दिल्ली वायु प्रदूषण को राष्ट्रीय स्वास्थ्य आपातकाल घोषित करने की मांग

  • व्यापार पहले से चौपट है अब सेहत की बारी
  • वायु प्रदषूण खतरनाक स्तर पर सरकार सिर्फ कोशिश कर रही है
  • कन्याकुमारी से सांसद विजय कुमार ने उठाई मांग
  • प्रदूषण के चलते सुप्रीम कोर्ट ने दी हाइब्रिड सुनवाई की सलाह
  • पलायन के बारे में सोचने लगे हैं दिल्लीवासी

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। दिल्ली का नजारा डरावना हो चला है। वायु प्रदूषण खतरनाक स्तर पर पहुंच चुका है। दिल्ली में सांस लेने के काबिल नहीं बची और हालात इस कदर बिगड़ चुके हैं कि आंखें खोलकर सामने देख पाना भी चुनौती बन गया है। आज संसद के शीतकालीन सत्र में कन्याकुमारी से सांसद विजय कुमार ने दिल्ली के वायु प्रदूषण को राष्ट्रीय स्वास्थ्य आपातकाल घोषित करने की मांग कर दी है।
लेकिन सत्ता के गलियारों में अब भी वही पुराना राग अलापा जा रहा है कि कोशिश की जा रही है। आज सुबह राजधानी की विजिबिलिटी लगभग शून्य दर्ज की गई सड़कों पर वाहनों की रफ्तार थम गई और लंबा जाम इस बात का गवाह बना कि दिल्ली सिर्फ ट्रैफिक में नहीं सिस्टम में भी फंसी हुई है। यह वह शहर है जहां देश की नीतियां बनती हैं लेकिन जहां आम नागरिक की सांसें अब नीति की प्राथमिकता नहीं रहीं।

हाइब्रिड सुनवाई पर उतरी सुप्रीम कोर्ट

स्थिति इतनी भयावह हो चुकी है कि सुप्रीम कोर्ट को खुद आगे आकर प्रदूषण के चलते हाइब्रिड सुनवाई की सलाह देनी पड़ी ताकि वकील जज और कर्मचारी कम से कम इस जहरीली हवा में आने से बच सकें। यह सलाह अपने आप में एक सवाल है कि अगर देश की सबसे बड़ी अदालत को यह मानना पड़ रहा है कि दिल्ली की हवा इंसानों के लिए सुरक्षित नहीं है तो फिर सरकार की भूमिका क्या रह जाती है? अदालतें एहतियात बरत रही हैं और सरकार अब भी आंकड़ों और बैठकों में उलझी दिख रही है।

नीतिगत निष्क्रियता के संकट में दिल्ली

दिल्ली आज किसी प्राकृतिक आपदा की गिरफ्त में नहीं, बल्कि नीतिगत निष्क्रियता के संकट में है। सवाल यह नहीं है कि प्रदूषण क्यों बढ़ा सवाल यह है कि जब सबको पता था कि यह बढ़ेगा तो सरकार ने समय रहते क्या किया? जवाब अगर सिर्फ कोशिश है तो यह मान लेना चाहिए कि दिल्ली की हवा के साथ-साथ शासन की संवेदनशीलता भी दम तोड़ रही है।

फिर याद आये केजरीवाल

दिल्ली की सीएम रेखा गुप्ता को एक बार फिर केजरीवाल की याद आयी है। उन्होंने बयान जारी कर कहा है कि वह दिल्ली में रहकर प्रदूषण की समस्या का समाधान निकालने की कोशिश कर रही है। उन्होंने कहा कि हम उनके जैसे नहीं है कि दिल्ली को उसके हाल पर छोड़ कर हर 6 महीने विपश्यना करने भाग जाएं। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर सीएम ने कहा लिखा है कि दिल्ली में प्रदूषण की समस्या का हम दिल्ली में रहकर समाधान निकाल रहे हैं। हम उनके जैसे नहीं है कि दिल्ली को उसके हाल पर छोड़ कर हर 6 महीने विपश्यना करने भाग जाएं। उन्होंने कहा कि मेरी दिल्ली मेरी जिम्मेदारी हम इस भावना से काम कर रहे हैं। समस्या भी यहीं है समाधान भी यहीं निकलेगा। दिल्ली के लिए दिल्ली में रहकर। प्रदूषण नियंत्रण के लिए शॉर्ट टर्म और लॉन्ग टर्म दोनों तरह के उपाय किए जा रहे हैं।

मंदी की मार, अस्पतालों में मरीजों की बाढ़

दिल्ली का व्यापार पहले ही मंदी महंगाई और नीतिगत अस्थिरता से जूझ रहा था। दुकानें सूनी हैं बाजारों में रौनक गायब है छोटे कारोबारी उधारी पर टिके हैं। अब इस आर्थिक संकट के ऊपर सेहत का संकट टूट पड़ा है। अस्पतालों में सांस के मरीज बढ़ रहे हैं बच्चों और बुजुर्गों के लिए बाहर निकलना जोखिम बन चुका है लेकिन शासन के स्तर पर कोई आपातकालीन दृढ़ता नजर नहीं आती। दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता लगातार प्रयास की बात कर रही हैं लेकिन जमीन पर हालात बता रहे हैं कि प्रयास और परिणाम के बीच खाई लगातार चौड़ी हो रही है। यह वही दिल्ली है जहां हर सर्दी में प्रदूषण लौटता है हर साल चेतावनियां दी जाती हैं और हर साल सरकारें एक-दूसरे पर जिम्मेदारी डालकर निकल जाती हैं। इस बार फर्क सिर्फ इतना है कि हालात और ज्यादा डरावने हैं। जनता का सब्र जवाब दे रहा है और अब राजधानी के निवासी पहली बार गंभीरता से यह सोचने लगे हैं कि क्या इस शहर में रहना सुरक्षित है। पलायन का विचार जो कभी रोजगार या महंगाई से जुड़ा था अब सीधे सांस और जीवन से जुड़ गया है।

मध्यम वर्ग को रास नहीं आ रही दिल्ली

दिल्ली के मध्यम वर्ग और पेशेवर तबके में अब एक नया सवाल जन्म ले रहा है। क्या इस शहर में रहना सुरक्षित है? माता-पिता बच्चों को स्कूल भेजने से डर रहे हैं। बुजुर्गों को सुबह की सैर जानलेवा साबित हो रही है। यह सिर्फ़ प्रदूषण नहीं शासन पर भरोसे का संकट बन जाता है। पलायन की चर्चा कोई अफवाह नहीं है यह सिस्टम पर जनता के भरोसे के टूटने का संकेत है। राजधानी से लोग नहीं भाग रहे वह लापरवाही से बचने की कोशिश कर रहे हैं।

स्वास्थ्य आपातकाल घोषित करने की मांग

तमिलनाडु के कन्याकुमारी लोकसभा क्षेत्र से सांसद विजय कुमार उर्फ विजय वसंत ने संसद में स्थगन प्रस्ताव के जरिए राष्ट्रीय स्वास्थ्य आपातकाल घोषित करने की मांग की है। दिल्ली की स्थिति पर चिंता जताते हुए सांसद विजय वसंत ने कहा है कि राजधानी एक तरह से गैस चैंबर में बदल चुकी है जहां करोड़ों लोग जहरीली हवा सांस लेने को मजबूर हैं। इसका सबसे ज्यादा असर बच्चों, बुजुर्गों और पहले से बीमार लोगों पर पड़ रहा है। सांस लेना तक मुश्किल हो गया है और आम जनजीवन बुरी तरह प्रभावित हो रहा है। वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएएक्यूएम) की रिपोर्ट के अनुसार, सड़कों की खराब हालत, धूल नियंत्रण में नाकामी और कचरा प्रबंधन में भारी चूक हो रही है। कई इलाकों में धूल से भरी सड़कें, निर्माण कार्यों का मलबा, खुले में पड़ा कचरा और कचरा जलाने की घटनाएं बिना रोक-टोक जारी है, जिससे प्रदूषण और बढ़ रहा है। दिल्ली-एनसीआर के अस्पतालों में पिछले दो दिनों में सांस से जुड़ी बीमारियों से पीडि़त मरीजों की संख्या में करीब 25 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। डॉक्टरों का कहना है कि हालात अब केवल पर्यावरण की समस्या नहीं रह गए हैं, बल्कि यह एक गंभीर सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट बन चुके हैं। सांसद विजय वसंत ने इसे भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत जीवन के अधिकार का सीधा उल्लंघन बताया। उन्होंने सरकार से तुरंत राष्ट्रीय स्वास्थ्य आपातकाल घोषित करने, आपात स्वास्थ्य उपाय लागू करने, गैर-जरूरी प्रदूषण फैलाने वाली गतिविधियों पर रोक लगाने और जिम्मेदारी तय करने की मांग की।

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