SIR पर Supreme Court ने मांगा जवाब, TMC ने खोला मोर्चा! मुश्किल में फंसे Gyanesh Kumar!

चुनाव आयोग इस समय अपने ही फैसलों के जाल में बुरी तरह फंस गया है... और इस खींचतान में... वो न सिर्फ खुद मुश्किलों से घिर गया है....बल्कि उसने BJP को भी बूरी तरह से संकट में डाल दिया है...

4पीएम न्यूज नेटवर्क: चुनाव आयोग इस समय अपने ही फैसलों के जाल में बुरी तरह फंस गया है… और इस खींचतान में… वो न सिर्फ खुद मुश्किलों से घिर गया है….बल्कि उसने BJP को भी बूरी तरह से संकट में डाल दिया है…

दरअसल, ये पूरा विवाद पश्चिम बंगाल में चल रही मतदाता सूची के SIR प्रक्रिया को लेकर उठा है… इस प्रक्रिया को लेकर पहले से ही राज्य की राजनीति में उबाल आया हुआ था और इन सबके बीच इन सबके बीच, चुनाव आयोग द्वारा जारी एक नए आदेश ने विवाद की आग में घी डालने का काम किया है……….

चुनाव आयोग ने पश्चिम बंगाल के लिए कुछ विशेष योजनाएं तैयार की हैं… जिनमें दो बड़े बदलाव शामिल हैं…..पहला, पोलिंग बूथों की संरचना को लेकर किया गया एक महत्वपूर्ण परिवर्तन… और दूसरा, चुनाव कार्यों के लिए कर्मचारियों की तैनाती के लिए आउटसोर्सिंग का रास्ता अपनाना… इन दोनों फैसलों ने एक नया राजनीतिक भूचाल ला दिया है……….TMC पहले से ही चुनाव आयोग पर हमलावर रही है…

इस विरोध की जड़ें चार महीने पहले बिहार में शुरू हुई SIR प्रक्रिया से जुड़ी हैं… तब बिहार के विपक्षी नेताओं से पहले… बंगाल में TMC की तरफ से सबसे पहली और मुखर आवाज उठी थी… TMC ने SIR को पिछले दरवाजे से लागू किया जा रहा NRC करार दिया था… उनका दावा था कि असली निशाना बिहार नहीं… बल्कि पश्चिम बंगाल है… जिस तरह की SIR प्रक्रिया अब बंगाल में लागू की जा रही है… उससे TMC का ये दावा सच होता दिखाई दे रहा है…

जहां TMC के जबरदस्त और संगठित विरोध के चलते… SIR का मुद्दा अब चुनाव आयोग के गले की फांस बन गया है… जिसके बाद आखिर TMC के आगे चुनाव आयोग को झुकना पड़ा और चुनाव आयोग ने आखिरकार TMC के प्रतिनिधियों को बातचीत के लिए न्योता दिया है… जोकि साफ दिखाता है कि आयोग अब मुश्किल में है और विपक्ष के दबाव को महसूस कर रहा है…

यानी ये कहना गलत नहीं होगा कि चुनाव आयोग इस समय चौतरफा घिरा हुआ है… एक ओर तो विपक्ष ने सड़क से लेकर सोशल मीडिया तक मोर्चा खोल रखा है… वहीं दूसरी ओर… देश की सर्वोच्च अदालत… सुप्रीम कोर्ट की निगाहें भी अब आयोग के फैसलों पर टेढ़ी हो गई हैं… विपक्ष लगातार सड़कों पर उतरकर चुनाव आयोग को घेर रहा है… और इसी बीच सुप्रीम कोर्ट ने भी आयोग को नोटिस जारी कर दिया है… जिससे चुनाव आयोग अब साफतौर पर दबाव में दिखाई दे रहा है…

इसी दबाव का परिणाम है कि… जो चुनाव आयोग पहले विपक्ष के आरोपों और शिकायतों को नजरअंदाज करता था… वही अब विपक्ष की शिकायतें सुनने और उनसे मिलने का समय देने लगा है… दरअसल… SIR के खिलाफ सबसे ज़्यादा विवाद गैर-बीजेपी शासित राज्यों में देखने को मिल रहा है… और पश्चिम बंगाल इनमें सबसे प्रमुख है… यहां सत्ताधारी दल TMC सड़क पर उतरकर इसके खिलाफ जोरदार आवाज उठा रहा है… TMC…SIR को लेकर पूरी तरह आग बबूला है…

राज्य की मुख्यमंत्री और TMC की मुखिया ममता बनर्जी ने सीधे तौर पर मोर्चा संभाल लिया है… और एक ही हफ्ते के अंदर चुनाव आयोग को लगातार दो कड़े पत्र लिखे… और तीखे सवाल पूछे… जिसका असर तुरंत दिखा… जब TMC ने ECI से मुलाकात के लिए समय मांगा… तो आयोग ने बिना किसी देरी के… तुरंत मिलने का समय दे दिया… अब 28 नवंबर को सुबह 11:00 बजे… TMC का एक प्रतिनिधिमंडल ECI के शीर्ष अधिकारियों से मुलाकात करेगा… चुनाव आयोग ने अपने पत्र में ये भी साफ किया कि वो राजनीतिक दलों से नियमित संवाद के लिए खुला है… और रचनात्मक चर्चा को प्रोत्साहित करता है…

जानकारी के मुताबिक…TMC ने SIR के मुद्दे पर… विपक्षी दलों के साथ साझा चिंता जताते हुए… चुनाव आयोग से इस पर विस्तृत बातचीत की मांग की थी… पार्टी का ये भी आरोप है कि SIR के नाम पर… मतदाता सूची में बड़े पैमाने पर काटछाट और अनियमितताओं का खतरा है…

चुनाव आयोग ने जिस तरह तुरंत इस मामले को गंभीरता से लिया… और TMC नेताओं को मिलने का समय दिया… उससे राजनीतिक गलियारों में ये चर्चा शुरू हो गई है कि… आयोग अब ये समझ चुका है कि TMC ने उसकी चोरी को पकड़ लिया है… इसका सीधा मतलब ये निकाला जा रहा है कि चुनाव आयोग दबाव में है… और इसीलिए TMC की बातों को सुन रहा है… और उनसे मिलने का समय दे रहा है… हालांकि… चुनाव आयोग ने TMC को मिलने का समय देकर… मामले को शांत करने की कोशिश की… लेकिन TMC ने इस पर पानी फेर दिया और साफ कर दिया कि ये चुनिंदा लीग वाला बनावटी दिखावा नहीं चलेगा…

TMC के वरिष्ठ नेता अभिषेक बनर्जी ने आयोग के लेटर पर तुरंत और तीखा जवाब दिया… उन्होंने अपने सोशल मीडिया हैंडल एक्स पर लिखा कि… 10 सांसदों के प्रतिनिधिमंडल के लिए समय मांगा गया है। ये प्रतिनिधि भारत की जनता द्वारा चुने गए हैं, न कि मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्त, जिन्हें भारत सरकार चुनती है। चुनाव आयोग को “पारदर्शी” और “सौहार्दपूर्ण” दिखाने वाले ये चुनिंदा लीक एक बनावटी दिखावा मात्र हैं। अगर ECI वाकई पारदर्शी है, तो वह सिर्फ़ 10 सांसदों का सामना करने से क्यों डर रही है? बैठक खुले तौर पर करें। इसका सीधा प्रसारण करें और उन पाँच सीधे, जायज़ सवालों के जवाब दें जो AITC आपके सामने रखेगी। क्या चुनाव आयोग अपनी पारदर्शिता साबित करने को तैयार है या यह सिर्फ़ बंद दरवाजों के पीछे काम करता है?

TMC ने भी अपने आधिकारिक हैंडल से चुनाव आयोग पर निशाना साधा… उन्होंने लिखा कि… @ECI को अभिषेक बनर्जी द्वारा कड़ी फटकार……अगर चुनाव आयोग सचमुच पारदर्शी है, तो फिर वह सिर्फ़ 10 सांसदों का सामना करने से क्यों डरता है? बंद दरवाज़ों के पीछे क्यों छिपा है? लोकतंत्र को एक गुप्त समाज की तरह क्यों चलाता है? एक आसान सी चुनौती है….बैठक खुले में करें। पूरे देश को दिखाने के लिए इसका सीधा प्रसारण करें। हमारे प्रतिनिधिमंडल द्वारा आपके सामने रखे जाने वाले पाँच सीधे सवालों के जवाब दें।

अगर आयोग सचमुच तटस्थ है, तो उसे किसी बात का डर नहीं होना चाहिए। अगर वह सचमुच पारदर्शी है, तो उसे अपनी छवि बचाने के लिए पिछले दरवाज़े से ब्रीफिंग की ज़रूरत नहीं होनी चाहिए। तो फिर सवाल क्या है? क्या चुनाव आयोग अपने कार्यों की सार्वजनिक जाँच कराने की हिम्मत करेगा या केंद्र में सत्तारूढ़ दल के एक बंद तंत्र की तरह काम करता रहेगा? चुप्पी ही सबसे ज़ोरदार स्वीकारोक्ति होगी।

यानीकि,चुनाव आयोग की मंशा साफ थी कि वो TMC नेताओं को बंद कमरे में बुलाकर मामले को ठंडा कर देगा… लेकिन TMC ने इस कोशिश पर पानी फेर दिया… और साफ-साफ कहा कि बैठक सार्वजनिक होनी चाहिए… और TMC के सांसदों द्वारा पूछे जाने वाले सवाल देश की जनता के सामने आने चाहिए……..हालांकि, चुनाव आयोग की मुश्किलें केवल TMC तक ही सीमित नहीं हैं… उसके खिलाफ अब बूथ स्तरीय अधिकारी भी सड़क पर उतर आए हैं…यानी पश्चिम बंगाल में चुनाव आयोग बुरी तरह से चौतरफा घिर गया है……बंगाल में मतदाता सूची के SIR में शामिल BLOs के संगठन ने कोलकाता में एक विशाल मार्च निकाला… BLO का सीधा आरोप है कि उन पर काम का ज्यादा और अनुचित दबाव बनाया जा रहा है…

समिति ने आरोप लगाया कि SIR की शुरुआत के बाद से… पूरे राज्य में बूथ स्तरीय अधिकारी भारी दबाव में काम कर रहे हैं… समिति के एक सदस्य ने तो ये चेतावनी भी दे डाली कि… अगर चुनाव आयोग समय सीमा नहीं बढ़ाता है… या BLO की तरफ से उठाई गई चिंताओं का समाधान नहीं करता है… तो विरोध प्रदर्शन इसी तरह जारी रहेगा… ये BLO का विद्रोह चुनाव प्रक्रिया की विश्वसनीयता पर गंभीर सवाल खड़े करता है…

इन सब घरेलू मुश्किलों के अलावा… जिस तरह ये मामला सुप्रीम कोर्ट में है… और कोर्ट भी आयोग से नाराज़ दिखाई दे रहा है… उससे आयोग की बेचैनी और बढ़ गई है…दरअसल… ये मामला तमिलनाडु से जुड़ा है… जहां SIR को चुनौती देने वाली एक याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को नोटिस जारी कर दिया है… अदालत ने चुनाव आयोग से 2 दिसंबर 2025 तक नोटिस का ठोस जवाब दाखिल करने को कहा है… और मामले की अगली सुनवाई भी 2 दिसंबर को ही निर्धारित की गई है…

मद्रास मूल कांग्रेस के प्रमुख और राज्यसभा सांसद वाइको ने ये याचिका दायर कर… चुनाव आयोग के SIR फैसले को चुनौती दी है… वाइको का कहना है कि तमिलनाडु में SIR की प्रक्रिया शुरू करना उचित नहीं है… और इससे मतदाता सूची से छेड़छाड़ और राजनीतिक असर पड़ने का गंभीर खतरा पैदा हो सकता है…..जिसपर सुनवाई के दौरान… मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली बेंच ने स्पष्ट किया कि… केरल और तमिलनाडु के SIR मामले अलग-अलग होते हुए भी आपस में जुड़े हुए हैं… इसलिए दोनों मामलों को समन्वय के साथ ही सुना जाएगा… मुख्य न्यायाधीश ने ये भी कहा कि… तमिलनाडु SIR मामले की सुनवाई अब 2 दिसंबर को होगी… और तब तक चुनाव आयोग को “नोटिस का ठोस जवाब प्रस्तुत करना होगा… यानी देना ही होगा…

इस तरह… इस मामले में पहले से ही कई याचिकाओं पर कोर्ट सुनवाई कर रहा है… जिसके चलते ही चुनाव आयोग पर कानूनी दबाव लगातार बढ़ रहा है… और यही कारण है कि बंगाल में अभी चुनाव का ऐलान नहीं हुआ है… लेकिन TMC के प्रतिनिधियों से बातचीत को लेकर चुनाव आयोग इतनी जल्दी तैयार हो गया है…….लेकिन मेन सवाल वही बना हुआ है कि… TMC के नेता चुनाव आयोग के साथ बैठक करेंगे… उनकी जो शिकायतें हैं उन्हें मुख्य चुनाव अधिकारी ज्ञानेश कुमार सुनेंगे भी… लेकिन क्या वो उन सवालों का जवाब देंगे?………….

अब तक विपक्ष की तरफ से जो भी सवाल किए गए हैं… ज्ञानेश कुमार ने कभी भी उनके सीधे जवाब नहीं दिए हैं… और यही कारण है कि TMC मांग कर रही है कि… ज्ञानेश कुमार के साथ जब उनके नेता बैठक करें… तो इसके बारे में देश के लोगों को भी पता होना चाहिए… यानी वो सवाल सार्वजनिक होने चाहिए… सबको पता होना चाहिए कि TMC के सांसद क्या सवाल पूछ रहे हैं… और उनके जवाब ज्ञानेश कुमार दे पा रहे हैं या नहीं दे पा रहे हैं…….

लेकिन आखिरी सवाल यही है कि…TMC की खुली चुनौती के बाद… और सुप्रीम कोर्ट के दबाव के बीच… क्या ज्ञानेश कुमार ऐसा करेंगे?… क्या चुनाव आयोग बंद कमरे की राजनीति छोड़कर… पारदर्शिता की मांग को स्वीकार करेगा?… क्या ज्ञानेश कुमार, जो अब तक चुप्पी साधे हुए थे…वो अब ऐसा करेंगे?…..ये तो देखने वाली बात होगी…..

Related Articles

Back to top button