वरिष्ठ नेताओं के दबाव में कांग्रेस में नहीं हुई पीके की एंट्री!
खुद को राजनीतिक तौर पर स्थापित करना चाहते हैं प्रशांत
4पीएम की परिचर्चा में प्रबुद्घजनों ने किया मंथन
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
लखनऊ। आखिरकार कांग्रेस और प्रशांत किशोर में गठबंधन नहीं हुआ। बात नहीं बनी। पीके के कांग्रेस में शामिल न होने से सियासी गलियारों में तरह-तरह की चर्चाएं हैं। इस मुद्ïदे पर वरिष्ठï पत्रकार अशोक वानखेड़े, समीरात्मज मिश्रा, सतीश के सिंह, डॉ. उत्कर्ष सिन्हा, प्रो. जितेंद्र मीना और 4पीएम के संपादक संजय शर्मा ने एक लंबी परिचर्चा की।
डॉ. उत्कर्ष सिन्हा ने कहा, पीके में बीते एक-डेढ़ सालों से एक खास तरह की बेचैनी दिख रही है। सात-आठ चुनाव लड़ाने के बाद अब वे खुद को राजनीतिक रूप में स्थापित करना चाहते हैं। पीके की सबसे बड़ी कला है किसी भी चीज को हाइट देना। कांग्रेस संघर्ष कर रही है आज। पीके ने कांग्रेस को फॉमूले भी बताए मगर किन वजहों से बात नहीं बनी, यह अभी चर्चा का विषय है।
समीरात्मज मिश्रा कहते हैं कि पीके के पार्टी में न शामिल होने पर कांग्रेसियों ने कहा कि बाल-बाल बच गए क्योंकि वे जानते हैं कि ये आदमी आते ही सारी चीजें अपने हाथ में ले लेगा। पीके ने जिसके साथ काम किया हो, उसे ब्रांड बना दिया। मोदी उदाहरण है। बंगाल चुनाव परिणाम सबने देखे। तो पीके यूं नहीं जाने जाते, वे भी एक ब्रांड की तरह है। उनकी एंट्री नहीं हो पाई तो कांगे्रस में वरिष्ठï नेताओं का दबाव काम आया है।
सतीश के सिंह ने कहा, कांग्रेस पिछले चालीस साल से नीचे जा रही है। हालांकि बीच-बीच में रिजल्ट अच्छे आए भी हैं। आजकल पीके का मसला अहम है। पीके की एंट्री नहीं हुई तो तुरंत ही सिद्घू ने उनके साथ की फोटो ट्वीट कर दी। कहीं राहुल और प्रियंका के लोग आपस में कहीं भिड़ तो नहीं गए, एक पक्ष चाहता है कि आ जाए, तो दूसरा चाहता है कि नहीं आए। ये माजरा कुछ अलग है। पीके की उपयोगिता तो है। मगर बीते छह-सात दिन से जो हो हल्ला हो रहा, और ट्वीटर पर ही बात समाप्त हो जाती है। अशोक वानखेड़े ने कहा कि अभी पीके का प्रेजेंटेशन हुआ, उसमें एक बात निकलकर सामने आई कि राहुल इज फेलियर। राहुल मीटिंग से उठकर चले गए, फिर नहीं आए। यही तय हो गया था कि पीके की एंट्री अब मुश्किल है। अब सब ये कह रहे कि पीके प्रोफेशनल आदमी है। प्रो. जितेंद्र मीना ने भी परिचर्चा में विचार रखे।