एसआईआर का ज्वालामुखी संचार साथी ऐप के लावा से विपक्ष बौखलाया

नागरिकों के रिकार्ड के साथ जनता के व्यवहार के बारे में सब कुछ जानना चाहती है सरकार

शीतकालीन सत्र में अभी तक नहीं हुआ ढेला भर काम
क्या विपक्ष को हंगामे के लिए उकसा रही है सरकार

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। दिल्ली की सर्दी बढ़ रही है लेकिन उससे कहीं ज्यादा गर्मी संसद के भीतर महसूस की जा रही है। शीतकालीन सत्र तेजी से आगे बड़ रहा है लेकिन संसद के भीतर सरकार और विपक्ष के बीच तालमेल नहीं बन पा रहा है। विपक्ष एसआईआर पर चर्चा की मांग पर अड़ा है उसका कहना है कि सरकार चर्चा से भाग रही है। सरकार के लिए नया रायता संचार सथी एप का भी फैल रहा है।
हालांकि सदन में आज संचार मंत्री ने इस विषय पर विपक्ष को विश्वास में लेने की कोशिश की जो बेअसर साबित हुई। कल पूरे दिन लोकसभा और राज्यसभा हंगामे की भेंट चढ़ीं और आज भी माहौल गर्माया रहा। सवाल वही है कि विपक्ष हंगामा कर रहा है या सरकार हंगामे के लिए विपक्ष को मजबूर कर रही है? अगर सरकार को अपने एसआईआर बिल पर इतना भरोसा है तो चर्चा से परहेज़ क्यों? और अगर विपक्ष गलत है तो खुली बहस का डर क्यों? वहीं संसद के बाहर एक और विवाद का ज्वालामुखी फूट पड़ा है और वह है संचार साथी एप। सरकार इसे नागरिकों से सीधा संवाद बताती है लेकिन विपक्ष इसे डिजिटल निगरानी डाटा ट्रैकिंग और नागरिकों की राजनीतिक प्रोफाइलिंग का नया रूप बता रहा है। ट्विटर हो, फेसबुक हो या संचार साथी के ग्रुप माहौल खौल रहा है। विपक्ष ने सीधा आरोप लगाया है कि एसआईआर से नागरिकों का रिकार्ड और संचार साथी से नागरिकों का व्यवहार सरकार हर नागरिक के बारे में सब कुछ जानना चाहती है। शीतकालीन सत्र में आज का दिन सिर्फ बहस का नहीं बल्कि राजनीतिक आमने-सामने का मैदान बनने वाला है। एसआईआर और संचार साथी एप दो अलग मुद्दे नहीं रह गए यह सत्ता बनाम विपक्ष की नई वैचारिक लड़ाई के दो मोर्चे बन चुके हैं।

संचार साथी ऐप पर बवाल

सरकार की तरफ से संचार साथी ऐप को हर फोन में प्रीइंस्टाल करने के साथ उसको हटाया न जा सके वाले निर्देश जारी किये गये थे। इस बात को लेकर विपक्ष ने सरकार पर हमला बोला है। सीपीआई (एम) सांसद जॉन ब्रिटास का कहना है कि देश निगरानी करने वाले देशों में शामिल हो रहा है। सरकार फोन में पहले से ही एक एप्लीकेशन इंस्टॉल करना चाहती है जो लोगों की निगरानी करे और उनके बिहेवियर पर नजर रखे। कांग्रेस सांसद सप्तगिरी शंकर उलाका का कहना है कि नोटिफिकेशन में कहा गया है कि यह ऐप दिखना चाहिए इसे कोई हटा ना सके। इसका क्या मतलब है? उन्होंने कहा कि यह जबरदस्ती करने से समझ में आता है कि इसका मकसद कुछ और ही है। कांग्रेस सांसद रेणुका चौधरी ने आरोप लगाते हुए कहा है कि जब लोग इसे अपने आप डिलीट कर सकते हैं तो इसे जरूरी क्यों किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि यह जासूसी करने का एक तरीका है। संचार साथी ऐप को लेकर टीएमसी सांसद डोला सेन का कहना है कि 14 साल से हम यही सब देख रहे हैं। पहले पेगासस की बात को इन्होंने स्वीकार नहीं किया। बाद में सामने आया कि इन्होंने पेगासस के लिए आवेदन किया था। वह भी हमारी व्यक्तिगत चीजों में हस्तक्षेप था और इसके बाद आधार कार्ड को बैंक अकाउंट और अन्य चीजों से जबरन लिंक करवाया।

संचार मंत्री का जवाब

लोकसभा में आजसंचार सुरक्षा और बढ़ते डिजिटल खतरों को लेकर पूछे गए प्रश्न पर केंद्रीय संचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने विस्तृत जवाब दिया। उन्होंने कहा कि दूरसंचार का क्षेत्र आज देश को दुनिया से जोडऩे का सबसे बड़ा माध्यम बन चुका है। इसके 100 करोड़ से अधिक उपयोगकर्ता हैं। ऐसे में सरकार की जिम्मेदारी है कि वह लोगों को डिजिटल अपराधों और दुरुपयोग से सुरक्षित रखे। संचार मंत्री ने कहा कि आज मोबाइल और इंटरनेट का उपयोग बढ़ा है, लेकिन इसके साथ ही कई ऐसे तत्व भी सक्रिय हैं जो इसका दुरुपयोग कर लोगों को ठगी, धोखाधड़ी और साइबर अपराधों का शिकार बनाते हैं। सरकार का दायित्व है कि हर नागरिक को इन खतरों से बचाया जाए। सिंधिया ने बताया कि सरकार ने 2023 में संचार साथी पोर्टल की शुरुआत की थी और 2025 में संचार साथी ऐप लॉन्च किया गया। इन दोनों का उद्देश्य नागरिकों को डिजिटल सुरक्षा का अधिकार देना है। इस ऐप के माध्यम से हर नागरिक न केवल अपने आपको सुरक्षित रख सकता है, बल्कि चोरी हुए फोन की रिपोर्टिंग भी कर सकता है। इससे अपराध रोकने और मोबाइल नेटवर्क को सुरक्षित बनाने में बड़ी मदद मिली है।

संचार साथी ऐप पर बवाल

सरकार की तरफ से संचार साथी ऐप को हर फोन में प्रीइंस्टाल करने के साथ उसको हटाया न जा सके वाले निर्देश जारी किये गये थे। इस बात को लेकर विपक्ष ने सरकार पर हमला बोला है। सीपीआई (एम) सांसद जॉन ब्रिटास का कहना है कि देश निगरानी करने वाले देशों में शामिल हो रहा है। सरकार फोन में पहले से ही एक एप्लीकेशन इंस्टॉल करना चाहती है जो लोगों की निगरानी करे और उनके बिहेवियर पर नजर रखे। कांग्रेस सांसद सप्तगिरी शंकर उलाका का कहना है कि नोटिफिकेशन में कहा गया है कि यह ऐप दिखना चाहिए इसे कोई हटा ना सके। इसका क्या मतलब है? उन्होंने कहा कि यह जबरदस्ती करने से समझ में आता है कि इसका मकसद कुछ और ही है। कांग्रेस सांसद रेणुका चौधरी ने आरोप लगाते हुए कहा है कि जब लोग इसे अपने आप डिलीट कर सकते हैं तो इसे जरूरी क्यों किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि यह जासूसी करने का एक तरीका है। संचार साथी ऐप को लेकर टीएमसी सांसद डोला सेन का कहना है कि 14 साल से हम यही सब देख रहे हैं। पहले पेगासस की बात को इन्होंने स्वीकार नहीं किया। बाद में सामने आया कि इन्होंने पेगासस के लिए आवेदन किया था। वह भी हमारी व्यक्तिगत चीजों में हस्तक्षेप था और इसके बाद आधार कार्ड को बैंक अकाउंट और अन्य चीजों से जबरन लिंक करवाया।

भावनगर अस्पताल कॉम्प्लेक्स में लगी भीषण आग

नवजात मासूमों को बचाने में करनी पड़ी मशक्कत, 20 बीमार बच्चे भर्ती थे
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
गांधी नगर। गुजरात के भावनगर में एक अस्पताल कॉम्प्लेक्स में भीषण आग लग गई। बुधवार (3 दिसंबर) की सुबह करीब 9.00 बजे इमारत की बिल्डिंग से भयंकर काला धुआं उठने लगा। इस बिल्डिंग में करीब चार अस्पातल बने हैं, जिसमें कई मरीज मौजूद थे। यहीं बच्चों का भी एक अस्पताल है, जहां नवजात समेत करीब 20 बीमार बच्चे भर्ती थे। आग लगी देख लोगों ने तुरंत फायर डिपार्टमेंट और पुलिस को फोन कर दिया।
हालांकि, प्रशासन के आने का इंतजार करने के बजाय स्थानीय लोगों ने सतर्कता दिखाते हुए बच्चों का रेस्क्यू शुरू कर दिया. इसका वीडियो भी सामने आया है। कॉम्प्लेक्स की पहली मंजिल पर बच्चों का अस्पताल है, जहां कई मासूम भर्ती थे। इनमें से कई कुछ दिन पहले ही जन्मे हैं, तो कुछ 8-10 साल के मासूम हैं। जब लोगों ने देखा कि इमारत में आग लग गई है तो अभिभावकों में हडक़ंप मच गया। बच्चों को सुरक्षित निकाले जाने के लिए लोगों ने मशक्कत शुरू कर दी। फायर टीम के आने से पहले ही बच्चो के रेस्क्यू का जिम्मा लोकल लोगों ने अपने हाथ में लिया। कुछ लोगों ने सीढिय़ों का इस्तेमाल कर बिल्डिंग के फर्स्ट फ्लोर पर बनीं दो-तीन खिड़कियां तोड़ीं और चार-पांच लोग अंदर गए और एक एक कर के बच्चों को सुरक्षित निकालना शुरू किया। बच्चों को धुएं से बचाने के लिए चादरों में लपेटा गया और फिर बाहर लाकर उनके माता-पिता को सौंपा गया। यह दृश्य देखकर यह साफ कहा जा सकता है कि लोगों की सतर्कता ने कई जानें बचा लीं।

फायर डिपार्टमेंट ने एक घंटे में बुझाई आग

आग के बाद धुआं भर जाने की वजह से बच्चों के अलावा कई और मरीज भी अस्पताल में फंस गए थे। इस इमारत में कई ऑफिस और क्लीनिक हैं। सूचना मिलते ही मौके पर पुलिस और फायर डिपार्टमेंट तुरंत पहुंच गए और राहत-बचाव कार्य में जुट गए। गनीमत रही कि इस हादसे में किसी की जान को नुकसान नहीं हुआ है. हालांकि, अब इस बड़े सवाल का जवाब अभी तक नहीं मिल सका है कि यह आग लगी कैसे? पुलिस और फायर डिपार्टमेंट आग के कारणों की जांच कर रहा है।

छत्तीसगढ़: नक्सलियों के साथ जवानों की मुठभेड़ जारी

एनकाउंटर में कई माओवादियों के मारे जाने की खबर

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
जगदलपुर। दंतेवाड़ा और बीजापुर सीमा से लगे भैरमगढ़ क्षेत्र के केशकुतुल के जंगलों में सुबह से नक्सलियों और पुलिस के बीच मुठभेड़ हो रही है। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक एनकाउंटर में कई माओवादियों के मारे जाने की खबर है। लेकिन मुठभेड़ को लेकर आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है। बताया जा रहा है कि आज सुबह दंतेवाड़ा से टीम निकली थी जहां बीजापुर की सीमा भैरमगढ़ के केशकुतुल में जवानों और नक्सलियों के बीच में मुठभेड़ हो गई। दोनों ओर से रुक-रुककर फायरिंग हो रही है। अब तक इस मामले में किसी भी नुकसान के बारे में जानकारी नही दी गई है।

दिल्ली एमसीडी उपचुनाव में रेखा सरकार को झटका

भाजपा को नुकसान कांग्रेस को एक सीट का लाभ

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) की खाली सीटों पर हुए उपचुनाव के नतीजे बुधवार को घोषित हुए। भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने इन चुनावों में शानदार प्रदर्शन करते हुए सात सीटों पर जीत दर्ज की। हालांकि पार्टी को दो सीटों का नुकसान भी उठाना पड़ा।
आम आदमी पार्टी (आप) और कांग्रेस को भी कुछ सीटों पर सफलता मिली, लेकिन सबसे बड़ा सरप्राइज रहा ऑल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक (एआईएफबी ) की जीत। चांदनी महल वार्ड से एआईएफबी के उम्मीदवार मोहम्मद इमरान ने जीत दर्ज कर सबको हैरान कर दिया। उन्होंने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी को 4,632 वोटों के अंतर से हराया। यह जीत इसलिए खास है क्योंकि दिल्ली की राजनीति में एआईएफबी का नाम शायद ही कभी सुना गया हो।

एआईएफबी वामपंथी राजनीतिक दल है

ऑल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक एक वामपंथी राजनीतिक दल है, जिसकी स्थापना नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने 1939 में की थी। यह पार्टी आज भी मुख्य रूप से पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु और कुछ अन्य राज्यों में सक्रिय है। हालांकि राष्ट्रीय स्तर पर इसका प्रभाव सीमित रहा है। पार्टी की विचारधारा समाजवादी और वामपंथी नीतियों पर आधारित है.। दिल्ली में इस पार्टी की जीत को स्थानीय मुद्दों और उम्मीदवार की लोकप्रियता का परिणाम माना जा रहा है।

12 वार्डों के लिए 30 नवंबर को डाले गए थे वोट

एमसीडी के 12 वार्डों के लिए 30 नवंबर को मतदान हुआ था। राज्य चुनाव आयोग ने वोटों की गिनती के लिए 10 केंद्र बनाए थे। इस उपचुनाव में करीब 40 प्रतिशत मतदान हुआ, जो 2022 के एमसीडी चुनावों में दर्ज 50.47 प्रतिशत मतदान से कम है। इस बार कुल 51 उम्मीदवार मैदान में थे, जिनमें 26 महिलाएं शामिल थीं। बीजेपी ने आठ महिला उम्मीदवारों को टिकट दिया था, जबकि आम आदमी पार्टी ने छह और कांग्रेस ने पांच महिला उम्मीदवारों को मौका दिया।

तेलंगाना सीएम के बयान पर घमासान, भाजपा व संघ ने कांग्रेस को घेरा

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
हैदराबाद। तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी को उनके 3 करोड़ हिंदू देवताओं वाले बयान पर राजनीतिक और धार्मिक संगठनों की आलोचना का सामना करना पड़ रहा है, जिसमें उन्होंने कहा था कि हर मौके के लिए एक भगवान होता है। इस टिप्पणी से एक बड़ा राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया है, जिसमें बीजेपी और संघ ने इसे बहुत अपमानजनक कहा है। पार्टी की एग्जीक्यूटिव मीटिंग के दौरान की गई इन टिप्पणियों की बीजेपी और संघ ने कड़ी आलोचना की, और उन पर हिंदू भावनाओं को ठेस पहुंचाने का आरोप लगाया।
इसके तुरंत बाद, बीजेपी के राज्य प्रमुख जी रामचंद्र राव ने मुख्यमंत्री और कांग्रेस सरकार से बिना शर्त माफी की मांग करते हुए राज्य भर में विरोध और आंदोलन की घोषणा की। आने वाले दिनों में पूरे तेलंगाना में विरोध प्रदर्शन तेज होने की उम्मीद है।

रेवंत ने हिंदू देवताओं पर की थी टिप्पणी

मीटिंग में बोलते हुए, मुख्यमंत्री ने हिंदू पूजा की विविधता के बारे में हल्के-फुल्के अंदाज़ में कही गई बात कही। उनकी बात, जो इंटरनल क्लिप्स सामने आने के बाद वायरल हो गई, वह थी, हिंदू धर्म में कितने देवी-देवता हैं? कितने देवी-देवता? तीन करोड़? क्यों? जो लोग अविवाहित हैं, उनके लिए भगवान हनुमान हैं। जिनकी दो बार शादी हुई है, उनके लिए एक और भगवान हैं। जो लोग शराब पीते हैं, उनके लिए एक और भगवान हैं। येल्लम्मा, पोचम्मा, मैसम्मा। जो लोग चिकन मांगते हैं, उनके लिए एक भगवान हैं। और जो लोग दाल-चावल खाते हैं, उनके लिए एक और भगवान हैं, है ना? सभी तरह के देवी-देवता हैं।

धर्म की मुख्य मान्यताओं और रीति-रिवाजों का मजाक : बीजेपी

विपक्षी पार्टियों ने तुरंत इस बयान पर हमला बोल दिया, और इसे हिंदू धर्म की मुख्य मान्यताओं और रीति-रिवाजों का मज़ाक बताया। एक्स पर रेड्डी पर हमला करते हुए, भाजपा की तेलंगाना यूनिट ने कहा, रेवंत रेड्डी ने एक बार फिर हिंदू देवी-देवताओं के खिलाफ जहर उगलकर और कांग्रेस पार्टी के हिंदूफोबिक डीएनए को सामने लाकर शराफत की सारी हदें पार कर दी हैं। एक पब्लिक प्लेटफॉर्म से, उन्होंने बेशर्मी से हिंदू धर्म का मजाक उड़ाया।

कांग्रेस में हिंदुओं के प्रति गहरी नफरत : बंदी संजय

केंद्रीय मंत्री और तेलंगाना भाजपा के पूर्व चीफ बंदी संजय कुमार ने सोशल मीडिया पर एक कड़ा बयान जारी कर कांग्रेस पर हिंदुओं के प्रति दुश्मनी रखने का आरोप लगाया। बंदी संजय ने कहा, मैं मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी के हिंदुओं और हिंदू देवी-देवताओं का अपमान करने वाले कमेंट्स की कड़ी निंदा करता हूं। कांग्रेस हमेशा से एआईएमआईएम के आगे झुकने वाली पार्टी रही है। रेवंत रेड्डी ने खुद कहा था कि कांग्रेस एक मुस्लिम पार्टी है। यह बयान ही उनकी सोच को दिखाता है। कांग्रेस में हिंदुओं के प्रति गहरी नफरत है। उन्होंने आगे कहा, यही वजह है कि हमने जुबली हिल्स उपचुनाव के दौरान चेतावनी दी थी कि अगर कांग्रेस या बीआरएस गलती से जीत गए, तो हिंदू इज्ज़त से बाहर नहीं निकल पाएंगे। मुख्यमंत्री के नए कमेंट्स साबित करते हैं कि बीजेपी सही थी।

कांग्रेस के पीएम मोदी को चायवाला बताते हुए एआई वीडियो पर बवाल

कांग्रेस ने पीएम मोदी को चायवाला बताते हुए उनका एक फनी एआई वीडियो शेयर किया है। वीडियो वायरल होने के बाद इस पर सियासी बवाल मच गया है। वीडियो पर सवाल उठाते बीजेपी ने कहा है कि प्रधानमंत्री की गरिमा के साथ ऐसे कैसे किया जा सकता है। उन्होंने इसे शर्मनाक बताते हुए कहा कांग्रेस का यह घृणित ट्वीट 140 करोड़ मेहनती और योग्य भारतीयों का गंभीर अपमान है। इस एआई वीडियो कांग्रेसी नेता रागिनी नायक के ट्विटर हैंडल से शेयर किया गया है। रागिनी नायक ने एआई वीडियो एक्स पर पोस्ट करते हुए पूछा है कि अब ई कौन किया बे। दरअसल इस वीडियो में प्रधानमंत्री के हाथ में चाय की केतली और कप लेकर दिखाया गया है, ये वीडियो किसी इंटरनेशनल समिट का है। वीडियो को बीजेपी ने प्रधानमंत्री मोदी का अपमान माना है और कांग्रेस पर पलटवार करते हुए कहा है कि 140 करोड़ की जनता पीएम मोदी को आशीर्वाद देती है जबकि राहुल गांधी और कांग्रेस को खारिज कर रही है। बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता सीआर केसवन ने एक्स पोस्ट में कहा, कि कांग्रेस का यह शर्मनाक ट्वीट कांग्रेस नेतृत्व की विकृत मानसिकता को उजागर करता है। यह कांग्रेस द्वारा ओबीसी समुदाय पर सीधा हमला है।
कांग्रेस नेतृत्व और राहुल गांधी इस तथ्य से नफरत करते हैं कि भारत की जनता लगातार प्रधानमंत्री मोदी जी को आशीर्वाद देती है और चुनती है, जो समर्पण और कड़ी मेहनत से आगे बढ़े हैं, जबकि अहंकारी और विशेषाधिकार प्राप्त राहुल गांधी को जनता ने बार-बार खारिज किया है। भारत की जनता इस पतित कांग्रेस को कड़ा सबक सिखाएगी।

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