वोटर लिस्ट में निकले लाखों फर्जी वोटर, चुनाव आयोग का खुद से कबूलनामा

क्या चुनाव आयोग ने चुनाव से पहले की बड़ी गड़बड़ी? क्या अब खुद एनडीए के डिप्टी सीएम खुलकर चुनाव आयोग को घेर रहे हैं? क्या विपक्ष की सजगता की वजह से एक ऐसा चुनाव टल सकता है जो बेहद निर्णायक होने वाले थे?

4पीएम न्यूज नेटवर्क: क्या चुनाव आयोग ने चुनाव से पहले की बड़ी गड़बड़ी? क्या अब खुद एनडीए के डिप्टी सीएम खुलकर चुनाव आयोग को घेर रहे हैं? क्या विपक्ष की सजगता की वजह से एक ऐसा चुनाव टल सकता है जो बेहद निर्णायक होने वाले थे?

जब से राहुल गांधी ने चुनाव आयोग की वोट चोरी का पर्दाफाश किया है तब से सारी विपक्षी पार्टियां अलर्ट हो गई हैं। तभी चुनाव होने से पहले ही सभी पार्टियां वोटर लिस्ट की गहनता से जांच में जुट जाती है। और अब उनकी सजगता का नतीजा येल़ हुआ है कि आज चुनाव आयोग पूरी तरह से घुटनों पर आ गया है और अपनी गलती स्वीकार रहा है। और ये गड़बड़ी कोई एक दो नहीं बल्कि लाखों फर्जी वोटरों से जुड़ी है।

जी हां लाखों फर्जी वोटर लिस्ट में पाए गए हैं जिसके बाद शर्मसार हो कर चुनाव आयोग ने भी अपनी गलती मान ली है। और इसको लेकर विपक्ष ही नहीं बल्कि एनडीए के डिप्टी सीएम ने भी अब चुनाव आयोग के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। तो कब कहां और कैसे ये इतना बड़ा फर्जीवाड़ हुआ है जिससे चुनाव टलने तक की नौबत आ गई है और क्यों अब भाजपा के साथी दल भी विपक्ष के साथ खड़ा दिखाई दे रहा है, सब बताएंगे आपको इस रिपोर्ट में।

दोस्तों इन दोनों मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार के दिन कुछ खास अच्छे नहीं चल रहे हैं। एक तरफ जहां SIR के दबाल में हो रही बीएलओज की मौतों से चुनाव आयोग घिरता चला जा रहा है तो वहीं अब उसके द्वारा वोटर लिस्ट में की गई बड़ी गड़बड़ी सबके सामने आ गई है। अब देखिए आने वाले कुछ दिनों में महाराष्ट्र में निकाय चुनाव होने वाले हैं और इस बीच खबर आती है कि अकेले मुंबई वोटर लिस्ट में करीब 11 लाख फर्जी मतदाता पकड़े गए हैं।

आज तक के पोर्टल में छपी इस रिपोर्ट को देखिए जो कहती है कि- “वोटर लिस्ट से मिले चौंकाने वाले आंकड़े, 1 करोड़ वोटर में 11 लाख डुप्लीकेट एंट्री, टल सकता है निकाय चुनाव” इस खबर के मुताबिक, महाराष्ट्र में राज्य चुनाव आयोग जो वोटर लिस्ट जारी किया है उसमें महाराष्ट्र में बड़ी संख्या में डुप्लीकेट वोटर्स हैं. और चुनाव आयोग ने खुद कबूला है कि अकेले मुंबई में 1 करोड़ 3 लाख वोटर्स हैं, जिनमें से करीब 10.64% यानी 11 लाख से ज्यादा वोटर्स के नाम वोटिंग लिस्ट में एक से अधिक जगहों पर दर्ज हैं. मतलब अब सोचिए खुद चुनाव आयोग ये कबूल कर रहा है की 11 लाख लोग फर्जी तरीके से जोड़े गए हैं और ज्ञानेश कुमार दावा करते फिरते हैं कि सब कुछ ठीक है।

अब देखिए महाराष्ट्र राज्य चुनाव आयोग ने सिर्फ अपनी गलती ही नहीं मानी है बल्कि उसने आपत्ति दर्ज करने की समय सीमा को 27 नवंबर से बढ़ाकर 3 दिसंबर कर दिया है. मतलब राज्य चुनाव आयोग का मानना है कि अभी कोई और भी गड़बड़ी हो तो उसके लिए भी और समय मिल गया है। आयोग के एक बयान के मुताबिक, अंतिम मतदाता सूची 10 दिसंबर को पब्लिश की जाएगी. 4.33 लाख मतदाता एक से ज्यादा बार दर्ज हैं, जिसमें एक मतदाता का नाम 103 बार तक दर्ज होने की पुष्टि हुई है. अधिकारियों ने बताया कि प्रिंटिंग त्रुटियां, मतदाताओं का स्थान परिवर्तन और मृत लोगों के नाम न हटाना इस डुप्लीकेशन की बड़ी वजह है। अब आप समझ सकते हैं कि कैसे चुनाव आयोग से इतनी बड़ी गड़बड़ी हुई है। अब देखिए कुछ ही दिनों में बीएमसी चुनाव होने वाले थे। सुप्रीम कोर्ट पहले ही निर्देश दे चुका है कि 31 जनवरी 2026 तक ये चुनाव पूरे हो जाने चाहिए।

लेकिन अब जिस तरीके वोटर लिस्ट में इतनी बड़ी गड़बड़ी पकड़ी गई है उससे चुनाव टलने तक बात पहुंच गई है। जी हां एक अधिकारी ने संकेत दिया कि मुंबई के नागरिक चुनावों में थोड़ी देरी हो सकती है. उन्होंने कहा कि BMC द्वारा सुधार की गति के आधार पर, चुनाव या तो जनवरी के अंत तक आयोजित हो सकते हैं या राज्य चुनाव आयोग फरवरी के पहले हफ्ते तक का विस्तार मांग सकता है. यह 4 लाख 33 हजार मतदाताओं का कई बार रजिस्टर्ड होना ही कुल डुप्लीकेट एंट्री को 11 लाख 01 हजार 505 तक पहुंचा देता है. और इसका सुधार करने में टाइम लग सकता है जिससे चुनाव टाले जा सकते हैं।

अब देखिए चुनाव आयोग की नियत साफ होती तो वो पहले से ही सतर्क रहता है और ऐसी गड़बड़ी नो होने देता। लेकिन चुनाव आयोग की नींद ही तभी टूटी जब विपक्ष ने उसको जंझोड़कर जगाया। शिवसेना (उद्धव) विधायक आदित्य ठाकरे ने सोमवार को राज्य चुनाव आयुक्त दिनेश वाघमारे से मिलकर मतदाता सूची में हुई कथित गड़बड़ियों पर चर्चा की थी। इस मुलाकात में महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) नेता बाला नांदगांवकर और उद्धव गुट के नेता अनिल परब भी मौजूद थे। आदित्य ने मनसे अध्यक्ष राज ठाकरे और शिवसेना (उद्धव) पक्ष प्रमुख उद्धव ठाकरे के हस्ताक्षर वाला एक विस्तृत शिकायत पत्र भी वाघमारे को सौंपा था जिसमें लिखा गया था कि चुनाव आयोग या तो हमें आपत्ति जताने के लिए 21 दिन का समय दे या चुनाव रद्द करे।

चुनाव आयुक्त के सामने आदित्य ने उठाए ये मुद्दे राज्य चुनाव आयुक्त को सौंपे गए पत्र में कहा गया कि मतदाता सूची में हुई गलतियों का स्तर सिर्फ गलती नहीं, बल्कि सुनियोजित खेल जैसा है। वार्ड सीमांकन के बाद तीन बार सूची बदली गई। वार्ड सीमांकन जारी होने के बाद प्रारूप मतदाता सूची पहले 7 तारीख, फिर 14 और आखिर में 20 तारीख को जारी की गई, जिससे पूरे प्रोसेस पर सवाल खड़े होते हैं। आदित्य ने कहा कि यह सिर्फ देरी नहीं, बल्कि रणनीतिक तरीका है, ताकि चुनावी माहौल को प्रभावित किया जा सके। आदित्य ने आरोप लगाया था कि जाति-धर्म देखकर मतदाता सूची में फेरबदल किए गए हैं।

यह हर वार्ड में नहीं, बल्कि केवल विपक्षी दलों के वार्डों में किया गया है, जो देशद्रोह जैसा अपराध है। जब आप पारदर्शी चुनाव की बात करते हैं, तो फिर यह सब क्यों हो रहा है। इसके साथ ही राज्य चुनाव आयुक्त वाघमारे को सौंपे गए उद्धव और राज ठाकरे के हस्ताक्षर वाले पत्र में कई चौंकाने वाली बातें लिखी गई। पत्र में लिखा कि कई विपक्षी दलों के गढ़ में बड़े पैमाने पर नाम हटाए या जोड़े गए हैं। एक-एक पते पर 38-38 मतदाता दिखाए जाने के मामले सामने आए हैं। ऐसे कुल 26 हजार 319 पते राज्यभर में मिले, जिन पर 8 लाख से ज्यादा नाम दर्ज हैं। 6 लाख से ज्यादा मतदाताओं के घर नंबर ही नहीं हैं। साथ ही मतदाताओं की पहचान भी स्पष्ट नहीं हो पाई है। बड़ी संख्या में डुप्लीकेट नाम, जिससे 1 व्यक्ति 1 वोट का नियम खतरे में आ गया है।

पत्र में यह भी लिखा गया कि मतदाता सूची पर आपत्ति जताने के लिए सिर्फ 7 दिन का समय दिया गया है। जबकि इसके लिए कम से कम 21 दिन का समय मिलना चाहिए। चुनाव आयोग या तो हमें आपत्ति जताने के लिए 21 दिन का समय दे या चुनाव रद्द करे। आप खुद को स्वायत्त संस्था कहते हैं। आप अपनी स्वायत्तता दिखाइए। आदित्य ने वाघमारे के समक्ष मुद्दा उठाते हुए कहा कि चुनाव आयोग ने समय रहते मतदाता सूची में सुधार नहीं किया तो फिर हम सड़क पर उतरेंगे। वोट चोरी कर जीतने का प्लान चल रहा है और इसे हम होने नहीं देंगे। तो आप देखिए कि ये विपक्ष की सजगता ही है जब आज चुनाव आयोग खुद अपनी गलती मानते हुए कह रहा है कि हां गलती हुई है। 11 लाख डुपिलीकेट वोटर लिस्ट में जोड़े गए हैं। ये कहीं न कहीं विपक्ष की सफलता को दर्शाता है।

अब देखिए चुनाव आयोग ही नहीं बल्कि एनडीए के बड़े बड़े नेता भी कहीं ने कहीं विपक्ष के साथ खड़े नजर आ रहे हैं। जी हां महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने मुंबई की मतदाता सूची पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा है कि लिस्ट में लाखों डुप्लीकेट वोटर्स हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी और शिवसेना की रैली में पवार ने कहा, ‘मुंबई में दोहरे, तिहरे और चौगुने मतदाताओं की संख्या करीब 11 लाख है।

हाल ही में एक ट्रेंड देखा गया है, जहां अगर किसी के पक्ष में मतदान नहीं हो रहा है तो कुछ मतदाताओं को अलग वार्डों में भेज दिया जाता है। मैंने निर्वाचन आयोग से सूची में हुई गलतियों को सुधारने का अनुरोध किया है। ऐसा सालों से हो रहा है। महाराष्ट्र में इस तरह की डबल, ट्रिपल वोटिंग बर्दाश्त नहीं की जाएगी।’ तो अब आप देख सकते हैं कि जहां बस अब तक विपक्ष ही चुनाव आयोग को घेरने में लगा तो वहीं अब खुद एनडीए के डिप्टी सीएम खुद चुनाव आयोग को चुनौती दे रहे हैं।

दोस्तों, ये महाराष्ट्र निकाय चुनाव का मामला अब साफ बता रहा है कि विपक्ष की चौकसी और राहुल गांधी के उठाए सवालों ने चुनाव आयोग की नींद उड़ा दी है। 11 लाख से ज्यादा डुप्लीकेट वोटर, लाखों गायब नाम-पते, एक ही पते पर 38-38 मतदाता। ये कोई छोटी-मोटी गलती नहीं, बल्कि सुनियोजित साजिश की बू आ रही है। सबसे बड़ी बात, अब खुद NDA के डिप्टी सीएम अजित पवार भी चुनाव आयोग के खिलाफ खुलकर मैदान में कूद पड़े हैं और दोहरी-तिहरी वोटिंग को बर्दाश्त न करने की बात कह रहे हैं।

मतलब साफ है कि जनता अब जाग गई है, विपक्ष एकजुट हो गया है और सत्ता के अपने साथी भी सच के साथ खड़े हो गए हैं। चुनाव आयोग घुटनों पर है, समयसीमा बढ़ानी पड़ी, सुधार का ढोंग चल रहा है और BMC चुनाव टलने की पूरी संभावना बन गई है। ये विपक्ष की जीत है, लोकतंत्र की जीत है और वोट चोरी के मंसूबों पर करारी चोट है। अब देखना ये है कि आयोग सुधरता है या जनता सड़कों पर उतरकर इसे सुधारने पर मजबूर कर देगी।

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