गुजरात में भ्रष्टाचार पर बड़ा सवाल, 16,000 करोड़ की ड्रग्स जब्त, दोषी अब तक नहीं

गुजरात में भ्रष्टाचार को लेकर बड़ा राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया है... आरोप है कि राज्य का गृह विभाग भ्रष्टाचार के चरम पर है...

4पीएम न्यूज नेटवर्कः गुजरात को हमेशा विकास का मॉडल बताया जाता है… लेकिन इसके अंदरूनी हिस्सों में ड्रग्स की बाढ़, शराब की तस्करी.. और सरकारी विभागों में भ्रष्टाचार का जाल फैला हुआ है.. राज्य में शराबबंदी का कानून होने के बावजूद, लाखों लीटर शराब महाराष्ट्र.. और मध्य प्रदेश से आ रही है… बंदरगाहों से करोड़ों की ड्रग्स जब्त हो रही हैं.. लेकिन असली माफिया खुले घूम रहे हैं.. कांग्रेस नेता ललजी देसाई ने हाल ही में कहा कि पिछले चार सालों में 16,000 करोड़ रुपये की ड्रग्स पकड़ी गईं.. लेकिन कोई बड़ा दोषी नहीं फंसा.. यह आंकड़ा गुजरात पुलिस के ही रिकॉर्ड से लिया गया है.. जो बताता है कि नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो.. और राज्य एटीएस ने 2021 से अब तक 87,000 किलोग्राम से ज्यादा ड्रग्स जब्त की हैं.. लेकिन सवाल यह है कि इतनी बड़ी मात्रा में ड्रग्स आने का रास्ता कौन खोल रहा है.. और क्यों बड़े नेताओं और अधिकारियों के नाम कभी सामने नहीं आते..

वहीं इस खबर में सबसे पहले बात करते हैं गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री विजय रूपाणी की.. बता दें कि पूर्व सीएम विजय रूपाणी ने साल 2018 में एक कार्यक्रम में खुलेआम कहा था कि राज्य में सबसे ज्यादा भ्रष्टाचार रेवेन्यू विभाग में है.. उसके बाद नंबर आता है पुलिस विभाग का.. जो गृह मंत्रालय के अधीन आता है.. रूपाणी ने कहा था कि पावर टेंड्स टू करप्ट एंड एब्सोल्यूट पावर करप्ट्स एब्सोल्यूटली.. मतलब, सत्ता भ्रष्टाचार को जन्म देती है.. उन्होंने अपनी सरकार के प्रयासों का जिक्र किया कि भ्रष्टाचार खत्म करने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं.. लेकिन सच्चाई क्या है? टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक.. रूपाणी के बयान के बाद एंटी-करप्शन ब्यूरो के आंकड़ों से पता चला कि वास्तव में गृह विभाग (पुलिस) में सबसे ज्यादा शिकायतें आती हैं.. न कि रेवेन्यू में विभाग में…

वहीं रूपाणी का यह बयान आज भी प्रासंगिक है… क्योंकि 2025 में भी कांग्रेस का आरोप है कि गृह विभाग में भ्रष्टाचार चरम पर है.. एसीबी के आंकड़ों से पता चलता है कि पिछले आठ सालों में 3,517 सरकारी कर्मचारियों को रिश्वत लेते पकड़ा गया.. जिनमें से कई गृह विभाग से थे.. कुल रिश्वत की रकम 9 करोड़ रुपये से ज्यादा की थी.. रूपाणी के बाद भूपेंद्र पटेल की सरकार में भी यह समस्या बढ़ी है.. एडवोकेट्स और सामाजिक कार्यकर्ता कहते हैं.. कि पुलिस वाले ट्रक ड्राइवरों से पैसे लेकर शराब.. और ड्रग्स वाले वाहनों को छोड़ देते हैं..

गुजरात पुलिस का दावा है कि 2021 से 2025 तक नारकोटिक्स क्रैकडाउन के तहत 16,155 करोड़ रुपये की ड्रग्स जब्त की गईं.. इसमें 87,607 किलोग्राम ड्रग्स शामिल हैं.. गुजरात सरकार ने सूचना देने वालों को 11 करोड़ रुपये का इनाम भी दिया.. लेकिन कांग्रेस का कहना है कि इतनी बड़ी जब्ती के बावजूद कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई.. 2,500 से ज्यादा लोग पकड़े गए.. लेकिन असली स्मगलर माफिया.. जो पोर्ट्स और बॉर्डर पर कंट्रोल करते हैं.. वो आज भी फरार हैं..

एक रिपोर्ट के मुताबिक गुजरात में ड्रग्स की लत तेजी से बढ़ रही है.. तीन सालों में 16,000 करोड़ की जब्ती के बावजूद एडिक्शन के केस दोगुने हो गए हैं.. स्कूलों के आसपास ड्रग्स बिक रही हैं.. और युवा इसकी चपेट में आ रहे हैं.. नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी ने कई केसों में आतंकी लिंक भी पाया.. लेकिन राज्य स्तर पर कार्रवाई कमजोर है.. गुजरात के बंदरगाहों से ड्रग्स का सबसे बड़ा रास्ता मुंद्रा पोर्ट है.. 2021 में यहां से 2,988 किलोग्राम हेरोइन जब्त हुई.. जिसकी कीमत 21,000 करोड़ रुपये बताई गई.. एनआईए ने कोर्ट को बताया कि यह लश्कर-ए-तैयबा के टेरर फंडिंग से जुड़ी थी.. लेकिन अडानी ग्रुप पर कोई कार्रवाई नहीं हुई.. दो लोग पकड़े गए.. जो कथित तौर पर ‘फ्रंट’ थे..

2020-2024 के बीच 19 बड़े ड्रग्स हॉल में से 10 गुजरात के पोर्ट्स से हुए.. जिनमें मुंद्रा सबसे ऊपर है.. कुल 11,311 करोड़ की ड्रग्स पोर्ट्स से जब्त हुईं.. अप्रैल 2025 में सुप्रीम कोर्ट में एनआईए ने कहा कि मुंद्रा केस की फंडिंग LeT को गई.. फिर भी पोर्ट ऑपरेटर पर कोई जांच नहीं हुई.. जिसको लेकर लोग सवाल उठा रहे हैं कि क्यों बड़े बिजनेस घरानों को बचाया जा रहा है.. मुंद्रा पोर्ट पर हजारों करोड़ की ड्रग्स पकड़ी जाती हैं.. लेकिन मालिक का नाम तक नहीं आता है..

बता दें 2021 में अफगानिस्तान, पाकिस्तान और ईरान के कार्गो को बंद करने का ऐलान किया गया.. लेकिन उसके बाद भी जब्तियां जारी रहीं.. 2024 में अंकलेश्वर में 518 किलोग्राम कोकीन पकड़ी गई, जो मुंद्रा से जुड़ी थी… गुजरात में शराबबंदी है लेकिन तस्करी का जाल इतना मजबूत है कि महाराष्ट्र के जंगलों से ट्रक भरे-भरे आते हैं.. टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट कहती है कि.. दमन से पालघर तक 400-500 किलोमीटर का रूट इस्तेमाल होता है.. हाल ही में वसई रोड पर 1.25 लाख की शराब जब्त हुई.. जो गुजरात जा रही थी..

कांग्रेस की जांच के मुताबिक 100 ट्रकों में से सिर्फ 5 जानबूझकर पकड़े जाते हैं.. ताकि लगे कि पुलिस सख्ती कर रही है… बाकी ट्रक रिश्वत देकर निकल जाते हैं.. मध्य प्रदेश के मालवा इलाके से भी शराब आती है.. जहां डिस्टलरी ओवरप्रोडक्शन करती हैं.. हाल ही में गुजरात-महाराष्ट्र बॉर्डर पर मल्टी-स्टेट गैंग के खिलाफ गुजरात कंट्राबैंड एंड टॉर्ट्स ऑफ ऑर्गनाइज्ड क्राइम एक्ट लगाया गया.. वहीं अब नए तरीके भी अपनाए जा रहे हैं.. जामनगर के पास कारों की लाइट्स में बोतलें छिपाई जा रही हैं.. धंधुका में मिनरल वॉटर की बोतलों में शराब भरी जाती है.. 2025 में चोटिला से 1.19 करोड़ की फॉरेन लिकर जब्त हुई.. रिपोर्टर्स कलेक्टिव की जांच कहती है कि बॉर्डर लीक हैं.. और पुलिस-नेताओं का कनेक्शन है..

कांग्रेस विधायक जिग्नेश मेवानी ने हाल ही में बनासकांठा जिले के थराड़ में ‘जनता रेड’ की.. स्कूल के बगल में शराब और ड्रग्स की दुकान चल रही थी.. मेवानी ने स्थानीय लोगों के साथ मिलकर छापा मारा..और पुलिस अधिकारियों से कहा कि अगर स्कूल के पास ऐसी दुकानें चलने दोगे.. तो हम तुम्हारा पट्टा उतार देंगे.. यह घटना तीन दिन पहले की है.. मेवानी ने डिप्टी सीएम और गृह मंत्री हरश सांघवी को पत्र लिखा… जिसमें कानून-व्यवस्था की शिकायत की.. और उन्होंने कहा कि धार्मिक स्थलों के पास भी ड्रग्स बिक रही हैं.. यह रेड कांग्रेस की ‘जन आक्रोश यात्रा’ का हिस्सा थी.. जो 18 नवंबर से शुरू हुई.. राहुल गांधी भी इसमें शामिल हुए..

वहीं मेवानी की रेड पर गृह मंत्री हरश सांघवी ने कहा कि.. अगर कोई पढ़ा-लिखा जनप्रतिनिधि कानून की बात करे.. तो चिंता मत करना मैं बैठा हूं.. संघवी उप-मुख्यमंत्री भी हैं.. कांग्रेस ने इसे पुलिस को धमकी देने का सबूत बताया.. जबकि गुजरात में शराबबंदी है.. फिर भी मंत्री का यह रवैया सवाल उठाता है.. संघवी ने विधानसभा में भी मेवानी को निलंबित करवाया था.. जब उन्होंने फर्जी बिलों पर सवाल उठाए.. परिवारों ने मेवानी के बयानों पर प्रोटेस्ट किया..

 

Related Articles

Back to top button