महाराष्ट्र में निकाय चुनाव, उभर रहे घाव ?

- निकाय चुनावों के बीच सहयोगी दलों के बीच खटपट
- खबर आई एकनाथ शिंदे गुंडो की तरह कर रहे हैं काम
- केन्द्रीय मंत्री और बीजेपी सांसद रक्षा खडसे ने खुले मंच से कही बात
- जलगवाई जिले में अनैतिक कार्यों में लिप्त लोगों को बढ़ावा दे रहे हैं डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे
- सज्जन पुरूष और महिलाओं का घर से निकलना मुश्किल
- केन्द्रीय मंत्री की बेटी को स्वंय झेलनी पड़ी थी मुसीबत
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
मुंबई। भारतीय राजनीति में आरोप लगना कोई नई बात नहीं है। लेकिन आरोप लगाने वाले कौन हैं यह अहम है और यही चीज हमेशा कहानी का मोड़ बदल देती है। अगर विपक्ष आरोप लगाये तो उसे सियासी नौटंकी कहकर ठहाके लगा दिए जाते हैं। लेकिन जब अपने ही सगे लोग आरोप लगाये तो बात कुछ अलग होती है। जी हां केंद्रीय मंत्री और बीजेपी सांसद रक्षा खडसे ने खुले मंच से एनडीए सहयोगी दल शिवसेना नेता पर गभीर आरोप लगाएं है। उन्होंने कहा है कि उप-मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे गुंडों की तरह काम कर रहे हैं। उनके इन आरोपों और टिप्पणी के बाद अब मामला राजनीति नहीं बल्कि सत्ता की तासीर बयान करने के लिए काफी है। यह भारत है यहां चुनावों के वक्त मुर्गियों के दड़बे में भी खटपट शुरू हो जाए तो समझिए दाल में कुछ नहीं थाली भरकर कुछ काला है। और महाराष्ट्र में तो अभी निकाय चुनावों की उल्टी गिनती शुरू है इसलिए बर्दाश्त की सीमा उतनी ही पतली है जितनी गठबंधन की निष्ठा।
आरोपों का तूफान
केन्द्रीय मंत्री रक्षा खडसे के आरोप हवा में उछला हुआ कोई लतीफा नहीं है। उनके आरोप हैं कि उपमुख्मंत्री एकनाथ शिंदे जलगांव जिले में अनैतिक कामों को संरक्षण दे रहे हैं। आपराधिक गतिविधियों में संलिप्त लोगों को सियासी छत मुहैया करा रहे हैं। महिलाओं और सज्जन पुरुषों का घर से निकलना मुश्किल है। उन्होंने यह कहकर सनसनी फैला दी है कि उनकी बेटी स्वंय उत्पीडऩ का शिकार रही है। एकनाथ शिंदे की तरह ही अजीत पवार भी नाराज चह रहे हैं। गौरतलब है कि एकनाथ शिंदे की तर्ज पर महाराष्ट्र कैबिनेट में दूसरे उपमुख्यमंत्री अजीत पवार भी नाराज चल रहे हैं और अक्सर गठबंधन को असहज करने वाले बयान जारी कर देते हैं। महाराष्ट्र में बीजेपी की स्थिति उस व्यक्ति जैसी है जिसने दो शेर पाले हों और दोनों ही शेर आपस में लड़ रहे हों। सनद रहे कि अजीत पवार नाराज होंगे तो ओबीसी वोट बैंक हिलेगा और शिंदे नाराज होंगे तो मराठा वोट बैंक खिसकेगा। यह बीजेपी का गुड गर्वनेंस ही है कि वह एक ही वक्त में दोनों को खुश रखने की कोशिश में खुद परेशान है। मगर इतिहास बताता है कि बीजेपी जब किसी सहयोगी दल में खटपट देखती है तो परिणाम दो ही होते हैं मौन आघात या आपरेशन गेम फिनिश शिवसेना के साथ क्या हुआ था यह मुंबई की हवा भी बताती है।
पॉवर पालिटिक्स का दांव
उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के बयान हो या फिर उनकी कार्यप्रणाली मुख्यमंत्री को फडणवीस लगातार असहज स्थति में खड़ा कर रही है और बड़ा सवाल यही है कि क्या रक्षा खडसे को शिंदे की पावर पालिटिक्स को कंट्रोल करने के लिए आगे किया गया है। क्योंकि निकाय चुनावों में भी शिंदे ज्यादा सीटे मांग रहे हैं और अपने लोगों को आब्लाइज करना चाहते हैं। गौरतलब है कि राजनीति में धोखा फायदेमंद हो सकता है । बशर्ते समय छोटा हो। लंबी रेस में धोखा देना हमेशा धोखा खाने पर खत्म होता है। अभी निकाय चुनाव बीते नहीं हैं और महाराष्ट्र की राजनीति का असली ड्रामा शुरू हुआ है। आने वाले दिनों में क्या होगा? या तो शिंदे हीरो बनेंगे या गठबंधन उन्हें जीरो बनाकर फाइल बंद कर देगा। बाकी जनता तो तमाशा देख ही रही है क्योंकि राजनीति में तमाशा जितना बड़ा होता है ध्वंस उतना करीब आ जाता है।
बैनर पर सियासी घमासान
महाराष्ट्र में एक चुनावी बैनर को लेकर सियासी घमासान मचा है। इसे लेकर शिवसेना (यूबीटी) के वरिष्ठ नेता और विधान परिषद में विपक्ष के नेता अंबादास दानवे ने डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे और उनके गुट पर तीखा हमला बोला है। दरअसल सोशल मीडिया पर इन दिनों एक चुनावी बैनर वायरल है, जिसमें एकनाथ शिंदे, सोनिया गांधी और राहुल गांधी तीनों एक साथ नजर आ रहे हैं, दानवे ने यह फोटो शेयर कर शिंदे पर सीधा प्रहार किया। उन्होंने आरोप लगाया कि बालासाहेब के विचारों’ को खूंटी पर टांग दिया है। उद्धव ठाकरे गुट के नेता अंबादास दानवे ने अपने आधिकारिक एक्स अकाउंट पर यह बैनर शेयर किया है। इस बैनर में महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी, कांग्रेस सांसद राहुल गांधी तीनों के फोटो एक साथ दिखाई दे रहे हैं। खास बात यह है कि बैनर पर शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना का धनुष-बाण चुनाव चिह्न भी साफ दिखाई दे रहा है।
सिंधुदुर्ग में भाजपा व शिवसेना में मची रार
शिवसेना विधायक नीलेश राणे ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की महाराष्ट्र इकाई के अध्यक्ष रवींद्र चव्हाण को सिंधुदुर्ग में दो दिसंबर को होने वाले नगर परिषद और नगर पंचायत चुनाव से पहले महायुति गठबंधन टूटने का दोषी ठहराया है। नीलेश राणे ने सिंधुदुर्ग नव गठित शहर विकास आघाडी के प्रचार अभियान के दौरान शुक्रवार को कहा कि गठबंधन भाजपा के वरिष्ठ नेतृत्व के कारण नहीं, बल्कि चव्हाण के कारण टूटा है। राणे और चव्हाण के बीच संबंध तनावपूर्ण रहे हैं। राणे ने सवाल किया, ”यदि रत्नागिरी के राजापुर और लांजा में शिवसेना के साथ सीट बंटवारा संभव था और ऐसा समायोजन चिपलुन में भी हो सका, तो सिंधुदुर्ग के प्रति नाराजगी क्यों? उन्होंने दावा किया, ”मालवन में हम 10 सीट देने को तैयार थे और सवंतवाडी में (शिवसेना नेता) दीपक केसरकर 50-50 फॉर्मूले के लिए तैयार थे। कणकवली में हमें कहा गया कि हम केवल एक या दो सीट पर चुनाव लड़ सकते हैं। बैनर से हमारी तस्वीर हटा दी गईं। अगर उन्होंने सिर्फ मेरी तस्वीर हटायी तो ठीक था, लेकिन (उप मुख्यमंत्री एवं शिवसेना प्रमुख) एकनाथ शिंदे की तस्वीर हटाने से हमें दुख हुआ। राणे ने चव्हाण के सिंधुदुर्ग में तीन दिन तक रहने पर भी सवाल उठाया और कहा, ”वह अंतिम चरण में बताएंगे कि उनकी बैठकों में क्या निर्णय लिया गया। उन्होंने कहा कि मतभेद के बावजूद शिवसेना ने गठबंधन बनाए रखने का प्रयास किया।




