शराबबंदी का अंत? मोदी–शाह के गढ़ में पीने की खुली छूट!
मोदी–शाह के गढ़ कहे जाने वाले राज्य में शराब को लेकर सरकार के नए फरमान ने सियासी और सामाजिक हलकों में हलचल मचा दी है...

4पीएम गुजरातः गुजरात, जिसे दशकों से शराबबंदी के लिए जाना जाता है.. वहां पर हाल ही में एक बड़ा और ऐतिहासिक फैसला लिया है.. गांधीनगर में स्थित गुजरात इंटरनेशनल फाइनेंस टेक-सिटी (गिफ्ट सिटी) में.. शराब के सेवन से संबंधित नियमों को.. और आसान कर दिया गया है.. यह फैसला गुजरात सरकार द्वारा 20 दिसंबर को जारी एक अधिसूचना के तहत लिया गया.. जिसमें गिफ्ट सिटी के भीतर शराब पीने के लिए पहले जरूरी अस्थायी परमिट की शर्त को पूरी तरह हटा दिया गया.. अब गुजरात के बाहर से आने वाले पर्यटकों.. और विदेशी नागरिकों को केवल एक वैध फोटो पहचान पत्र दिखाकर गिफ्ट सिटी के होटलों, क्लबों.. और रेस्तरां में शराब का सेवन करने की अनुमति होगी…
आपको बता दें कि यह बदलाव न केवल गुजरात की शराबबंदी नीति में एक महत्वपूर्ण बदलाव है.. बल्कि गिफ्ट सिटी को वैश्विक वित्तीय और व्यापारिक केंद्र के रूप में स्थापित करने की दिशा में भी एक बड़ा कदम है.. वहीं इस फैसले ने राज्य और देशभर में बहस छेड़ दी है.. कुछ लोग इसे आर्थिक प्रगति और वैश्वीकरण की जरूरत मान रहे हैं.. जबकि कुछ इसे गुजरात की सांस्कृतिक और नैतिक विरासत के खिलाफ देख रहे हैं..
गुजरात की शराबबंदी नीति की जड़ें गहरी और ऐतिहासिक हैं.. इसका आधार महात्मा गांधी के विचारों में निहित है.. जो पूर्ण नशामुक्ति के समर्थक थे.. गांधीजी का जन्म गुजरात के पोरबंदर में हुआ था.. और वे शराब को सामाजिक बुराई मानते थे.. जो गरीबी, घरेलू हिंसा और नैतिक पतन को बढ़ावा देती है.. आजादी के बाद उनके विचारों ने गुजरात की नीतियों को आकार दिया.. 1960 में जब गुजरात को बॉम्बे स्टेट से अलग कर एक नया राज्य बनाया गया.. तब बॉम्बे प्रोहिबिशन एक्ट, 1949 को लागू किया गया.. जिसे अब गुजरात प्रोहिबिशन एक्ट के नाम से जाना जाता है.. इस कानून के तहत शराब का उत्पादन, बिक्री, खरीद.. और सेवन पूरी तरह प्रतिबंधित है.. वहीं इसका उल्लंघन करने वालों को जुर्माना और जेल की सजा हो सकती है..
आपको बता दें कि पिछले कुछ दशकों में इस नीति की आलोचना भी हुई है.. आलोचकों का कहना है कि शराबबंदी से काला बाजार.. और तस्करी बढ़ी है.. जिससे सरकार को अरबों रुपये का राजस्व नुकसान हुआ.. फिर भी, गुजरात ने इस नीति को बनाए रखा.. और इसे राज्य की सांस्कृतिक पहचान का हिस्सा माना जाता है.. गुजरात इंटरनेशनल फाइनेंस टेक-सिटी (गिफ्ट सिटी) गुजरात के गांधीनगर.. और अहमदाबाद के बीच साबरमती नदी के किनारे 880 एकड़ में फैला भारत का पहला स्मार्ट सिटी.. और इंटरनेशनल फाइनेंशियल सर्विसेज सेंटर है.. इसका उद्देश्य भारत को वैश्विक वित्त, प्रौद्योगिकी.. और नवाचार का केंद्र बनाना है.. यह सिंगापुर, दुबई और लंदन जैसे वैश्विक वित्तीय केंद्रों के समकक्ष बनाया जा रहा है.. गिफ्ट सिटी में विश्व स्तरीय बुनियादी ढांचा, कर छूट.. और नियामक सुगमता जैसे लाभ दिए जाते हैं.. ताकि विदेशी निवेश, बैंक, फिनटेक कंपनियां और आईटी फर्म्स आकर्षित हों..
गिफ्ट सिटी में 500 से ज्यादा कंपनियां काम कर रही हैं.. जिनमें अंतरराष्ट्रीय बैंक, स्टॉक एक्सचेंज और फंड मैनेजमेंट कंपनियां शामिल हैं.. जून 2025 तक, 272 फंड्स ने 22.11 बिलियन डॉलर की कमिटमेंट के साथ रजिस्ट्रेशन किया.. जिसमें से 9.8 बिलियन डॉलर का निवेश हो चुका है.. यह सिटी भारत के वित्तीय क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव लाने की दिशा में काम कर रही है.. गुजरात में शराबबंदी के बावजूद, पिछले कुछ सालों में कुछ छूट दी गई है.. जिसके चलते विशेष आर्थिक क्षेत्रों.. और पर्यटन नीति के तहत कुछ होटलों में शराब की बिक्री की अनुमति दी गई.. जिसमें करीब 60 होटल और क्लबों को लाइसेंस मिला है.. जो पर्यटकों और स्वास्थ्य परमिट धारकों को शराब दे सकते हैं..
गिफ्ट सिटी में शराब की अनुमति का पहला कदम दिसंबर 2023 में उठाया गया.. जब गुजरात सरकार ने गुजरात प्रोहिबिशन (संशोधन) बिल, 2023 पारित किया.. इसके तहत गिफ्ट सिटी में वाइन एंड डाइन नीति लागू की गई.. जिसमें होटल, क्लब और रेस्तरां को FL-3 लाइसेंस के तहत शराब परोसने की अनुमति दी गई.. कर्मचारियों को 2 साल के लिए लिकर एक्सेस परमिट.. और आगंतुकों को एक दिन का अस्थायी परमिट दिया जाता था.. यह नीति सख्त थी और केवल नामित क्षेत्रों में शराब की अनुमति थी..
20 दिसंबर को गुजरात सरकार के गृह विभाग ने एक नई अधिसूचना जारी की.. जिसमें गिफ्ट सिटी में शराब के नियमों को और आसान किया गया.. इस अधिसूचना में अब गुजरात के बाहर से आने वाले लोग.. या विदेशी नागरिक बिना किसी अस्थायी परमिट के गिफ्ट सिटी के होटल.. क्लब या रेस्तरां में शराब का सेवन कर सकते हैं.. उन्हें केवल एक वैध फोटो पहचान पत्र (जैसे पासपोर्ट, आधार कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस) दिखाना होगा.. वहीं पहले शराब केवल वाइन एंड डाइन क्षेत्रों में परोसी जा सकती थी.. अब होटल के कमरों, टेरेस, लॉन और पूलसाइड जैसे क्षेत्रों में भी शराब परोसी जा सकती है..
गिफ्ट सिटी के कर्मचारी जो लिकर एक्सेस परमिट धारक हैं.. अब पहले के 5 की जगह 25 मेहमानों को शराब परोसने के लिए ले जा सकते हैं.. साथ ही, बिना परमिट वाले लोग भी वाइन एंड डाइन क्षेत्रों में खाना खाने के लिए जा सकते हैं.. बड़े सम्मेलनों और व्यापारिक आयोजनों के लिए गिफ्ट सिटी के प्रबंध निदेशक को समूह परमिट जारी करने का अधिकार दिया गया है.. होटल और रेस्तरां को FL-3 लाइसेंस के लिए 1 लाख रुपये सालाना शुल्क.. और 2 लाख रुपये की जमानत राशि देनी होगी.. लाइसेंस 1 से 5 साल के लिए होगा.. बता दें कि यह बदलाव 2023 की नीति का विस्तार है.. जिसका मकसद गिफ्ट सिटी को और आकर्षक बनाना है..
गिफ्ट सिटी को सिंगापुर, दुबई और लंदन जैसे वैश्विक केंद्रों के साथ प्रतिस्पर्धा करनी है.. इन शहरों में शराब की उपलब्धता सामान्य है.. और यह कारोबारी आतिथ्य का हिस्सा है.. शराब नियमों में ढील से गिफ्ट सिटी की वैश्विक छवि मजबूत होगी.. गिफ्ट सिटी में अंतरराष्ट्रीय कंपनियां और पेशेवर काम करते हैं.. शराब की उपलब्धता से उनका अनुभव बेहतर होगा.. जिससे ज्यादा कंपनियां और प्रतिभाएं आकर्षित होंगी.. 2030 तक गिफ्ट सिटी में 1 लाख कर्मचारियों का लक्ष्य है..
शराब नियमों में ढील से गिफ्ट सिटी में होटल, रेस्तरां और नाइटलाइफ का विकास होगा.. इससे पर्यटन बढ़ेगा और स्थानीय अर्थव्यवस्था को फायदा होगा.. अप्रैल 2025 में गिफ्ट सिटी ने शराब बिक्री से 94.19 लाख रुपये का राजस्व कमाया.. जो इस नीति की सफलता का सबूत है.. गुजरात 2030 में कॉमनवेल्थ गेम्स और 2036 में ओलंपिक की मेजबानी की तैयारी कर रहा है.. शराब की उपलब्धता से अंतरराष्ट्रीय मेहमानों का स्वागत आसान होगा.. गुजरात सरकार का मानना है कि शराबबंदी से काला बाजार को बढ़ावा मिलता है.. गिफ्ट सिटी में नियंत्रित ढील से राजस्व बढ़ेगा और अवैध गतिविधियां कम होंगी..
वहीं यह नई नीति 20 दिसंबर को अधिसूचित की गई और तुरंत लागू हो गई.. गिफ्ट सिटी में पहले से ही कुछ होटल और रेस्तरां FL-3 लाइसेंस के तहत शराब परोस रहे थे.. अब नए नियमों के तहत ज्यादा जगहों पर शराब उपलब्ध होगी.. सरकार ने एक मोबाइल ऐप भी लॉन्च करने की योजना बनाई है.. जिसके जरिए कर्मचारी और आगंतुक परमिट के लिए आवेदन कर सकते हैं.. यह ऐप अक्टूबर 2025 में ट्रायल फेज में थी.. और जल्द ही लॉन्च होगी.. गिफ्ट सिटी में शराब की बिक्री और सेवन पर सख्त निगरानी होगी.. लाइसेंस धारकों को रिकॉर्ड रखना होगा.. और नियमित निरीक्षण होंगे.. शराब का सेवन करने वालों को वाहन चलाने की अनुमति नहीं होगी.. और उल्लंघन करने वालों पर गुजरात प्रोहिबिशन एक्ट के तहत कार्रवाई होगी..
वहीं इस फैसले की आलोचना भी हो रही है.. कुछ लोग मानते हैं कि यह महात्मा गांधी के सिद्धांतों के खिलाफ है.. गुजरात में शराबबंदी को सांस्कृतिक पहचान का हिस्सा माना जाता है.. और इस नीति में बदलाव से सामाजिक मूल्यों को ठेस पहुंच सकती है.. कुछ स्थानीय निवासियों और संगठनों ने इसे नैतिक पतन की शुरुआत बताया है.. दूसरी सबसे बड़ी चुनौती काला बाजार है.. हालांकि गिफ्ट सिटी में शराब नियंत्रित है.. लेकिन इससे अवैध शराब की तस्करी बढ़ सकती है.. सरकार को सख्त निगरानी करनी होगी.. तीसरी चुनौती सामाजिक स्वीकार्यता है.. गुजरात के निवासियों पर यह छूट लागू नहीं होती.. जिससे असमानता की भावना पैदा हो सकती है..



