भाजपा के लिए मुसीबत बनेगा किसान आंदोलन

4पीएम की परिचर्चा में उठे कई सवाल, सपा गठबंधन को मिल सकता है फायदा

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
लखनऊ। एक साल तक चले किसान आंदोलन की महत्ता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि अंतत: इस आंदोलन ने तीनों कृषि कानूनों के मुद्दे पर सरकार को पीछे हटने पर मजबूर कर दिया लेकिन क्या किसान सिर्फ इतने से संतुष्ट हो गया है? क्या किसान पूरे साल की जलालत को भूल चुके हैं? ऐसे सवाल उठे वरिष्ठï पत्रकार अशोक वानखेड़े, ममता त्रिपाठी, अनिल रॉयल, के.पी. मलिक, प्रो. रविकांत, किसान नेता पुष्पेन्द्र सिंह और 4पीएम के संपादक संजय शर्मा के साथ चली लंबी परिचर्चा में।
अशोक वानखेड़े ने कहा राकेश टिकैत ने कहा कि हम किसी के साथ नहीं तो फिर क्या आप लखीमपुर कांड भूल गए। किसानों की शहादत भूल गए। आखिर आप केंद्र को जवाब कैसे देंगे। बात जाट-मुसलमान की नहीं बल्कि किसानों की व्यथा को ध्यान में रखते हुए वहां के लोग वोट करेंगे। किसान नेता पुष्पेंद्र सिंह ने कहा अखिलेश के अन्न संकल्प लेने से किसानों का आत्मविश्वास बढ़ा है। सपा और रालोद ने जो टिकट का बंटवारा किया है, उसमें रालोद को फायदा मिलेगा। केपी मलिक ने कहा कि वेस्ट यूपी में जाटों का वोट मायने रखता है। महेंद्र सिंह टिकैत बड़े नेता थे। किसान आंदोलन का फायदा मिला राकेश टिकैत को। जयंत को अकेले चुनाव लडऩा चाहिए था, जिसका फायदा मिलता। अनिल रॉयल ने कहा, गठबंधन को जो हरा-भरा दिख रहा है, इस चुनाव में ऐसा नहीं है। पूर्वांचल के आधार पर निर्णय कर रहे हैं अखिलेश मगर वेस्ट यूपी में बीजेपी आगे है। चुनाव परिणाम में इसका असर दिखेगा। प्रो. रविकांत ने कहा पूर्वांचल में 164 सीटें है और इस बार वहां बीजेपी गर्र्त में है। राजभर के गठबंधन में आ जाने से अखिलेश यादव को फायदा मिला है। ममता त्रिपाठी ने कहा पहले 325 सीटें आ रही थी और अब 250 के आसपास है। अखिलेश ने टिकटों के बंटवारे को लेकर कई विधानसभाओं में गलती की है। 2017 के मुकाबले में सपा फायदे में है।

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