तीन देशों के राष्ट्रपतियों की जान पर गंभीर खतरा, मोबाइल और घर छोड़ने को मजबूर

एक देश के राष्ट्रपति का हाल तो यह है कि वो छिपे छिपे घूम रहे हैं। वो इतना डरे हुए हैं कि उन्होंने अपने साथ में रहने वाले कमांडों के पास से मोबाइल तक हटवा दिया है ताकि उनकी लोकेशन कहीं ट्रैक करके हमला न कर दिया जाए। 

4पीएम न्यूज नेटवर्क: एक देश के राष्ट्रपति का हाल तो यह है कि वो छिपे छिपे घूम रहे हैं। वो इतना डरे हुए हैं कि उन्होंने अपने साथ में रहने वाले कमांडों के पास से मोबाइल तक हटवा दिया है ताकि उनकी लोकेशन कहीं ट्रैक करके हमला न कर दिया जाए।  इस पूरी कहानी के पीछे अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का हाथ बताया जा रहा है। वो सरेआम राष्ट्रपतियों को धमकियां दे रहे हें। ये तीन राष्ट्रपति कौन हैं जिसकी जान को खतरा बना हुआ है।

इसमें सबसे पहला नाम वेनेजुएला के राष्ट्रपति निकोलस मादुरो का है।  वेनेजुएला लैटिन अमेरिका का एक छोटा लेकिन तेल से भरपूर देश है। यहां के राष्ट्रपति निकोलस मादुरो हैं, जो 2013 से सत्ता में हैं। ट्रंप ने हाल ही में वेनेजुएला के ऑयल टैंकरों को जब्त करने की धमकी दी है। दिसंबर 2025 में, अमेरिका ने दो ऐसे टैंकरों को सीज कर लिया, और तीसरा भागकर अटलांटिक महासागर में चला गया।

ट्रंप कहते हैं कि ये टैंकर सैंक्शन तोड़ रहे हैं, और मादुरो ड्रग्स और तेल के जरिए अमेरिका को नुकसान पहुंचा रहा है। ट्रंप ने सरेआम धमकी दी है कि मादुरो तुरंत वेनेजुला छोड़ दें। लेकिन असल कहानी क्या है? वेनेजुएला दुनिया का सबसे बड़ा तेल भंडार वाला देश है, लेकिन अमेरिका के सैंक्शन की वजह से उसकी अर्थव्यवस्था बर्बाद हो गई है। ट्रंप ने कहा है कि अगर मादुरो नहीं हटा तो अमेरिका सैन्य हमला कर सकता है। उन्होंने नेवल ब्लॉकेड का ऑर्डर दिया है, और अमेरिकी जहाजों को वेनेजुएला के तट पर तैनात किया है। क्यों? क्योंकि ट्रंप को लगता है कि मादुरो अमेरिका में कोकेन भेज रहा है, और उसके विरोधी मारिया कोरिना माचाडो को सत्ता में लाकर अमेरिका अपना कंट्रोल बढ़ा सकता है। माचाडो इजराइल की समर्थक हैं और अमेरिका से अच्छे रिश्ते चाहती हैं। लेकिन ट्रंप की यह धमकी कितनी जायज है? आलोचक कहते हैं कि यह सिर्फ तेल पर कब्जे का बहाना है।

ट्रंप खुद कह चुके हैं कि वेनेजुएला को कंट्रोल करके अमेरिका गोल्ड बना सकता है मतलब तेल से अमीर होना। सवाल है कि यह कैसी नीति है? ट्रंप जैसे लोग, जो चुनाव में शांति की बात करते थे, अब युद्ध की धमकी देकर क्या साबित करना चाहते हैं? वेनेजुएला की सरकार ने इसे समुद्री डकैती कहा है, और कहा है कि अमेरिका की यह आक्रामकता पूरे लैटिन अमेरिका को खतरे में डाल रही है। ब्राजील और अन्य पड़ोसी देश भी चिंतित हैं, क्योंकि अगर अमेरिका हमला करता है तो क्षेत्रीय स्थिरता बिगड़ सकती है। इतिहास देखें तो अमेरिका ने पहले भी लैटिन अमेरिका में रिजीम चेंज किए हैं। जैसे चिली में अलेंदे को हटाकर पिनोशे को लाना।

ट्रंप की यह हरकत उसी पुरानी इम्पीरियलिस्ट सोच की याद दिलाती है, जहां अमेरिका खुद को दुनिया का पुलिसमैन समझता है, लेकिन असल में संसाधनों पर कब्जा करता है। ट्रंप की यह नीति न सिर्फ गलत है, बल्कि खतरनाक भी है क्योंकि इससे हजारों निर्दाेष लोग मर सकते हैं, और अमेरिका की इमेज और खराब हो सकती है। टेलीग्राफ के मुताबिक निकोलस मादुरो अमेरिकी डर से सो नहीं पा रहे हैं। उन्होंने अपनी सुरक्षा का जिम्मा क्यूबा के एजेंटो को सौंप दिया है। उनके आसपास कोई भी फोन नहीं रखा जा रहा है। मादुरो का कहना है कि अमेरिका उन्हें मारकर वेनेजुएला के तेल पर कब्जा करना चाहता है।

दूसरा दुनिया का वो जहां के राष्ट्रपति को खतरा है वो कोलंबिया है। अमेरिका का पारंपरिक सहयोगी रहा है, लेकिन दिसंबर 2025 में ट्रंप ने उसके राष्ट्रपति को बहुत बुरा आदमी कहा और धमकी दी कि वह अपना ख्याल रखे, क्योंकि वह कोकेन बनाता है और अमेरिका में भेजता है। क्यों? क्योंकि कोलंबिया दुनिया का सबसे बड़ा कोकेन उत्पादक देश है, और अमेरिका में ड्रग्स की समस्या बड़ी है। ट्रंप कहते हैं कि कोलंबिया सरकार ड्रग ट्रैफिकर्स को रोक नहीं रही, इसलिए अमेरिका को हस्तक्षेप करना पड़ सकता है। लेकिन गहराई में देखें तो कोलंबिया ने हाल ही में दक्षिण अफ्रीका के आईसीजे केस में जॉइन किया, जहां इजराइल पर जेनोसाइड का आरोप है।

ट्रंप की संक्शन लिस्ट में कोलंबिया शामिल हो गया है, क्योंकि वह इजराइल विरोधी स्टैंड ले रहा है। ट्रंप चाहते हैं कि कोलंबिया में ऐसी सरकार आए जो अमेरिका की हर बात माने, ड्रग्स रोके और इजराइल का समर्थन करे। लेकिन क्या यह धमकी जायज है? कोलंबिया पहले से ही अमेरिका के साथ मिलकर ड्रग वॉर लड़ रहा है, लेकिन समस्या जड़ से नहीं खत्म हो रही। ट्रंप की यह तीखी भाषा कि पेट्रो को यानि कि कोलंबिया के राष्ट्रपति को अपने जान की चिंता करनी चाहिए। ऐसे में सवाल यह है क्या राष्ट्रपति की गरिमा के अनुरूप है? यह तो गुंडागर्दी जैसा लगता है। ट्रंप जैसे नेता, जो खुद को स्ट्रॉन्गमैन कहते हैं, लेकिन असल में कमजोर देशों पर धौंस जमाते हैं, क्या अमेरिका की साख बढ़ा रहे हैं? नहीं, बल्कि वे दुनिया में अमेरिका को और अलग-थलग कर रहे हैं।

कोलंबिया की सरकार ने इन धमकियों पर चुप्पी साधी है, लेकिन अगर अमेरिका हस्तक्षेप करता है तो लैटिन अमेरिका में बवाल मच सकता है। इतिहास में अमेरिका ने कोलंबिया में प्लान कोलंबिया के नाम पर अरबों डॉलर खर्च किए, लेकिन ड्रग्स की समस्या वैसी की वैसी है। ट्रंप की यह नीति सिर्फ शोबाजी है दृ वोटर्स को दिखाने के लिए कि वे ड्रग्स पर सख्त हैं, लेकिन असल में रिजीम चेंज से अमेरिकी कंपनियों को फायदा पहुंचाना चाहते हैं। यह कैसी न्यायपूर्ण दुनिया है, जहां बड़ा देश छोटे को धमकाता है?

ट्रंप जिन देशों के राष्ट्रपतियों को धमका रहे हैं उसने तीसरा नाम ईरान का हैं। वैसे ईरान पर ट्रंप की धमकियां नई नहीं हैं। 2018 में उन्होंने ईरान न्यूक्लियर डील तोड़ी थी, और अब 2025 में फिर से सख्ती बढ़ा रहे हैं। ट्रंप ने ईरान को धमकी दी है कि अगर उसने इजराइल पर हमला किया तो बहुत तीखा जवाबमिलेगा। ईरान के न्यूक्लियर प्रोग्राम, बैलिस्टिक मिसाइलों और प्रॉक्सी ग्रुप्स जैसे हिजबुल्लाह, हूती को बहाना बनाकर ट्रंप रिजीम चेंज की बात कर रहे हैं। दिसंबर 2025 में, इजराइल के पीएम नेतन्याहू ट्रंप से मिलने वाले हैं, जहां ईरान पर हमले की प्लानिंग हो सकती है।

अमेरिका की स्टेट सेक्रेटरी ने ईरान में रिजीम चेंज का हिंट दिया है। क्यों? क्योंकि ईरान अमेरिका और इजराइल का दुश्मन माना जाता है, और उसके तेल भंडार भी बड़े हैं। ट्रंप कहते हैं कि ईरान आतंकवाद फैला रहा है, लेकिन आलोचक कहते हैं कि यह सिर्फ मिडिल ईस्ट में कंट्रोल के लिए है। ट्रंप की यह नीति कितनी खतरनाक है? जून 2025 में ईरान-इजराइल युद्ध हो चुका है, जहां हजारों मरे। और मसूद पेजेकशियन का छिपकर अपनी जान बचानी पड़ी थी और फिर अब फिर धमकी देकर ट्रंप क्या हासिल करना चाहते हैं? वे खुद को पीस प्रेसिडेंट कहते थे, लेकिन अब युद्ध की भाषा बोल रहे हैं। ईरान कहता है कि उसकी मिसाइलें डिफेंस के लिए हैं, लेकिन ट्रंप इसे खतरा बताते हैं। यह दोहरी नीति है कि अमेरिका और इजराइल के पास न्यूक्लियर वेपन्स हैं, लेकिन ईरान को बनाने नहीं देते।

ट्रंप की यह आक्रामकता दुनिया को तीसरे विश्व युद्ध की ओर ले जा सकती है, क्योंकि ईरान के पास रूस और चीन जैसे सहयोगी हैं। ट्रंप जैसे लोग, जो चुनाव में नो वॉरष्का वादा करते थे, अब धमकियां देकर अमेरिकी सैनिकों की जान खतरे में डाल रहे हैं। यूएन में रूस ने चेतावनी दी कि अन्य देश भी निशाने पर आ सकते हैं। वैसे जिस तरह से ट्रंप ने खुलेआम राष्ट्रपतियों को धमकी दे रहे हैं उससे जाहिर है कि वॉर की आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता है। वेनेजुएला में अगर हमला हुआ तो हजारों मौतें, तेल कीमतें बढ़ेंगी।

कोलंबिया में अस्थिरता से ड्रग समस्या और बढ़ेगी। ईरान पर हमला हुआ तो मिडिल ईस्ट जल सकता है। दुनिया के एक्सपर्ट्स कहते हैं कि डिप्लोमेसी बेहतर है, लेकिन ट्रंप धमकी पर उतरे हैं। क्या यह सही है? नहीं, क्योंकि अंतरराष्ट्रीय कानून में रिजीम चेंज की अनुमति नहीं। ट्रंप की यह नीति अमेरिका को बुली बनाती है। हमें सोचना चाहिए कि क्या ऐसी लीडरशिप चाहिए? उम्मीद है कि बातचीत से सुलझे। लेकिन अगर नहीं, तो दुनिया को तैयार रहना होगा।

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