनीति नहीं की है। हमने धर्म के नाम पर लोगों को बाँटने का अपराध नहीं किया है। हमने बिहार की गरीब, भोली-भाली जनता को पैसे देकर उनके वोट खरीदने का अपराध नहीं किया है। उन्होंने कहा कि हमारे प्रयासों में, हमारी सोच में, और जिस तरह से हमने यह समझाया कि जनता ने हमें नहीं चुना, उसमें ज़रूर कोई न कोई चूक रही होगी। अगर जनता ने हम पर विश्वास नहीं दिखाया, तो उसकी पूरी जिम्मेदारी मेरी है। मैं इस बात की पूरी जिम्मेदारी शत-प्रतिशत अपने ऊपर लेता हूँ कि मैं बिहार की जनता का विश्वास नहीं जीत सका।
अयोध्या में ध्वजारोहण समारोह में शामिल होंगे इकबाल अंसारी
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
अयोध्या। बाबरी मामले के पक्षकार रहे इकबाल अंसारी ने मंगलवार को कहा कि 25 नवंबर को नगर में होने वाले ध्वजारोहण समारोह में मैं भी जाऊंगा। मुझे भी मोबाइल फोन पर निमंत्रण मिला है। नगर में माहौल बना हुआ है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आ रहे हैं। 2019 में आए फैसले को सभी ने स्वीकार किया है। देश के मुसलमानों ने भी सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय को स्वीकार किया है।
उन्होंने कहा कि जिन लोगों की आस्था थी उन्हें मंदिर मिल गया है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद भूमि पूजन समारोह हुआ। प्राण प्रतिष्ठा हुई और अब ध्वजारोहण समारोह हो रहा है। सभी अयोध्यावासी खुश हैं।

गुजरात में एम्बुलेंस में आग लगने से 4 लोग जिंदा जले
नवजात, पिता, डॉक्टर और नर्स की जलकर मौत
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
अहमदाबाद। गुजरात के अरावली जिले के मोडासा में राणा सैयद इलाके के पास एक हादसा हुआ, जहाँ मोडासा के एक निजी अस्पताल की एम्बुलेंस में आग लग गई, जिससे एक बच्चे समेत चार लोगों की मौत हो गई। एम्बुलेंस में सवार दो अन्य यात्री गंभीर रूप से झुलस गए और उन्हें तुरंत इलाज के लिए पास के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया।
जानकारी के अनुसार, मोडासा के एक अस्पताल से एक बच्चे को एम्बुलेंस में उन्नत इलाज के लिए अहमदाबाद ले जाया जा रहा था। रास्ते में, एम्बुलेंस में आग लग गई, जिससे डॉक्टर, एक नर्स, बच्चे और एक अन्य व्यक्ति की मौत हो गई। एम्बुलेंस में सवार दो अन्य लोग गंभीर रूप से झुलस गए और उन्हें पास के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया है।आग लगने का सही कारण अभी भी स्पष्ट नहीं है। मोडासा टाउन पुलिस ने घटना की जाँच शुरू कर दी है। मोडासा के राणा सैयद के पास हुई इस घटना का सीसीटीवी फुटेज सोशल मीडिया पर सामने आया है। एक सीसीटीवी वीडियो में देखा जा सकता है कि एक चलती गाड़ी में अचानक आग लग जाती है। यह फुटेज पेट्रोल पंप पर लगे सीसीटीवी कैमरे से ली गई है। पीड़ित की पहचान- मृतकों के नाम- जिग्नेश मोची (उम्र 38) – नवजात शिशु के पिता। जिग्नेशभाई का नवजात शिशु (उम्र: 1 दिन)। राजकरण रेतिया (उम्र 30)-डाक्टर।
भूरीबेन मनात (उम्र 23) – नर्स। तीन जले हुए घायल मरीज़ों का इलाज चल रहा है। जब आग लगी, तब एम्बुलेंस चालक ने गाड़ी रोक दी थी। आगे बैठे तीन लोग मामूली से मध्यम रूप से झुलस गए और उन्हें तुरंत चिकित्सा सहायता के लिए ले जाया गया। ये तीनों घायल मरीज़ इलाज करा रहे हैं।
चुनाव आयोग के खिलाफ सुप्रीम चौखट पर केरल सरकार
एसआईआर को निकाय चुनाव तक रोकने की अपील
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
कोच्चि। केरल सरकार ने राज्य में भारतीय चुनाव आयोग (ईसीआई) द्वारा वर्तमान में किए जा रहे मतदाता सूचियों के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) को स्थगित करने की मांग करते हुए सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है।
संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत दायर एक रिट याचिका में राज्य ने तर्क दिया है कि स्थानीय स्वशासन संस्थाओं (एलएसजीआई) के चुनावों के साथ-साथ एसआईआर कराने से गंभीर प्रशासनिक चुनौतियाँ उत्पन्न होंगी और चुनावों के सुचारू संचालन में बाधा उत्पन्न होगी।
राज्य ने स्पष्ट किया कि यद्यपि वह बाद में एसआईआर प्रक्रिया की वैधता को चुनौती देने का अधिकार सुरक्षित रखता है, लेकिन वर्तमान याचिका केरल में संशोधन प्रक्रिया को स्थगित करने पर केंद्रित है। केरल में 1,200 स्थानीय निकाय चुनाव (एलएसजीआई) हैं, जिनमें 941 ग्राम पंचायतें, 152 ब्लॉक पंचायतें, 14 ज़िला पंचायतें, 87 नगर पालिकाएँ और 6 निगम शामिल हैं, जो कुल मिलाकर 23,612 वार्डों को कवर करते हैं। चुनाव 9 और 11 दिसंबर को दो चरणों में होने हैं। एसआईआर 4 नवंबर को शुरू हुआ, और 4 दिसंबर को मसौदा मतदाता सूची प्रकाशित होनी थी, जिससे पूरे संशोधन को लागू करने के लिए केवल एक महीना बचा है। राज्य का तर्क है कि यह समय-सीमा स्थानीय निकाय चुनावों की तैयारियों से गंभीर रूप से टकराती है। याचिका के अनुसार, स्थानीय निकाय चुनाव कराने के लिए 68,000 सुरक्षा कर्मचारियों के अलावा 1,76,000 कर्मियों की आवश्यकता है। एसआईआर को ही 25,668 अतिरिक्त कर्मियों की आवश्यकता है, जिसके बारे में राज्य का कहना है कि इससे प्रशासनिक मशीनरी पर गंभीर दबाव पड़ता है और नियमित शासन-प्रशासन ठप होने का खतरा है। याचिका में संविधान के अनुच्छेद 243-ई और 243-यू के साथ-साथ केरल पंचायत राज अधिनियम की धारा 38 और केरल नगर पालिका अधिनियम की धारा 94 का हवाला दिया गया है, जो सभी पिछली परिषदों की पहली बैठक के पाँच वर्षों के भीतर चुनाव कराने का आदेश देते हैं।
नए एलएसजीआई सदस्यों को 21 दिसंबर से पहले शपथ लेनी होगी। इसके विपरीत, केरल का तर्क है कि इस समय विशेष मतदाता सूची संशोधन करने की कोई संवैधानिक बाध्यता नहीं है, और चुनाव आयोग ने तत्काल एसआईआर की आवश्यकता वाले कोई विशेष कारण नहीं बताए हैं।



