स्वामी प्रसाद मौर्य के करीबी को एसटीएफ ने घर से उठाया
लखनऊ। सपा नेता और पूर्व मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य के बेहद करीबी माने जाने वाले युवक अरमान खान को एसटीएफ लखनऊ की टीम ने उसके घर से उठा लिया है। एसटीएफ की टीम ने युवक को कुशीनगर के पडरौना स्थित उसके मकान से हिरासत में लिया है। अरमान को एसटीएफ द्वारा हिरासत में लिए जाने से हड़कंप मच गया। उस पर धोखाधड़ी का आरोप बताया जा रहा है। विधानसभा चुनाव के पहले भाजपा छोड़ सपा में शामिल हुए स्वामी प्रसाद मौर्य के करीबी अरमान खान पर एसटीएफ की कार्रवाई को लेकर चर्चाएं तेज हो गईं हैं। उस पर कुछ लोगों से धोखाधड़ी करके रुपया ऐंठने का आरोप बताया जा रहा है, लेकिन अभी तक इसकी पुष्टि नहीं हो पाई है। युवक के पिता ने बताया है कि कुछ लोग पूर्व मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य का कार्यक्रम लेने के बहाने घर में आए और फिर उनके लड़के को अपने साथ लेकर चले गए। कुशीनगर पुलिस के अधिकारियों ने इस विषय पर कुछ भी बोलने से इंकार किया है। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार टीम के लोगों ने युवक को हिरासत में लेकर जाते समय मुहल्ले के लोगों द्वारा पूछताछ करने पर बताते हुए रास्ते से हटने की बात कही। इसके बाद टीम में शामिल एसटीएफ के लोग काले रंग की स्कॉर्पियो गाड़ी में बैठकर लेकर चले गए। बाद में परिजनों ने पडरौना कोतवाली जाकर पूछताछ की तो उन्हें पता चला कि उनके बेटे को हिरासत में लिया गया है।
जल्द नई तबादला नीति लाएगी योगी सरकार
लखनऊ। यूपी में राज्य कर्मियों के लिए सालाना तबादला नीति जल्द आने वाली है। इस बार अधिकतर ऑनलाइन तबादले किए जाएंगे। मेरिट के आधार पर अच्छे काम करने वालों को मनचाहे जिलों में तैनाती दी जाएगी। इसके लिए उनसे ऑनलाइन विकल्प लिए जाएंगे। तीन साल से एक ही जिले में कर्मचारी इसके दायरे में आएंगे। कार्मिक विभाग ने इसके लिए प्रारूप तैयार कर लिया है और कैबिनेट मंजूरी के बाद इसे लागू किया जाएगा। राज्य सरकार हर साल तबादला नीति लाती है। इसके लिए सभी विभागों से मानव संपदा पोर्टल पर अधिकारियों और कर्मचारियों का ब्यौरा ऑनलाइन कराया जा रहा है। प्रस्ताव के मुताबिक समूह ‘कÓ व ‘खÓ के जो अधिकारी अपने सेवाकाल में एक ही जिले में तीन साल और मंडल में सात वर्ष पूरा करने वाले इसके दायरे में आएंगे। समूह ‘कÓ के अधिकारियों को उनके गृह मंडल और समूह ‘खÓ के अधिकारियों को उनके गृह जिले में तैनात न करने का प्रस्ताव है। स्थानांतरित अधिकारियों व कर्मचारियों की संख्या 20 प्रतिशत तक ही रखने का विचार है।