ब्राहमणों की बैठक पर बीजेपी आगबबूला , जारी किया नोटिस, अखिलेश यादव ने लिए मजे

यूपी बीजेपी के ब्राहमण विधायकों ने बैठक क्या की पूरा हंगामा खड़ा हो गया है।

4पीएम न्यूज नेटवर्क: यूपी बीजेपी के ब्राहमण विधायकों ने बैठक क्या की पूरा हंगामा खड़ा हो गया है।

पहले तो दबी जबान में बीजेपी के अंदर विरोध हो रहा था लेकिन जैसे ही आरएसएस ने मोर्चा संभाला योगी बाबा और उनके अध्यक्ष पंकज चौधरी एक्शन में आ गए हैं।

विधायकों को चेतावनी जारी कर दी गई है। हालांकि विपक्षी खेमे से अखिलेश यादव ने कुछ ऐसा तंज किया है कि बीजेपी को जोर की मिर्ची लगी है। ब्राहमण विधायकों और एमएलसी को क्या नसीहत दी गई है और अखिलेश ने पूरे मामले पर कैसे बीजेपी के मजे लिए हैं.

पिछले हफ्ते जब विधान सभा चल रही थी और प्रदेश के सभी विधायक राजधानी लखनउ में थे तो बीजेपी के कुछ ब्राह्मण विधायकों ने एक मीटिंग की, जिसे सह भोज कहा गया।  बाद में खबर आई कि ये मीटिंग ब्राह्मण समाज के मुद्दों पर थी। मीटिंग में ट्रांसफर्स, पोस्टिंग्स में भेदभाव, ब्राह्मणों को सम्मान न मिलना का मुद्दों पर चर्चा होने की खबरें आई थी। पहले तो यह दावा किया गया कि ये वैसे एक आम भोज था लेकिन बाद में जब विधायकों के रजिस्टर और व्हाट्सअप ग्रुप बनने की फोटोज वायरल हुईं तो फिर अचानक हड़़कंप मच गया है।

सवाल यह खड़ा होने लगा कि क्यों अचानक ब्राहमण विधायकों की मीटिंग होने लगी जबकि सिर्फ और सिर्फ एक दिन बाद लखनउ में पीएम मोदी को आना था।  एक ओर बीजेपी के ब्राहमण विधायकों की मीटिंग हुई तो दूसरी ओर पीएम साहब लखनउ आए और कहीं न कहीं ये मैसेज आया कि बीजेपी में सबकुछ ठीक नहीं है। वैसे ये बीजेपी की नई परंपरा है और पिछले दिनों  ठाकुर समुदाय के विधायकों की मीटिंग के साथ शुरु हुई थी और उसके बाद कुर्मी समुदाय के विधायकों की मीटिंग्स हुई थी लेकिन दोनों बैठकों के बाद कुछ नहीं हुआ लेकिन जैसी ब्राहमणों की मीटिंग्स हुई तुरंत ही एक्शन शुरु हो गया है। खबर देखिए…

बीजेपी ने अपने विधायकों और एमएलए के जातिगत सम्मेलनों से परेशान हो उठी लेकिन बीजेपी को ये परेशानी ठाकुर और कुर्मी विधायकों की बैठक के बाद नहीं हुई थी बल्कि ये परेशानी बीजेपी को सीधे ब्राहमणों के बैठक के बाद हुई है और सच तो यह है कि  बीजेपी को ज्यादा परेशनी नहीं हुई बल्कि असल में यह परेशानी आरएसएस की हैै। क्योंकि ब्राहमणों की बैठक के बाद आरएसएस ने यूपी बीजेपी के जातिवादी सम्मेलनों पर चिंता जताई है और न सिर्फ योगी बाबा ने बल्कि  पार्टी के नए यूपी चीफ पंकज चौधरी ने तुरंत वॉर्निंग जारी की। कहा कि ऐसी जाति-आधारित मीटिंग्स पार्टी के संविधान के खिलाफ हैं। अगर दोबारा हुआ तो अनुशासनहीनता मानी जाएगी। अब सोचिए, हर कम्युनिटी महापंचायत करती है, मीटिंग्स करती है चाहे ओबीसी हो, दलित हो, या कोई और। लेकिन ब्राह्मणों ने की तो बीजेपी और आरएसएस आगबबूला हो गई है।

आरएसएस का तर्क है कि आरएसएस सनातन एकता की बात करता है। सनातन के सभी वर्गों को एक बराबर देखने जाने की अपील करता है  और ऐसे में अगर जातिवार बैठकें होंगी तो गलत होगा, जिससे हिंदू समजा में बिखराव होगा लेकिन सवाल बड़ा यह खड़ा होता है कि आखिर ब्राहमणों की बैठक के बाद ही ये फैसला क्यों लिया गया है।

जब ठाकुर विधायकों की यूपी में बैठक हुई थी तो कोई फैसला नहीं लिया गया है लेकिन ब्राहमण विधायकों की बैठक के बाद तुरंत आरएसएस को सनातन एकता याद आ गई । वैसे भी देश के चुनावों में हर बार बीजेपी खुद अलग-अलग जातियों के सम्मेलन कराती है और इसमें अपने स्वजातीया बंधुओं को बुलाती है लेकिन जब विधायकों की बैठक होने लगी तो न सिर्फ आरएसएस को बल्कि बीजेपी को जोर का झटका लगा है।

बीजेपी के पास 258 विधायक हैं, जिनमें 84 ओबीसी, 59 एससी, 45 ठाकुर, 42 ब्राह्मण और 28 अन्य ऊपरी जातियों (जैसे वैश्य, कायस्थ, पंजाबी, खत्री) से हैं। वहीं 79 एमएलसी में 26 ओबीसी, 23 ठाकुर, 14 ब्राह्मण, 2 एससी, 2 मुस्लिम और 12 अन्य ऊपरी जातियों से हैं। आपको बता दें कि ठाकुर और ब्राहमणों कई बार टिकट और तमाम बातों को लेकर बीजेपी से सीधे सीधे दो हाथ कर चुके हैं और अगर ब्राहणों की बात की जाए तो उनका बहुत दिनों से आरोप रहा है कि योगी सरकार में उनकी नहीं सुनी जाती है।

कई बार ब्राहमणों की उपेक्षा का सीधा आरोप योगी बाबा पर लगता रहा है लेकिन पिछले दिनों जब ब्राहमण विधायकों ने बैठक की और जैसे ही फोटो पीएन पाठक के आवास से वायरल हुआ तो हड़कंप मच गया और चेतावनी तक मामला पहुंच गया है। एक ओर जहां नोटिस जारी हो रही है तो वहीं दूसरी ओर अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया पर पूरे मामले पर जबरदस्त तंज किया है। अखिलेश यादव ने अपने एक्स पर एक पोस्ट की है।

अखिलेश यादव ने लिखा है कि ….अपनों की महफ़िल सजे तो जनाब मेहरबान और दूसरों को भेज रहे चेतावनी का फ़रमान.वैसे अखिलेश यादव ने तो कहीं भी बीजेपी का नाम नहीं लिया है लेकिन ये बात साफ कर दी कि वो ब्राहमण विधायकों की बैठक के बाद मिली चेतावनी से ही संबंधित है। क्योकि ये बात पूरे प्रदेश और देश ने देखा था कि ठाकुरों की बैठक हुई थी और इसको खूब प्रचारित भी किया गया था.

किसी ने कोई विरोध भी नहीं किया लेकिन अब जब ब्राहमणों की बैठक हुई तो चेतावनी जारी कर दी गई। हालांकि अखिलेश यादव के पोस्ट पर बीजेपी के लोगों से सोशल मीडिया पर ही विरोध जताया है। कई बीजेपी समर्थक लोगों का कहना है कि अखिलेश के पीडीए में कहीं पर भी ब्राहमणों का जिक्र नहीं है इसलिए अखिलेश को इस पर कमेंट नहीं करना चाहिए।

जब से बीजेपी के ब्राहमण विधायकों ने मीटिंग्स की है। तक से बीजेपी डरी हुई है , बीजपी को लगता है कि कहीं ये क्रैक का सिग्नल तो नहीं है। 2024 लोकसभा में बीजेपी यूपी में 37 सीटों पर सिमट गई। दावा किया जाता है कि पीडीए के अलावा ब्राह्मण वोट भी सपा की ओर शिफ्ट हुआ था। अयोध्या में बीजेपी हारी, क्योंकि ब्राह्मणों ने अवधेश प्रसाद को वोट दिया।

सिर्फ अयोध्या ही नहीं बल्कि बीजेपी ने कई सीटें ऐसी गंवाई थीं कि जहां ब्राहमण अच्छी खासी संख्या में थे। वैसे भी जब से यूपी में बीजेपी आई है ब्राहमणों को उतना सम्मान नहीं मिला जितना कि मिलना चाहिए जबकि ब्राहमण बनिया जाति की तरह बीजेपी के मूल वोटर रहे हैं। उनकी तादात यूपी में 15 प्रतिशत से उपर ही है लेकिन उसके बाद भी उनको प्रतिनिधित्व सही नहीं मिल पाया है।

बीजेपी जब से ओबीसी का गेम खेलने लगी है  तब से ओबीसी के बाद अब सीधे ठाकुर लॉबी का यूपी में नंबर आता है और ऐसे में ब्राहमण समाज को हिस्सेदारी नहीं मिल पाती है जो पिछली सरकारों में रहती थी। और शायद यही वजह है कि ब्राहमण विधायकों में कहीं न कहीं रोष है और वो रोष विधायकों की बैठक के रुप में सामने आया है और अब उसको भी नोटिस के जरिए दबाने की कोशिश हो रही है। जबकि होना यह चाहिए था कि बीजेपी के प्रदेश और देश के सीनियर नेता ब्राहमण विधायकों से मिलते।

उनकी समस्याओं का निदान कराते लेकिन ऐसा कुछ नहीं हो पाया।  न तो ब्राहमण विधायकों की सुनी गई न तो उनके कोई एक्शन लिया गया बल्कि उनको नोटिस जारी हो गई है। वैसे अब आगे क्या होगा ये तो आने वाला समय बताएंग लेकिन ब्राहमण विधायकों की मीटिंग्स के बाद नोटिस जारी होना और अखिलेश यादव का तंज फिलहाल सुर्खियों में है। आगे क्या होगा ये तो समय बताएंगा लेकिन इतना तय है कि अगर ब्राहमणों को न मनाया गया है तो लोकसभा जैसे हालात बीजेपी के 2027 के चुनाव में हो सकते हैं।

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