चुनाव नतीजों पर प्रशांत किशोर का बड़ा बयान,NDA सरकार पर लगाए गंभीर आरोप!
बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजों के सामने आने के बाद एक तरफ जहां NDA को बड़ी बढ़त मिली तो वहीं दूसरी तरफ अन्य कई दलों को हार का सामना करना पड़ा।

4पीएम न्यूज नेटवर्क: बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजों के सामने आने के बाद एक तरफ जहां NDA को बड़ी बढ़त मिली तो वहीं दूसरी तरफ अन्य कई दलों को हार का सामना करना पड़ा। जिसके बाद से सियासी गलियारों में जमकर बयानबाजी का दौर शुरू हो गया,
इस बार चुनाव जीतकर नीतीश कुमार ने सीएम पद की शपथ ले ली हो लेकिन भाजपा ने नीतीश कुमार का कद कम कर दिया है। ये हम यूँ ही नहीं कह रहे हैं इसके पीछे की वजह है क्योंकि नीतीश कुमार से इस बार गृह विभाग छिन चुका है। हालांकि ये कोई नई बात नहीं है क्योंकि इसी से मिलती जुलती भविष्वाणी जन सुराज के सूत्रधार प्रशांत किशोर पहले ही कर चुके थे। दरअसल उन्होंने तो यह दावा किया था कि भाजपा नीतीश कुमार को सीएम नहीं बनाएगी। हालांकि सीएम तो नीतीश ही बने लेकिन उनका कद बिहार की सियासत में कम होता दिखाई दे रहा है।
खैर वहीं बात की जाए अगर प्रशांत किशोर की तो ऐसा माना जा रहा था कि वो इस चुनाव में करारी हार झेलने के बाद बिहार की राजनीति से संन्यास ले लेंगे लेकिन प्रशांत किशोर ने इन सभी अटकलों पर विराम लगा दिया है। चुनाव में मिली हार की जिम्मेदारी प्रशांत किशोर ने अपने ऊपर ली थी. हार के बाद प्रशांत किशोर भितिहरवा आश्रम पहुंचे जहां से उनकी राजनीति की यात्रा शुरू हुई थी.
गुरुवार को यहीं उन्होंने 24 घंटे का मौन उपवास रखकर आत्ममंथन किया. उसके अगले दिन उन्होंने मौन व्रत तोड़ा तो जन सुराज पार्टी के हित में बड़ा ऐलान कर दिया. उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस की और कहा, “गांधी जी की प्रेरणा से फिर से आंदोलन शुरू करेंगे. 15 जनवरी से बिहार के सभी 1 लाख 18 हजार वार्ड में जाएंगे और ‘बिहार नवनिर्माण संकल्प अभियान’ के तहत लोगों से संवाद करेंगे. सरकार द्वारा किए गए वादों को पूरा कराएंगे.” विद्यालय की छात्राओं ने जूस और पानी पिलाकर उनका मौन और उपवास खत्म कराया.
दूसरी तरफ मौन व्रत तोड़ने के साथ ही प्रशांत किशोर ने संपत्ति को लेकर बड़ा ऐलान किया. उन्होंने कहा कि उनकी कुल कमाई का 90% हिस्सा जन सुराज को समर्पित होगा. इतना ही नहीं, पिछले 20 वर्षों में जो संपत्ति अर्जित की है, उसमें से परिवार के घर को छोड़कर बाकी सब जन सुराज को दान करेंगे. उन्होंने समर्थकों से अपील की है कि हर जनसुराजी साल में एक हजार रुपया संगठन को दें, ताकि राजनीतिक आंदोलन को मजबूत आधार मिल सके. पीके ने कहा कि हम चुनाव भले हार गए हों, लेकिन लड़ाई खत्म नहीं हुई है.
इसके साथ ही उन्होंने नीतीश कुमार कैबिनेट पर हमला बोलते हुए कहा, “यह बिहार की जनता के मुंह पर तमाचा है. घाव पर नमक छिड़कने जैसा है. कुछ लोगों को सिर्फ इसलिए मंत्री बनाया गया क्योंकि उनके पिता राजनीति में हैं. भ्रष्ट और आपराधिक पृष्ठभूमि वाले लोगों को भी शामिल किया गया.” उन्होंने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, केंद्रीय मंत्री अमित शाह और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अब बिहार की चिंता नहीं करते क्योंकि चुनाव में वोट खरीद लिए गए और अब उन्हें जनता की परवाह नहीं है. किशोर ने कहा कि उनकी राजनीति महात्मा गांधी की धैर्य और दृढ़ता की विचारधारा पर आधारित है. उन्होंने कहा, “हम सरकार बदलकर रहेंगे. भारतीय जनता पार्टी ने हमारा मनोबल तोड़ने की कोशिश की, लेकिन हम पीछे नहीं हटेंगे.”
गौरतलब है कि बिहार में NDA की सरकार भले ही बन गई हो लेकिन विपक्ष लगातार हमलावर है। न केवल RJD-कांग्रेस बल्कि अन्य दलों के नेता भी सत्ताधारी गठबंधन NDA से सवाल करते हुए नजर आ रहे हैं। वहीं ऐसे में NDA सरकार बनाए जाने से पहले ही प्रशांत किशोर ने बड़ा ऐलान कर दिया था कि उन्होंने जिन चार नेताओं पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे, अगर उन्हें कैबिनेट में शामिल किया गया तो जन सुराज विरोध करेगी और कोर्ट तक जाएगी.
दरअसल, जिन चार नेताओं पर प्रशांत किशोर ने भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे, उनमें डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी, मंत्री मंगल पांडेय, मंत्री अशोक चौधरी और सांसद संजय जायसवाल हैं. प्रशांत किशोर ने प्रेस कांफ्रेंस के जरिए कहा था कि अगली सरकार में कोई दागी और भ्रष्टाचारी मंत्री नहीं हो. जनता ने लूटने का मैंडेट नहीं दिया है. इस बीच उन्होंने यह भी ऐलान कर दिया कि जिन चार लोगों के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप हैं, वो अगर मंत्री बनते हैं तो जन सुराज अदालत का दरवाजा खटखटाएगी.
दरअसल इस पूरे मामले की अगर बात करें तो बिहार विधानसभा चुनाव से पहले, सितंबर 2025 में प्रशांत किशोर ने NDA के चारों नेताओं पर गंभीर आरोप लगाए थे. उन्होंने मंगल पांडेय पर आरोप लगाया था कि उनकी पत्नी उर्मिला पांडेय के बैंक अकाउंट में साल 2019 और 2020 में दो करोड़ से ज्यादा रुपये जमा हुए थे. यह कभी बताया नहीं गया कि वह रुपये कहां से आए और इसे अघोषित संपत्ति करार देते हुए पीके ने सवाल उठाए थे.
वहीं, सम्राट चौधरी पर आरोप लगाते हुए प्रशांत किशोर ने कहा था कि वह सदानंद सिंह मर्डर केस में आरोपी हैं और फर्जी उम्र का सर्टिफिकेट बनाकर जेल से बाहर निकले हैं. प्रशांत किशोर का दावा था कि सम्राट चौधरी ने अपने हलफनामे में उम्र और डिग्री को लेकर गलत जानकारी दी है. 1998 के सदानंद मर्डर केस में उन्होंने गलत बर्थ सर्टिफिकेट के साथ खुद को नाबालिग बताया था और 6 महीने के अंदर जेल से बाहर आ गए थे. JDU नेता अशोक चौधरी पर भी प्रशांत किशोर ने गंभीर आरोप लगाए थे.
देश के इतिहास में पहली बार बिहार में वोट खरीदे गए, यह लोकतंत्र के साथ बहुत बड़ा अन्याय है!! pic.twitter.com/AaG4fuZspn
— Jan Suraaj (@jansuraajonline) November 21, 2025
उन्होंने कहा था कि साल 2021 में अशोक चौधरी ने अपने PA के नाम पर पटना के बिक्रम में 23 कट्ठा बेनामी जमीन खरीदकर अपनी बेटी के नाम कर दी थी. उन्होंने अपने पर्सनल सेक्रेटरी योगेंद्र दत्त के नाम पर साल 2019 में 23 कट्ठा जमीन खरीदी. दो साल बाद योगेंद्र ने जमीन को अशोक चौधरी की बेटी शांभवी चौधरी के नाम 34 लाख रुपये में ट्रांसफर कर दिया. ऐसे में अब बिहार सरकार का गठन हो चुका है और जिन नेताओं को लेकर प्रशांत किशोर ने आरोप लगाए थे उन्हें मंत्रिमंडल में शामिल किया गया है। तो ऐसे में एक बात तो साफ़ है कि प्रशांत किशोर चुनाव भले ही हारे हों लेकिन बिहार में भ्रष्ट सरकार के खिलाफ उनकी लड़ाई लगातार जारी है।



