गाड़ी वही जो पांच साल सरपट दौड़ती रहे : सीएम धामी

  • उत्तराखंड के सीएम प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस पर कर रहे हैं तीखे हमले

देहरादून। उत्तराखंड इन दिनों राज्य गठन के बाद पांचवें विधानसभा चुनाव की दहलीज पर खड़ा है। सत्तारूढ़ भाजपा के चुनाव अभियान का नेतृत्व कर रहे मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस पर तीखे हमले कर रहे हैं। भाजपा सरकार के पांच साल के विकास कार्यों और जन हितैषी निर्णयों के बूते उन्हें इस बार भी बड़ी जीत दर्ज करने का भरोसा है। मुख्यमंत्री धामी कहते हैं कि सबसे बड़ा मुद्ïदा है वे विकास परियोजनाएं, जो पीएम मोदी ने सड़कों से लेकर रेल और हवाई सेवा के क्षेत्र में उत्तराखंड को दी हंै। साथ ही कोरोना महामारी के दौरान निशुल्क टीकाकरण, मुफ्त राशन सरकार ने उपलब्ध कराया। उत्तराखंड सरकार ने भी बहुत सारी योजनाएं चलाई हैं। कोरोना महामारी के दौरान हमने पर्यटन, परिवहन, स्वास्थ्य, रेवेन्यू क्षेत्र के साथ ही महिला व युवा मंगल दलों को पैकेज से जोड़ा। आजीविका मिशन में काम कर रहे स्वयं सहायता समूहों को पैकेज के माध्यम से प्रोत्साहन और सहयोग देने की कोशिश रही। इसके अलावा 24 हजार पदों पर भर्ती की प्रक्रिया प्रारंभ की है।

आंगनबाड़ी, आशा कार्यकर्त्ता, उपनल के कर्मचारी, पीआरडी जवान, भोजनमाताओं, सभी का ध्यान रखा। वृद्धावस्था, दिव्यांग व विधवा पेंशन, सभी को 1200 से 1500 रुपये किया है। राज्य आंदोलनकारियों की पेंशन बढ़ाई है। नई खेल नीति हम लेकर आए हैं। हमारी सरकार ने स्वास्थ्य के क्षेत्र में 207 तरह की जांच निशुल्क की हैं। शिक्षा मित्रों व अतिथि शिक्षकों का मानदेय बढ़ाया है। सरकारी कर्मचारियों के लिए भी काफी कुछ किया। राज्यवासी हमारे भाव को जानते-समझते हैं। हमारे भाव में है कि हम उत्तराखंड को आगे बढ़ाना चाहते हैं। इसलिए विश्वास है सभी का हमें आशीर्वाद मिलेगा। मुख्यमंत्री धामी बताते हैं कि हमारे यहां चेहरा बदलने का कोई मुद्दा नहीं है, यह हमारी पार्टी का आंतरिक मामला है। इसे इस तरह समझा जा सकता है कि एक गाड़ी है, गाड़ी के ड्राइवर बदलते रहते हैं, गाड़ी अपनी सवारियों और उसमें रखे सामान के साथ सुरक्षित अपने गंतव्य तक पहुंची है। मतलब, केवल ड्राइवर बदले, गाड़ी वही है जो पांच साल सरपट दौड़ी।

कांग्रेस में लालकुआं भेज दिए गए अनुभवी हरीश रावत

धामी कहते हैं कि हरीश रावत तो बहुत अनुभवी हैं, उनके अनुभव का लाभ उत्तराखंड की जनता को मिला। उन्होंने अपने जीवनभर का अनुभव उत्तराखंड में लगाया। उन्होंने किस तरह काम किया, सबने देखा है। उनके अनुभव का लाभ कांग्रेस को भी मिला था, क्योंकि उन्हीं के नेतृत्व में पिछली बार कांग्रेस चुनाव में गई थी, परिणाम सबने देखे। इस बार भी देख लिया, किस तरह कांग्रेस उनके अनुभव का लाभ उठा रही है। हरिद्वार से टिकट मांग रहे थे, पार्टी ने नहीं दिया, फिर रामनगर गए, दो दिन बाद वहां से भी उनसे टिकट वापस ले लिया गया। अब पैराशूट बनकर लालकुआं गए हैं। यह सब उनका अनुभव है। हमारा अनुभव यह है कि जो समय मिला, उसमें 550 से अधिक फैसले लिए। कोशिश की कि एक-एक पल राज्य के विकास में लगाएं। हमने सीखने की कोशिश की।

Related Articles

Back to top button