बिहार में ऑपरेशन लोटस शुरु, बीएसपी के एक विधायक को तोड़ने की कोशिश, AIMIM का नाम आ गया आगे
एक ओर बीजेपी हड़बड़ाई है और पीएम साहब के चाणक्य जी बिहार में सबकी जीत होने की सलाह देना शुरु कर चुके हैं तो वही दूसरी ओर एनडीए सामूहिक इस्तीफों का दौर भी शुरु हो चुका है।

4पीएम न्यूज नेटवर्क: दोस्तों बिहार में एनडीए की नई सरकार में पतीली से ज्यादा ढक्कन के गरम होने की कहावत सही होती दिख रही है क्योंकि जब से बेचारे नीतीश कुमार जी की ताकत गृह मंत्रालय छीनकर आधी की गई है तब से वो जरुरत से ज्यादा एक्टिव हो गए हैं।
कभी अपने कुछ सीनियर नेताओं को लेकर स्पीकर बनाने की रणनीति में लग जा रहे हैं तो कभी नंबर वन पार्टी बनने के लिए ऑपरेशन लोटस वाले खेल की तैयारी शुरु कर देते हैं। आपको बता दें कि इस बीच बड़ी खबर ये निकल कर सामने आ रही है कि देश की एक राष्ट्रीय पार्टी का दावा है कि उनके विधायकों के साथ ऑपरेशन लोटस जैसी स्थिति है। बार-बार लगातार उनके विधायको को फोन करके खरीदने की कोशिश हो रही है। जैसे ही ये खबर सामने आई है हड़कंप मच गया है।
एक ओर बीजेपी हड़बड़ाई है और पीएम साहब के चाणक्य जी बिहार में सबकी जीत होने की सलाह देना शुरु कर चुके हैं तो वही दूसरी ओर एनडीए सामूहिक इस्तीफों का दौर भी शुरु हो चुका है। कैसे नीतीश की जेडीयू ऑपरेशन लोट्स करने जा रही और किस राष्ट्रीय पार्ट्री ने आरोप लगाया है कि उनके विधायक को अपने पाले में करने की कोशिश हो रही है, ये सबकुछ हम आपको आगे अपनी इस आठ मिनट की रिपोर्ट में बताने वाले हैं।
दोस्तों, बिहार में चौंका देने वाले रिजल्ट के बाद बीजेपी ने नीतीश कुमार को जैसे तैसे सीएम तो बना दिया लेकिन उनकी असली ताकत यानि कि गृह मंत्रालय को छीन कर अपने डिप्टी सीएम को दे दिया और सबसे बड़ी बात यह है कि सम्राट चौधरी को सुशासन बाबू के तर्ज पर चर्चित करने का पूरा खेल चल रहा है। बिहार में बुलडोजर मॉडल, इनकांउटर जैसे बातों की खूब चर्चा है और इस चर्चा के पीछे का पूरा मकसद सम्राट चौधरी और बीजेपी की छवि का चमकाना है। आपको बता दें कि दावा तो यहां तक किया जा रहा है कि साल 2027 के बाद बिहार का गेम पलट जाएगा, नीतीश राष्ट्रपति होंग और सम्राट चौधरी सीएम हो सकते हैं।
हालांकि ये दावा कितना सही है यह अभी से कह पाना थोड़ा जल्दबाजी होगी लेकिन आपको बात दें कि पिछले सात दिन में सरकार और खासकर नीतीश कुमार खेमे की जो हालत यह उसमें तो एक बात साफ है कि अंदरखाने में कुछ न कुछ बहुत बड़ा चल रहा है। दावा किया जा रहा है कि जदयू अपने विधायकों की संख्या बढ़ाकर नंबर वन पार्टी बनना चाहती है, क्योंकि बीजेपी की चार सीटें ज्यादा होने से जदयू का हर जगह दबना पड़ रहा है। पहले गृह मंत्रालय ले लिया गया है और अब स्पीकर पर सिर फुटव्वल बढ़ गई है। नीतीश कुमार गृह मंत्रालया छिन जाने के बाद पूरा मोर्चा खोले हुए हैं कि हर हाल में स्पीकर का पद उनकी पार्टी को ही चाहिए लेकिन बीजेपी उनको पहले से तय हुआ वादा याद दिला रही है।
कहा जा रहा है कि एनडीए की नई सरकार के गठन से पहले बीजेपी और जदयू की जब बैठक हुई थी तो उसमें स्पीकर का पद बीजेपी के खाते में जाने की बात तय हुई थी लेकिन अब गृह विभाग छिन जाने के बाद नीतीश किसी कीमत पर मानने को तैयार नहीं है और ऑपरेशन लोटस के जरिए अपने विधयाकों की संख्या को बढ़ा कर 100 तक ले जाना चाहते हैं। उनकी नजर बीएसपी, एआईएमआईएम, कांग्रेस और निर्दलीय विधायकों पर है। आपको बात दें कि ये दावे हवा हवाई नहीं है बल्कि इसकी पुष्टि बीएसपी ने खुद की है।
दोस्तों जैसा कि खबर की हेडलाइन से ही साफ है कि सत्ता पक्ष विधायकों को तोड़ने में जुट गया है। आप खुद सोचिए कि जिस एनडीए गठबंधन के पास 243 में 202 सीटें हों, उसको किसी भी पार्टी के विधायक को तोड़ने की कौन जरुरत है लेकिन आपको बता दें कि कहा जा रहा है कि जदयू ये खेल करके एनडीए गठबंधन में सबसे बड़ी पार्टी बनना चाहती है और वो बीजेपी की मनमानी पर रोक लगाने की लिए बिल्कुल तैयार है। कल बीएसपी के राष्ट्रीय संयोजक आनंद कुमार बिहार दौरे पर थे, इस दौरान ही ये बड़ा खुलासा सामने आया है।
विधानसभा चुनाव में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) पार्टी को एक सीट पर जीत मिली थी, अब पार्टी का कहना है कि इस एक विधायक को तोड़ने का प्रयास किया जा रहा है इस दावे से सियासी गलियारे में खलबली मच गई है। दरअसल कैमूर जिले की रामगढ़ सीट से बीएसपी के सतीश कुमार सिंह यादव ने मात्र 30 वोट के अंतर से बीजेपी के उम्मीदवार अशोक कुमार सिंह को हराया था। बुधवार (26 नवंबर, 2025) को पटना के महाराजा कॉम्प्लेक्स में बीएसपी ने एक बैठक की। मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक आकाश आनंद ने संगठन की मजबूती और विधायकों की निष्ठा पर जोर देते हुए कहा कि पार्टी दल-बदल के किसी भी प्रयास का डटकर मुकाबला करेगी। बैठक में मौजूद बिहार प्रभारी अनिल कुमार ने दावा किया कि सत्ता पक्ष लगातार संपर्क साध रहा है
और सतीश यादव को अपने पक्ष में करने की कोशिशें जारी हैं, लेकिन बीएसपी विधायक किसी भी दबाव या लालच में नहीं आने वाले। यह आरोप इसलिए भी अहम माने जा रहे हैं क्योंकि बिहार में बीएसपी विधायकों के दलबदल का इतिहास रहा है। आपको बता दें कि वर्ष 2020 के विधानसभा चुनाव में कैमूर जिले की चौनपुर सीट पर बीएसपी के मोहम्मद जमा खान ने जीत दर्ज की थी, लेकिन 2021 में उन्होंने बीएसपी का साथ छोड़कर जेडीयू का दामन थाम लिया था। इसके बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने उन्हें कैबिनेट में शामिल कर अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री बना दिया था। जमा खान इस बार भी जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) के टिकट पर चौनपुर से चुनाव जीत चुके हैं और एक बार फिर नीतीश सरकार में मंत्री बनाए गए हैं।
वह राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार में एकमात्र मुस्लिम मंत्री हैं और इस वजह से बीएसपी को आशंका है कि 2025 में जीत हासिल करने वाले उनके एकमात्र विधायक भी सत्ता पक्ष की रणनीति का निशाना बन सकते हैं. पार्टी की समीक्षा बैठक में इस मुद्दे पर विस्तार से चर्चा हुई और पार्टी नेतृत्व ने संकेत दिया कि संगठन किसी भी प्रकार की टूट या दल-बदल की आशंका को रोकने के लिए सक्रिय रूप से काम कर रहा है। हालांकि कहा जा रहा है कि नीतीश खेमे की नजर सिर्फ बीएसपी पर नहीं है बल्कि एआईएमआईएम और छोटे और निर्दलीय विधायकों पर है। वैसे भी एआईएमआईएम के जिस तरीके बयान आ रहे हैं तो ऐसे में एआईएमआईएम कहीं टूट पर नीतीश की पार्टी में न शामिल हो जाए तो कोई बहुत बड़ी बात नहीं होगी, कयोंकि पिछले चुनाव में एआईएमआईएम के पांच विधायक जीते थे और पांचों टूट कर आरजेडी में चले गए थे और अगर इस बार नीतीश खेमा ये कमाल कर दे तो कोई बहुत अचरज की बात नहीं होगी।
हालांकि पार्टी के एआईएमआईएम के प्रदेश अध्यक्ष का दावा है कि ऐसा कुछ इस बार नहीं होने वाला है लेकिन ये सियासत है, यहां कब क्या हो जाए कुछ कह पाना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन भी होता है और नीतीश कुमार कब क्या कर दें ये तो दावा कर पाना और भी बहुत मुश्किल है। लेकिन यह बात भी सही है कि नीतीश खेमा खुद को मजबूत करने और बीजपी से ज्यादा विधायकों वाली पार्टी बनने के लिए बिल्कुल आतुर है क्योंकि नीतीश अब न सिर्फ स्पीकर का पद लेना चाहते हैं बल्कि विधान सभा में बीेजेपी के मनमानी वाले बिलों पर रोक लगाने की पूरी तैयारी में हैं। ऐसे में साफ है कि एनडीए के अंदरखाने बीजेपी बनाम जदयू की जंग शुरु हो चुकी है।
लेकिन इस बीच एक जोर का झटका एनडीए को फिलहाल लगा है। एनडीए के घटक दल उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी में विद्रोह शुरु हो गया है। वैसे तो पीएम साहब और उनके चाणक्य जी जगह जगह पर ये दावा करते हैं कि लालू यादव की आरजेडी मंे परिवार को बढ़ाने के बनाई गई है।लेकिन जब उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी में पत्नी, बेटा, खदु उपेंद्र कुशवाहा समेत रिश्तेदारों को ही पार्टी में आगे बढ़ाया जा रहा है तो पीएम साहब और उनके चाणक्य जी को ये परिवारवाद नहीं दिख रहा है लेकिन आपको बता दें कि अब उनकी ही पार्टी के कार्यकर्ताओं ने विद्रोह कर दिया है और पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष समेत अहम पदों पर बैठे लगभग आधा दर्जन लोगों ने सामूहिक इस्तीफा दे दिया है।
मतलब कि पार्टी टूटने की कगार पर पहुंच गई हैं। आपको बता दें कि कभी उपेंद्र कुशवाहा नीतीश कुमार के बहुत खास हुआ करते थे लेकिन अब वो अमित शाह लॉबी के माने जाते हैं, ऐसे यह झटका सिर्फ उपेंद्र कुशवाहा को नहीं बल्कि बिहार की शाह लॉबी को भी है। लेकिन आपको बता दें कि पूरे मामले में एक बात बिल्कुल शीशे की तरह साफ है कि सामूहिक इस्तीफों के बीच नीतीश खेमा गृह मंत्रालया छिनेने के बाद बहुत एक्टिव है और अब स्पीकर का पद हर हाल में जदयू को चाहिए, जो एनडीए में भयंकर सिर फुटव्वल की वजह बना हुआ है और नीतीश कुमार अपने विधायकों की संख्या में बढ़ाने में जुटे हैं और बीएसपी का सीधा आरोप सामने आ चुका है।
जिससे बिहार का राजनीतिक खेल में उलट पुलट होता दिख रहा है। अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या नीतीश कुमार की पार्टी एनडीए में खुद को सुपर साबित करने के लिए क्या ऑपरेशन लोटस चलाने जा रही है । जिस तरीके से बीएसपी का दावा सामने आया है कि उनके विधायकों को तोड़ने की कोशिश हो रही है, ऐसे में ये बात साफ नहीं दिख रही है कि नीतीश खेमा खुद को बीजेपी के बराबर खडा करना चाहता है ताकि दो तारीख को स्पीकर के चुनाव से पहले ही पूरा गेम अपने कब्जे मे कर सके।



