क्यों Priyanka Gandhi को PM बनाने की उठी मांग? क्या सच में Indira Gandhi जैसा है विजन?

देश की राष्ट्रीय राजनीति पिछले कुछ दिनों में एक नए चर्चा के इर्द-गिर्द घूम रही है...और वो चर्चा है प्रियंका गांधी वाड्रा को प्रधानमंत्री बनाने की मांग को लेकर…..लेकिन, ये चर्चा अचानक नहीं आई है…

4पीएम न्यूज नेटवर्क: देश की राष्ट्रीय राजनीति पिछले कुछ दिनों में एक नए चर्चा के इर्द-गिर्द घूम रही है…और वो चर्चा है प्रियंका गांधी वाड्रा को प्रधानमंत्री बनाने की मांग को लेकर…..लेकिन, ये चर्चा अचानक नहीं आई है…

बल्कि पिछले कुछ समय से कांग्रेस और विपक्षी राजनीति में नेतृत्व, रणनीति और आगामी चुनावों को लेकर जो सवाल उठ रहे हैं…उसी का नतीजा है…हाल ही में कांग्रेस सांसद इमरान मसूद ने ये कहा कि अगर प्रियंका गांधी को PM बनाया जाए…तो वो इंदिरा गांधी की तरह निर्णायक नेतृत्व दिखा सकती हैं…इस बयान के बाद राजनीतिक गलियारों में प्रतिक्रिया तेज हुई है….

हालांकि, इसे लेकर लोगों का समर्थन भी मिल रहा है और आलोचना भी हो रही है…इस बयान के तुरंत बाद रॉबर्ट वाड्रा…जोकि प्रियंका गांधी के पति हैं…उन्होंने भी इस विचार पर अपनी प्रतिक्रिया दी है…रॉबर्ट वाड्रा ने कहा कि देश के विभिन्न हिस्सों से प्रियंका गांधी को आगे आने की मांग आ रही है और ये केवल एक व्यक्ति की इच्छा नहीं है…बल्कि जनता की अपेक्षा भी है…

क्योंकि जब लोग कहते हैं कि प्रियंका गांधी को PM बनाओ…तो असल में वो क्या सोच रहे हैं?….इसे समझने के लिए, हमें कांग्रेस पार्टी के नेतृत्व और भारतीय राजनीति के मौजूदा हलातों को देखना होगा…तो कांग्रेस पार्टी में लंबे समय से एक सशक्त नेतृत्व की तलाश रही है…कांग्रेस सांसद राहुल गांधी लंबे समय से पार्टी के मुख्य चेहरे रहे हैं…लेकिन 2014 के बाद से लगातार असफलताओं और चुनावी नतीजों के दबाव के कारण सवाल उठते रहे हैं…हाल के दिनों में बीजेपी ने भी राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए कहा है कि…कांग्रेस में उनके प्रति समर्थन कमजोर है…ऐसे में प्रियंका गांधी का नाम नए नेतृत्व के विकल्प के रूप में सामने आता है…

प्रियंका गांधी वाड्रा नेहरू-गांधी परिवार की सदस्य हैं और कांग्रेस से जुड़ी प्रमुख नेता हैं…उन्होंने लंबे समय तक अनौपचारिक रूप से राजनीति में योगदान दिया…खासकर अमेठी और रायबरेली में अपनी मां सोनिया गांधी और भाई राहुल गांधी के लिए प्रचार और मतदाता संपर्क किया…2019 में उन्होंने औपचारिक रूप से राजनीति में एंट्री की और उत्तर प्रदेश (पूर्वी भाग) की महासचिव बनीं…उसके बाद 2020 में पूरे उत्तर प्रदेश की जिम्मेदारी संभाली और 2024 लोकसभा चुनाव में सक्रिय रूप से प्रचार किया…नवंबर 2024 में वायनाड उपचुनाव में पहली बार चुनाव लड़ी और भारी बहुमत से लोकसभा सांसद चुनी गईं…और वर्तमान में वो वायनाड से सांसद और कांग्रेस की महासचिव हैं….

उन्होंने कई मुद्दों पर आवाज़ उठाई है….खासकर हिंदू, ईसाई और बौद्ध अल्पसंख्यकों पर बांग्लादेश में बढ़ते अत्याचार के खिलाफ संवाद करके…….और इमरान मसूद ने इसी को लेकर कहा कि अगर प्रियंका प्रधानमंत्री होतीं…तो वो इंदिरा गांधी की तरह कठोर निर्णय लेतीं…….ये तुलना सिर्फ एक राजनीतिक बयान नहीं, बल्कि नेतृत्व की क्षमता, निर्णायकता, और दृढ़ता की कल्पना को लेकर एक बड़ा प्रतीकात्मक संकेत है…इमरान मसूद ने प्रियंका गांधी को PM बनाने की जो वकालत की है…वो सिर्फ एक बयान नहीं, बल्कि राजनीतिक रणनीति का हिस्सा भी है….

कांग्रेस सांसद इमरान मसूद ने कहा कि…पिछली बार बांग्लादेश के अंदर जो हो रहा था…उस पर सबसे ज्यादा बोलने का काम प्रियंका गांधी ने किया…उन्होंने आगे कहा कि…प्रियंका गांधी को प्रधानमंत्री बनाइए न, फिर देखिए कैसे जवाब देती हैं इंदिरा गांधी की तरह…इंदिरा गांधी पाकिस्तान के दो टुकड़े कर के आई थीं न, ऐसे ही प्रियंका गांधी भी जवाब देंगी…इसके साथ ही इमरान मसूद ने कहा कि…प्रियंका गांधी ऐसा इलाज करेंगी कि ये यानी बांग्लादेश भारत विरोधी अड्डा नहीं बन पाएगा…

यानी कि इमरान मसूद ने उन्होंने ये सुझाव दिया कि अगर प्रियंका गांधी वही नेतृत्व दिखा सकेंगी…जैसा इंदिरा गांधी ने अपने समय में किया था…तो देश के सामने खड़े मुद्दों का सामना बेहतर ढंग से किया जा सकता है……..दोस्तों, यहां इंदिरा गांधी का ज़िक्र महज एक राजनैतिक तुलना नहीं है…ये नेतृत्व का प्रतीक भी है…जो भारत में दशकों पहले मजबूत निर्णय और स्पष्ट दिशा देने के लिए पहचाना जाता था…

इमरान मसूद ने अपने बयान में बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर हिंसा को मुद्दा बनाकर प्रियंका गांधी की भूमिका को रेखांकित किया…उनके अनुसार, प्रियंका गांधी ने इस तरह के सामाजिक मुद्दों पर आवाज़ उठाई है…जिसका नेतृत्व एक प्रधानमंत्री के रूप में और भी असरदार हो सकता है…बाद में मसूद ने अपने बयान की सफाई भी दी…जिसमें उन्होंने कहा कि कांग्रेस में राहुल गांधी अभी भी मुख्य नेतृत्व हैं…लेकिन उनकी टिप्पणी केवल प्रियंका गांधी की क्षमता पर केंद्रित थी…

वहीं जब इमरान मसूद ने इस मांग की बात कही…तो रॉबर्ट वाड्रा ने सामने आकर इसे और भी बड़ी मांग के रुप में पेश कर दिया…कांग्रेस सांसद इमरान मसूद की प्रियंका गांधी को प्रधानमंत्री पद का चेहरा बनाने की मांग का रॉबर्ट वाड्रा ने समर्थन किया और पत्नी प्रियंका गांधी की तारीफ करते हुए उन्होंने कहा कि….प्रियंका का राजनीतिक भविष्य बेहद उज्ज्वल है और आने वाले समय में बहुत से लोग उन्हें देश की प्रधानमंत्री के रूप में देखना चाहेंगे…यही नहीं रॉबर्ट वाड्रा ने भरोसा जताया कि ये केवल समय की बात है और ऐसा होकर रहेगा…साथ ही उन्होंने कहा कि…प्रियंका गांधी जमीनी मुद्दों को अच्छी तरह समझती हैं और लोगों की राय को साथ लेकर चलने में विश्वास रखती हैं…उन्होंने कहा कि…

प्रियंका देश में जिस तरह के बदलाव की जरूरत है…उसे समझती हैं…वो सिर्फ अपनी बात नहीं रखतीं…बल्कि लोगों की बात भी सुनती हैं…समय आने पर ये जरूर होगा…इसके साथ ही रॉबर्ट वाड्रा ने कहा कि…प्रियंका गांधी को अपने परिवार से राजनीति की गहरी समझ मिली है…उन्होंने बताया कि…प्रियंका ने अपनी दादी इंदिरा गांधी, पिता राजीव गांधी, मां सोनिया गांधी और भाई राहुल गांधी से बहुत कुछ सीखा है…लोग उन्हें पसंद करते हैं क्योंकि वो दिल से बोलती हैं और जरूरी मुद्दों पर खुलकर बात करती हैं…

यानी ये कहना गलत नहीं होगा कि…इमराम मसूद के बाद रॉबर्ट वाड्रा ने भी माना कि लोग प्रियंका गांधी को प्रधानमंत्री देखने की इच्छा रखते हैं…लेकिन ये एक राजनैतिक मांग है न कि फिलहाल कोई निश्चित निर्णय….ऐसे में अब सबसे बड़ा सवाल ये है कि क्या प्रियंका गांधी के पास इंदिरा गांधी जैसा विजन है?…….तो जैसा कि हम सभी जानते हैं कि प्रियंका गांधी न सिर्फ गांधी-नेहरू परिवार की उत्तराधिकारी हैं…बल्कि उन्होंने राजनीति में आम लोगों के मुद्दों को उठाया है…उनके समर्थकों का कहना है कि…

वो मीडिया और जनता से संवाद अच्छे से कर सकती हैं…सामाजिक मुद्दों पर आवाज़ उठाती हैं और सबसे जरूरी कांग्रेस के लिए एक नई ऊर्जा और दिशा ला सकती हैं…ये क्षमता शायद इंदिरा गांधी की मानसिकता से प्रेरित है…इंदिरा गांधी भी सामाजिक मुद्दों और लोकतांत्रिक निर्णयों पर अपनी स्पष्ट भूमिका के लिए जानी जाती थीं…और कई बार देखा गया कि लोगों ने खुद प्रियंका गांधी की तुलना इंदिया गांधी से पहले भी की…

हालांति, सवाल ये भी उठता है कि क्या वही निर्णायक क्षमता प्रियंका गांधी में भी है?…तो इंदिरा गांधी का नेतृत्व 1971 के युद्ध और आपातकाल जैसी परिस्थितियों से जुड़ा रहा है…वो कठिन परिस्थितियों में निर्णायक फैसले लेने के लिए जानी जाती थीं…प्रियंका गांधी अब कांग्रेस के एक सक्रिय नेता के रूप में उभर रही हैं…लेकिन उनका राजनीतिक प्रशासन और प्रधानमंत्री बनने की क्षमता अभी बड़े राजनीतिक अनुभव के स्तर पर प्रमाणित नहीं हुई है…यानी इंदिरा गांधी जैसा विजन लाना एक चाह है….लेकिन उस तक पहुंचना एक चुनौती है…ये कहना गलत नहीं होगा कि प्रियंका गांधी में लोकप्रियता और सामाजिक न्याय जैसे मुद्दों पर संवेदनशीलता है…लेकिन अभी ये कहना जल्दबाजी होगी कि वो वही प्रभावशाली नेतृत्व कर पाएंगी…जो इंदिरा गांधी ने की थी…

लेकिन सोचिए कि अगर प्रियंका गांधी प्रधानमंत्री बनती हैं…तो देश की राजनीति में क्या बदल सकता है?…क्योंकि, प्रियंका गांधी का नाम प्रधानमंत्री के रूप में उभरना ये संकेत देता है कि कांग्रेस एक नया राजनीतिक चेहरा और पहचान ढूंढ रही है…ये रणनीति बीजेपी के लगातार मजबूत नेतृत्व के मुकाबले एक अलग विकल्प के रूप में देखी जा रही है…वहीं बीजेपी ने इस मुद्दे को कांग्रेस की आंतरिक अस्थिरता और राहुल गांधी की नेतृत्व क्षमता पर सवाल के रूप में पेश किया है…भाजपा इस बहस का फायदा उठाने की कोशिश कर रही हैं…ताकि कांग्रेस को टूटा हुआ दिखाया जा सके…जनता के बीच प्रियंका गांधी का नाम कुछ वर्गों में लोकप्रिय है…खासकर युवाओं और समाज-न्याय समर्थकों में…लेकिन राष्ट्रीय पटल पर प्रधानमंत्री के रूप में स्वीकार्यता पाना अभी एक लंबा सफर है…जिसमें चुनावी परिणाम, पार्टी संगठन, नीति-निर्माण क्षमता और व्यवहारिक नेतृत्व शामिल हैं…

आज प्रियंका गांधी को प्रधानमंत्री बनाने की मांग केवल एक बयान नहीं है…ये कांग्रेस के नेतृत्व को लेकर चल रही बहस…भारतीय राजनीति में नया नजरिया और देश की बदलती राजनीतिक आकांक्षाएं और नेतृत्व के भविष्य की विषय है…..इमरान मसूद और रॉबर्ट वाड्रा के हालिया बयान इस बहस को और तेज कर रहे हैं…लेकिन ये साफ है कि अभी तक ये आधिकारिक पार्टी निर्णय नहीं है…बल्कि एक सार्वजनिक और राजनीतिक चर्चा है…जहां कुछ लोग प्रियंका गांधी में नेतृत्व की क्षमता और इंदिरा गांधी जैसा दृढ़ निर्णय देखते हैं…वहीं दूसरे इसे ऐसी राजनीतिक प्रतिक्रियाओं और रणनीतिक बयानबाजी के रूप में देखते हैं…जो चुनावी राजनीति का हिस्सा हैं………लेकिन, आप इसे लेकर क्या सोचते हैं?…क्या भविष्य में प्रियंका गांधी को देश का प्रधानमंत्री बनना चाहिए?

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