आत्महत्याओं से मचा हाहाकार, ज्ञानेश कुमार को पद हटाने की विपक्ष ने शुरू की तैयारी!
ज्ञानेश कुमार जो अब तक मुखौटा पहन कर भाजपा के लिए वोट चोरी कर रहे थे, वह मुखौटा अब बिहार चुनाव की बाद पूरी तरह से उतर गया है। ऐसे में विपक्ष ने भी पूरी तरीके से ज्ञानेश कुमार पर हमला तेज कर दिया है और उनको पद से हटाने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगाया जा रहा है।

4पीएम न्यूज नेटवर्क: ज्ञानेश कुमार जो अब तक मुखौटा पहन कर भाजपा के लिए वोट चोरी कर रहे थे, वह मुखौटा अब बिहार चुनाव की बाद पूरी तरह से उतर गया है। ऐसे में विपक्ष ने भी पूरी तरीके से ज्ञानेश कुमार पर हमला तेज कर दिया है और उनको पद से हटाने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगाया जा रहा है।
अब एक तरफ जहां विपक्ष वोट चोरी को लेकर के ज्ञानेश कुमार पर हमला बोल रहा है उनका पद से हटाने की बात कर रहा है, तो वहीं जिन राज्यों में SIR चल रहा है वहां पर भी ज्ञानेश कुमार के खिलाफ बड़ा विरोध देखने को मिल रहा है। खुद ज्ञानेश कुमार के कर्मचारी ही सड़कों पर उतरे हुए हैं और आत्महत्याओं के लिए ज्ञानेश कुमार को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या ज्ञानेश कुमार को अपने पद से रिजाइन करना पड़ सकता है? क्या सच में विपक्ष प्रस्ताव लाकर ज्ञानेश कुमार को चुनाव आयुक्त के पद से हटा सकती है? क्या SIR के खिलाफ जो विरोध हो रहा है उससे ज्ञानेश कुमार की कुर्सी छिन सकती है? सब बताएंगे आपको इस वीडियो में।
बिहार विधानसभा चुनावों के रिजल्ट के बाद से दिल्ली से पटना तक राजनीतिक तापमान एक बार फिर बढ़ गया है. राहुल गांधी ने ज्ञानेश कुमार पर खोल हमला बोल दिया है और अब सभी विपक्षी गठबंधनों को एक करके ज्ञानेश कुमार को हमेशा हमेशा के लिए पद से मुक्त करने की पूरी तैयारी कर ली है। दरअसल, विपक्षी INDIA गठबंधन और कांग्रेस ने ज्ञानेश कुमार के खिलाफ संसद में महाभियोग प्रस्ताव लाने पर चर्चा तेज कर दी है. जी हां एक ऐसा प्रस्ताव आएगा जिससे ज्ञानेश कुमार को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ सकता है।
न्यूज़ 18 में छपी इस रिपोर्ट के मुताबिक पार्टी सूत्रों के अनुसार यह मुद्दा पिछली संसद सत्र में भी उठा था, लेकिन अब शीतकालीन सत्र से पहले विपक्ष के भीतर नई विमर्श शुरू हो गया है. कांग्रेस का कहना है कि चुनावी प्रक्रियाओं, ईवीएम, मतदाता सूची और विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) से जुड़े सवालों के जवाब लंबे समय से नहीं मिल रहे. इस कारण वह संवैधानिक तौर पर उपलब्ध विकल्पों पर विचार कर रही है. कांग्रेस की इस सक्रियता को बिहार चुनावों के बाद उठे विवादों से भी जोड़कर देखा जा रहा है. जहां विपक्ष ने मतगणना में देरी, अधिकारियों की कथित भूमिका और पारदर्शिता पर गंभीर सवाल उठाए थे.
हमने देखा कि कैसे वोटिंग से ठीक 1 दिन पहले बिहार की महिलाओं के खाते में 10-10 हजार रुपए डाले गए ताकि उनके वोटों को प्रभावित किया जा सके। इन महिलाओं में वो जीविका दीदी भी शामिल थी जिनको पोलिंग बूथ पर ड्यूटी पर लगाया गया था। सोचिये, सीधा-सीधा चुनाव के नियमों की धज्जियां उड़ाई गई और ज्ञानेश कुमार ने अपनी आंखें मूंद ली। विपक्ष ने सवाल उठाया लेकिन चुनाव आयोग की तरफ से कोई भी एक्शन नहीं लिया गया। कांग्रेस का कहना है कि लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को लेकर जनता का भरोसा कम नहीं होने देना चाहिए और CEC को इन सवालों पर खुले मंच पर जवाब देना चाहिए। इस बीच कांग्रेस नेता दीपेंद्र हुड्डा ने ज्ञानेश कुमार पर बड़ा बोलते हुए कहा है कि वो चुनाव आयुक्त की तरह नहीं बीजेपी के पन्ना प्रमुख की तरह व्यवहार कर रहे हैं।
अब देखिए ज्ञानेश कुमार पर कांग्रेस खुलकर हमला कर रही है इसके साथ ही अन्य विपक्षी दल भी कांग्रेस के साथ खड़े नजर आ रहे हैं प्रशांत किशोर जो चुनाव से पहले ज्ञानेश कुमार और वोट चोरी के मुद्दे पर बोलने से बच रहे थे वह भी अब खुलकर सामने आ गए हैं। उधर कांग्रेस के सूत्रों ने बताया कि INDIA ब्लॉक की पार्टियों के साथ ज्ञानेश कुमार के खिलाफ संसद में महाभियोग प्रस्ताव लाने पर औपचारिक बातचीत शुरू कर दी गई है. पिछली बार यह चर्चा संसद के भीतर व्यापक रूप से उठी थी, लेकिन अब पार्टी इसे दोबारा ठोस रूप देने के प्रयास में है।
मतलब अब जैसे भी करके ज्ञानेश कुमार को मुख्य चुनाव आयुक्त की कुर्सी से हटाना विपक्ष का एकमात्र लक्ष्य बन गया है। अब बात करें कि कांग्रेस को ज्ञानेश कुमार से क्या आपत्ति है तो, इसमें चुनावी प्रक्रियाओं की पारदर्शिता पर सवाल, ईवीएम और मतदाता सूचियों को लेकर असंतोष,आयोग की कथित “चयनात्मक कार्यवाही”, बिहार चुनावों में मतगणना को लेकर विवाद जैसे मुद्दे शामिल हैं। यही वो कारण हैं जिनको लेकर विपक्ष महाभियोग लाने की तैयारी में जुटा है। विपक्ष को लगता है कि आयोग जवाबदेही से बच रहा है।
ऐसे में सवाल उठता है कि क्या महाभियोग लाने से क्या ज्ञानेश कुमार ता जाना तैय हो जाएगा या ये फिर बेकार की कवायद है? तो आपको बता दें कि महाभियोग प्रस्ताव एक संवैधानिक प्रक्रिया है और इसमें संसद के दोनों सदनों का महत्वपूर्ण समर्थन आवश्यक होता है. कांग्रेस अभी अन्य INDIA ब्लॉक पार्टियों की राय ले रही है. अगर व्यापक सहमति बनती है तो इसे शीतकालीन सत्र में औपचारिक रूप से उठाया जा सकता है. अब हो सकता है कि विपक्ष सदन में इतने वोट हासिल ना कर पाए कि ज्ञानेश कुमार को अभी को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ जाए क्योंकि भाजपा के पास नंबर है और ज्ञानेश कुमार को फुल सपोर्ट है। लेकिन इसको लेकर जब संसद में विमर्श होगा तो देश की जनता के सामने ये साफ हो जाएगा कि ज्ञानेश कुमार किस तरह से सरकार के लिए वोट चोरी कर रहे हैं।
अब देखिए एक तरफ जहां ज्ञानेश कुमार के खिलाफ विपक्ष महाभियोग लाने की तैयारी कर रहा है, तो वहीं SIR से हो रही आत्महत्याएं थमने का नाम ले रही हैं। ताजा मामला पश्चिम बंगाल का है जहां एक 48 वर्षीय बूथ लेवल महिला ऑफिसर ने SIR कराने के वर्कलोड के चलते आत्महत्या कर ली है। उनके परिवार का आरोप है कि मृतिका बहुत दबाव में थीं और मानसिक रूप से परेशान थीं, जिसके चलते उन्होंने ये कदम उठाया है। वहीं इस आत्महत्या को लेकर सियासत भी गरमा गई है। ममता बनर्जी ने इसको लेकर बीजेपी पर निशाना साधा है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इसको लेकर X पर पोस्ट किया है कि, “गहरा सदमा और दुख हुआ।
आज फिर, हमने जलपाईगुड़ी के माल में एक बूथ लेवल ऑफिसर को खो दिया। एक आंगनवाड़ी कार्यकर्ता जिसने चल रहे SIR कार्य के असहनीय दबाव में अपनी जान ले ली। SIR शुरू होने के बाद से अब तक 28 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। कुछ डर और अनिश्चितता के कारण, तो कुछ तनाव और काम के बोझ के कारण। तथाकथित भारतीय चुनाव आयोग द्वारा लगाए गए अनियोजित और अथक कार्यभार के कारण ऐसी अनमोल जानें जा रही हैं। एक प्रक्रिया जो पहले 3 साल में पूरी होती थी, अब राजनीतिक आकाओं को खुश करने के लिए चुनाव से ठीक पहले 2 महीने में पूरी की जा रही है, जिससे BLO पर अमानवीय दबाव पड़ रहा है।
मैं चुनाव आयोग से आग्रह करती हूं कि वह विवेक से काम ले और और जानें जाने से पहले इस अनियोजित अभियान को तुरंत रोके।” आपको बता दें कि ये पहला ममाला नहीं है जब किसी बीएलओ ने चुनाव आयोग की ओर से पड़ रहे दबाव के चलते आत्महत्या की हो। इससे पहले केरल, राजस्थान, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु से भी इसी तरह की खबरें आ चुकी है। खास बात ये है कि पश्चिम बंगाल में जहां अगले साल चुनाव है, वहीं पर ज्ञानेश कुमार बीएलओ पर सबसे ज्यादा दबाव बना रहे हैं।
आख़िर में पूरा मुद्दा एक ही बात पर आकर टिक जाता है कि क्या लोकतंत्र को बचाने की जिम्मेदारी निभाने वाला संस्थान आज खुद सवालों के घेरे में खड़ा है? बिहार चुनावों के बाद जिस तरह से ज्ञानेश कुमार पर आरोपों की बाढ़ आई है, विपक्ष का हमला तेज़ हुआ है,
SIR के खिलाफ देशभर में विरोध भड़क रहा है, और BLO की आत्महत्याओं की खबरें लगातार सामने आ रही हैं, इससे साफ है कि मामला अब सिर्फ प्रशासनिक नहीं, बल्कि गहरे राजनीतिक और मानवीय संकट में बदल चुका है। कांग्रेस और INDIA गठबंधन का महाभियोग प्रस्ताव भले ही संसद में नंबर की कमी से पास न हो पाए, लेकिन यह कदम ज्ञानेश कुमार और चुनाव आयोग पर नैतिक दबाव ज़रूर बढ़ाएगा।



