बिना चुनाव लड़े ही मंत्री बनाना पड़ा भारी, परिवारवाद के चक्कर में होगी फजीहत!
बिहार की सियासी हलचल ने इन दिनों पूरे देश में चर्चा का विषय बन चुकी है। नीतीश कुमार 10वीं बार सीएम पद की शपथ ले चुके हैं, उनके शपथ ग्रहण समारोह में पीएम मोदी से लेकर देश के तमाम बड़े नेता शामिल हुए।

4पीएम न्यूज नेटवर्क: बिहार की सियासी हलचल ने इन दिनों पूरे देश में चर्चा का विषय बन चुकी है। नीतीश कुमार 10वीं बार सीएम पद की शपथ ले चुके हैं, उनके शपथ ग्रहण समारोह में पीएम मोदी से लेकर देश के तमाम बड़े नेता शामिल हुए।
वहीं समारोह खत्म होने के बाद मोदी के बिहार से जाते वक़्त एयरपोर्ट पर नीतीश कुमार को उनका पैर छूते भी देखा गया। जिसे लेकर विपक्ष तंज कस रहा है। लेकिन इन सबके बीच शपथ ग्रहण के वक़्त ऐसा कुछ हुआ जो चर्चा में बना हुआ है। दरअसल परिवारवाद का राग अलापने वाले भाजपाइयों ने कुछ ऐसा कर दिया जिसकी किसी ने कल्पना भी नहीं की थी। वहीं इस घटनाक्रम के बाद न सिर्फ विपक्ष बल्कि अन्य लोग भी भाजपा पर हलवार हैं और सवाल उठा रहे हैं। दरअसल इस बार बिहार में बिना चुनाव लड़े दीपक प्रकाश मंत्री पद की शपथ लेकर बिहार के कैबिनेट मिनिस्टर बन गए. खास बात ये है कि दीपक प्रकाश आरएलएम प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा के बेट हैं. मंत्रिमंडल में वह भी शामिल होंगे, किसी को इसका एहसास नहीं था.
इस घटनाक्रम को एनडीए में सीटों के बंटवारे के समय उपेंद्र कुशवाहा की नाराजगी से जोड़कर देखा जा रहा है। कहा जाता है कि जब उनकी नाराजगी बढ़ी थी, तो केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात के बाद उन्हें एक एमएलसी सीट देने का वादा किया गया था। उपेंद्र कुशवाहा ने इसी वादे का इस्तेमाल करते हुए बड़ी राजनीतिक डील की। उन्होंने अपनी पत्नी की जगह अपने बेटे, दीपक प्रकाश को मंत्री बनवा लिया।
दीपक प्रकाश ने कोई चुनाव नहीं लड़ा है। क्योंकि दीपक प्रकाश को मंत्री बने रहने के लिए छह महीने के भीतर विधानमंडल का सदस्य बनना अनिवार्य है, इससे एमएलसी सीट की उनकी दावेदारी पक्की हो गई। इस तरह, उपेंद्र कुशवाहा ने एक तीर से दो निशाना साधने में सफलता हासिल की। उन्होंने अपने बेटे को मंत्री पद दिलवाया और साथ ही एनडीए से एमएलसी सीट का वादा भी सुनिश्चित कर लिया। लेकिन इन सबके बीच इस मामले पर NDA के इस फैसले पर खूब आलोचना भी झेलनी पड़ रही है।
इस मामले को लेकर लोक गायिका नेहा सिंह राठौर ने जमकर घेरा। सोशल मीडिया पर एक वीडियो पोस्ट करते हुए उन्होंने लिखा कि- उपेंद्र कुशवाहा के लड़के को बिना चुनाव लड़े ही मंत्री पद की शपथ दिलवा दी गई…और भी नाम हैं…पूरी बंदरबाँट चल रही है. बिहार में पकड़ौवा बियाह के बाद अब पकड़ौवा मंत्री भी बनाया जा रहा है. अब बिहार का भविष्य केंद्र सरकार की दया पर टिका है.
इसके साथ ही एनडीए सरकार लगातार राजद पर परिवारवाद को बढ़ावा देने का आरोप लगाती रही है. लेकिन उपेंद्र कुशवाहा के बेटे दीपक प्रकाश को बिना विधायक बने मंत्री बनाए जाने के बाद अब आरजेडी ने एनडीए पर ही परिवारवाद का आरोप लगाते हुए निशाना साधा है. आरजेडी ने एक्स पर 10 ऐसे नेताओं की सूची जारी की है, जिनके परिवार के सदस्यों को नई सरकार में मंत्री पद मिला है. पार्टी ने व्यंग्य के लहजे में लिखा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के आशीर्वाद से बिहार की राजनीति से परिवारवाद खत्म करके नया बिहार बनाया जाएगा. लिस्ट में जीतन राम मांझी, शकुनी चौधरी, उपेंद्र कुशवाहा, दिग्विजय सिंह, कैप्टन जय नारायण निषाद सहित कई दिग्गज नेताओं के नाम शामिल हैं.
वहीं आपको जानकारी के लिए बता दें कि 20 नवंबर को बिहार में नई सरकार का गठन हुआ, जिसमें नीतीश कुमार ने 10वीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली. उनके साथ 26 मंत्रियों ने भी शपथ ग्रहण किया. सबसे अधिक चर्चा जिस नाम को लेकर है, वह है दीपक प्रकाश, जो न तो विधायक हैं और न ही विधान परिषद के सदस्य. इसके बावजूद उन्हें मंत्री बनाया गया है. संविधान के मुताबिक उन्हें 6 महीने के भीतर किसी सदन का सदस्य बनना होगा. विपक्ष का आरोप है कि यह निर्णय परिवारवाद और राजनीतिक दबाव का परिणाम है.
नीतीश कैबिनेट में शामिल कई मंत्री ऐसे हैं, जिनका संबंध पूर्व मुख्यमंत्री, पूर्व केंद्रीय मंत्री या वरिष्ठ नेताओं के परिवारों से है. इनमें पूर्व मुख्यमंत्री व गया से सांसद व केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी के बेटे, पूर्व विधायक ज्योति मांझी के दामाद और विधायक दीपा मांझी के पति संतोष सुमन मांझी और पूर्व मंत्री शकुनी चौधरी और पूर्व विधायक पार्वती देवी के पुत्र सम्राट चौधरी भी शामिल हैं.
ऐसे में अब सवाल ये उठ रहा है कि पीएम मोदी और भाजपा के अन्य नेताओं की जुबान में अब परिवारवाद पर ताला कैसे लग गया है? क्योंकि एक समय था जब पीएम मोदी से लेकर अन्य विपक्ष के नेता लगातार परिवारवाद का राग अलापते रहे हैं। और अब बिहार NDA में फैले इस परिवारवाद पर चुप्पी साधे हुए हैं। हालांकि इस परिवारवाद के बीच सबसे ज्यादा जो चर्चा है वो है उपेंद्र कुशवाहा के बेटे दीपक प्रकाश को लेकर। क्योंकि जिस शख्स ने कहीं से चुनाव ही नहीं लड़ा उसे भी शपथ दिलवा दी गई है। और तो और गोदी मीडिया भी इस मामले को बड़े ही सॉफ्ट साइड से दिखा रही है।
दरअसल इसका एक दूसरा एंगल भी है, परिवारवाद के लिए लालू प्रसाद को बराबर अपनी आलोचना का शिकार बनाने वाले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपने मंत्रिमंडल में राष्ट्रीय लोक मोर्चा के उपेंद्र कुशवाहा के बेटे दीपक प्रकाश को बतौर मंत्री शपथ दिलवाई तो उम्मीद की जा रही थी कि इस परिवारवाद के लिए आलोचना का स्तर वही होगा जो लालू प्रसाद के लिए होता है। उपेंद्र कुशवाहा अपनी पार्टी राष्ट्रीय लोक मोर्चा के संस्थापक और अध्यक्ष हैं और उनकी पत्नी सासाराम से उनकी पार्टी के टिकट पर विधायक बनी हैं।
उपेंद्र कुशवाहा के लड़के को बिना चुनाव लड़े ही मंत्री पद की शपथ दिलवा दी गई…और भी नाम हैं…पूरी बंदरबाँट चल रही है.
बिहार में पकड़ौवा बियाह के बाद अब पकड़ौवा मंत्री भी बनाया जा रहा है.
अब बिहार का भविष्य केंद्र सरकार की दया पर टिका है.#BiharElections2025 #UpendraKushwaha pic.twitter.com/NYHWm3y648
— Neha Singh Rathore (@nehafolksinger) November 20, 2025
और अब बिना किसी सदन का सदस्य होते हुए उनके बेटे 35 साल के दीपक प्रकाश ने मंत्री पद की शपथ ली है। लेकिन उपेंद्र कुशवाहा के इस कदम को परिवारवाद के दायरे में लाने के बदले इसे उनकी रणनीति बताया गया। इस काम में स्वर्ण बहुल गोदी मीडिया और इनफ्लुएंसर्स ने भरपूर तरीके से हिस्सा लिया। कुछ पत्रकारों ने तो उपेंद्र कुशवाहा को खुद यह दलील पेश कर दी कि परिवार के किसी सदस्य को मंत्री बनवाने से किसी के पाला बदलने का डर नहीं रहता।
दीपक प्रकाश का मंत्री बनना सबके लिए नई खबर थी। मगर गोदी मीडिया में इसे परिवारवाद की समस्या बताने की जगह यह बताया जाने लगा कि दीपक प्रकाश कितने पढ़े लिखे हैं। उन्होंने कहां-कहां से डिग्री ली है। इसकी चर्चा हुई कि उन्होंने मंत्री पद की शपथ लेने के लिए किस तरह कैजुअल लिबास पहन रखा था। उनकी चप्पल कैसी थी। उन्होंने नौकरी कहां की और अब वह सेल्फ एंप्लॉयड हैं। इसके बाद यह समझाने की कोशिश की गई कि उपेंद्र कुशवाहा सीटों के मामले में नाराज चल रहे थे और भाजपा के वरिष्ठ नेता अमित शाह ने उन्हें एमएलसी की सीट के वादे पर मनाया था।
यह माना जा रहा था कि उपेंद्र कुशवाहा अपनी पत्नी को मंत्री पद की शपथ दिलवाएंगे लेकिन उन्होंने अपने बेटे को मंत्री बनाकर यह कथित रणनीति दिखाई जिससे अब उनके बेटे को भारतीय जनता पार्टी को जल्दी एमएलसी बनवाना पड़ेगा। गौरतलब है कि जिस तरह से आज NDA में परिवारवाद को बढ़ावा दिया जा रहा है ऐसा शायद ही किसी दल में दिया जाता होगा। लेकिन ये सब देखते हुए एक बात तो तय है कि भाजपा सत्ता में बने रहने के लिए किसी भी हद्द तक जा सकती है।



