कोर्ट से लेकर सड़क तक अरावली पर घमासान

कांग्रेस के सियासी पैंतरे से चित हुई बीजेपी

  • अवैध खनन पर चलेगा अभियान, कांग्रेस का आंदोलन हुआ और तेज

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
जयपुर। राजस्थान में अरावली पर छिड़ा सियासी संग्राम हर दिन बड़ा होता जा रहा है। कांग्रेस ने इस मुद्दे को राजस्थान की भौगोलिक सुरक्षा से जोड़ते हुए इसे अंदोलन का रूप दे दिया है। वहीं बीजेपी की सरकार भी कांग्रेस के सियासी पैंतरे का तोड़ ढूंढने में लगी है। प्रदेश की भजनलाल सरकार ने आज से राजस्थान के अरावली प्रभावित जिलों में अवैध खनन के खिलाफ विशेष अभियान शुरू करने का ऐलान किया है। यह अभियान 15 जनवरी 2026 तक चलेगा। राज्य सरकार ने 20 जिलों के जिला कलेक्टरों और पुलिस अधीक्षकों को संयुक्त अभियान के संचालन को लेकर विस्तृत दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं। यह अभियान 29 दिसंबर से शुरू होकर 15 जनवरी 2026 तक चलेगा।
अभियान में शामिल टीमें हर दिन अपनी रिपोर्ट राज्य सरकार को भेजेंगी। खान विभाग के प्रमुख सचिव टी. रविकांत ने बताया कि यह निर्देश मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा द्वारा खान एवं वन विभाग की समीक्षा बैठक में दिए गए निर्देशों की अनुपालना में जारी किए गए हैं। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार अरावली पर्वतमाला के संरक्षण को लेकर पूरी तरह प्रतिबद्ध और गंभीर है, क्योंकि यह क्षेत्र पारिस्थितिक संतुलन, जैव विविधता, भूजल पुनर्भरण और मरुस्थलीकरण रोकने में अहम भूमिका निभाता है। अभियान के तहत प्रत्येक जिले में जिला कलेक्टर की अध्यक्षता में विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया जाएगा। इन टीमों में खान, राजस्व, पुलिस, परिवहन और वन विभाग के अधिकारी शामिल होंगे। इसके अलावा खनन रक्षक और बॉर्डर होमगार्ड के जवान भी तैनात किए जाएंगे। कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए पर्याप्त पुलिस बल की तैनाती की जाएगी। इधर कांग्रेस ने भी अरावली को लेकर राजस्थान में बड़ा आंदोलन खड़ा कर लिया है। वहीं, देश भर में हो रहे विरोध को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने भी स्वप्रसंज्ञान लेते हुए अरावली पर सुनवाई का निर्णय लिया है। राजस्थान में कांग्रेस ने अपने सभी जिलाध्यक्षों से आरावली को लेकर व्यापक आंदोलन चलाने के लिए कहा और इस संबंध में सभी से रिपोर्ट भी मांगी है।

अवैध खनन से करीब 5000 करोड़ का घोटाला : हुड्डा

चंडीगढ़। हरियाणा में अरावली पर्वत श्रृंखला के मामले में सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने आरोप लगाए हैं कि आज अरावली में फार्म हाउस काटे जा रहे हैं। बड़े पैमाने पर अवैध खनन के साथ ही बड़ी-बड़ी रियल एस्टेट कंपनियां इस क्षेत्र में घुस गयी हैं। अवैध खनन से अरावली में भारी नुकसान हुआ है जिसे देश-प्रदेश की जनता देख रही है। हरियाणा में सीएजी ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि अवैध खनन से राज्य में करीब 5000 करोड़ का घोटाला हुआ। सांसद दीपेंद्र ने अरावली के महत्वपूर्ण मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार की गलत पैरवी, गलत नीयत पर सवाल उठाए। सांसद दीपेंद्र ने कहा कि जिस गलत नीयत से सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में पैरवी की और 100 मीटर की परिभाषा को कोर्ट से मंजूर कराया उसे देश की जनता नकार रही है क्योंकि जनता ने अरावली को बेचने की सरकार की नीयत और चोरी को पकड़ लिया है। सरकार की चोरी तो पकड़ी गयी और डाका डालने की नीयत सामने आ गयी। हम सरकार को डाका डालने नहीं देंगे। 100 मीटर के पैरामीटर को ना सिर्फ जनता नकार रही है, बल्कि सुप्रीम कोर्ट की एम्पावर्ड कमेटी ने भी कहा कि सौ मीटर का कोई औचित्य नहीं है।

2 साल में आरावली पर अवैध खनन के खिलाफ कार्रवाई

राज्य सरकार के खान विभाग से मिले आंकड़ों के अनुसार प्रदेश की भजनलाल सरकार ने 2 वर्षों में अरावाली पर अवैध खनन के 10,999 प्रकरण दर्ज किए हैं। इनमें 136.78 करोड़ रुपए की वसूली की गई है। वहीं अवैध खनन के मामले में एक हजार से ज्यादा लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है, इनमें से 300 गिरफ्तार भी किए गए हैं। अवैध खनन में काम में लिए गए 10, 616 वाहन भी जब्त किए गए हैं।

नयी परिभाषा से अरावली और अन्य छोटी पहाडिय़ां नष्ट हो जाएंगी : जयराम

  • कांग्रेस नेता ने भूपेंद्र यादव से पूछे सवाल

नई दिल्ली। अरावली पर्वतमाला को पुन: परिभाषित किए जाने को लेकर जारी विवाद के बीच कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव से चार सवाल पूछे और दावा किया कि इस कदम से अरावली सहित कई छोटी पहाडिय़ां और अन्य भू आकृतियां नष्ट हो जाएंगी। यादव को लिखे पत्र में कांग्रेस महासचिव ने कहा कि अरावली पहाडिय़ों की पुनर्परिको लेकर व्यापक चिंताएं होना स्वाभाविक है, क्योंकि इसके तहत इन्हें 100 मीटर या उससे अधिक की ऊंचाई वाले भू-आकृतियों तक सीमित कर दिया गया है। उन्होंने कहा, इस संदर्भ में कृपया मुझे आपके विचारार्थ चार विशिष्ट प्रश्न पूछने की अनुमति दें। पहला प्रश्न- क्या यह तथ्य नहीं है कि राजस्थान में 2012 से अरावली पहाडय़िों और पर्वतमालाओं की परि28 अगस्त 2010 की भारतीय वन सर्वेक्षण की रिपोर्ट पर आधारित रही है, जिसमें निम्नलिखित बातें कही गई हैं: सभी इलाके जिनका ढलान तीन डिग्री या उससे अधिक है, उन्हें पहाडय़िों के रूप में निरूपित किया जाएगा। रमेश ने कहा, इसके साथ ही ढलान की दिशा में एक समान 100 मीटर चौड़ा बफर जोड़ा जाएगा, ताकि 20 मीटर ऊंचाई की पहाड़ी के अनुरूप संभावित विस्तार को ध्यान में रखा जा सके, जो 20 मीटर के ‘कंटूर इंटरवल’ के बराबर है। इन निरूपित क्षेत्रों के भीतर आने वाले समतल इलाके, गड्ढे और घाटियों भी पहाडय़िों का हिस्सा मानी जाएंगी।’ उन्होंने दूसरा सवाल किया कि क्या यह सच नहीं है कि भारतीय वन सर्वेक्षण ने 20 सितंबर 2025 को पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय को भेजे गए अपने एक पत्र में यह कहा था- अरावली की छोटी पहाड़ी संरचनाएं मरुस्थलीकरण के खिलाफ प्राकृतिक अवरोध के रूप में काम करती हैं, क्योंकि वे भारी रेत कणों को रोकती हैं-इस प्रकार दिल्ली और आसपास के मैदानी इलाको को रेत के तूफानों से बचाती हैं।

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