जलशक्ति मंत्रालय और उससे जुड़े विभागों में प्लास्टिक पर बैन
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में जलशक्ति मंत्रालय और उनसे जुड़े विभागों में अब प्लास्टिक पूरी तरह से प्रतिबंधित होगी। जलशक्ति मंत्री स्वतंत्र देव सिंह ने कहा कि आज से विभाग के कार्यक्रमों, बैठकों और कार्यालयों में प्लास्टिक के ग्लास, प्लास्टिक की बोतल, पालीथीन और प्लास्टिक प्लेट जैसी सामग्री का उपयोग नहीं किया जाएगा। इसकी जगह कुल्हड़, पत्तल और कागज की प्लेटों का उपयोग किया जाए। जल निगम मुख्यालय में लघु सिंचाई की योजनाओं की समीक्षा के दौरान अधिकारियों से जलशक्ति मंत्री स्वतंत्र देव सिंह ने कहा कि विभाग में प्लास्टिक का उपयोग पाए जाने पर कड़ी कार्रवाई होगी। किसी भी दिन उनकी ओर से दफ्तरों का औचक निरीक्षण भी किया जाएगा। मंत्री के निर्देश के बाद प्रदेश में जलशक्ति मंत्रालय के नमामि गंगे, ग्रामीण जलापूर्ति, भूगर्भ जल, लघु सिंचाई, बाढ़ नियंत्रण, परती भूमि विकास विभाग और सिंचाई विभागों के कार्यालयों, बैठकों और आयोजनों में प्लास्टिक पूरी तरह से बैन हो गई है। यहां प्लास्टिक का उपयोग पाए जाने पर कठोर कार्रवाई की जाएगी।
मंत्री ने लघु सिंचाई विभाग की ओर से तालाबों के जीर्णोद्धार की योजना की तारीफ की और अधिकारियों से सभी 75 जिलों में चार-चार तालाबों को माडल बनाकर उनका नाम अमृत सरोवर रखने को कहा। उन्होंने अधिकारियों से कहा कि कुओं और तालाबों से पानी मिलता है इनको सुरक्षित रखना आपकी जिम्मेदारी है। मंत्री ने सभी जिलों के एक-एक तालाब को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने का प्रस्ताव बनाए जाने के निर्देश दिए। समीक्षा बैठक में मंत्री सिंह ने चेतावनी दी कि विभाग के अधिकारी ठेकों में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से शामिल पाए गए तो उनके खिलाफ कठोर कार्रवाई करेंगे। जो भी काम हो रहे हैं, उनकी क्वालिटी से समझौता नहीं करेंगे। कड़ाई से मानकों का पालन करेंगे। रिश्तेदारों और परिचितों को काम का ठेका देने का मामला सामने आया तो कठोर कार्रवाई होना तय है। उन्होंने कार्यालयों में अनुशासन, संस्कार के साथ स्वच्छता बनाए रखने के भी निर्देश दिए।
सभी जिलों में रेन वाटर हारवेस्टिंग करने वाले होंगे पुरस्कृत
जलशक्ति मंत्री स्वतंत्र देव सिंह ने रूफ टाप रेन वाटर हारवेस्टिंग प्लांटों को सभी प्राइवेट व सरकारी मेडिकल कालेजों, सभी इंटर, डिग्री व तकनीकी कालेजों में लगाने को कहा। निर्देश दिया कि सभी जिलों के डीएम को पत्र लिखकर उनसे जिले में इसका अनुपालन कराने का आग्रह करें। सभी 75 जिलों में एक-एक व्यक्ति के नाम का चयन करें जहां रेन वाटर हारवेस्टिंग प्लांट लगे हैं और वो उसको मेनटेन कर रहे हैं उनको पुरस्कार दिए जाएंगे। भूजल जनजागरूकता व प्रचार प्रसार के लिए समाज के लोगों को जोडऩे, गोष्ठियों का आयोजन करने पर जोर दिया। जिन शहरों में जल स्रोत खतरे के नीचे है वहां के नगर आयुक्त, विधायक, सांसद व जनप्रतिनिधि को पत्र लिखकर जनजागरण कराएं।