वोट चोरी पर कांग्रेस करेगी बड़ा चोट
अगले महीने आयोग के खिलाफ हल्लाबोल

- दिल्ली में विशाल रैली की तैयारी
- मतदाता सूची की अखंडता की रक्षा के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध : खरगे
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। कांग्रेस दिसंबर के दूसरे हफ़्ते में दिल्ली के रामलीला मैदान में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के खिलाफ एक रैली आयोजित करेगी। यह रैली वोट-चोरी के आरोपों के खिलाफ़ देशव्यापी हस्ताक्षर अभियान के पूरा होने के बाद हो रही है, जिसके तहत पार्टी ने देश भर से पांच करोड़ हस्ताक्षर एकत्र किए थे। आज यहां उन बारह राज्यों के प्रदेश कांग्रेस अध्यक्षों, कांग्रेस विधायक दल के नेताओं, महासचिवों, प्रभारियों, सचिवों और वरिष्ठ नेताओं की एक बैठक हुई, जहां एसआईआर प्रक्रिया चल रही है। इसकी अध्यक्षता कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने की।
लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी और महासचिव (संगठन) केसी वेणुगोपाल भी उपस्थित थे। अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि कांग्रेस पार्टी मतदाता सूची की अखंडता की रक्षा के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग का एसआईआर प्रक्रिया के दौरान आचरण बेहद निराशाजनक रहा है। खरगे ने कहा, उसे तुरंत यह दिखाना होगा कि वह भाजपा के साये में काम नहीं कर रहा है और उसे भारत की जनता के प्रति अपनी संवैधानिक शपथ और निष्ठा याद है, न कि किसी सत्तारूढ़ दल के प्रति।
65 लाख वोट चुराए गए उसकी जांच कब होगी : हनुमंत राव
कांग्रेस नेता वी. हनुमंत राव ने कहा कि 65 लाख वोट चुराए गए, लेकिन चुनाव आयोग ने इसकी जाँच शुरू नहीं की है। इसी वजह से देश भर की राजनीतिक पार्टियाँ रामलीला मैदान में जनसभा करने के लिए इक_ा हो रही हैं। राहुल गाँधी वहाँ देशवासियों को यह बताने जाएँगे कि हमारे देश में कितनी बेईमानी हो रही है और बाबासाहेब अंबेडकर का कितना अपमान हो रहा है, क्योंकि उनके दिए अधिकारों का पालन नहीं किया जा रहा है… लोगों को संविधान के उल्लंघन के खिलाफ एकजुट होना चाहिए… वोट चोर, गद्दी चोर पर होने वाली सभा को सफल बनाना चाहिए… इस एनडीए सरकार को अपनी आँखें खोलनी चाहिए।
परिवार को हार से बचाने के लिए चुनाव आयोग को निशाना बना रहे : पूनावाला
राष्ट्रीय प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने पलटवार करते हुए कहा कि एसआईआर एक बहाना है। परिवार को हार से बचाने के लिए चुनाव आयोग को निशाना बनाया जा रहा है। यह वही कांग्रेस है जिसने महाराष्ट्र में एसआईआर का समर्थन किया था और इसे तुरंत लागू करने की माँग की थी, फिर भी बंगाल और बिहार में यह अलग रुख अपनाती है। फिलहाल, वे एसआईआर का विरोध कर रहे हैं, लेकिन बिहार में एसआईआर को लेकर सुप्रीम कोर्ट में कोई अपील या शिकायत दर्ज नहीं की गई है… यहाँ तक कि कांग्रेस के नेता भी वोट चोरी की इस कहानी पर विश्वास नहीं करते। तारिक अनवर और अन्य लोग इसका खंडन करते हुए दावा करते हैं कि टिकट चुराए गए थे, वोट नहीं। राहुल गांधी और कांग्रेस पार्टी को पहले अपने नेताओं और सहयोगियों को समझाना चाहिए। इस रैली में भी, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का कोई भी सहयोगी शामिल नहीं हो रहा है। कांग्रेस कह रही है, वोट चोर, गद्दी चोर, लेकिन कांग्रेस के सहयोगी कह रहे हैं, कांग्रेस चोर, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का।

मंत्री बनने पर दीपक प्रकाश पर चौतरफा वार
- पिता उपेन्द्र कुशवाहा बोले – फेल विद्यार्थी नहीं है
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
पटना। नीतीश कुमार के साथ-साथ भाजपा और जदयू के कई नेताओं ने नई सरकार में शपथ ली, उसमें कुछ चेहरे बिलकुल नए हैं। यानी पहली बार चुनाव लडक़र जीत हासिल की और वेलोग अब विधानसभा में नजर आएंगे। लेकिन कल से आज तक एक नए चेहरे पर चर्चा हो रही है, जिनके बारे में यह कहा जा रहा है कि वह बिना चुनाव लड़े ही मंत्री बन गए। जी वह हैं दीपक प्रकाश। बिना चुनाव लड़ेे मंत्री बनने वाले दीपक प्रकाश सोशल मीडिया खूब ट्रोल हो रहे हैं। लोग एनडीए पर कटाक्ष करते हुए परिवारवाद पर भी सवाल उठा रहे हैं, ऐसे में उपेन्द्र कुशवाहा सामने आकर जवाब दिया है। उन्होंने कहा कि दीपक प्रकाश फेल विद्यार्थी नहीं है।
उपेन्द्र कुशवाहा ने कहा कि, मेरा पक्ष है कि अगर आपने हमारे निर्णय को परिवारवाद की श्रेणी में रखा है, तो जरा समझिए मेरी विवशता को। पार्टी के अस्तित्व व भविष्य को बचाने व बनाए रखने के लिए मेरा यह कदम जरुरी ही नहीं अपरिहार्य था। मैं तमाम कारणों का सार्वजनिक विश्लेषण नहीं कर सकता, लेकिन आप सभी जानते हैं कि पूर्व में पार्टी के विलय जैसा भी अलोकप्रिय और एक तरह से लगभग आत्मघाती निर्णय लेना पड़ा था। जिसकी तीखी आलोचना बिहार भर में हुई। उस वक्त भी बड़े संघर्ष के बाद आप सभी के आशीर्वाद से पार्टी ने सांसद, विधायक सब बनाए। लोग जीते और निकल लिए। झोली खाली की खाली रही। शुन्य पर पहूंच गए। पुन: ऐसी स्थिति न आए, सोचना ज़रूरी था।
टीएमसी विधायक के बयान पर मचा घमासान
- हुमायूं कबीर ने 6 दिसंबर को मुर्शिदाबाद में बाबरी मस्जिद की नींव रखने की कही थी बात
- कांग्रेस समावेशिता और समानता की बात करती है: अजय कुमार
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
कोलकाता। पश्चिम बंगाल की सत्ताधारी पार्टी टीएमसी के एक विधायक ने दावा किया है कि 6 दिसंबर को मुर्शिदाबाद के बेलडांगा में बाबरी मस्जिद की नींव रखी जाएगी, जिसमें कई मुस्लिम नेता शामिल होंगे। उन्होंने कहा कि इस मस्जिद के निर्माण में तीन साल का समय लगेगा। टीएमसी विधायक के इस बयान पर राजनीतिक घमासान शुरू हो गया है। टीएमसी विधायक के बयान पर भाजपा ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है और इसे टीएमसी की तुष्टिकरण और धर्म की राजनीति करार दिया।
बंगाल की भरतपुर विधानसभा सीट से विधायक हुमायूं कबीर ने बीते साल बाबरी मस्जिद के निर्माण का एलान किया था। कबीर ने कहा कि बाबरी मस्जिद की नींव रखे जाने वाले कार्यक्रम में करीब दो लाख लोग शामिल होंगे, जिनमें 400 प्रमुख हस्तियां मंच पर उपस्थित रहेंगी। कांग्रेस नेता अजय कुमार लल्लू ने टीएमसी विधायक हुमायूं कबीर के बयान पर कहा कि हम इसे लेकर पूरी तरह से स्पष्ट हैं। हम रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य, सुरक्षा, महिलाएं, किसानों और मजदूरों के साथ समावेशिता और समानता की बात करते हैं। कांग्रेस पार्टी हमेशा से संविधान की बात करती है और चुनाव भी इन्हीं मुद्दों पर लड़ा जाए। कांग्रेस नेता उदित राज ने टीएमसी विधायक के बयान पर कहा कि अगर मंदिर की नींव रखी जा सकती है तो मस्जिद की नींव रखने में क्या दिक्कत है?
बाबर के नाम पर कुछ भी बनना अस्वीकार्य : ज्योतिर्मय सिंह
भाजपा सांसद ज्योतिर्मय सिंह महतो ने कहा कि अगर कहीं बाबरी मस्जिद बनती है, तो हम वहां मंदिर बनाकर रामलला को वापस लाएंगे। उन्होंने पूछा कि यहां बाबरी मस्जिद क्यों होनी चाहिए? बाबर एक लुटेरा था और उसके नाम पर कुछ भी बनाना अस्वीकार्य है। भाजपा ने टीएमसी पर तुष्टिकरण और धर्म की राजनीति करने का आरोप लगाया। भाजपा नेता अग्निमित्रा पॉल ने कहा कि कोई भी मंदिर-मस्जिद का निर्माण करा सकता है, लेकिन टीएमसी धर्म के नाम पर राजनीति कर रही है। 6 दिसंबर की तारीख चुनने के पीछे की मंशा साफ है, लेकिन सवाल ये है कि टीएमसी ने अब तक अल्पसंख्यकों के लिए क्या किया? भाजपा नेता राहुल सिन्हा ने कहा कि कोई भी मस्जिद बना सकता है, लेकिन इसकी सही जगह होनी चाहिए। कोई अपने धर्म का पालन करता है तो हमें उससे कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन जो मस्जिद का राजनीतिकरण कर रहे हैं, वे मुस्लिम धर्म का अपमान कर रहे हैं। अगर सभी भारतीय मुस्लिम मिलकर एक मस्जिद बनाते हैं तो उसमें किसी को कोई परेशानी नहीं है।
बाबर के समर्थक सिर्फ बाबरी की बात करेंगे
भाजपा नेता यासर जिलानी ने टीएमसी विधायक के एलान पर कहा, बाबर के चाहने वाले हमेशा बाबरी की बात करेंगे। उन्हें नहीं पता कि बाबर और बाबरी दोनों इतिहास हैं, ऐसा इतिहास दोहराया नहीं जा सकता। टीएमसी के अंदर भगदड़ मची हुई है। उन्हें पता है कि इस बार पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी की सरकार गिर रही है। उनके नेता, विधायक और उनके शीर्ष प्रवक्ता तुष्टिकरण राजनीति के चैंपियन हैं। वे तुष्टिकरण की राजनीति करने की कोशिश कर रहे हैं। क्या भारत में ऐसा हो सकता है कि कोई नई बाबरी लाए? यह तुष्टिकरण की राजनीति के अलावा कुछ नहीं है, जिससे उन्हें किसी भी तरह का फायदा नहीं होगा।
जनता केमुद्दों में हारने लगे तो ले आए एसआईआर: अखिलेश
- सपा प्रमुख का भाजपा सरकार पर प्रहार
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
लखनऊ। राजधानी लखनऊ में शनिवार को सपा मुख्यालय पर सपा मुखिया अखिलेश यादव ने कहा कि चुनाव आयोग और बीजेपी पाश्चिम बंगाल पर फोकस कर रही है। 2024 में जिन विधानसभाओं में सपा जीती है, वहां वोट काटने की साजिश हो रही है। कन्नौज के एसडीएम का ऑडियो भी वायरल है। अखिलेश ने एसआईआर के लिए समय बढ़ाने की मांग की।
कहा कि शादी और खेती के मौसम में एसआईआरकराना गलत है। हर विधानसभा में 50 हजार वोट काटने की साजिश है। बीएलओ घर-घर नहीं जा रहे हैं। बिना तैयारी के एसआईआर किया जा रहा है। बीएलओ को ट्रेनिंग भी नहीं दी गई। बीजेपी वाले जब जनता में और मुद्दों में हारने लगे तो जीतने के लिएएसआईआर ले आए। बिहार में राजद और अन्य विपक्षी दलों के लोगों के 60 लाख नाम काटे गए।
वसूली में गिरावट, लेखा विभाग में बगावत की आहट
- नगर निगम में तबादलों के बाद राजस्व वसूली पर पड़ा असर, नगर आयुक्त सख्त
मो. शारिक/4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
लखनऊ। नगर निगम लखनऊ में राजस्व निरीक्षकों और जोनल अधिकारियों के हालिया तबादलों के बाद वसूली में भारी गिरावट दर्ज की गई है। अचानक बंद लिफाफों में तबादला आदेश मिलने और तुरंत नई जगह ज्वाइन करने के निर्देशों के चलते राजस्व प्रणाली में अव्यवस्था पैदा हुई है। नगर आयुक्त के निर्देश के अनुसार सभी राजस्व निरीक्षकों को स्मार्ट सिटी कार्यालय से सीधे अपने-अपने नए जोन में पहुंचकर कार्यभार ग्रहण करना था। अधिकांश अधिकारियों के लिए नए क्षेत्र, नए वार्ड और पूरी व्यवस्था अपरिचित थी, जिसका सीधा असर राजस्व वसूली पर पड़ा।
परिणामस्वरूप नगर आयुक्त द्वारा निर्धारित लक्ष्य काफी पीछे रह गया, जिसको लेकर उनकी नाराजग़ी साफ झलक रही है। सूत्रों के मुताबिक हाल ही में हुई ज़ूम मीटिंग में नगर आयुक्त ने चेतावनी देते हुए कहा कि जिन अधिकारियों की वसूली का लक्ष्य पूरा नहीं हुआ है, उनकी सर्विस बुक तक मंगाई जा सकती है, जिससे विभाग में हडक़ंप मच गया है। बंद लिफाफे में आदेश, सिफ़ारिशों का रास्ता बंद और अब सर्विस बुक मंगाए जाने की चेतावनी इन सबके बीच सभी अधिकारी दबाव में काम करते नजऱ आ रहे हैं। अंदरूनी चर्चाओं के अनुसार नए जोनों के वार्डों की भौगोलिक और प्रशासनिक जानकारी जुटाने में कम से कम एक महीना लग सकता है, इसलिए तुरंत लक्ष्य प्राप्ति कठिन मानी जा रही है। अब सबकी निगाहें नगर आयुक्त गौरव कुमार के अगले फैसले पर टिकी हैं।
नगर निगम लेखा विभाग में भी उबल रहा असंतोष
लेखा विभाग में वर्षों से जमे कुछ बाबुओं की पकड़ अब सवालों के घेरे में है। लंबे समय से एक ही सीट पर टिके रहने और अपनी मजबूत पकड़ के कारण विभाग में पारदर्शिता और कार्यसंस्कृति पर प्रश्न उठ रहे हैं। ईमानदार और सख़्त छवि वाले नगर आयुक्त गौरव कुमार ने परिवर्तन और नियमों की सख्त पालना पर स्पष्ट संदेश दिया है, लेकिन अब देखने वाली बात यह है कि क्या लेखा विभाग में मौजूद ऐसे प्रभावशाली कर्मचारी भी प्रशासनिक कार्रवाई के दायरे में आएंगे या स्थिति जस की तस बनी रहेगी। भ्रष्टाचार पर कार्रवाई की उम्मीद में कर्मचारियों की निगाहें नगर आयुक्त की ओर टिकी हैं।
बरसों से जमे बाबू, एजेंसियों और ठेकेदारों के खास कर रहे हाथ साफ
नगर निगम के लेखा विभाग की कार्यप्रणाली एक बड़ा सवाल खड़ा करती है। मुख्यमंत्री की जीरो टॉलरेंस नीति जहाँ पूरे प्रदेश में तेजी से लागू की जा रही है, वहीं नगर निगम का यह विभाग उससे बिल्कुल अछूता दिखाई देता है। वर्षों से एक ही कुर्सी पर जमे बाबू मनमाने ढंग से फाइलों का निपटारा करते हैं। सूत्र बताते हैं कि बड़ी-बड़ी एजेंसियों की फाइलों को पास कराने में इनकी पकड़ इतनी मजबूत हो चुकी है कि ठेकेदार भी इन्हीं के भरोसे चलते हैं। जिसकी फाइल इन बाबुओं के पास जाती है, उसका निपटारा नियमों से नहीं, बल्कि व्यक्तिगत संबंधों और पसंद-नापसंद के आधार पर होता है। स्थिति यह है कि इनकी पकड़ इतनी मजबूत हो चुकी है कि कई साल पुराने बरगद की जड़ें भी इनके सामने फीकी लगती हैं। नियम-कानून, पारदर्शिता और सरकार के सख्त निर्देश सब कुछ इनके आगे बौना साबित हो रहा है। आखिर कब नगर निगम का लेखा विभाग भी जवाबदेही और पारदर्शिता की राह पर चलेगा? कब जीरो टॉलरेंस की नीति वास्तव में जमीन पर उतरेगी?



