सातवें चरण में अनुप्रिया पटेल के कंधों पर बड़ी जिम्मेदारी

सियासी संग्राम में कई केंद्रीय मंत्रियों की भी परीक्षा

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
लखनऊ। चुनावी चक्रव्यूह के अंतिम द्वार पर सेनाएं आकर खड़ी हो गई हैं। जातीय समीकरणों में उलझे चुनाव में परिदृश्य पूरी तरह से साफ नहीं है। कुल मिलाकर परिस्थितियां ऐसी आन पड़ी हैं कि करो या मरो की स्थिति सातवें द्वार तक बनी हुई है। 2017 में भगवा बयार ऐसी चली कि इस किले का ज्यादातर हिस्सा बिखर गया।
कई जिलों में भाजपा आगे रही, तो कुछ में सपा का वर्चस्व कायम रहा। सातवें चरण की बिसात की बात करें तो भाजपा ने 54 में से 48 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं, जबकि अपना दल (एस) और निषाद पार्टी के 3-3 उम्मीदवार मैदान में हैं। वहीं, सपा भी एड़ी-चोटी का जोर लगाए हुए है। सपा 45 सीटों पर अपना उम्मीदवार लड़ा रही है, तो सहयोगी के तौर पर सुभासपा 7 और अपना दल (कमेरावादी) दो सीटों पर चुनाव लड़ रही है। आखरी चरण में मोदी सरकार के 4 मंत्रियों और भाजपा के पदाधिकारियों के राजनीतिक प्रभाव की भी परीक्षा है। केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल प्रदेश में भाजपा के सबसे बड़े सहयोगी अपना दल (एस) की अध्यक्ष भी हैं। 10 मार्च को आने वाले नतीजे बताएंगे कि मोदी सरकार के मंत्रियों और पार्टी के पदाधिकारियों का अपने समाज के साथ कितना प्रभाव है। उनका प्रभाव वोटों का समीकरण साधने में कितना काम आया।

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