मोदी के मंत्री ने मंच से कबूली वोट चोरी! ऐसे भाजपा ने जीता बिहार चुनाव?

वोट चोरी को लेकर आज एक ऐसा खुलासा हुआ जो आज से पहले कभी नहीं हुआ होगा। एक ऐसा खुलासा जिसके बाद मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार और प्रधानमंत्री मोदी मुश्किल में पड़ गए हैं।

4पीएम न्यूज नेटवर्क: वोट चोरी को लेकर आज एक ऐसा खुलासा हुआ जो आज से पहले कभी नहीं हुआ होगा। एक ऐसा खुलासा जिसके बाद मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार और प्रधानमंत्री मोदी मुश्किल में पड़ गए हैं। और इस बार खुलासा करने वाला और कोई नहीं बल्कि खुद मोदी मंत्री हैं।

  मोदी के मंत्री ने पूरी तरकीब बताई है कि कैसे उन्होंने चुनाव आयोग से सेटिंग करके वोट चोरी करके चुनाव जीता और जितवाया है। और सबसे हैरानी की बात य है कि ये खुलासा उन्होंने धोखे से नहीं बल्कि मंच से खुड़े हो कर खुद बताया है। तो कौन से वो मंत्री जी हैं जिन्होंने हीरो बनने के चक्कर में मोदी जी और ज्ञानेश कुमार को बुरी तरह से फंसा दिया है, सब बताएंगे आपको इस वीडियो में। साथ ही आपको ये भी बताएंगे कि यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने वोट चोरी पर बयानबाजी करके अपने ही पैर पर कुल्हाड़ी मार ली है

पिछले दिनों जब बिहार चुनाव का जब रिजल्ट आया था विपक्ष ने वोट चोरी होने के गंभीर आरोप लगाए थे। कांग्रेस ने चुनाव आयोग पर बिहार में चुनाव के बीच तीन लाख वोटर जोड़ने का आरोप लगाए थे। कांग्रेस का कहना था कि जहां चुनाव शुरू होने से पहले 6 अक्तूबर को बिहार में वोटरों की संख्या क़रीब 7.42 करोड़ थी, वहीं ये आंकड़ा चुनाव के बीच 11 नवंबर को 7.45 करोड़ हो गया. आंकड़ों के इस फर्क को लेकर कांग्रेस चुनाव आयोग से सवाल उठाया तो ज्ञानेश कुमार चुप्पी साध कर बैठ गए थे। लेकिन अब देखिए खुद मोदी मंत्री का एक वीडियो वायरल हो रहा है

जिसमें साफ तौर पर वो कहते हुए नजर आ रहे हैं कि उन्होंने एक प्रत्याशी को डीएम के साथ सेटिंग करके विजयी बना दिया। और ऐसा कहने वाले और कोई नहीं बल्कि मोदी के प्रिय केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी हैं। जीतन राम मांझी का एक बयान बिहार की सियासी फिजा में तैर रहा है।जिसमें वो साफ कहते नजर आ रहे हैं कि उन्होंने एक प्रत्याशी को डीएम के साथ सेटिंग करके चिनावा जितवाया था। इतना ही नहीं जीतन राम मांझी कहते हैं कि इस बार यानी 2025 के चुनाव में प्रत्याशी 1600 वोट से नहीं हारते, अगर उन्होंने उनसे संपर्क किया होता। मतलब किसी को चुनाव जीतना हो तो जीतन राम मांझी से संपर्क करें।

बिहार के गयाजी जिले के बाराचट्टी विधानसभा क्षेत्र के मोहनपुर प्रखंड के एक कार्यक्रम में जीतनराम मांझी ने ये बयान दिया था। ये क्लिप उसी कार्यक्रम की बताई जा रही है। हालांकि जीतन राम मांझी ने कहा है कि वीडियो के साथ छेड़छाड़ की गई है। उन्होंने अपने एक्स पर लिखा है कि मेरे एक विडियो के साथ छेडछाड कर वायरल करने वाले कुछ लोगों को लगता है कि मुसहर के लाल को बदनाम कर देंगें। ऐसे लोगों को मैं बता देना चाहता हूँ कि अब मुसहर के बेटे को कोई ना तो अपमानित कर सकता है ना ही बेवक़ूफ़ बना सकता है। आसमान पर थूकने वालों तुम यह भूल रहे हो कि आसमान पर फेंका हुआ थूक तुम्हारे मुंह पर ही गिरेगा। अब मांझी ब्रांड हो चुका है,किसी से डरने वाला नहीं।” दोस्तों मंत्री जी का ये बयान साफ कहता है कि पहले चोरी करो, फिर पूरी स्कीम समझाओ और जब फंस जाओ तो कह दो ये झूठ, मैं किसी से डरता नहीं हूं।

2025 के विधानसभा चुनाव के ऊपर से वोट चोरी का विवाद अभी थमा नहीं है कि मांझी के इस बयान से तूफान आ गया है। विपक्ष लगातार वोट चोरी की बात कह रहा है। ऐसे में मांझी का ये बयान उनके आरोपों को साबित करने के लिए काफी है। मांझी के बयान पर आरजेडी ने वीडियो शेयर करते हुए लिखा है कि, ‘ये भारत सरकार में कैबिनेट मंत्री, बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री तथा हम पार्टी के संरक्षक जीतन राम मांझी जी है जो ठगेश कुमार जैसे पिद्दी पालतू आयुक्त के मुंह पर करारा तमाचा जड़ डंके की चोट पर खुले मंच से चुनाव नतीजों में हेरा-फेरी, मशीनरी और धांधली से चुनाव जितने का शाही फॉर्मूला बता रहे हैं।’ वहीं कांग्रेस ने भी इस वीडियो को शेयर करते हुए केंद्रीय मंत्री पर निशाना साधा है। कांग्रेस ने लिखा है कि ‘इस बयान से साफ है. नरेंद्र मोदी, BJP और इनके सहयोगी दल ‘वोट चोरी’ करके चुनाव जीत रहे हैं. ये लोग चुनाव आयोग के साथ सेटिंग करके लोकतंत्र की हत्या कर रहे हैं.’

मोदी है तो मुमकिन है मुहिम का असर है कि आज चुनाव आयोग के साथ वोट चोरी का ऐसा ठप्पा लगा है जिसे जितना भी झूठ से धोया जाए वो अब मिट नहीं सकता है। बात अब यहां तक पहुँच चुकी है कि सत्ता में बैठे लोग अब इस बात ये छुपते भी नजर नहीं आ रहे हैं कि उन्होंने वोट चोरी या वोटर  लिस्ट में कोई धांधली नहीं की है। अब आपने मांझी का बयान सुना कि कैसे उनकी सेटिंग से चुनाव हारा या जीता जा सकता है। अब आप देखिए इसी तरह का खेल एसआईआर को लेकर भी खेला जा रहा है जहां लिस्ट आने से पहले ही नेतीओं को पता है कि चुनाव आयोग ने कितने नाम जोड़े और घटाएं हैं।

अब देखिए हाल ही में यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बड़ा दावा किया था कि एसआईआर के बाद राज्य में मतदाताओं की संख्या में करीब 4 करोड़ की कमी होने वाली है। अब देखिए यहीं वो अपने बड़ बोलेपन में फंस गए। इसको लेकर सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने मुख्यमंत्री योगी पर हमला बोलते हुए कहा कि बिना किसी आधिकारिक डेटा के मुख्यमंत्री यह कैसे कह सकते हैं कि चार करोड़ मतदाता सूची से हट गए हैं। अखिलेश यादव ने कहा कि यह बयान साबित करता है कि राज्य सरकार और चुनाव आयोग मिलकर मतदाता सूची में हेरफेर कर रहे हैं और इसका सबसे बड़ा निशाना समाजवादी पार्टी है।

इस पूरे मामले का निष्कर्ष सिर्फ एक वायरल वीडियो या एक नेता के बयान तक सीमित नहीं है, बल्कि यह हमारे लोकतंत्र की बुनियाद पर उठता सबसे गंभीर सवाल है। जब सत्ता में बैठे मंत्री खुले मंच से यह कहते नजर आएं कि डीएम से “सेटिंग” करके चुनाव जितवाया जा सकता है, तो यह महज जुबान फिसलना नहीं, बल्कि उस सिस्टम का आईना है जिस पर जनता भरोसा करती है। और जब सवाल उठें तो जवाब देने के बजाय वीडियो से छेड़छाड़, बदनाम करने की साजिश और डर न लगने जैसी बातें कही जाएं, तो शक और गहराता चला जाता है।

बिहार से लेकर यूपी तक, वोटर लिस्ट, एसआईआर, वोट जोड़ने-घटाने और प्रशासनिक भूमिका को लेकर जो आरोप लग रहे हैं, वे अब विपक्ष के बयान भर नहीं रह गए हैं। खुद सत्ता पक्ष के नेताओं की जुबान से निकली बातें इन आरोपों को वजन देती नजर आती हैं। चुनाव आयोग जैसी संवैधानिक संस्था की चुप्पी इस पूरे विवाद को और भी संदिग्ध बना देती है। लोकतंत्र में चुनाव आयोग का मतलब निष्पक्षता, पारदर्शिता और भरोसा होता है, लेकिन आज वही संस्था कटघरे में खड़ी दिख रही है।

सबसे खतरनाक बात यह है कि “मोदी है तो मुमकिन है” जैसे नारों के बीच अब वोट चोरी भी मुमकिन है, यह धारणा आम लोगों के मन में बैठती जा रही है। अगर जनता का यह भरोसा टूट गया कि उसका वोट सुरक्षित नहीं है, उसकी गिनती ईमानदारी से नहीं होगी, तो फिर चुनाव सिर्फ एक औपचारिक रस्म बनकर रह जाएंगे। यही कारण है कि विपक्ष इसे लोकतंत्र की हत्या बता रहा है और सड़कों से लेकर संसद तक सवाल उठा रहा है।

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